ISTAQBAL E RAMZAN (HINDI)

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      *ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
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            ✿ *इस्तक़बाल ए रमज़ान* ✿                             
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*✿●•·रमज़ानुल मुबारक यानी नेकियों का मौसम आने जा रहा है, दुनिया मे हम देखते हैं कि जब कहीं मेला लगता है या सेल लगता है तो लोग टूट पड़ते हैं क्योंकि दो फायदे होते हैं:-*
*_1-बगैर किसी मशक़्क़त के आसानी के साथ चीज़ मिल जाती है,*
*_2-मतलूबा चीज़ काम कीमत और सस्ते दाम में मिल जाती है,*

*➠बिल्कुल यही सूरते हाल रमज़ानुल मुबारक की है कि मेलो और सेलों में जिस्मानी गिजाएँ कम से कम कीमत में मयस्सर होती है और रमज़ानुल मुबारक में रूहानी गिजाएँ कम मशक्कत में ज़्यादा सवाब के साथ मयस्सर होती हैं,गोया अल्लाह ताला की तरफ से सेल लगता है,की आओ नेकियों को लूट कर ले जाओ,*

*➠ कैसा रहीम और करीम और मेहरबान परवरदिगार है जो हमारा इतना खयाल कर रहा है कि हम साल भर की कसर, कोताही और नुकसान की भरपाई कर सके,हमे तलाफ़ी मफात का मौका दे रहा है, गोया अल्लाह ताला चाहते हैं कि किसी भी तरह मेरा बंदा मगफिरत के काबिल हो जाए,अल्लाह की रहमत बहाना तलाश करती है,*

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*✿●•·अज़ीज़ों ! रमज़ान उन बरकत दिनों में से सबसे अफ़ज़ल और गोल्डन चांस है, लिहाज़ा शुक्राने नियामत का इज़ाफ़ा ये है कि हम रमज़ान से पहले इसकी भरपूर तैयारी में लग जाए,*

*✿●•"_हमारे दिलों में रमज़ान की क़दरदानी उसी वक़्त पैदा होगी जब हम चंद उमूर का रमज़ान से पहले एहतेमाम करें:-*

*➠ 1-गुज़रे हुए साल का मुहासबा_,*

*✿●•ज़रा एक बार तन्हाई में बैठ जाए और गुज़िश्ता रमज़ान से ले कर इस रमज़ान तक हमने क्या क्या नेकियाँ की और क्या क्या बुराइयां की, इसका दिल मे इस्तहज़ार करे,*

*✿●•_रमज़ान से कम से कम 2 हफ्ता पहले ये काम करे, जब मुहासबा करने पर ये महसूस हो कि बुराइयां ज़्यादा और नेकियाँ कम है तो अच्छी तरह वज़ू करे और दो रकअत सलातुल तौबा खुशु व खुज़ू के साथ अदा करे,*

*✿●•दो रकअत के बाद खूब इस्तिग़फ़ार करे,और अल्लाह ताला से अपने गुनाहों की माफी तलब करे, अगर किसी को तकलीफ दी हो तो उससे फौरन माफी मांगे, फिर दुआ में अल्लाह से तौफीक़े खैर का मुतालबा भी करे और अल्लाह ताला से ये अहद करें कि ऐ अल्लाह! आज से मैं हर नमाज़ जमात के साथ अदा करूंगा,और तेरा हर हुक्म तस्लीम करूंगा, हर हाल में तेरी इताअत करूंगा और नाफरमानी से दूर रहूंगा,*

*✿●•अब नमाज़े बाजमात और क़ुरान पाक की तिलावत का आगाज़ आज ही से कर दे,*
         
*✿●┱ 2- कयामत के दिन का इस्तहजार:- थोड़ी देर बैठ कर अल्लाह के सामने क़यामत के दिन होने वाली पेशी का इस्तहजा़र करें । सोचें कि क़यामत का़यम होगी आदम अलैहिस्सलाम से लेकर क़यामत तक आने वाले अरबों खरबों इंसानों के रूबरू मेरी जिंदगी के हर हर लम्हे का हिसाब होगा ।वह दिन कैसा सख्त और घुटन भरा होगा ।उस दिन अगर मेरी नेकियां कम और बुराइयां ज़्यादा हो गईं तो मैं सारी मख़लूक के सामने ज़लील हो जाऊंगा और अल्लाह की नाराजगी कैसे बर्दाश्त कर सकूंगा। इसके बाद अज़ाब का इस्तहजा़र करें। इंशाल्लाह इस तरह इस्तहजा़र से काया पलट जाएगी ।*

