*●• वज़ु - दुरुस्त - कीजिए •●*
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*✿ ☞ _ वज़ू के लफज़ी व शरई मानी और फ़ज़ीलत_,*
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*⚀ __वज़ू के लफ़ज़ी मानी “सफाई सुथराई” के है,और शरीयत की ज़ुबान में चेहरा, दोनो हाथ और दोनों पांव धोने और चौथाई सर के मसह करने को वज़ू कहते है,*
*⚀_हज़रत उस्मान गनी रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:-*
*"_ जिस शख्स ने वज़ू किया और खूब अच्छी तरह वज़ू किया तो उसके जिस्म से सारे गुनाह निकल जाएंगे यहां तक कि उसके नाखूनों के नीचे से भी,,*
*📚_सहीह बुखारी व मुस्लिम,*
*⚀_ तशरीह,_मतलब ये है कि जो शख्स नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम व हिदायत के मुताबिक, आदाब व सुनन के एहतेमाम के साथ पाकीज़गी हासिल करने के लिए अच्छि तरह वज़ू करेगा तो उससे सिर्फ आज़ा ए वज़ू की मैल कुचेल और बातिनी नापाकी ही दूर नही होगी बल्कि वो शख्स गुनाहों से भी पाक साफ हो जाएगा,*
*❥═┄ हवाला,*
*📚 मा’रफुल हदीस_,*
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*✿ ☞__ आज़ा ए वज़ू की नुरानीयत_,*
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*⚀ __हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:- मेरे उम्मती क़यामत के दिन बुलाए जाएंगे तो वज़ू के असर से उनके चेहरे और हाथ पांव रोशन और मुनव्वर होंगे,*
*⚀_ तशरीह:- दुरुस्त वज़ू का असर इस दुनिया में तो ये होता है कि चेहरे और हाथ पांव की सफाई और धुलाई हो जाती है और जिस्म गुनाहों से पाक हो जाता है और ख़ासाने हक़ को एक खास किस्म की रूहानी निशात व इंबिसात की कैफियत हासिल होती है,*
*⚀_लेकिन जैसा कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस हदीस में फरमाया है कि क़यामत में वज़ू का एक अजीब व गरीब असर ये भी ज़ाहिर होगा कि वज़ू करने वाले आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के उम्मतियों के चेहरे और हाथ पांव खूब रोशन और ताबान होंगे और ये उनका इम्तियज़ी निशान होगा,*
*⚀_ फिर जिसका वज़ू जितना कामिल व मुकम्मल होगा उसकी ये नुरानियत और ताबानी भी उसी दर्जे की होगी, जिसकी सूरत यही है कि वज़ू हमेशा ध्यान और एहतेमाम के साथ मुकम्मल करे और जुमला आदाब और सुन्नत की पूरी पाबंदी करे,*
*❥═┄ हवाला,*
*📚 मा’रफुल हदीस_,*
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*✿ ☞ __ वज़ू के फ़राइज़ _*
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*⚀ _वज़ू में 4 चीजें फ़र्ज़ है:-*
*1:-एक मर्तबा सारा मुंह धोना,*
*2:-एक मर्तबा कोहनियों समेत दोनो हाथ धोना,*
*3:-एक बार चौथाई सर का मसह करना,*
*4:-एक एक मर्तबा टखनों समेत दोनो पांव धोना_,*
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*✿ ☞ __वज़ू की सुन्नतें _*
