*⌛ असर ए हाज़िर ⌛*
*❀ हदीस के आइने में ❀*
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*☞ क़यामत की खास अलामात_,*
*❉_ कयामत की खास अलामात में से है :- बदकारी, बद ज़ुबानी ,क़ता रहमी (का आम हो जाना ) अमानतदार को ख़यानतदार और खाइन को अमानतदार क़रार देना _,”*
*📚 तिबरानी, कंज़ुल उम्माल -१४/२२०,*
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*☞_ हलाकत का खतरा कब ? _,*
*❉_ उम्मुल मोमिनीन हजरत जे़नब बिन्त ज़हश रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है की आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने दरयाफ्त किया गया :- “या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ! क्या हम ऐसी हालत में भी हलाक हो सकते हैं जबकि हमारे दरमियां नेक लोग मौजूद होंगे ?*
*फरमाया :- हां ! जब (गुनाहों की) गंदगी ज्यादा हो जाएगी_,”*
*📚 सहीह बुखारी -2/1046 सहीह मुस्लिम -2/388,*
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*☞ _ मकरो फरेब का दौर और ना अहलों की नुमाइंदगी_,*
*❉__ लोगों पर बहुत साल ऐसे आएंगे जिनमें धोखा ही धोखा होगा ,उस वक्त झूठे को सच्चा समझा जाएगा और सच्चे को झूठा, बद दियानत को अमानतदार तसव्वुर किया जाएगा और अमानतदार को बद दियानात, गिरे पड़े ना अहल क़ौम की तरफ से नुमाइंदगी करेंगे ।*
*❉ _अर्ज़ किया गया :- गिरे पड़े ना अहल लोग से क्या मुराद है ? फरमाया:- वह ना- अहल और बे -की़मत आदमी जो जम्हूर के अहम मामलात में रायज़नी करें,*
*❉ __अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत,*
*📚 कंजुल उम्माल -१४/२१६, इब्ने माजा -२९२,*
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*☞ _ क़ारियों की बोहतात_,*
*❉__ मेरी उम्मत पर एक ज़माना आएगा जिसमें का़री बहुत होंगे मगर फक़ीह कम, इल्म का क़हत हो जाएगा और फितना व फसाद की कसरत , फिर उसके बाद एक और ज़माना आएगा जिसमें मेरी उम्मत के ऐसे लोग भी क़ुरान पड़ेंगे जिनके हलक़ से नीचे क़ुरान नहीं उतरेगा। (दिल क़ुरान के फहम और अकी़दत व एहतराम से खाली होंगे )*
*❉ _फिर उसके बाद एक और ज़माना आएगा जिसमें अल्लाह ताला के साथ शरीक़ ठहराने वाला मोमिन से दावा ए तौहीद में हुज्जत बाज़ी करेंगे।*
*❉ __ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत_,”*
*📚_ कंजुल उम्माल-१४/२१७ ,*
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*☞ _बदकारी अक़लमंदी का निशान _,*
*❉_ लोगों पर एक ज़माना आएगा जिसमें आदमी को मजबूर किया जाएगा कि या तो अहमक ( मुल्ला ) कहलाए या बदकारी को अख्त्यार करें,*
*❉ _पस जो शख्स ये ज़माना पाए उसे चाहिए कि बदकारी अख्त्यार करने के बजाय नक्कू ( अहमक ) कहलाने को पसंद करें ।*
*❉ __ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,*
*📚 कंजुल उम्माल-१४/२१८,*
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*☞ _ इंसानियत की तलछट _,*
*❉__ तुम्हें इस तरह छांट दिया जाएगा जिस तरह अच्छी खजूरें रद्दी खजूरों से छूट ली जाती है,*
*❉_ चुनांचे तुम्हारे अच्छे लोग उठते जाएंगे और बदतरीन लोग बाक़ी रह जाएंगे उस वक्त (गम से घुटकर ) तुम से मरा जा सकता है तो मर जाना ।*
*❉“_ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,*
*📚 इब्ने माजा -२९२,*
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*☞ _ मर्दों और औरतों की आवारगी_,*
*❉__ काश में जान लेता कि मेरे बाद मेरी उम्मत का क्या हाल होगा (और उनको क्या कुछ देखना पड़ेगा )*
*❉ _जब उनके मर्द अकड़कर चला करेंगे और उनकी औरतें (सरे बाज़ार) इतराती फिरेंगी,*
*❉ _और काश में जान लेता जब मेरी उम्मत की दो किस्में हो जाएंगी एक क़िस्म तो वो होगी जो अल्लाह ताला के रास्ते में सीना सिपर होंगे और एक क़िस्म वो होगी जो गैरूल्लाह ही के लिए सब कुछ करेंगे।*
*📚 कंजुल उम्माल- १४/२१९,*
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*☞ _ क़ुर्बे क़यामत और रोइयते हिलाल_,*
*❉_ क़ुर्बे क़यामत की एक निशानी यह है कि चांद पहले ही देख लिया जाएगा और पहली तारीख के चांद को कहा जाएगा कि दूसरी तारीख का है,*
*❉ _और मस्जिदों को गुज़रगाह बना लिया जाएगा और ना-गहानी मौत आम हो जाएगी ।*
*❉ _ हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत*
*📚 कंजुल उम्माल-14/220,*,
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*☞ _ किराये के गवाह और पैसों के हलफ_,*
*❉_ लोगों पर ऐसा जमाना भी आएगा कि सच्चों को झूठा और झूठों को सच्चा कहा जाएगा और खयानत पेशा लोगों को अमानतदार और अमानतदार लोगों को खयानत पेशा बतलाया जाएगा ,*
*❉_ बगैर तलब के लोग गवाहियां देंगे और बगैर हलफ उठवाए हलफ उठाएंगे,*
*❉_ और कमीने बाप दादा की औलाद दुनियावी एतबार से सबसे ज्यादा खुश नसीब बन जाएंगी जिनका ना अल्लाह पर ईमान होगा ना रसूल पर।*
*📚मजमुअज़्ज़वाइद -७/२७३,जामिया सगीर- ५/३४५ ,*
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*☞_ दीन के लिए मुश्किलात का पेश आना_,*
*❉_ लोगों पर एक जमाना आएगा कि जिसमें अपने दीन पर साबित क़दम रहने वाले की मिसाल ऐसी होगी जैसे कोई शख्स आग के अंगारों से मुट्ठी भर ले ।*
*❉ __ हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,”*
*📚_ तिर्मिजी-२/५०,*
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*☞ _ नेक लोगों से मेहरूमी का नुक़सान_,*
*❉__ नेक लोग एक के बाद एक रुखसत होते जाएंगे जैसे छंटाई के बाद रद्दी जौ या खजूरें बाक़ी रह जाती है,*
*❉_ ऐसे नाकारा लोग रह जाएंगे कि अल्लाह ताला उनकी कोई परवाह नहीं करेगा ।*
*📚 सही बुखारी-२/९५२,*
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*☞_ जाहिल आबिद और फासिक़ क़ारी _,*
*❉__ आख़री ज़माने में बे इल्म इबादत गुजा़र और बे अमल का़री होंगे ।*
*❉_ हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,*
*📚 कंजुल उम्माल- 14/222 ,*
*☞_ मस्जिदों पर फख्र_,*
*❉__ कयामत का़यम ना होगी यहां तक कि लोग मस्जिदों में (बैठकर या मस्जिद के बारे में) फख्र करने लगेंगे ।*
*❉_ हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,*
*📚 इब्ने माजा- 54,*
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*☞_ दो जहन्नमी गिरोह_,*
*❉__ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु आन हज़रत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम का इरशाद नकल करते हैं कि दो जहन्नमी गिरोह ऐसे हैं जिनको मैंने नहीं देखा (बाद में पैदा होंगे),*
*❉_ एक वह गिरोह जिनके हाथों में बेल की दुम जैसे कोड़े होंगे वह इन कोड़ों के साथ लोगों को (नाहक ) मारेंगे ,*
*❉_ दूसरे वह औरतें जो (कहने को तो) लिबास पहने होंगी लेकिन (चूंकि लिबास बहुत बारीक या सतर के लिए ) नाकाफी होगा, इसलिए वह दर हक़ीक़त बरहना होगी । लोगों को अपने जिस्म की नुमाइश और लिबास की ज़ैबाइश से अपनी तरफ माइल करेंगी और खुद भी मर्दों से इख्तलात की तरफ माइल होंगी । उनके सर ( फैशन की वजह से) बख्ती ऊंट के कोहान जैसे होंगे।*
*❉_ यह औरतें ना तो जन्नत ही में दाखिल होंगी ना जन्नत की खुशबू ही इनको नसीब होंगी हालांकि जन्नत की खुशबू दूर-दूर से आ रही होगी ।*
*❉_ हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत _,*
*📚_ (सही मुस्लिम, 2/205),*
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*☞_ आलमे इस्लाम की पस्त हाली और उसके असबाब_,*
*❉_ हजरत सौबान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ( जिसका मफहूम है कि):-*
*“_ वह वक्त क़रीब आता है जबकि तमाम गैर क़ौमें तुम्हें मिटाने के लिए ( मिलकर) साजिशें करेंगे और एक दूसरे को इस तरह बुलाएंगे जैसे दस्तरख्वान पर खाना खाने वाले (लज़ीज़) खाने की तरफ एक दूसरे को बुलाते हैं,*
*❉_किसी ने अर्ज किया -या रसूलल्लाह! क्या हमारी किल्लते तादाद की वजह से हमारा यह हाल होगा ? फरमाया -नहीं , बल्कि तुम उस वक्त तादाद में बहुत होंगे, अलबत्ता तुम सैलाब के झाग की तरह नाकारा होंगे, यक़ीनन अल्लाह ताला तुम्हारे दुश्मनों के दिलों से तुम्हारा रौब और दबदबा निकाल देगा और तुम्हारे दिलों में बुजदिली डाल देगा _,”*