*✿●_3 -रमजान उल मुबारक की फजीलत को पढ़ें और सुने:- रमजा़नुल मुबारक की फजी़लत पर जो अहादीस व आयात वारिद हुई हैं ,शाबान ही से उसका मुज़ाकरा और मुताअला शुरू कर दें और दिल से पढ़े और सीखें । उलमा और तलबा भी मस्जिदों में इसकी तालीम अहतमाम करें ।अवाम भी दिलचस्पी लेकर शरीक हों और खूब तवज्जो से सुने और अमल का इरादा करें । फजाईले आमाल में जो हदीसे वारिद हुई हैं ( फजाईले रमजान के बाब में) उस की तालीम घरों में भी करें ताकि पहले से फिज़ा बनना शुरू हो जाए।*
         
*✿●•·4_ मौत का तसव्वुर:- मौत का वक्त किसी को मालूम नहीं लिहाजा यह तसव्वर करें कि हो सकता है यह मेरा आखिरी रमजान है ।अगर यह गफलत से गुजर जाएगा तो हमेशा हमेशा के लिए मेरी आखिरत की जिंदगी मुश्किल हो जाएगी ,फिर अल्लाह के आजाब से मुझे कौन बचाएगा ? लिहाजा अल्लाह ताला की तरफ मुतवज्जह होना और उसी के हो कर रहना ।*
*✿●_5 _निजा़म उल औकात बनाकर अहतमाम करना:- रमजान से पहले एक निजा़म उल औकात बना ले और अल्लाह से दुआ करें कि ऐ अल्लाह ! इस निजामुल औकात के मुताबिक मुझे मेरी जिंदगी गुजारने और खास तौर पर रमजान गुजारने की तौफीक अता करें ।*
*(निजाम उल औकात हम इंशा अल्लाह जल्द पोस्ट करेंगे)*
*✿●_ 6_ जिक्र का अहतमाम:_ अपनी जु़बान को जिक्र का आदि बना लें ताकि रमजान से पहले ही जि़करुल्लाह की आदत बन जाए ।*
*✿●_7- बुरी आदतों से दूर रहना:- हर तरह की बुरी आदतों मसलन झूठ गीबत चुगली खयानत वगैरा से जान छुड़ा लें ताकि रमजान भर इससे बचना आसान हो जाए।*
         
*✿●•·8- अपने अंदर तब्दीली लाना _,* 
*➠_अगर आप चाहते हैं कि आने वाला रमजान मेरी जिंदगी का इंकलाब रमजान साबित हो और मैं रमजान के मौके को गनीमत जानकर अपनी जात में बड़ी तब्दीली पैदा करूं तो आप चंद शर्तों को पूरा करें ताकि हम नाम के मुसलमान से काम के मुसलमान बन जाएं ।*

*➠_ अपने अंदर तब्दीली लाने की शराइत ,एक :- सबसे पहले हमें अपनी जात में हकीकी तब्दीली का सच्चा पक्का इरादा करना होगा क्योंकि इंसान की जिंदगी में किसी भी तरह की तरक्की का सबसे पहला जरिया इंसान की बुलंद हिम्मती और सच्चा पक्का इरादा है ।इसलिए आप हौसला कीजिए और पुख्ता अज़्म कीजिए कि ज़रूर जिंदगी में तब्दीली पैदा करनी है और फिर कमर बसता हो जाएं । जब आप नेकी करने का इरादा और बदी छोड़ने का अज्म करेंगे तो जरूर अल्लाह ताला मदद करेंगे ।*
*➠"_ अल्लाहुम्मा आइन्ना अला ज़िकरिका वा शुकरिका वा हुस्नि इबादतिका _,*  

*"➠_ इस दुआ का खूब है अहतमाम कीजिए और कोशिश शुरू कर दीजिए और फिर देखिए कि अल्लाह की खुली नुसरत वह मदद ।अल्लाह हमें हौसला अता फरमाए ।आमीन ।*