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*⚀_ वज़ू में सुन्नते मो'अक़दा 15 हैं :-*
*⇏1:-वज़ू की नियत करना,*
*❉_तशरीह,⇏यानि वजू शुरू करने से पहले दिल में सवाब और अल्लाह तआला की खुशनुदी व रज़ा हासिल करने का इरादा करें, सिर्फ हाथ मुंह साफ करने की नियत ना हो, नियत के अल्फाज ये हैं:-*
*"__ए अल्लाह! मैं आपकी रज़ा के लिए वज़ू करता हूं,*
*⚀_2:-बिस्मिल्लाह कहना,*
*❉ तशरीह :-⇏ "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम " पढ़ कर वज़ु शुरू करें,*
*❉_बाज़ रिवायतो में ये दुआ भी मंकूल है:-*
*"बिस्मिल्लाहिल अज़ीमी वलहम्दुलिल्लाहि अला दीनिल इस्लाम,"*
*⚀_3:- दोनों हाथों को गट्टो तक धोना,*
*⇏4:-मिस्वाक करना,*
*❉5- कुल्ली करना,*
*⇏तशरीह:- कुल्ली तीन बार करें लेकिन पानी हर बार होना चाहिए और मूंह भर कर होना चाहिए और कुल्ली में इस क़दर मुबालगा करना चाहिए कि पानी हलक़ के करीब तक पहुंच जाए, बाशर्ते कि रोज़ेदार ना हो, अगर रोज़ेदार हो तो इस क़दर मुबालगा ना करना चाहिए,*
*⚀_ 6:- नाक में पानी डालना,*
*⇏तशरीह:- नाक में तीन बार पानी लेना चाहिए और हर बार नया पानी होना चाहिए और इस क़दर मुबालगा किया जाए कि पानी नथनों की जड़ तक पहुंच जाए बाशर्ते कि वजू करने वाला रोज़ेदार ना हो, अगर रोज़ेदार हो तो उसको ज़्यादा मुबालगा नहीं करना चाहिए,*
*⚀_ 7- ढाड़ी का खिलाल करना,*
*⇏तशरीह:- ख़िलाल करने का तरीका ये है कि दाहिने हाथ के चुल्लू में पानी ले कर ठोड़ी के नीचे के बालों की जड़ो में डाले और हाथ की पुश्त गर्दन की तरफ कर के उंगली बालो में डाल कर नीचे से ऊपर की तरफ ले जायें,*
*❉_ध्यान रहे कि अगर वजू करने वाला हज या उमरा का अहराम बांधे हुए हो तो ढाड़ी में खिलाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि खिलाल करने में बाल टूटने का अंदेशा है और मुहरिम को बाल तोड़ना मना है,*
*❉ 8:-हाथों को उंगलियों की तरफ से धोना ना कि कोहनीयों की तरफ से,*
*⚀ _9- (1):-हाथ की उंगलियों का खिलाल करना,*
*❉ तशरीह:- हाथ की उंगलियों के खिलाल करने का तरीक़ा ये है कि एक हाथ की पुश्त दूसरे हाथ की हथेली पर रख कर ऊपर के हाथ की उंगलियां नीचे के हाथ की उंगलियों में डाल कर खींच लें,*
*❉_9- (2) :- पैर की उंगलियों का खिलाल करना, ( पैर धोते वक्त ),*
*❉ तशरीह _"तीन बार पैर धोते वक़्त पैर की उंगलियों का हर बार खिलाल करना, और खिलाल का तरीक़ा ये है कि बाएं हाथ की छोटी उंगली से इस तरह खिलाल करे कि दाएं पैर की छोटी उंगली से शुरू करे और बाएं पैर की छोटी उंगली पर ख़त्म करे,*
*⚀10:-एक बार तमाम सर का मसह करना_,*
*⇏तशरीह:- सर पर मसह करने का आसान तरीक़ा ये है कि दोनों हाथ उंगलियों और हाथेलियों के साथ तर कर के सर के आगे के हिस्से पर रख कर इस तरह पीछे ले जाए कि सारे सर का मसह हो जाए,*