*❉_किसी ने अर्ज़ किया -या रसूलल्लाह ! बुजदिली से क्या मुराद है ? फरमाया– दुनिया की मोहब्बत और मौत से नफरत ।*
*📚_ अबु दाऊद-590,*
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*☞ _ ना खल्फ और नालायक़ उम्मती_,*
*❉__ हज़रत इब्ने मस’ऊद रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया (जिसका मफहूम है कि):-*
*“_ मुझसे पहले जिस नबी को भी अल्लाह ताला ने उसकी उम्मत में मब’ऊस फरमाया उसकी उम्मत में कुछ मुखलिस और कुछ खास रफक़ा (दोस्त) ज़रूर हुआ किये जो उसके हुक्म की पैरवी करते,*
*❉ _फिर उनके बाद ऐसे ना खल्फ पैदा होते जो कहते कुछ और और करते कुछ और, जो कुछ उन को हुक्म दिया गया था उसके खिलाफ अमल करते, (इसी तरह इस उम्मत में भी ऐसे ना खल्फ पैदा होंगे जो इस्लाम का नाम तो लेंगे लेकिन उनका अमल उसके खिलाफ होगा )*
*❉ _ पस जो शख्स (बशर्ते कु़दरत ) हाथ से उनको रोक देगा वह मोमिन है और जो ज़ुबान से उनको रोकेगा वह भी मोमिन है और जो उनकी बद -अमली को कम अज़ कम दिल से ही बुरा समझे वह भी मोमिन है, और इसके बाद तो राई के दाने के बराबर भी ईमान नहीं रहता ।*
*📚_ सही मुस्लिम 1/52_,*
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*☞ _ दज्जाली फितना और नये नये नज़रियात_,*
*❉_ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*“_ आखिरी ज़माने में बहुत से झूठे मक्कार लोग होंगे जो तुम्हारे सामने (इस्लाम के नाम से नए-नए नज़रियात और ) नई नई बातें पेश करेंगे जो ना कभी तुमने सुनी होगी और ना तुम्हारे बाप दादा ने,*
*❉ _ उनसे बचना ! उनसे बचना ! कहीं वह तुम्हें गुमराह ना कर दें और फितने में ना डाल दें _,*
*📚 सही मुस्लिम-1/10,*
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*☞_ उल्मा ए सू का फितना _,*
*❉_ हज़रत अली करमुल्लाह वजहू फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :-*
*"_ अन क़रीब एक ज़माना आता है जिसमें इस्लाम का सिर्फ नाम बाक़ी रह जाएगा और क़ुरान के सिर्फ अल्फ़ाज़ बाक़ी रह जाएंगे, उनकी मस्जिदे बड़ी बा रोनक होंगी मगर रूस्द व हिदायत से खाली और वीरान,*
*❉ _ उनके (नामो निहाद) उलेमा आसमान की नीली छत के नीचे बसने वाली तमाम मखलूक़ से बदतर होंगे ,फितना उनके यहां से निकलेगा और उन्हीं में लौटेगा ।*
*(यानि वही फितनों के बानी भी होंगे और वही मरकज़ व महूर भी )*
*📚 रवाह बहीक़ी फि शोबुल ईमान, मिशकात शरीफ-38,*
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*☞ _ अहले हक़ का गैर मुंक़ता सिलसिला_,*
*❉__ हजरत मुआविया रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम से सुना है कि आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम फरमाते थे कि,*
*“_ मेरी उम्मत में एक जमात हमेशा अल्लाह ताला के हुक्म पर क़ायम रहेगी उन्हें कोई नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगा ना उनकी मदद से दस्ते कश होने वाले ना उनकी मुखालफत करने वाले,*
*❉ _ यहां तक कि अल्लाह ताला का वादा (क़यामत )आ जाएगा और वो हिमायते हक़ पर क़ायम होंगे _,”*
*📚_ मिशकात शरीफ- 583 ,*
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*☞_ अहले हक़ और उलमा ए सू के दरमियान फासला _,*
*❉_ हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हु हुजूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-*
*❉ _ उलमा किराम अल्लाह के बंदों पर रसूलों के अमीन (और हिफाज़ते दीन के ज़िम्मेदार ) हैं बशर्ते कि वह इक़्तेदार (पावर) से घुल मिल जाएं और (दीनी तक़ाज़ों को पशे पुश्त डालते हुए ) दुनिया में ना घुस पड़े ।*
*❉ _लेकिन जब वो हुक्मरान से शेरों शकर हो गए और दुनिया में घुस गए तो उन्होंने ( उलेमाओं ने) रसूलों से खयानत की, फिर उनसे बचो और उनसे अलग रहो।*
*📚_ कंजुल उम्माल- 10/204 ,*
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*☞ _और ज़माना बुढ़ा हो जाएगा _,*
*❉ __ हजरत अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु आन हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद नक़ल करते हैं कि :-*
*“_ क़यामत क़ायम ना होगी यहां तक कि अल्लाह की किताब पर अमल करने को आर ठहराया जाएगा और इस्लाम अजनबी हो जाएगा यहां तक कि लोगों के दरमियान कीना परवरी हो जाएगी। और यहां तक कि इल्म उठा लिया जाएगा और ज़माना बुढ़ा हो जाएगा , इंसान की उम्र कम हो जाएगी, माह व साल और गल्ला व समरात में (बे बरकती और) कमी रूनुमा होगी,*
*❉ _ना का़बिले एतमाद लोगों को अमीन और अमानत दार लोगों को ना का़बिले एतमाद समझा जाएगा, फसाद और क़त्ल आम होगा और यहां तक कि ऊंची ऊंची इमारतों पर फख्र किया जाएगा और यहां तक कि साहिबे औलाद औरतें गमज़दा होंगी और बे औलाद खुश होंगी,*
*❉ _और जु़ल्म ,हसद और लालच का दौर दौरा होगा , लोग हलाक होंगे, झूठ की बोहतात होगी और सच्चाई कम, यहां तक कि लोगों के दरमियान बात बात में नज़ा और इख्तिलाफ होगा, ख्वाहिशात की पैरवी की जाएगी, अटकल पचु फैसले दिए जाएंगे, बारिश की कसरत के बावजूद गल्ले और फल कम होंगे, इल्म के सोते खुश्क हो जाएंगे और जहालत का सैलाब उमड़ आएगा, औलाद गम व गुस्सा का मौजिब होगी और मौसमे सरमा में गर्मी होगी और यहां तक कि बदकारी एलानिया होने लगेगी, ज़मीन की तनाबें खींच दी जाएंगी, खतीब और मुकर्रिर झूठ बकेंगे , हत्ताकि मेरा हक ( मनसबे तशरीह ) मेरी उम्मत के बदतरीन लोगों के लिए तजवीज़ करेंगे ,पस जिसने उनकी तस्दीक़ की और उनकी तहकी़का़त पर राज़ी हुआ उसे जन्नत की खुशबू भी नसीब नहीं होगी ।माज़ाल्लाह । _*
*📚 कंजुल उम्माल- 14/245,*
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*☞ _ दुनिया के लिए दीन फरोशी_,*
*❉__ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहू अन्हू से रिवायत है की रसूले अक़दस सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया :-*
*“_ उन तारीक फितनों की आमद से पहले पहले नेक आमाल कर लो जो अंधेरी रात की तह बा तह तारीकियों के मिस्ल होंगे ,आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम को काफिर या शाम को मोमिन होगा और सुबह को काफिर , दुनिया के चंद टकों के बदले अपना दीन बेचता फिरेगा ।*
*📚_ सही मुस्लिम-१/७५,*
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*☞_ क़यामत कब होगी ?_,*
*❉__ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि इस असना में कि नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम कुछ बयान फरमा रहे थे, अचानक एक आराबी आया और अर्ज किया :- ( या रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम) ! क़यामत कब होगी ?*
*फरमाया :-जब अमानत उठ जाएगी ।*
*आराबी ने कहा :-अमानत उठ जाने की सूरत क्या होगी ?*
*फरमाया :- जब अख्त्यारात ना अहलो के सुपुर्द हो जाएंगे तो क़यामत का इंतजार करो _,”*
*📚_ सही बुखारी-१/१४ ,*
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*☞_ हम जिंस परस्ती का रूझान _,*
*❉__ हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हु हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद नकल करते हैं कि :- जब मेरी उम्मत पांच चीज़ों को हलाल समझने लगेंगी तो उन पर तबाही नाजिल होगी,*
*❉_ जब उनमें बाहमी लान तान आम हो जाएं, मर्द रेशमी लिबास पहनने लगें, गाने बजाने और नाचने वाली औरतें रखने लगें, शराबें पीने लगें, और मर्द मर्दों से और औरतें औरतों से जिंस तस्कीन पर किफायत करने लगे ।*
*📚 रवाह बहीक़ी फि शोबुल ईमान, कंज़ुल उम्माल- १४/२२६,*
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*☞ _ नाच गाने की मेहफिलें, बंदरों और खिंज़ीरों का मजमा _,*
*❉__ हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हु आन’हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम से रिवायत करते हैं कि- आखिरी ज़माने में मेरी उम्मत के कुछ लोग बंदर और खिंज़ीर की शक्ल में मसख हो जाएंगे । सहाबा कीराम रजियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया – या रसूलल्लाह ! क्या वह तोहीद व रिसालत का इक़रार करते होंगे ?*
*❉ _फरमाया– हां वह (बराए नाम) नमाज़, रोज़ा और हज भी करेंगे। सहाबा किराम रजियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया :- या रसूलल्लाह ! फिर उनका यह हाल क्यों होगा ?*
