AITIKAAF - (HINDI)

 🎍﷽ 🎍*   
               ✦ *ऐ त का फ* ✦            
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              *✺ एतिकाफ क्यों ?✺*

*★_ रमजान के आखिरी 10 दिन में एतिकाफ करना बहुत बड़ी इबादत है। उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा सिद्दीका रजियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि :- हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम हर साल रमजान के आखिरी अशरे में एतिकाफ फरमाया करते थे ।* *(बुखारी ,मुस्लिम )*

*★_इसलिए अल्लाह ताअला तौफीक दे तो हर मुसलमान को इस सुन्नत की बरकतों से फायदा उठाना चाहिए। मस्जिदें अल्लाह ताअला का घर है और करीम आका़ के दरवाजे पर सवाली बन कर बैठ जाना बहुत बड़ी सआदत है ।*

*📘आप के मसाइल और उनका हल- 3 /320,*

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          *✺ एतकाफ की तारीफ ✺*

*★__ एतिकाफ के लफ्ज़ी मा'नी "ठहराना और रुकना" है । एतिकाफ करने वाला कुछ मुद्दत के लिए एक खास जगह में यानी मस्जिद में और औरत घर के खास हिस्से में जिसको उसने मुंतखब किया होता है ठहरा और रुका रहता है । इसलिए इसे एतिकाफ कहते हैं ।*

*★_हजरत आयशा रजियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम रमजान के आखिरी अशरे का एतिकाफ फरमाया करते थे यहां तक कि अल्लाह ताला ने आपको वफात दे दी । फिर आप के बाद आप की अज़वाज मुताहरात रजियल्लाहु अन्हुमा एतिकाफ फरमाती रही। ( सहीह बुखारी- 1/ 271)*
      
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         *✺ एतिकाफ के फजाइल ✺*

*★_ हजरत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने फरमाया :- जो शख्स अल्लाह की रज़ा के लिए एक दिन का एतिकाफ करता है तो अल्लाह ताअला उसके और जहन्नम के दरमियान तीन खंदकों को आड बना देंगे ।*
*एक खंदक की मुसाफत आसमान और जमीन की दरमियानी मुसाफत से भी ज्यादा चौड़ी है ।*
*(अल मौजमुल अवसतुल तबरानी-5/279)*

*★_फायदा :- सुब्हानल्लाह ! जब 1 दिन के एतिकाफ की यह फज़ीलत है तो रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरे के एतिकाफ की क्या फज़ीलत होगी ?*

*★_ खुश किस्मत हैं वह लोग जो रमजान उल मुबारक की मुबारक घड़ियों में एतिकाफ करते हैं और मज़कूरा फजी़लत के मुस्तहिक क़रार पाते हैं ।*

*★_ हजरत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया :- एतिकाफ करने वाला गुनाहों से महफूज़ रहता है और उसकी तमाम नेकियां उसी तरह लिखी जाती रहती हैं जैसे वह उनको खुद किया करता था ।*
*( सुनन इब्ने माजा-128)*

*★_इस हदीस में एतिकाफ के फवाइद में से दो बयान किए गए हैं :-*
*१_मौतकीफ जितने दिन एतिकाफ करेगा इतने दिन गुनाहों से बचा रहेगा ।*
*२_जो नेकियां वह बाहर करता था (मस्जिद से बाहर) मसलन- मरीज़ की अयादत, जनाजे में शिरकत, गुरबा की इमदाद, उलमा की मजालिस में हाजरी, वगैरा एतिकाफ की हालत में अगरचे इन कामों को नहीं कर सकता लेकिन इस क़िस्म के आमाल का सवाब उसके नामा आमाल में लिखा जाता है।*

*★_ एक हदीस में है :- जिसने अल्लाह ताअला की रज़ा के लिए ईमान व इखलास के साथ एतिकाफ किया तो उसके पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे ।*
*( कंजुल उम्माल - 8 /244)*
                            
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*✺ एतिकाफ का मकसद व एतिकाफ की अक़साम ✺*