*❉ 11:-कानों का मसह करना,*
*⇏तशरीह:- सर के मसह के साथ कानों का मसह करना, लेकिन कानों के मसह के लिए नए सिरे से पानी से हाथों को तर नहीं करना चाहिए बल्कि सर के मसह के लिए जो हाथ तर किए हैं वही इसके लिए भी काफी हैं, हां अगर सर के मसह के बाद अमामा या टोपी या कोई और ऐसी चीज़ छू ली जिससे हाथों की तरी जाती रहे तो फिर दोबारा तर करें,*
*❉_कानों के मसह का तरीक़ा ये है कि दोनों हाथों की शहादत की उंगलियों को कानों के सुराख और अंदरुनी हिस्से में अच्छी तरह घुमाएं और अंगुठे से उनकी पुश्त ( बाहर की तरफ ) पर मसह करे ,*
*⚀_12:- हर उज़्व को तीन बार धोना,*
*⇏तशरीह:- हर उज्व को तीन बार इस तरह धोना चाहिए कि हर बार पूरा धुल जाए और अगर एक बार आधा और फिर दूसरी बार बाक़ी धोया तो दो बार ना समझा जाए बल्कि एक ही बार समझा जाए,*
*❉ 13 – तरतीब से वज़ू करना,*
*⇏तशरीह:- वज़ू इस तरतीब से करना चाहिए जिस तरतीब से लिखा गया है, यानि पहले नियत करना, फिर बिस्मिल्लाह पढ़ना, फिर दोनों हाथों को गट्टो तक धोना, मिस्वाक करना, कुल्ली करना, फिर नाक में पानी डाल कर साफ करना, फिर मूंह धोना, फिर ढाड़ी का खिलाल करना, फिर हाथों का धोना, फिर उंगलियों का खिलाल करना, फिर सिर का मसाह करना, फिर पैरो का धोना, फिर पैरो की उंगलियों का खिलाल करना,*
*⚀14:- पे दर पे वज़ू करना,*
*⇏तशरीह ,_ एक उज्व को धोने के बाद दूसरे उज्व के धोने में इस क़दर देर ना करे कि पहला उज्व हवा और मोत्दल मौसम की वजह से खुश्क हो जाए,*
*⚀ 15 -आज़ा ए वज़ू को मल मल कर धोना,*
*⇏तशरीह:- यानि वज़ू में जो आज़ा धोए जाते हैं जेसे चेहरा, हाथ और पैर, इन्हें ख़ूब मल कर धोएं, ख़ास तोर पर सर्दियों के ज़माने में इसका ज़्यादा ख्याल रखे क्योंकि खुश्की की वजह से जिस्म के कुछ हिस्सों के खुश्क रहने का ज़्यादा अंदेशा है,*
*❥═┄ ʀεғεʀεηcε,*
*📚_दुर्रे मुख्तार, जिल्द-1,*
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*✿ ☞_ मिस्वाक करने का तरीका़ _,*
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*⚀ _मिस्वाक करने का तरीक़ा ये है कि मिस्वाक दाहिने हाथ मे इस तरह लें कि मिस्वाक के एक सिरे के क़रीब अंगूठा और दूसरे सिरे के और मुट्ठी बांध कर पकड़े, पहले ऊपर के दांतों की लंबाई में दाहिनी तरफ मिस्वाक करें, फिर बाई तरफ ,इसी तरह फिर नीचे के दांतों में करें, दांतो की चौड़ाई में मिस्वाक न करे,*
*⚀_और एक बार मिस्वाक करने के बाद मिस्वाक को मुंह से निकाल कर निचोड़े और फिर पानी से भिगो कर करे, इसी तरह तीन बार करे, इसके बाद मिस्वाक को धो कर दीवार वगैरह से खड़ी़ कर के रख दें, ज़मीन पर वैसे ही न रखें,*