*❉ _फरमाया :- आलाते मौसिकी़, रक्का़सा औरतों और तबला और सारंगी वगैरा के रसिया होंगे और शराबे पिया करेंगे ( बिल आखिर ) वो रात भर मसरूफे लहू व लइब रहेंगे और सुबह होगी तो बंदर और खिंज़ीरों की शक्ल में मसख हो चुके होंगे ।*
*📚 रवाह सईद बिन मंसूर, हलियतुल औलिया- ३/१९१,फताहुल बारी- १०/९४,*
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*☞ - Haraam Cheezo me Khana Saaz Taveele’n ●*
*❉ _ Hazrat Huzaifa Raziyallahu Anhu Huzoor Aqdas ﷺ se Rivayat karte hai’n k:-*
*"_ Jab ye ummat Sharaab ko Mashrub ke Naam se, Sood ko Munafe ke Naam se aur Rishwat ko Tohfe ke Naam se Halaal karegi aur maale Zakaat se Tijarat karne lagegi to ye Unki halakat ka Waqt hoga Gunaho'n me Zyadti aur Taraqqi ke Sabab_,”*
*📚_ Kanzul Ummaal,, 14/226_*
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*☞_ बदकारी और बेहयाई का नाम सक़ाफत और फुनूने लतीफा _,*
*❉_ अब्दुर्रहमान बिन गनम अश’अरी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मुझसे अबु आमिर या अबू मालिक अश’अरी (रजियल्लाहु अन्हुम) ने बयान किया, बाखुदा उन्होंने गलत बयानी नहीं की कि- उन्होंने आन हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते हुए सुना कि,*
*❉_यकी़नन मेरी उम्मत के कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो ज़िना, रेशम, शराब और आलाते मौसीक़ी को (खुशनुमा ताबीरों से) हलाल कर लेंगे और कुछ लोग एक पहाड़ के करीब अका़मत करेंगे वहां उनके मवेशी चर कर आया करेंगे । उनके पास कोई हाजतमंद अपनी ज़रूरत लेकर आएगा वह ( अज़ राहे हिक़ारत ) कहेंगे “कल आना”,*
*❉_ पस अल्लाह तआला उन पर रातों-रात अज़ाब नाजि़ल करेगा और पहाड़ को उन पर गिरा देगा और दूसरे लोगों को (जो हराम चीज़ों में खुशनुमा तावीलें करेंगे ) क़यामत तक के लिए बंदर और खिंजीर बना देगा । मा'ज़ल्लाह,*
*📚 सही बुखारी -२/८३७,*
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*☞_ बेहयाई का अंजामे बद_,*
*❉_ हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि आन’हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"_ अल्लाह तआला जब किसी बंदे की हलाकत का फैसला फरमाते हैं तो ( सब से पहले) उससे हया छीन लेते हैं और जब उससे हया जाती रही तो तुम (उसकी बेहयाईयों की वजह से ) उसे शदीद मबगूज़ और का़बिले नफरत पाओगे और जब उसकी यह हालत हो जाए तो उससे अमानत (भी ) छीन ली जाती है और जब उससे अमानत छिन जाए तो तुम (उसकी बद दयानती की वजह से) उसे निरा ख़ाइन और धोखेबाज पाओगे,*
*❉_ और जब उसकी हालत यहां तक पहुंच जाए तो उससे रहमत भी छीन ली जाती है और जब रहमत भी छिन जाए तो तुम उसे (बेरहमी की वजह से ) मरदूद व मल’ऊन पाओगे और जब वह इस मुका़म पर पहुंच जाए तो उससे इस्लाम का पट्टा निकाल लिया जाता है (और उसे इस्लाम से आर आने लगती है) माज़'ल्लाह !”*
*📚 _इब्ने माजा, सफा-२९४,*
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*☞ _इख्तिलाफ व इंतिशार _,*
*❉__ हजरत अब्दुल्लाह इब्ने मस’ऊद रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि आन’हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-*
*"_ बेशक इस उम्मत का अव्वल हिस्सा बेहतरीन लोगों का है और पिछला हिस्सा बदतरीन लोगों का होगा, जिनके दरमियान बाहमी (आपस में) इख्तिलाफ व इंतिशार कार फरमा होगा ।*
*❉ _ पस जो शख्स अल्लाह तआला पर और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसकी मौत इस हालत पर आनी चाहिए कि वह लोगों से वही सुलूक करता हो जिसे वह अपने लिए पसंद करता है_,”*
*📚 _रवाह इब्ने हिबान, कंजुल उम्माल- १४/२२३, हदीस-३८४९१*
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*☞ _तीन जुर्म और तीन सज़ाऐं _,*
*❉__ हज़रत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का इरशाद है कि:-*
*"_ जब मेरी उम्मत दुनिया को बड़ी चीज़ समझने लगेगी तो इस्लाम की हैबत और वक़’अत उसके क़ुलूब से निकल जाएगी और जब अमर् बिल मा’रूफ और नही अनिल मुनकर छोड़ बैठेगी तो वही की बरकात से महरूम हो जाएगी,*
*❉_ और जब आपस में गाली-गलौच अख्त्यार करेगी तो अल्लाह जल्ल शान्हू की निगाह से गिर जाएगी ।*
*📚 दुर्रे मंसूर-२/३०२ बा रिवायत हकीम तिर्मिज़ी,*
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*☞_ ऐसी ज़िन्दगी से मौत बेहतर_,*
*❉__ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहू अन्हू से रिवायत है आन’हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"_ जब तुम्हारे हाकिम नेक और पसंदीदा हो ,तुम्हारे मालदार कुशादा दिल और सखी हों और तुम्हारे मामलात बाहमी ( खैर ख्वाहाना ) मशवरे से तैय हो ,तो तुम्हारे लिए ज़मीन की पुश्त उसके पेट से बेहतर है (यानी मरने से जीना बेहतर है)*
*❉_ और जब तुम्हारे हाकिम शरीर हो, तुम्हारे मालदार बखील हो और तुम्हारे मामलात औरतों के सुपुर्द हो ( कि बेगमात जो फैसला कर दें वफादार नौकर की तरह तुम उसको नाफिज़ करने लगो ) तो तुम्हारे लिए ज़मीन का पेट उसकी पुश्त से बेहतर है (यानी ऐसी जिंदगी से मर जाना बेहतर है),*
*📚_ जामिया तिर्मिज़ी- २/५१,*
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*☞ _ आमिरियत और जबर् व इस्तबदाद ( ज़ुल्म व ज़ोर से हुक़ूमत ) का दौर _,*
*❉ _ अबू सालबा खुशनी, अबू उबेदा बिन जर्राह और माज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हुम से मर्वी है, हुजूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-*
*"_ अल्लाह तआला ने इस दीन की इब्तिदा नबूवत व रहमत से फरमाई फिर (दौरे नबूवत के बाद) खिलाफत व रहमत का दौर होगा, इसके बाद फ़ाड़ खाने वाली बादशाहत होगी, उसके बाद खालिस आमिरियत, जबर् व इस्तबदाद और उम्मत के उमूमी बिगाड़ का दौर आएगा _,*
*❉_ यह लोग ज़िनाकारी ,शराब नोशी और रेशमी लिबास पहनने को हलाल कर लेंगे और इसके बावजूद उनकी मदद भी होती रहेगी और उन्हें रिज़्क भी मिलता रहेगा, यहां तक कि वह अल्लाह के हुजूर पेश होंगे (यानि मरते दम)_,”*
*📚_ रवाह अबू दाऊद व अल बहीकी़ फि शो’अबुल ईमान: तर्जुमान अल सुन्नह -4/75, मिशकात- 460_,*
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*☞ _हलाल और हराम की तमीज़ उठ जाने का दौर ◆*
*❉_ हज़रत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु हुज़ूर ﷺ का इरशाद नकल करते हैं कि:-*
*→"लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिसमें आदमी को (खुद राय और हिर्स की बिना पर) ये परवाह नहीं होगी कि जो कुछ वो लेता है आया ये हलाल है या हराम,"*
*📚_सही बुखारी,, 1/276,*
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*☞ _ सूदखोरी के सैलाब का दौर ◆*
*❉_ हज़रत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया कि:-*
*→ ''यकी़नन लोगों पर ऐसा दौर भी आएगा जबकी कोई शख़्स भी सूद से महफ़ूज़ नहीं रहेगा, चुनांचे अगर किसी ने बराहे रास्त सूद न भी खाया तब भी सूद का बुखार या गुबार (यानी असर) तो हर सूरत में पहुंच कर ही रहेगा_,*
*❉→ (गो इस सूरत में बराहे रास्त सूद खोरी का मुजरिम ना हो लेकिन पाकीज़ा माल की बरकत से मेहरूम रहा),,"*
*📚 रवाह अहमद व अबू दाऊद व नसाई व इब्ने माजा, मिश्कातुल मुसाबेह- 245,*
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*☞_ दुआएं कुबूल ना होने का दौर ◆*
*❉_ हज़रत हुज़ेफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि नबी करीम ﷺ ने फरमाया:-*
*→"उस ज़ात की क़सम जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है, तुम्हें नेकी का हुक्म करना होगा और बुराई से रोकना होगा वर्ना कुछ बईद नहीं कि अल्लाह तआला तुम पर कोई अज़ाब नाज़िल फरमाये,*
*❉→फिर तुम अल्लाह से उस अज़ाब के टलने की दुआएं भी करोगे तो कुबूल ना होंगी,"*
*📚_ जामिआ तिर्मिज़ी,, 2/39,*
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*☞ _क़यामत की वाज़ेह अलामात :-*
*"❉_ हज़रत इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने आन हज़रत ﷺ से क़यामत के आसार व अलामात के बारे में दरियाफ्त किया तो फरमाया-*