*★_ हजरत आयशा रजियल्लाहु अन्हा फरमाती है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम रमजान के आखिरी अशरे में एतिकाफ फरमाया करते थे और फ़रमाया करते थे कि लैलतुल कद्र को रमजान की आखिरी रातों में तलाश किया करो ।*
*"_सही बुखारी -1/ 270 ,*

*★_फायदा:- - इतिकाफ से मक़सूद लैलतुल कद्र को पाना है जिस की फजीलत हजा़र महीनों से ज्यादा है । बेहतर तो यही है कि आखिरी अशरे की सारी रातों में बेदारी का एहतमाम करना चाहिए वरना कम से कम ताक़ रातों में को तो जरूर इबादत में गुजारना चाहिए।*
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       *✺ एतिकाफ की अक़साम ✺*

*★_ एतिकाफ की 3 किस्में हैं :- वाजिब, सुन्नत, निफ्ली ।*

*★_ वाजिब एतिकाफ :- वाजिब एतिकाफ वह है जो मन्नत मानने से वाजिब हो गया या किसी मसनून एतिकाफ के तोड़ देने से उसकी कजा वाजिब हो गई।*

*★_ मसाइल :- १_ जिस एतिकाफ की जबान से मन्नत मांगी हो वह मन्नत की शर्त पर मौकूफ हो या ना हो दोनों सूरतों में एतिकाफ वाजिब हो जाता है।*
*२_ सिर्फ दिल में नियत कर लेने से मन्नत नहीं होती बल्कि जुबान से अल्फाज़ का अदा करना जरूरी है।*
*३_ मन्नत वाले एतिकाफ में रोजा रखना जरूरी है चाहे यह रोज़ा रमजान का हो या इसके अलावा किसी और महीने का और एतिकाफ भी रमजान में हो या इसके अलावा किसी और महीने में ।*

*४_एक दिन का एतिकाफ करने की मन्नत मानी तो सिर्फ दिन का एतिकाफ वाजिब होगा, अगर 24 घंटे की नियत साथ की हो तब 24 घंटे ही का एतिकाफ वाजिब होगा ।*
*५_अगर किसी ने मन्नत मांगते वक्त यह कहा कि मैं रात का एतिकाफ करूंगा और दिल में नियत दिन की भी थी तो यह मन्नत सही नहीं ,इस पर एतिकाफ वाजिब नहीं होगा क्योंकि रात में रोजा नहीं होता ।*
*६_अगर एक से ज्यादा दिनों के एतिकाफ की नियत मानी हो तो इतने दिन और रात दोनों का एतिकाफ करना पड़ेगा और अगर एक रात से ज्यादा रातों की मन्नत मानी तब भी दिन और रात दोनों का एतिकाफ करना जरूरी है ।*

*७-अगर एक से ज्यादा दिनों के एतिकाफ की मन्नत मानी हो और नियत यह कि सिर्फ दिनों का एतिकाफ करूंगा और रात को मस्जिद से बाहर आ जाऊंगा तो ऐसी नियत दुरुस्त है लिहाजा ऐसा शख्स सुबह सादिक से पहले मस्जिद से चला जाए और गुरुबे आफताब के बाद वापस आ जाए।*
*८_ जब एक से ज्यादा दिनों के एतिकाफ की मन्नत मानी हो तो इन दिनों पे दर पे रोजाना एतिकाफ करना वाजिब है, दरमियान में वक्फा नहीं कर सकता ।अलबत्ता अगर मन्नत मानते वक्त ज़ुबान से कह दे कि मैं इतने दिनों में मुतफर्रिक तौर पर एतिकाफ करुंगा तो भी जायज़ है।*
*९_ जिन कामों के लिए सुन्नते एतिकाफ में निकलना जायज़ है वाजिब एतिकाफ में भी इन कामों के लिए निकलना जायज़ है और जिन कामों के लिए सुन्नते एतिकाफ में निकलना जायज़ नहीं तो उन कामों के लिए एतिकाफ वाजिब में भी निकलना जायज़ नहीं।*
 
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         *✺ एतिकाफ ए सुन्नत ✺*