*☞_मिस्वाक की क़िस्म और लंबाई:- मिस्वाक ऐसी खुश्क़ और सख्त लकड़ी़ की नही होनी चाहिए कि जो दांतो को नुक़सान पहुंचाए और न ऐसी तर और नरम कि मैल को साफ न कर सके बल्कि दरमियानी दर्जे़ की होनी चाहिए, न बहुत नरम और न बहुत सख्त, ज़हरीले दरख़्त की भी नही होनी चाहिए, पीलू, ज़ैतून या नीम या किसी कड़वे दरख़्त की हो तो बेहतर है,*
*☞_ मिस्वाक की लंबाई:- लंबाई में एक बालिश्त की होनी चाहिए, इस्तेमाल में तराशते तराशते कुछ कम हो जाये तो कुछ मुज़ायका़ नही, और जब पकड़ने के क़ाबिल न रहे तो बदल लेनी चाहिए,*
*"_और मोटाई में उंगली से ज़्यादा नही होनी चाहिए और सीधी होनी चाहिए, गिरहदार न हो, अगर मिस्वाक न हो तो कपड़े या उंगली से मिस्वाक का काम लेना चाहिए,*
*❥═┄ हवाला-*
*📚 दुर्रे मुख्तार-१/७८_,*
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*✿ ☞ _वज़ू के मुस्तहबात :-*
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*⚀ ⇏वज़ू में 14 मुस्तहबात हैं :-*
*❉ 1:-पाक और ऊंची जगह पेर बैठ कर वज़ु करना,*
*⇏तशरीह:- वज़ू के लिए किसी ऊंची जगह पर बैठना चाहिए ताकि मुस्तअमल पानी जिस्म और कपड़े पर न पड़े,*
*❉ 2:-वज़ू करते वक़्त क़िब्ला की तरफ़ मुंह कर के बैठना,*
*❉ 3:- वजू का बर्तन मिट्टी का होना,*
*⇏तशरीह:- (मिट्टी का बर्तन ना हो तो) प्लास्टिक, स्टील, चांदी, तांबा, पीतल के बर्तन से वजू करना भी बिला कराहत दुरुस्त है,*
*❉ 4:-वज़ू करने में किसी से मदद ना लेना,*
*⇏तशरीह:- यानि किसी दूसरे शख्स से आजा़ ए वजू को ना धुलवाए बल्कि खुद ही धोएं और अगर कोई शख्स पानी देता जाए और आजा़ को खुद ही धोएं तो कुछ हर्ज नहीं, इसी तरह बीमारी या अलालत की बिना पर किसी दूसरे से धुलवाएं तो भी कोई हर्ज नहीं,*
*❉ 5:-आज़ा ए वज़ू का जहां तक धोना फ़र्ज़ है उससे ज़्यादा धोना,*
*❉ 6:- दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना,*
*❉ 7:-बाएं हाथ से नाक साफ़ करना,*
*❉ 8:-अंगुठी, छल्ले, चूड़ियां वगेरा अगर ऐसी हो कि जिस्म तक पानी पहुंचने में रुकावट बने तो उनको हरकत देना,*
*❉ 9:- कानों का मसह करते वक्त छोटी उंगली का दोनों कानों के सुराख में डालना,*
*❉10:- पैर धोते वक्त दाहिने हाथ से पानी डालना और बाएं हाथ से मलना,*
*❉ 11:- सर्दीयों के मौसम में पहले हाथ पैरों को तर (गीले) हाथ से मलना ताकि आज़ा पर धोते वक्त पानी आसानी से पहुंच जाए,*
*❉ 12:- हर उज्व को धोते वक्त ''बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम'' और कलिमा ए शहादत पढ़ना,*
*❉ 13:-वज़ू में और वज़ू के बाद जो दुआएं अहादीस शरीफ में आई हैं उनको पढ़ना,*
*❉14:- वज़ु के बाद बचे हुए पानी को खड़े हो कर पीना,*
*❥═┄ ʀεғεʀεηcε,*
*📚 _दुर्रे मुख्तार, जिल्द-1, आलमगिरी,*
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*✿ ☞___ वज़ू के मकरूहात:- _*
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*⚀ _वज़ू के 9 मकरूहात हैं ;-*