*"❉_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ क़यामत के कुछ आसार और अलामात हैं, वो ये कि औलाद (नाफ़रमानी के सबब) गम और ग़ुस्सा का बा'इस होगी, बारिश के बावजूद गर्मी होगी और बदकारों और शरीरों का तूफ़ान बरपा होगा,*
*"❉_ ऐ इब्ने मसूद! बेशक क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि झूठे को सच्चा और सच्चे को झूठा समझा जाएगा,*
*"❉_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक क़यामत के आसार और अलामात में ये भी है कि खा'इन को अमीन और अमीन को खा'इन बतलाया जाएगा,*
*"❉_ ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि बेगानों से ताल्लुक़ जोड़ा जाएगा और यगानों (अपनों) से तोड़ा जाएगा,*
*"❉_ए इब्ने मसऊद! बेशक कयामत के आसार व अलामात में ये भी है कि हर क़बीले की क़यादत उसके मुनाफिकों के हाथों में होगी और हर बाज़ार की क़यादत उसके बकारों के हाथ में,*
*"❉_ ऐ इब्ने मसऊद! बेशक कयामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि मोमिन अपने कबीले में भेड़ बकरी से ज़्यादा हकीर समझा जाएगा,*
*❉"_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक कयामत के आसार व अलामात में ये भी है कि मेहराबें सजाई जाएंगी और दिल वीरान होंगे,*
*"❉_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ कयामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि मर्द मर्दों से और औरतें औरतों से जिन्सी लज्ज़त हासिल करेंगी,*
*❉"_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि मस्जिदों के अहाते आलिशान बनाये जायेंगे और ऊंचे ऊंचे मिम्बर रखे जायेंगे,*
*"❉_ऐ इब्ने मसूद! बेशक़ कयामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि दुनिया के वीरानों को आबाद और आबादियों को वीरान किया जाएगा,*
*❉"_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक कयामत के आसार व अलामात में ये भी है कि गाने बजाने का सामान आम होगा और शराब नोशी का दौर दौरा होगा,*
*❉"_ ऐ इब्ने मसऊद! बेशक क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि तरह तरह की शराबें (पानी की तरह) पी जाएंगी,*
*"❉_ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि (मा'आशरे में) पुलिस वालों, ऐब चीनों, गीबत करने वालों और ताना बाज़ो की बोहतात होगी,*
*❉"_ ऐ इब्ने मसऊद! बेशक़ क़यामत के आसार व अलामात में से ये भी है कि ना-जाइज़ बच्चों की कसरत होगी_,*
*📚_( कंज़ुल उम्माल- 14/224)*
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*☞ _अल्लाह तआला की हिफ़ाज़त के उठ जाने का दौर:-*
*❉_हसन बसरी रहमतुल्लाह आन हज़रत ﷺ का इरशाद नकल करते हैं कि -*
*"_ ये उम्मत हमेशा अल्लाह तआला की दस्तें हिफाज़त के साथ रहेगी और उसकी पनाह में रहेगी, जब तक इस उम्मत के आलिम और का़री, हुक्मरानों की हां में हां नहीं मिलाएंगे, और उम्मत के नेक लोग (अज़ राह खुशामद) बदकारों की सफाई पेश नहीं करेंगे, और जब तक कि उम्मत के अच्छे लोग (अपने फायदे की खातिर) बुरे लोगों को उम्मीद नहीं दिलाएँगे,*
*❉_लेकिन जब वो ऐसा करने लगेंगे तो अल्लाह तआला उनके ( सरो से ) अपना हाथ उठा लेगा, फिर उनमें के जब्बार व क़हार और सरकश लोगों को उन पर मुसल्लत कर देगा जो उन्हें बदतरीन अज़ाब का मज़ा चखाएंगे और उनको फक़रो फाका़ में मुब्तिला कर देगा, और उनके दिलों को ( दुश्मनों के ) रौब से भर देगा _,*
*📚_किताबुल रक़ाइक़ इब्ने मुबारक_,*
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*☞ _ अल्लाह तआला की नाराज़गी का दौर:-*
*❉ __ हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत ﷺ से रिवायत करते हैं कि आप ﷺ ने फरमाया:-*
*"_ लोगों पर एक ऐसा दौर आएगा कि मोमिन मुसलमानों की जमात के लिए दुआ करेगा मगर कुबूल नहीं की जाएगी,*
*❉ __अल्लाह तआला फरमाएंगे तू अपनी जा़त के लिए और अपनी पेश आमद ज़रूरियात के लिए दुआ कर, मैं कुबूल करता हूं, लेकिन आम लोगों के हक़ में कुबूल नहीं करूंगा, इसलिए कि उन्होंने मुझे नाराज़ कर लिया है _,*
*❉ __ एक और रिवायत में है कि मै उनसे नाराज़ हूं _,*
*📚 _किताबुल रक़ाइक़ - 155, 384,*
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*☞ _ जेब और पेट का दौर :-*
*❉ _हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि -*
*"_ लोगों पर एक दौर आएगा जिसमें आदमी का अहम मक़सद शिकम परवरी बन जाएगा और ख्वाहिश परस्ती उसका दीन होगा _,*
*📚 किताबुल रक़ा'इक़ इब्ने मुबारक - 317,*
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*☞ _ ज़ाहिरदारी और चापलूसी का दौर ◆*
*❉_ हज़रत मुआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु नबी करीम ﷺ का इरशाद गिरामी नक़ल करते हैं-*
*→आख़िरी ज़माने में ऐसी क़ौमें होंगी जो ऊपर से ख़ैर सुगाली का मुज़ाहिरा करेंगी और अंदर से एक दूसरे की दुश्मन होंगी,"*
*❉→अर्ज़ किया गया, "या रसूलुल्लाह! ऐसा क्यो होगा? फरमाया- "एक दूसरे से (शदीद नफ़रत रखने के बावजूद सिर्फ) खौफ और लालच की वजह से (बा-ज़हिर दोस्ती का मुज़ाहिरा करेंगे),*
*📚_रवाह अहमद, मिश्कात शरीफ, 455,*
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*☞ _माली फितनों का दौर◆*
*❉_ हज़रत काब बिन अयाज़ रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूले अक़दस ﷺ से सुना है कि-*
*→ हर उम्मत के लिए एक फितना है और मेरी उम्मत का खास फितना माल है,"*
*📚_जामिआ तिर्मिज़ी, 2/57, मुस्तद्रक-4/318, मिश्कात शरीफ़, 342,*
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*☞ _औरत और तिजारत◆*
*❉ _हज़रत इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु हुज़ूर अक़दस ﷺ से रिवायत करते हैं कि क़यामत से कुछ पहले ये अलामतें ज़ाहिर होंगी:-*
*"_ खास खास लोगों को सलाम कहना, तिजारत का यहां तक फैल जाना कि औरतें मर्दों के साथ तिजारत में शरीक़ और मददगार होंगी,*
*❉ →रिश्तेदारों से क़ता ताल्लुक़ी, क़लम का तूफ़ान बरपा होना, झूठी गवाही का आम होना और सच्ची गवाही को छिपाना,'*
*📚_अहमद, बुखारी, हाकिम, दुर्रे मंसूर, 6/55,*
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*☞_ बुलंद व बाला इमारतों का दौर ◆*
*❉_ हज़रत इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूलल्लाह ﷺ से खुद सुना है कि,-*
*→"क़यामत की निशानियों में से ये भी है कि आदमी मस्जिद से गुज़र जाएगा मगर दो रकात नमाज़ नहीं पढ़ेगा,*
*❉→और ये कि एक आदमी सिर्फ अपनी जान पहचान के लोगों को सलाम कहेगा और ये कि एक मामूली बच्चा भी बूढ़े आदमी को महज़ उसकी तंगदस्ती की वजह से लताडे़गा,*
*❉→ और ये कि जो लोग कभी नंगे भूखे बकरियां चराया करते थे वही ऊंची ऊंची बिल्डिंगो में डींगे मारेंगे _,*
*📚_ बहिकी फ़ि शोबुल ईमान, दुर्रे मंसूर, 2/55,*
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*☞ _ उम्मत के ज़वाल की अलामतें ◆*
*❉_ हज़रत मुआज़ बिन अनस रज़ियल्लाहु अन्हु रसूल ए अक़दस ﷺ का इरशाद नकल करते हैं कि,-*
*"ये उम्मत शरीयत पर क़ायम रहेगी जब तक कि उनमें तीन चीज़ ज़ाहिर ना हो, जब तक कि इनमें इल्म (और उलेमा) को ना उठा लिया जाए, और इनमें ना-जायज़ औलाद की कसरत ना हो जाए, और लानत बाज़ लोग पैदा ना हो जाए,*
*❉→सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया, ”लानत बाज़ो से क्या मुराद है,? फ़रमाया, आख़िर ज़माने में ऐसे लोग होंगे जो मुलाक़ात के वक़्त सलाम के बजाए लानत और गाली गलोच का तबादला करेंगे”*
*📚_दुर्रे मंसूर-6/55,*
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*☞__ अरब की तबाही ____,*
*❉_ हज़रत तल्हा बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलल्लाह ﷺ ने फरमाया:-*
*"_ क़ुर्बे क़यामत की एक अलामत अरब की तबाही भी है_,*
*📚_(इब्ने अबी शैयबा व बाह्यकी, दुर्रे मंसूर -6/55)*
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*☞ - आखिरी ज़माने का सबसे बड़ा फितना ◆*
*❉ _हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं-*
*→"इस उम्मत में खास नोइयत के 4 फितनें होंगे उनमें आख़री और सबसे बड़ा फितना राग व रंग और गाना बजाना होगा,"*
*📚_ इब्ने अबी शैयबा व अबू दाऊद, दुर्रे मंसूर- 6/56,*