*★_ एतिकाफ ए सुन्नत वो है जो सिर्फ रमजान मुबारक के आखिरी अशरे में किया जाता है।*

*★_ मसाइले एतिकाफ सुन्नत :-*
*१_रमजान के सुन्नत एतिकाफ का वक्त 20 वा रोज़ा पूरा होने के दिन गुरुबे आफताब से शुरू होता है और ईद के चांद नजर आने तक रहता है मौतकिफ को चाहिए कि वह 20 वा दिन गुरुबे आफताब से पहले एतिकाफ वाली जगह पहुंच जाए ।*
*२_यह एतिकाफ सुन्नते मौक़दा अलल किफाया है यानी बड़े शहरों के मोहल्ले की किसी एक मस्जिद में और गांव देहात की पूरी बस्ती की किसी एक मस्जिद में कोई एक आदमी भी एतिकाफ करेगा तो सुन्नत सबकी तरफ से अदा हो जाएगी ।अगर कोई भी एतिकाफ ना करें तो सब गुनहगार होंगे।*
*३_ जिस मोहल्ले या बस्ती में एतिकाफ किया गया है उस मोहल्ले और बस्ती वालों की तरफ से सुन्नत अदा हो जाएगी अगरचे एतिकाफ करने वाला दूसरे मोहल्ले का हो ।*
*४_आखिरी अशरे के चंद दिन का एतिकाफ एतिकाफे निफली है सुन्नत नहीं ।*

*५_औरतों को मस्जिद की बजाए अपने घर में एतिकाफ करना चाहिए ।*
*६_सुन्नते एतिकाफ की दिल में इतनी नियत काफी है कि मैं अल्लाह की रज़ा के लिए रमजान के आखिरी अशरे का मसनून एतिकाफ करता हूं ।*
*७_किसी शख्स को उजरत देकर एतिकाफ में बैठाना जायज नहीं।*
*८_ मस्जिद में 1 से ज्यादा लोग एतिकाफ करें तो सबको सवाब मिलता है ।*

*९_मसनून एतिकाफ की नियत 20 तारीख के गुरुबे आफताब से पहले कर लेनी चाहिए अगर कोई शख्स वक्त पर मस्जिद में दाखिल हो गया लेकिन उसने एतिकाफ की नियत नहीं की और सूरज गुरुब हो गया तो फिर नियत करने से एतिकाफ सुन्नत नहीं होगा।*
*१०_ अगर किसी ने पहले दो अशरों में रोजा नहीं रखे हैं या तरावीह ना पढ़ी हो तो वह भी एतिकाफ कर सकता है।*
*११_ जिस शख्स के बदन से बदबू आती हो या ऐसा मर्ज हो जिसकी वजह से लोग तंग हो तो ऐसा शख्स एतिकाफ में ना बैठें। अलबत्ता अगर बदबू थोड़ी हो जो खुशबू वगैरह से दूर हो जाए और लोगों को तकलीफ ना हो तो जायज़ है ,*

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  *✺ एतिकाफ ए मसनून की शरायत और एतिकाफ की हालत में जायज़ काम✺*

*★_ एतिकाफ ए मसनून के सही होने के लिए यें चीजें ज़रूरी है :-१_मुसलमान होना,२_ आक़िल होना, ३_ एतिकाफ की नियत करना,४_ मर्द का मस्जिद में एतिकाफ करना ,५_मर्द और औरत का जनाबत यानी गुस्ले वाजिब होने वाली हालत से पाक होना, लिहाज़ा अगर कोई शख्स हालते जनाबत में एतिकाफ शुरू कर दे तो एतिकाफ तो हो जाएगा लेकिन यह शख्स गुनहगार होगा।*

*★६_ औरत का हैज व निफास से खाली होना,७_ रोजे से हो ना अगर एतिकाफ के दौरान कोई एक रोज़ा ना रख सके या किसी वजह से रोज़ा टूट जाए तो एतिकाफ मसनून भी टूट जाएगा ।*

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  *✺ एतिकाफ की हालत में जायज़ काम ✺*

*★_ १_ खाना पीना ( बशर्ते की मस्जिद को गंदा ना किया जाए), २_ सोना । ३_जरूरत की बात करना । ४_अपना या दूसरे का निकाह या कोई और अक़्द करना। ५_ कपड़े बदलना । ६_खुशबू लगाना ।७_तेल लगाना । ८_कंघी करना (बशर्ते की मस्जिद की चटाई और कालीन वगैरह खराब ना हो )*