*➠_ 2_सबसे पहले अहम और जरूरी अमर् यह है कि अक़ल मंदी से काम ले कर अपने अंजामे खैर पर नजर करते हुए और अंजामें बद से बचने की तदबीर अख्तियार करते हुए अपनी ख्वाहिशात पर काबू पाकर आमाले सालेहा का पुख्ता इरादा और नियत करें ।अल्लाह के साथ हुस्ने जन का़इम करें। अपनी बुराइयों पर नजर करके नए हौसले के साथ तैयार हो जाए कि कुछ भी हो जाए अब तो अपनी इस्लाह करके ही छोड़ेंगे। इसके बाद अल्लाह से गिड गिडा कर खूब दुआएं करें। अल्लाह पर ऐतमाद और भरोसा करें। इंशा अल्लाह खुद-ब-खुद तब्दीली पैदा होने लगेगी ।*

*✿●3 _एक बार निजाम उल औकात बनाकर उसके मुताबिक अमल शुरू कर दें ।बाद में करूंगा जैसे ख्यालात पर बिल्कुल तवज्जो ना दें और सुस्ती को हिम्मत के साथ दूर करें ।इसके बाद भी नफ्स आमादा ना हो तो "आ'उज़ुबिल्लाहि मिनश्शैयतान निर्रजीम " पढ़कर "लाहौल वला कू़व्वता इल्ला बिल्लाहि " का विर्द रखें ।*

*✿●_4- इस बात का इस्तहजार रखना कि मेरी हर बात और मेरा हर अमल रिकॉर्ड किया जा रहा है ।*
*✿●_5- बुरे दोस्तों की सोहबत छोड़ दे और नेक लोगों की सोहबत अख्तियार करें ।अगर बुरे दोस्तों को ना छोड़ा तो वह आपको नेकी से दूर करने की कोशिश करेंगे और आप उनकी बातों में आकर वैसा ही करेंगे। अल्लाह को राजी करने के लिए किसी की मामलात की परवाह ना करें ।*

*➠★_6 -एक बार बैठ कर सोचे कि मेरे अंदर कौन सी बुरी आदतें हैं और कौन सी अच्छी आदतें हैं और फिर बुरी आदतों को छोड़ना शुरू कर दें ।मसलन मोबाइल को सिर्फ जरूरत के वक्त इस्तेमाल करें ।मोबाइल से फेसबुक दीगर गेम डिलीट कर दें। कु़रान और किताब का मुताअला शुरू करें ।*
*➠★_7 किसी भी काम को जल्दबाजी में ना करें ना कोई बात जल्दबाजी में किसी के सामने बोले काम करने और बोलने से पहले यह सोचे कि इसके करने में अल्लाह की रजा मंदी है या नहीं जब दिल कहे हां तो शुरू करें और दिल करे नहीं इसमें अल्लाह की नाराजगी है तो पूरी हिम्मत से नफ़्स की मुखालफत करें कि इससे रुक जाए । हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया:- "_अपने नफ्सों से फतवा तलब करो गोया इंसान का नफ्स मुफ्ती है ।"*
*➠★_8- इस बात को ज़हनसीन कर ले कि आप की कामयाबी और नाकामी का मदार खुद आपके अपने हाथ है लिहाजा दूसरों की बुराइयों को देखना छोड़ दें ,खुद अपनी बुराइयों का जायजा लें और उससे छुटकारा हासिल करें वरना आप को नुकसान उठाना पड़ेगा दुनिया में भी और आखिरत में भी बुरे अंजाम के आप खुद जिम्मेदार होंगे कोई और नहीं ।*
*➠★_9-जब आप जिंदगी में इंकलाब लाने का फैसला करेंगे तो बहुत सी मुश्किलात और चैलेंज पेश होंगे ।याद रखें हमेशा वही लोग दुनिया में कामयाब होते हैं जिन्होंने मुश्किलात का मुकाबला किया और उसे शिकस्त दी और मुकाबले पर डटे रहे। अल्लाह ताला हमें तौफीक अता करें । (आमीन )*

*➠_अल्हम्दुलिल्लाह मुकम्मल हुआ*

   *📕रमज़ान का इस्तक़बाल कैसे करें ( मौलाना गुलाम मोहम्मद वसतानवी )*

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