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*☞- हुस्ने क़िरात के मुक़ाबले का फितना ◆*
*❉_ हज़रत हुज़ेफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हुज़ूर अक़दस ﷺ ने फरमाया:-*
*→"तुम क़ुरान को अरब के लब व लेहजा़ और आवाज़ में पढ़ा करो, बेहुदा नग्मों की तरह पढ़ने और यहूद व नसारा की तर्ज़े क़िरात से बचो!*
*❉ →मेरे बाद कुछ लोग आएंगे जो कुरान को मौसिक़ी और नोहा की तरह गा गा कर पढ़ा करेंगे, (क़ुरान उनकी जुबान ही जुबान पर होगा) हलक़ से भी नीचे नहीं उतरेगा, उनके दिल भी फितना में मुब्तिला होंगे और उन लोगों के दिल भी जिनको इनकी नगमा आराई पसंद आएगी_,*
*📚_रवाह बहीकी़ फ़ि शोबुल ईमान, मिश्कात शरीफ़- 191,*
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*☞- अजाबे इलाही के असबाब ◆*
*❉ _ हज़रत इमरान बिन हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फरमाया-*
*→"इस उम्मत में ज़मीन में धंसने, शक़्ले बिगड़ने और आसमान से पत्थर बरसने का अज़ाब नाज़िल होगा,"*
*❉→ किसी सहाबी ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह! ऐसा कब होगा? फरमाया, “जब गाने और नाचने वाली औरतें और गाने बजाने का सामान ज़ाहिर हो जाएगा और शराबें उड़ाई जाएंगी,”*
*📚तिर्मिज़ी शरीफ़,,2/44,*
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*☞ - फितना व फसाद का दौर ◆*
*❉ _हज़रत अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया-*
*→"तुम्हारे बाद ऐसा दौर होगा जिसमें इल्म उठा लिया जाएगा और फितना व फसाद आम होगा,"*
*❉_ सहाबा ने अर्ज़ किया, "या रसूलल्लाह! फ़ितना व फ़साद से क्या मुराद है ? फ़रमाया, "क़त्ल,"*
*📚तिर्मिज़ी शरीफ- 2/43,*
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*☞- फितने के दौर में इबादत का अजर् व सवाब◆*
*❉ _हज़रत मअक़िल बिन यसार रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं कि,-*
*→"फ़ितना व फ़साद के ज़माने में इबादत करना ऐसा है जैसे मेरी तरफ हिजरत करके आना,"*
*📚_सहीह मुस्लिम, 2/405, तिर्मिज़ी शरीफ़, 2/43, मुसनद अहमद, 5/27,*
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*☞ - खैर से बेहराह लोगों की भीड़ ◆*
*❉ _हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरू रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हुज़ूर अक़दस ﷺ ने फरमाया:-*
*❉→"कयामत क़ायम नहीं होगी यहां तक कि अल्लाह तआला अपने मकबूल बंदों को ज़मीन वालों से छीन लेगा, फिर ज़मीन पर खैर से बेहराह लोग रह जायेंगे जो ना किसी नेकी को नेकी समझेंगे ना किसी बुराई को बुराई,"*
*📚अहमद व हाकिम व दुर्रे मंसूर -2/55,*
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*☞- तरक़्क़ी पसन्दाना ठाट-बाट ◆*
*❉_ हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं कि,*
*→ ''इस उम्मत के आख़िर में ऐसे लोग होंगे जो ठाट से ज़ीन पोशों पर बैठ कर मस्जिदों के दरवाज़ों तक पहुंचा करेंगे,*
*❉→ उनकी बेगमात लिबास पहनने के बावज़ूद बरहना होंगी, उनके सरों पर लागर बख्ती ऊंट के कोहान की तरह बाल होंगे,*
*❉→ उन पर लानत करो ! क्योंकि वो मलऊन हैं, अगर तुम्हारे बाद कोई और उम्मत होती तो तुम उनकी गुलामी करते जिस तरह पहली उम्मतों की औरतें तुम्हारी लौंडियां बनी,*
*📚_हाकिम व दुर्रे मंसूर- 6/55,*
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*☞- ख़ुदा की लानत व ग़ज़ब में सुबह- शाम ◆*
*❉_ हज़रत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने आन हज़रत ﷺ से सुना है कि,-*
*→"अगर तुम्हारी ज़िंदगी तवील हुई तो बईद नहीं कि तुम ऐसे लोगों को देखो जिनकी सुबह व शाम अल्लाह के गज़ब व लानत में बसर होगी,*
*→उनके हाथ में बेल की दुम जैसे कोड़े होंगे”*
*📚अहमद व हाकिम, दुर्रे मंसूर-6/55,*
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*☞ -हालात में दिन बा दिन शिद्दत◆*
*❉_ हज़रत अबू उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूलल्लाह ﷺ से सुना है कि,-*
*→"हालात में दिन बा दिन शिद्दत पैदा होती जाएगी, माल में बराबर इज़ाफ़ा होता जाएगा और क़यामत सिर्फ बद्तरीन लोगों पर क़ायम होगी (नेक लोग एक के बाद एक उठा लिए जाएंगे),*
*📚_रवाह तिबरानी व दुर्रे मंसूर- 6/55,*
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*☞ - क्या ऐसा भी होगा?*
*❉ _मूसा बिन अबी ईसा मदनी रहमतुल्लाह से रिवायत है कि आन हज़रत ﷺ ने फरमाया-*
*→"उस वक़्त तुम्हारा क्या हाल होगा जब तुम्हारे नौजवान बदकार हो जायेंगे और तुम्हारी लड़कियाँ और औरतें तमाम हदूद फलांग जायेंगी_,*
*"❉_ सहाबा. ने अर्ज़ किया, "या रसूलल्लाह! क्या ऐसा भी होगा,? फरमाया- “हां! और इससे भी बढ़कर, उस वक़्त तुम्हारा क्या हाल होगा जब ना तुम भलाई का हुक्म करोगे ना बुराई से मना करोगे?''*
*"❉_ सहाबा ने अर्ज़ किया- "या रसूलल्लाह ! क्या ऐसा भी होगा? फरमाया-" हां! और इससे भी बदतर, उस वक़्त तुम पर क्या गुज़रेगी जब तुम बुराई को भलाई और भलाई को बुराई समझोगे,"*
*📚 किताबुल रक़ाइक इब्ने मुबारक, 484,*
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*☞ __ औरतों की फ़रमाबरदारी ◆*
*❉_ हज़रत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि आन हज़रत ﷺ ने इरशाद फरमाया:-*
*→"जब माले गनीमत को दौलत, अमानत को ग़नीमत और ज़कात को तावान समझा जाएगा, दुनिया कमाने के लिए इल्म हासिल किया जाएगा, मर्द अपनी बीवी की फ़रमाबरदारी करे और अपनी मां की नाफरमानी, अपने दोस्त को क़रीब करे और अपने बाप को दूर और मस्जिदों में आवाज़ें बुलंद होने लगें, क़बीले का बदकार उनका सरदार बन बैठे और ज़लील आदमी क़ौम का क़ाइद (चौधरी) बन जाए,*
*❉→ "आदमी की इज़्ज़त महज़ उसके ज़ुल्म से बचने के लिए की जाए, गाने वाली औरतें और गाने बजाने का सामान आम हो जाए, शराबें पी जाने लगें और पिछले लोग पहलों को लान तान से याद करें,*
*❉→"उस वक़्त सुर्ख़ आँधी, ज़लज़ला, ज़मीन में धंस जाने, शक्लें बिगड़ जाने, आसमान से पत्थर बरसने और तरह तरह के लगातार अजा़बों का इंतज़ार करो जिस तरह किसी का बोसीदा हार का धागा टूट जाने से मोतियों का तांता बंध जाता है,*
*📚_ जामिआ तिर्मिज़ी- 2/44,*
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*☞ _ज़कात को टैक्स क़रार दिया जाएगा ◆*
*❉_ हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया,-*
*→"जब मेरी उम्मत पन्द्रह (15) काम करने लगेगी उस वक़्त उस पर मसाइब का पहाड़ टूटेगा, अर्ज़ किया गया- या रसूलुल्लाह! वो 15 काम क्या है?*
*❉"_ फरमाया- जब ग़नीमत दौलत बन जाए, अमानत को ग़नीमत की तरह लूटा जाने लगे, जकात को तावान और टैक्स समझा जाए, मर्द अपनी बीवी का कहा माने और मां से बदसुली करे, दोस्त से वफादारी और बाप से बेवफाई बरते, मस्जिदों में आवाजें बुलंद होने लगे, सबसे कमीना आदमी कौम का नुमा'इंदा कहलाए, आदमी की इज्जत उसके शर से बचने के लिए की जाए, शराब नोशी आम हो जाए, रेशमी लिबास पहना जाए, गाने वाली औरतें और गाने बजाने का सामान रखा जाए और उम्मत का पिछला हिऊसा पहलो को बुरा भला कहने लगे,*
*"❉→ उस वक़्त सुर्ख़ आँधी, ज़मीन के धंसने या शक्लों के बिगडने का इंतज़ार करना चाहिए,"*
*📚_तिर्मिज़ी शरीफ़, 2/44,*
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*☞ _ मस्जिदों की बेहुरमती ◆*
*❉_ हज़रत हसन रहमतुल्लाह रसूलुल्लाह ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं,*
*→"लोगों पर एक ज़माना आएगा जबकि लोग मस्जिदों में बैठ कर दुनिया की बातें किया करेंगे,*
*→तुम उनके पास ना बैठना, अल्लाह तआला को ऐसे लोगों की कोई ज़रूरत नहीं,*
*📚 वराह बहीक़ी फि शोबुल ईमान, मिश्कात शरीफ,, 71,*
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*☞ _ जाहिल मुफ़्ती ▩*
*"❉_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरू रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया,*
*→ "अल्लाह तआला इल्म को इस तरह नहीं उठाएगा कि लोगों के सीने से निकाल ले, बल्कि उलेमा को एक एक कर के उठाता रहेगा यहां तक कि जब कोई आलिम नहीं रहेगा तो लोग जाहिलो को पेशवा बना लेंगे, उनसे मसाइल पूछेंगे,*