*९_मस्जिद में किसी मरीज का मुआयना करना, नुस्खा लिखना या दवा देना। लेकिन यह काम बगैर उजरत के हो तो जायज़ है वरना मकरूह है ।१०_बर्तन धोना ।११_जरूरियाते जिंदगी के लिए खरीद फरोख्त करना बशर्ते कि सौदा मस्जिद में ना लाया जाए,१२_औरत का एतिकाफ की हालत में बच्चों को दूध पिलाना ।१३_मौतकिफ का अपनी नशिस्तगाह के इर्द-गिर्द चादरे लगाना ।१४_मौतकिफ का मस्जिद में अपनी जगह बदलना। १५_ बाक़दरे जरूरत बिस्तर साबुन खाने पीने के बर्तन हाथ धोने के बर्तन और मुताले के लिए दीनी किताबें मस्जिद में रखना।* 

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 *✺ एतिकाफ के ममनूआत व मकरुहात ✺*

*★_ १_ बिना जरूरत बातें करना, २_एतिकाफ की हालत में फहश या बेकार और झूठे किस्से कहानियां या इस्लाम के खिलाफ मज़ामीन पर मुशतमिल लिटरेचर, तस्वीर वाले अखबारात व रसाइल या अखबार की झूठी खबरें मस्जिद में लाना रखना पढ़ना सुनना, ३_जरूरत से ज़्यादा सामान मस्जिद में लाकर बिखैर देना,४_ मस्जिद में बिजली गैस और पानी वगैरह का बेजा इस्तेमाल करना,५_मस्जिद में सिगरेट बीड़ी हुक्का पीना ।*

*★६_उजरत के साथ हजामत बनाना और बनवाना । लेकिन अगर किसी को हजामत की ज़रूरत है और बगैर उजरत के बनाने वाला मयस्सर ना हो तो ऐसी सूरत अख्त्यार की जा सकती है कि हजामत बनाने वाला मस्जिद से बाहर रहे और मौतकिफ मस्जिद के अंदर।*

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                *✺ मुतफर्रिक ✺*

*★_ रमजान के आखरी दस दिन का एतिकाफ सुन्नते किफाया है, अगर मोहल्ले के कुछ लोग इस सुन्नत को अदा करें तो मस्जिद का हक जो अहले मोहल्ले पर लाज़िम है अदा हो जाएगा और अगर मस्जिद खाली रही और कोई शख्स भी एतिकाफ में ना बैठा तो सब मोहल्ले वाले लायक़े इताब होंगे और मस्जिद के एतिकाफ से खाली रहने का बवाल पूरे मोहल्ले पर पड़ेगा।*

*★_ जिस मस्जिद में नमाज पंज वक्ता बा जमात होती हो उसमें एतिकाफ के लिए बैठना चाहिए और अगर मस्जिद ऐसी हो जिसमें पंज वक्ता ने नमाज बाजमात ना होती हो उसमें पंच वक्ता नमाज बाजमात का इंतजाम करना अहले मोहल्ले पर लाज़िम है।*

*★_ औरत अपने घर में एक जगह नमाज के लिए मुकर्रर करके वहां एतिकाफ करें उसको मस्जिद में एतिकाफ में बैठने का सवाब मिलेगा ।*

*★_एतिकाफ में कुरान मजीद की तिलावत दरूद शरीफ जिक्र व तस्बीह, दीनी इल्म सीखना और सिखाना ,अंबिया अलैहिस्सलाम सहाबा किराम रजियल्लाहू अन्हुम और बुजुर्गाने दीन के हालात पढ़ना सुनना अपना मामूल रखें । बेजरुरत बात करने से ऐराज करें ।*

*★_एतिकाफ में बे जरूरत एतिउ की जगह से निकलना जायज़ नहीं वरना एतिकाफ बाकी नहीं रहेगा । याद रखें कि एतिकाफ की जगह से मुराद पूरी मस्जिद है जिसमें एतिकाफ किया जाए खास वह जगह मुराद नहीं जो मस्जिद में एतिकाफ के लिए मखसूस कर ली जाती है ।*