*❉→ वो जाने बूझे बगैर फतवा देंगे, वो खुद भी गुमराह होंगे और दूसरों को भी गुमराह करेंगे,"*
*📚 मिश्कात किताबुल उलूम, 33,*
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*☞ _ उलमा और हुक्काम ▩*
*❉_ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फरमाया-*
*→"मेरी उम्मत में एक जमाअत होगी जो दीन का क़ानून खूब हासिल करेगी और क़ुरान भी पड़ेगी, फिर वो कहेंगे- आओ हम हाकिमों के पास जाकर उनकी दुनिया में हिस्सा लगाएं और अपना दीन उनसे अलग रखें !*
*❉→ लेकिन ऐसा नहीं हो सकता जैसे कि कांटेदार दरख्त से सिवाए कांटो के और कुछ हासिल नहीं हो सकता इसी तरह इन हुक्कामों के पास जाकर भी गुनाहों के सिवा कुछ नहीं मिलेगा_,*
*📚_ इब्ने माजा,, 22,*
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*☞⇨दीन की बातों को उलट दिया जाएगा ▩*
*❉_ हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि मैने रसूलल्लाह ﷺ से सुना है कि-*
*→"दीन की सबसे पहली चीज़ जो बर्तन की तरह उल्टी जाएगी वो शराब है,*
*❉→अर्ज़ किया गया-या रसूलल्लाह ! ये कैसे होगा जबकि अल्लाह ताला ने इसकी हुरमत को साफ साफ बयान फरमा दिया है? फरमाया- ''कोई और नाम रख कर उसे हलाल कर लेंगे,''*
*📚 मिश्कात शरीफ़, 460,*
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*☞ _तबाही की असल बुनियाद▩*
*❉ _हजरत अमरू बिन औफ रज़ियल्लाहु अन्हु रसूलल्लाह ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं,-*
*→ "ख़ुदा की क़सम ! मुझे तुम्हारे मुताल्लिक़ फ़क़्र व फ़ाका का ख़तरा नहीं बल्कि डर इस बात का है कि दुनिया तुम पर इस तरह फैला दी जाएगी, जिस तरह तुमसे पहली उम्मतों पर फैलाई गई*
*❉→ फिर तुम एक दूसरे पर इस पर हिर्स करने लगो जिस तरह पहली उम्मतों ने हिर्स की, फिर वो तुमको भी इसी तरह हलाक कर डाले जिस तरह उसने पहलों को हलाक कर दिया,"*
*📚_मिश्कात शरीफ़, 440,*
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*☞⇨यहूद व नसारा की नक़्क़ाली ▩*
*❉_हज़रत अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फरमाया,-*
*→"तुम भी ठीक पहली उम्मतों के नक्शे क़दम पर चल कर रहोगे हत्ताकि अगर वो गोह के सुराख में घुसे तो तुम भी उसी में घुस कर रहोगे,*
*→अर्ज किया गया,-''या रसूलल्लाह! पहली उम्मतों से मुराद यहूद व नसारा हैं?फरमाया,-'और कौन?'*
*📚_मुत्तफिक अलैहि, मिश्कात शरीफ, 458,*
*❉_ एक और रिवायत में है कि अगर उनमें किसी ने अपनी मां से ऐलानिया बदकारी की होगी तो मेरी उम्मत में भी इस क़िस्म के लोग होंगे, (माज़ल्लाह)*
*📚 तिर्मिज़ी,*
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*☞⇨अंधा धुंध क़त्ल ▩*
*❉ _हजरत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया,-*
*→ "उस जा़त की क़सम जिसके क़ब्ज़ा ए क़ुदरत में मेरी जान है ! दुनिया ख़त्म नहीं होगी यहाँ तक कि लोगों पर ऐसा दौर ना आ जाए जिसमें ना क़ातिल को ये बहस होगी कि उसने क्यूं क़त्ल किया, ना मक़तूल को ये ख़बर होगी कि वो किस जुर्म में क़त्ल किया गया,"*
*❉→ अर्ज़ किया गया,-ऐसा क्यों होगा? फरमाया- ''फसाद आम होगा, क़ातिल व मक़तूल दोनों जहन्नम में जाएंगे,''*
*📚 रवाह मुस्लिम- 2/394, मिश्कात शरीफ- 462,*
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*☞⇨बद से बदतर दौर ▩*
*❉ _जुबेर बिन अदी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि हमने हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से उनकी खिदमत में उन मसाइब की शिकायत की जो हिज्जाज की तरफ से पेश आ रहे थे, उन्होंने सुनकर फरमाया,-*
*→"सब्र करो तुम पर जो दौर भी आएगा उसके बाद का दौर उससे भी बदतर होगा, यहां तक कि तुम अपने रब से जा मिलो, मैंने तुम्हारे नबी से यहीं सुना है,"*
*📚रवाह बुखारी-2/1047, मिश्कात शरीफ-463,*
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*☞ ⇨तबाह कुन गुनाहों पर जुर्रात ▩*
*❉_ हज़रत अनस और हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अन्हुम फ़रमाया करते थे,-*
*→”तुम लोग बाज़ आमाल करते हो जो तुम्हारी नज़र में तो बाल से भी बारीक (यानि मामूली) होते हैं मगर हम उन्हें आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में तबाह कुन शुमार किया करते थे,”*
*📚 रवाह बुखारी, मिश्कात शरीफ़- 458,*
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*☞ _लगातार फितने ▩*
*❉ _हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरु रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते है कि हम एक सफ़र में आन हज़रत ﷺ के साथ थे, हमने एक मंजिल पर पड़ाव किया, हममे से बाज़ खेमे लगा रहे थे, बाज़ तीरंदाज़ी की मश्क कर रहे थे, अचानक आप ﷺ के मोअज़्ज़िन ने एलान किया कि नमाज़ तैयार है, मै हुज़ूर ﷺ की खिदमत में हाज़िर हुआ तो आप खुतबे में इरशाद फरमा रहे थे-*
*❉ →लोगों मुझसे पहले जो नबी भी गुज़रा है उसका फ़र्ज़ था कि अपनी उम्मत को वो चीज़ बतायें जिसे वो उनके लिए बेहतर समझता है और उन चीज़ों से डराये जिनको उनके लिए बुरा समझता है, सुनो! इस उम्मत की आफियत पहले हिस्से में है और उम्मत के पिछले हिस्से को एसे मसाइब और फितनों से दो चार होना पड़ेगा जो एक दूसरे से बढ़ चढ़ कर होंगे, एक फितना आएगा पस मोमिन ये समझेगा कि ये मुझे हलाक कर देगा, फिर वो जाता रहेगा और दूसरा तीसरा फितना आता रहेगा और मोमिन को हर फ़ितने से यही ख़तरा होगा के ये उसे तबाह व बरबाद कर देगा,*
*❉→ पस जो शख़्स ये चाहता हो कि उसे दोज़ख़ से निजात मिले और वो जन्नत में दाख़िल हो। उसकी मौत इस हालत में आनी चाहिए कि वो अल्लाह पर और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो और लोगों से वही मा'मला बरते जो अपने लिए पसंद करता है और जिस शख़्स ने किसी इमाम की बैत कर ली और उसे अहद व पैमान दे दिया फिर उसे जहां तक मुमकिन हो उसकी फ़रमाबरदारी करनी चाहिए,"*
*📚सही मुस्लिम-2/126, नसाई-2/184, इब्ने माजा-284, मुसनद अहमद-2/191,*
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*☞⇨खुदा की ज़मीन तंग हो जायेगी ▩*
*❉_ हज़रत अबू हरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया-*
*→"आखिरी ज़माने में मेरी उम्मत पर उनके हाकिमों की जानिब से ऐसे मसाइब टूट पड़ेंगे कि उन पर खुदा की ज़मीन तंग हो जाएगी, उस वक़्त अल्लाह तआला मेरी औलाद से एक शख़्स (मेहंदी अलैहिस्सलाम) को खड़ा करेंगे जो ज़मीन को अद्ल व इंसाफ़ से उसी तरह भर देंगे जिस तरह वो पहले ज़ुल्म व सितम से भरी हुई होगी, उनसे ज़मीन वाले भी राज़ी होंगे और आसमान वाले भी, उनके ज़माने में ज़मीन अपनी तमाम पौदावार उगल देगी और आसमान से खूब बारिश होगी, वो 7 या 8 या 9 साल रहेंगे _,*
*📚 दुर्रे मंसूर- 2/46,*
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*☞ *⇨फ़ितना ज़दा क़ुलूब ▩*
*❉_ हज़रत हुज़ैफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूलल्लाह ﷺ से खुद सुना है,आप फरमाते थे कि-*
*→ ''फ़ितने दिलों में उसी तरह एक के बाद दीगर दर आएंगे जिस तरह कि चटाई में एक के बाद दीगर एक तिनका दर आता है चुनांचे जिस दिल ने फ़ितनो को क़ुबूल कर लिया और वो उसमें पूरी तरह रच बस गए उस पर (हर फ़ितने के एवज़) एक सियाह नुक्ता लगता जाएगा और जिस दिल ने उनको क़ुबूल ना किया उस पर (हर फितने को रद्द कर देने के एवज़) एक सफेद नुक्ता लगता जाएगा, यहां तक कि दिलों की दो किस्में हो जायेंगी,*
*"❉_ एक संगमरमर जैसा सफेद कि उसे रहती दुनिया तक कोई फितना नुक़सान नहीं देगा, और दूसरा खाकतरी रंग का सियाह उलटे कोज़े (घड़े) की तरह (कि खैर की कोई बात उसमें नहीं टिकेगी) ये बज़ुज उन ख़्वाहिशात के जो उसमें रच बस गई हैं ना किसी नेकी को नेकी समझेगा न किसी बुराई को बुराई (उसके नज़दीक नेकी और बदी का मैयार बस अपनी ख्वाहिश होगी),''*
*📚सही मुस्लिम-1/82,*
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*☞ दिलों से अमानत निकल जायेगी ▩*
*❉_ हज़रत हुज़ैफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने दो बातें बतलाई, एक तो मैंने आँखों से देख ली और दूसरी का मुंतज़िर हूं पहली बात आपने ये बतलाई कि -*
*"_ अमानत (नूरे ईमान) लोगों के दिलों की गहराईयों में उतरा, इसके बाद उन्होंने क़ुरान सीखा, फिर सुन्नत का इल्म हासिल किया (इसका मुशाहिदा तो मैने खुद कर लिया),*
*❉→ दूसरी बात आप ﷺ ने अमानत के उठ जाने के बारे में फरमाई, फरमाया कि आदमी एक दफा सोएगा तो अमानत का कुछ हिस्सा उसके दिल से निकल जाएगा, चुनांचे तिल के निशान की तरह उसका निशान रह जाएगा, फिर दोबारा सोएगा तो अमानत का बाक़ी हिस्सा भी क़ब्ज़ कर लिया जाएगा, उसका निशान आबला की तरह रह जाएगा, जैसे तुम अपने पांव पर आग का अंगारा खींचो तो आबला उभरा हुआ नज़र आएगा, मगर उसके अंदर कुछ नहीं होता,*
*❉→और दिन भर लोग ख़रीदो फरोख़्त करेंगे लेकिन एक भी आदमी मुश्किल से ऐसा नहीं मिल पाएगा जो अमानत अदा करता हो, चुनांचे (दयानत का इस क़दर क़हत होगा कि) यह कहा जाएगा कि फलां क़बीले में एक आदमी अमानतदार है और (बद अख़लाकी़ का यह हाल होगा कि) एक आदमी के मुताल्लिक़ यह कहा जाएगा, वाह वाह! कितना अक़लमंद आदमी है, कितना ज़िंदा दिल है, कितना बहादुर है (वो ऐसा है वैसा है),*
*→हालांकि उस बंदा ए खुदा के दिल में राई के दाने के बराबर भी तो ईमान नहीं होगा,”*
*📚 मिश्कात शरीफ़-461, बुखारी शरीफ़- 2/1050,*
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*☞ ⇨ इंसानी लिबास में शैतान ▩*
*❉_ हज़रत हुज़ेफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि लोग रसूलुल्लाह ﷺ से ख़ैर की बातें पूछते थे और मैं आप ﷺ से शर के बारे में तहक़ीक़ किया करता था कि कहीं ऐसा ना हो कि वो मुझे ला-इल्मी की वजह से पहुंच जाए, फ़रमाते हैं, मैंने (एक दफा) अर्ज़ किया- "या रसूलल्लाह! हम जाहिलियत और शर में फ़ंसे हुए थे, हक़ तआला शानु ने (आपकी बदोलत) हमारे पास ये ख़ैर भेज दी, (यानि इस्लाम), तो क्या इस ख़ैर के बाद भी कोई शर होगा?"*
*❉→फरमाया- "हां, मैंने कहा- "और उस शर के बाद कोई खैर होगी? फरमाया- "हां, मगर उसमें कदुरत होगी,"*
*→मैंने कहा- "कदुरत क्या होगी? फरमाया- "कुछ लोग होंगे जो मेरी सुन्नत के बजाए दूसरी चीज़ों की तलक़ीन करेंगे, उनमें नेक व बाद की आमजिश होगी,"*
*❉→मैंने कहा- "अच्छा उस खैर के बाद भी कोई शर होगा? फरमाया- "हां, जहन्नम के दरवाज़े पर बुलाने वाले होंगे, जो उनकी दावत पर लब्बेक कहेगा, उसे जहन्नम में झोंक देंगे,"*
*→मैंने कहा-"या रसूलल्लाह! ज़रा उनका हाल तो बयान फरमायें,' फरमाया- ''वो हमारी ही क़ौम से होंगे और हमारी ही जुबान बोलेंगे'' (यानि इस्लाम के मुद्दई होंगे और इस्लामी इस्तलाहात को मतलब बरारी के लिए इस्तेमाल करेंगे),*
*❉→मैंने अर्ज़ किया- "अगर ये बुरा वक्त मुझ पर आ जाए तो आप मुझे क्या हिदायत फरमाते हैं? फरमाया- "मुसलमानों की जमात और उनके इमाम से चिमटे रहना,"*
*→मैंने कहा- “अगर उस वक्त न मुसलमान की जमात हो ना फिर इमाम? फरमाया- ''फिर इन तमाम फिरको़ं से अलग रहो चाहे तुम्हें किसी दरख्त की जड़ में जगह बनाना पड़े, हत्ताकि इसी हालात में तुम्हारी मौत आ जाए,'*
*📚मिश्कात शरीफ-461, बुखारी शरीफ-2/1049,*
*❉⇨ और एक रिवायत में है कि मेरे बाद कुछ मुक़्तदा और हुक्काम होंगे जो ना मेरी सीरत पर चलेंगे ना मेरी सुन्नत को अपनाएंगे, उन कुछ ऐसे लोग खड़े होंगे जिनके कु़लूब इंसानी जिस्म में शयातीन के कुलूब होंगे,*
*→ हज़रत हुज़ेफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं, मैंने अर्ज़ किया- "या रसूलल्लाह! अगर ये बुरा वक़्त मुझ पर आ जाए तो मुझे क्या करना चाहिए? फ़रमाया- (जाइज़ उमूर में) अमीर की समआ व ताअत बजा लाना चाहे वो तेरी कमर पर कोड़े मारे और तेरा माल लूट ले तब भी समआ व ताअत बजा लाना,'*
*📚मिश्कातुल मुसाबेह- 462,*
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*☞⇨बद अमली के नताइज ▩*
*❉_ हज़रत ज़ियाद बिन लुबैद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलल्लाह ﷺ ने किसी हौलनाक चीज़ का तज़किरा फरमाया और फरमाया कि ये उस वक़्त होगा जब इल्म जाता रहेगा, मैंने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह! और इल्म कैसे जाता रहेगा,? जबकी हम खुद कुरान पढ़ते हैं और अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, हमारी औलाद अपनी औलाद को पढ़ाएगी और ता क़यामत ये सिलसिला जारी रहेगा,"*
*❉→फ़रमाया- ज़ियाद! तेरी मां तुझे गुम पाए (यानी तू मर जाए) मैं तो तुझे मदीना के फकी़हतर लोगों से समझता था, (मगर ताज्जुब है कि तुम तो इतनी सी बात को भी नहीं समझ पाए, आखिर तुम्हें इल्म के उठ जाने पर ताज्जुब क्यू होने लगा ?),*
*→ क्या ये यहुदो नसारा तोरात व इंजील नहीं पढ़ते ? लेकिन उनकी किसी बात पर भी अमल नहीं करते, (इस बद अमली के नतीजे में ये उम्मत भी वही की बरकात खो बैठेगी, पस बे मा'नी क़त्ल व क़िताल रह जाएगा )_"*
*📚मिश्कातुल मसाबिह- 38,*
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*☞ ⇨इख्तिलाफ़ की नहुसत ▩*
*❉_इमाम बैहिकी रह. ने बा रिवायत इब्ने इश्हाक़ नक़ल किया है कि हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु ने (सक़ीफ़ा बनी सा'दा के दिन) ये भी फरमाया था कि:-*
*❉ →ये बात तो किसी तरह दुरुस्त नहीं कि मुसलमानो के दो अमीर हों क्यूंकि जब कभी ऐसा होगा उनके अहकाम व मा'मलात में इख्तिलाफ रुनुमा हो जाएगा, उनकी जमात तफरिका़ (फूट) का शिकार हो जाएगी और उनके दरमियान झगड़े पैदा हो जाएंगे, उस वक्त सुन्नत तर्क कर दी जाएगी और बिदअत ज़ाहिर होगी और अज़ीम फितना बरपा होगा और इस हालात में किसी के लिए भी खैर व सलाह नहीं होगी_"*
*📚हयातुस्सहाबा-2/1, बैहिकी-8/145,*
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*☞⇨ना-अहल हाकिम ▩*
*❉_ राफ़ेअ ताई कहते हैं कि एक सफ़र में हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु का रफ़ीक था, वापसी पर मैने कहा,'' ए अबू बकर रज़ियल्लाहु अन्हु मुझे कोई नसीहत कीजिए,*
*❉→ फरमाया-"फर्ज नमाजे़ ठीक वक्त पर पढ़ा करो, अपने माल की जकात खुश दिली से दिया करो, रमज़ान के रोज़े रखो ..और बेतुल्लाह का हज किया करो, देखो इस्लाम में हिजरत बड़ी अच्छी बात है,...और हाकिम ना बनना !*
*❉ _फिर फरमाया-"ये इमारत जो आज तुम्हें ठंडी नजर आती है, बहुत जल्दी ये फैल जाएगी और ज़्यादा हो जाएगी यहां तक कि उन लोगों के हाथ लगेगी जो इसके अहल नहीं होंगे, हालांकी जो शख्स हाकिम बन जाता है उसका हिसाब तवीलतर और अज़ाब सख्त तर होगा,*
*❉→ और जो शख्स अमीर ना बने उसका हिसाब निस्बतन आसान और अजा़ब हल्का होगा, इसकी वजह ये है कि हुक्काम को... ज़ुल्म का मौका निस्बतन ज़्यादा मिलता है,*
*❉→ अहले ईमान अल्लाह के हमसाये और उसके बंदे हैं, तुममें से किसी के हमसाये की बकरी या ऊंट को आफत पहुंचे तो सारी रात परेशानी में गुज़ारता है और कहता है कि मेरे हमसाये की बकरी, मेरे हमसाये का ऊंट, पस यक़ीनन अल्लाह ताला इस बात का ज़्यादा हक़दार है कि वो अपने हमसाये की तकलीफ़ पर ग़ज़ब नाक़ हो,'*
*📚 ( मफ़हूम -कंज़ुल उम्माल-5/752,)*
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*☞_ दज्जाली फ़िरक़ा ▩*
*❉_ हज़रत हुज़ेफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया-*
*→"आखिरी ज़माने में कुछ लोग होंगे जो कहेंगे, "तक़दीर कोई चीज़ नहीं,"*
*❉→ ये लोग अगर बीमार पड़ेंगे तो इनकी इयादत ना करो मर जायें तो इनके जनाज़े में शिरकत ना करो क्योंकि ये दज्जाल का टोला है, अल्लाह तआला के ज़िम्मे है कि इनको दज्जाल से मिला दे,"*
*📚 मुसनद, अबू दाऊद, 2/58,*
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*☞⇨ज़रूरियाते दीन का इन्कार ▩*
*❉_ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया-*
*→"बाद के ज़माने में कुछ लोग आएंगे जो काने दज्जाल को अफसाना बतलाएंगे, कुर्बे कयामत में सूरज के मगरिब की जानिब से तुलू होने का इंकार करेंगे, अजा़बे कब्र की तकजी़ब करेंगे, शफाअत का इंकार करेंगे, हौजे कौसर का इंकार करेंगे और दोज़ख में जल भुन कर उससे निजात पाने वालो का इंकार करेंगे,"*
*📚 _कंज़ुल उम्माल- 1/387,*
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*☞ ⇨कुरान से शुबहात▩*
*❉_ हज़रत अमीरुल मोमिनीन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं,-*
*→"अंक़रीब कुछ लोग पैदा होंगे जो कुरान (की गलत ताबीर) से (दीन में) शुबहात पैदा कर के तुमसे झगड़ा करेंगे, उनको सुनन से पकड़ो, क्योंकि सुन्नतो से वाकिफ़ हज़रात किताबुल्लाह (के सही मफ़हूम) को ख़ूब जानते हैं,"*