*★_पेशाब पाखाने और गुस्ल के लिए बाहर जाना जायज़ है इसी तरह अगर घर से खाना लाने वाला कोई ना हो तो खाना खाने के लिए घर जाना भी जायज़ है।*

*📘आप के मसाईल और उनका हल- 3 /322,*
   
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            *✺ वाजिबुल गुस्ल ✺*

*★_ अगर किसी मौतकिफ पर गुस्ल वाजिब हो जाए तो गुस्ल करने की जरूरत के लिए मौतकिफ को बाहर निकलना जायज़ है ।*

*★_मौतकिफ को दिन या रात में एहतलाम हो जाने पर एतिकाफ पर कोई असर नहीं पड़ता ।*

*★_अगर मस्जिद में गुसलखाना मौजूद हो तो उसी में गुसल करना चाहिए लेकिन अगर गुसलखाना ना हो या उसमें गुसल करना मुमकिन ना हो तो मसलन मस्जिद में पानी वगैरह गिरने का अंदेशा हो तो इस सूरत में बाहर जा सकता है ।*

*★_सर्दियों में एहतलाम हो जाए और गर्म पानी का इंतजाम मस्जिद में ना हो और ठंडे पानी से नुकसान का अंदेशा हो तो मौतकिफ तयम्मुम करें ,मस्जिद में रहे और अपने घर इत्तेला करें ताकि पानी गर्म हो जाए और अगर क़रीब में कहीं गर्म पानी का हमाम हो तो वहां जा सकता है, हो सके तो वहां भी पहले इत्तेला कर दे और फौरन गुस्ल करके आ जाए।*
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        *✺ जुमा के लिए जाना ✺*

*★_ बेहतर यह है ऐसी मस्जिद में एतिकाफ किया जाए जहां नमाजे जुमा होती हो, लेकिन अगर किसी मस्जिद में जुमा नहीं होता तो जुम्मा के लिए जा सकता है।* 

*★_ अलबत्ता इस गरज के लिए ऐसे वक्त में निकले जब यह अंदाजा हो कि जुमा की जगह पहुंचकर चार रकात सुन्नत अदा करने के फौरन बाद खुतबा शुरू हो जाएगा ।*

*★_किसी मस्जिद में जुम्मा पढ़ने के लिए गया तो फर्ज पढ़ने के बाद सुन्नते भी वहीं पढ़ सकता है लेकिन उसके बाद ठहरना जायज़ नहीं ताहम अगर जरूरत से ज्यादा ठहर गया तो चुंकि मस्जिद ही में ठहरा है इसलिए एतिकाफ नहीं टूटेगा ।*

*★_जुमा की नमाज के यह अहकाम सिर्फ मर्दों के लिए है औरतों के लिए नहीं क्योंकि औरतों पर जुम्मा वाजिब नहीं लिहाजा उनको जुमा के लिए जाने की ना तो जरूरत है और ना ही उनके लिए जायज़ है।*
 
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            *✺ निफली एतिकाफ ✺*

*★_ निफली एतिकाफ के लिए खास मुद्दत और खास जमाने का होना जरूरी नहीं और ना ही रोजा रखना जरूरी है।*

★ *_ मसाइल:-*:-  
*१_ निफली एतिकाफ हर मस्जिद में होता है चाहे उस मस्जिद में नमाज बा जमात का एहतमाम हो या ना हो।*

*२_ एतिकाफ की नियत से मस्जिद में दाखिल हुआ या नमाज पढ़ने के लिए या किसी जरूरत के लिए और नियत कर ली तो इन सब सूरतों में एतिकाफ का सवाब होगा ।*

*३_निफली एतिकाफ उस वक्त तक बाकी रहता है जब तक आदमी मस्जिद में रहे बाहर निकलने से एतिकाफ खत्म हो जाता है, टूटता नहीं ।*

*४_निफली एतिकाफ में बार-बार उठ कर चले जाना और फिर आना सब जायज़ है ।*

*📘 एतिकाफ कोर्स-*

*"❀_ अल्हम्दुलिल्लाह मुकम्मल हुए_,"*
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        *❥✍ Haqq Ka Daayi ❥*
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