*📚 सुनन दारमी, 1/47,*
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*☞⇨कुरानी दावत का दावा▩*
*❉_हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं, इल्म के उठ जाने से पहले पहले इल्म हासिल कर लो, इल्म का उठ जाना ये है कि अहले इल्म रुखसत हो जायेंगे,*
*❉→ ख़ूब मज़बूती से इल्म हासिल करो, तुम्हें क्या खबर कि कब इसकी ज़रूरत पेश आ जाए, या दूसरों को इसके इल्म की ज़रूरत पेश आए और इल्म से फ़ायदा उठाना पड़े,*
*❉→अंकारीब तुम ऐसे लोगों को पाओगे जिनका दावा ये होगा कि वो तुम्हें कुरानी दावत देते हैं हालांकि किताबुल्लाह को उन्होंने पशे पुश्त डाल दिया होगा, इसलिए इल्म पर मज़बूती से क़ाइम रहो, नई बेकरार, बेसुद की मोशगानी और लायानी बातों से बचो, (सल्फ़े सालेहीन के) पुराने रास्ते पर क़ाइम रहो,'*
*📚 सुनन दारामी, 1/50,*
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*☞⇨ सुन्नत के मफ़हूम में मुग़ालता अंदाज़ी ▩*
*"❉_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाया करते थे:- उस वक़्त तुम्हारा क्या हाल होगा जबकि फितना तुममें सरायत कर जाएगा, अधेड़ उम्र के लोग इसमें बूढ़े हो जाएंगे और बच्चे जवान हो जाएंगे और लोग इस फितने को सुन्नत करार दे लेंगे कि अगर इसे छोड़ दिया जाए तो कहा जाएगा कि - "सुन्नत छोड़ दी गयी !"*
*❉"_अर्ज़ किया गया:- ऐसा कब होगा? फरमाया- जब तुम्हारे उलमा जाते रहेंगे और (पढ़ें लिखे) जाहिलो की कसरत होगी, तुममें हर्फ ख्वां ज़्यादा और फकी़ह कम होंगे, अमीर ज़्यादा और दयानतदार कम होंगे, आखिरत वाले आमाल से दुनिया समेटी जाएगी और बेदीनी के लिए इस्लामी क़ानून पढ़ा जाएगा _,*
*📚रवाह दारमी- 1/58,*
*❉_ मोता इमाम मालिक की एक रिवायत में है कि:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु ने एक शख़्स को हिदायत करते हुए फरमाया, ''देखो! तुम ऐसे ज़माने में हो जिसमें फ़क़ीह ज़्यादा हैं और क़ारी कम, इस ज़माने में क़ुरान के हरूफ़ से ज्यादा उसकी हुदूद की निगाहादश्त की जाती है, मांगने वाले कम और देने वाले ज्यादा हैं, खुतबा मुख्तसर और नमाज़ लंबी होती है, इस जमाने में लोग आमाल को ख्वाहिशात पर मुकद्दम रखते हैं,*
*"❉_ और एक ज़माना ऐसा आएगा जिसमें फ़क़ीह कम होंगे और क़ारी ज़्यादा, क़ुरान के हरूफ़ की ख़ूब हिफ़ाज़त की जाएगी मगर उसकी हुदूद को पामाल किया जाएगा, माँगने वालो की भीड़ होगी, लेकिन देने वाले कम होंगे, तक़रीरे बड़ी लंबी चौड़ी करेंगे लेकिन नमाज़ मुख्तसर पढ़ेंगे और लोग आमाल से पहले अपनी ख्वाहिशात को आगे रखेंगे,"*
*📚 मोता इमाम मालिक-160,*
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*☞⇨ दीनी मसाइल में गलत क़यास आराई ▩*
*❉_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं, "तुम पर हर आइंदा साल पहले से बुरा आएगा, मेरी मुराद ये नहीं है कि पहला साल दूसरे साल से गल्ले की फ़रावानी में अच्छा होगा या एक अमीर दूसरे अमीर से बेहतर होगा, बल्कि मेरी मुराद ये है कि तमाम उलमा, सालेहीन और फकी़ह एक-एक करके उठते जाएंगे और तुम उनका बदल नहीं पाओगे,*
*❉→ और (क़हतुल रिजाल के इस ज़माने में) बाज़ ऐसे लोग पैदा होंगे जो दीनी मसाइल को महज़ अपनी ज़ाती क़यास आराई से हल करेंगे_”*
*📚 दारमी,, 1/58,*
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*☞ _इंकारे सुन्नत ▩*
*❉_ हज़रत मिक़दाम बिन मदीकरब रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया:-*
*→"आगाह रहो ! मुझे कुरान भी दिया गया और उसके साथ इसी तरह की (वाजिबुल इताअत वही) और भी (दी गई है, जिसे सुन्नत कहा जाता है),*
*❉→आगाह रहो ! कोई पेट भरा अपने तकिए पर टेक लगाए हुए (जो तकब्बुर की अलामत है) मुतकब्बिराना (अंदाज़ में) कहेगा: लोगों सिर्फ इस कुरान ही (पर अमल) को लाज़िम समझो, जो चीज़ तुम्हें इसमें हलाल मिले बस उसे हलाल समझो और जो इसमें हराम मिले बस उसे हराम समझो, (कुरान फहमी के लिए सुन्नत से मदद न लो),*
*❉→ हालांकि (मोटी बात है कि ) रसूलुल्लाह ﷺ (हलाल और हराम, जा'इज़ और ना-जा'इज़ का जो फ़ैसला फ़रमाते हैं वो बा हुक्मे इलाही होता है, इसलिए आप ﷺ) ने जिस चीज़ को हराम ठहराया वो भी उसी तरह (वाजिबुल अहतराज़) है जिस तरह अल्लाह तआला की हराम ठहराई हुई चीज़, (मगर तकब्बुर और गबावत की वजह से इतनी मोटी बात को नहीं समझेगा )_,”*
*📚 रवाअ अबू दाऊद व दारमी, इब्ने माजा, मिश्कातुल मुसाबेह- 29,*
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*☞⇨ दीन के मामले में रिशवत ▩*
*❉_ हज़रत मुआज़ रज़ियल्लाहु अन्हु रसूलल्लाह ﷺ का इरशाद नक़ल करते हैं, कि-*
*→"हदिया उस वक्त तक कुबूल कर सकते हो जब तक कि वो हादिया रहे, लेकिन जब वो दीन के मामले में रिशवत बन जाए तो कुबूल ना करो, मगर (ऐसा नज़र आता है कि ) तुम (उम्मत के आम लोग) उसे छोड़ोगे नहीं क्योंकि फक्ऱ और ज़रूरत तुम्हें मजबूर करेगी,*
*❉→आगाह रहो! कि इस्लाम की चक्की बहरहाल गर्दिश में रहेगी, इसलिए किताबुल्लाह जिधर चले उसके साथ चलो, ( अपनी ख्वाहिशात के मुताबिक़ न ढालो),*
*→आगाह रहो! कि अंक़रीब किताब और हाकिम जुदा जुदा हो जायेंगे, पस तुम किताबुल्लाह को ना छोड़ना,*
*❉→आगाह रहो! कि अंक़रीब तुम पर ऐसे हाकिम मुसल्लत होंगे जो अपने लिए वो तजवीज़ करेंगे जो दूसरों के लिए तजवीज़ नहीं करेंगे, तुम अगर उनकी नाफ़रमानी करोगे तो तुम्हें क़त्ल करेंगे और अगर फ़र्माबरदारी करोगे तो (बे दीनी के सबब) तुम्हें गुमराह करेंगे,"*
*→सहाबा ने अर्ज़ किया,- ''या रसूलल्लाह! (ऐसी सूरत में) हमें क्या तर्ज़े अमल अख़्तियार करना चाहिए ? फ़रमाया- "वही जो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के असहाब ने किया कि उनको आरों से चीरा गया, सूली पर लटकाया गया (मगर वो दीन पर क़ायम रहे) और इताअते इलाही में जान दे देना मआसियत की जिंदगी से (बा दरजहा) बेहतर है,"*
*📚 रवाह तिबरानी कमा फ़ी मजमाअज़ ज़वाइद 5/227, कमा फ़िल कन्ज़ 1/216,*
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*☞ _नमाज़ पढ़ने पर आर दिलाने का दौर:-*
*❉_ हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक ज़माना आएगा कि आदमी अपने भाई और बाप से क़त्आ ताल्लुक़ करेगा और उन लोगों से बाज़ के दिलों में फ़ितना कयामत तक के लिए घर कर जाएगा यहाँ तक कि आदमी को नमाज़ पढ़ने पर ऐसी आर दिलाई जाएगी जैसे ज़ानिया को ज़िना पर आर दिलाई जाती है_,"*
*📚 (तिबरानी, कंज़ुल उम्माल- 11/18)*
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*☞ _सियाह खिज़ाब लगाने पर वईद :-*
*❉_ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि आन हज़रत ﷺ ने फरमाया कि :-*
*"_आखिरी ज़माने में कबूतरों के पोटे की तरह लोग अपनी डाढ़ियों को काले खिज़ाब से रंगीन करेंगे, ऐसे लोग जन्नत की खुशबू भी ना सूंघ सकेंगे _,*
*📚 अखरजा अबू दाऊद,*
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*☞ _मस्जिद में दुनियावी बातों के लिए हलका़ लगाना :-*
*❉_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि आन हज़रत ﷺ ने फरमाया कि -*
*"_ एक ज़माना ऐसा आएगा कि लोग मस्जिदों में हलका़ बना कर दुनियावी बातें करेंगे, पस तुम उनके साथ ना बैठो, क्योंकि अल्लाह को ऐसे लोगों की ज़रूरत नहीं है _,*
*📚अख़रजा तिबरानी_,*
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*☞ _कम अक़ल लोगों की बोहतात:-*
*❉_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया कि -*
*"_ अलामात ए क़यामत में से है कि अक़लें ना पैद हो जाएंगी और कम अक़लो की कसरत होगी_,*
*📚 रवाह तिबरानी-237,*
*☞_वक्त में बे बरकती का दौर:-*
*❉_ हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया कि -*
*"_क़यामत की अलामतो में से है कि ज़माना सिमट जाएगा यहां तक कि साल महीने बराबर, महीने हफ्ते बराबर, हफ्ता दिन बराबर, दिन घंटे बराबर और घंटे आग के एक शोले के बुलंद होने के बराबर _,*
*📚 रवाह तिर्मिज़ी, मिश्कात -470,*
*∆___ अल्हम्दुलिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई _,,*
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