*1:-जो चीजें वज़ू में मुस्तहब है उनकी खिलाफ वर्ज़ी करने से वज़ू मकरूह हो जाता है,*
*2:-पानी ज़रूरत से ज़्यादा खर्च करना,*
*3-पानी इस क़दर कम खर्च करना कि जिससे आज़ा के धोने में कमी रह जाए,*
*4:-वज़ू करते हुए बिला उज़्र कोई दुनिया की बात करना,हां ज़रूरत की बात कहने में कोई हर्ज नही,*
*⚀_5-वज़ू में आज़ा ए वज़ू के अलावा दीगर आज़ा को बिला ज़रूरत धोना,*
*6-मूंह और दूसरे आज़ा पर ज़ोर से छींटे मारना,*
*7:-तीन बार से ज़्यादा आज़ा को धोना,*
*8:-नए पानी से तीन बार मसह करना,*
*9:-वज़ू के बाद हाथों का पानी छिटकना,*
*📚_ दुर्रे मुख्तार- जिल्द -१ ,*
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*✿ ☞_ वज़ू का मस्नून तरीका _,*
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*⚀ _जब आप वज़ू करना चाहें तो वज़ू करने से पहले दिल मे इरादा करे कि मैं अल्लाह ताला की ख़ुशनूदी के लिए वज़ू करता हुं,फिर वज़ू करने के लिए क़िब्ला की तरफ मूंह कर के किसी पाक और ऊंची जगह पर बैठ जाये ताकि वज़ू में इस्तेमाल होने वाला पानी जिस्म और कपड़ो पर न गिरे,*
*❉_वज़ू शूरु करते वक़्त-” बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम“ पढ़े या यह दुआ पढ़े:-*
*“बिस्मिल्लाहिल अज़ीमी वलहमदु लिल्लाहि अला दीनिल इस्लामी”*
*❉ (तर्जुमा) -अल्लाह ताला के नाम से शुरू करता हुं और हक़ ता’ला का शुक्र है दीने इस्लाम नसीब होने पर,*
*❉_फिर सबसे पहले दोनों हाथ तीन दफा गट्टों तक धोये और धोते वक़्त ये दुआ पढ़े:-*
*“अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुकल युमना वल बरकता वा आउज़ुबिका मिनश शूमी वल हलाकती”*
*❉_(तर्जुमा)- ए अल्लाह मैं आपसे दीन और दुनिया की बरकत मांगता हूं और बदबख्ती और हलाकत से आपकी पनाह चाहता हूं,*
*❉_फिर दाये हाथ से तीन मर्तबा कुल्ली करे और मिस्वाक करे, अगर मिस्वाक न हो तो किसी मोटे कपड़े या सिर्फ उंगली से अपने दांत साफ करें ताकि सब मैल कुचेल दूर हो जाए और अगर रोज़ा न हो तो गर गरा कर के पानी खूब अच्छी तरह सारे मूंह में पहुंचाए और अगर रोज़ा हो तो गर गरा न करे, फिर ये दुआ पढ़े:-*
*“अल्लाहुम्मा आइन्नी अला तिलावती क़ुरआनी व ज़िकरिका व शुक्रिक़ा व हुस्नी इबादतिक _,*
*❉ (तर्जुमा)- ए अल्लाह! क़ुरआने करीम की तिलावत करने में और अपने ज़िक्र व शुक्र और अच्छी तरह इबादत करने में मेरी मदद फ़रमा,*
*⚀ _फिर दाएं हाथ से तीन बार नाक में पानी डालिए और बाएं हाथ से नाक साफ करें, और कोशिश करे कि पानी नथनों की जड़ तक पहुंच जाए, “लेकिन जिस शख्स का रोज़ा हो वो जितनी दूर तक नरम गोश्त है उससे ऊपर पानी न ले जाए, और नाक में पानी डालते वक़्त ये दुआ पढ़िए:-*
*❉_ अल्लाहुम्मा अरिहनी राइहतल जन्नती वला तुरिहनी राइहतन नारी,*
*❉_(तर्जुमा)- ऐ अल्लाह!मुझे जन्नत की खुश्बू सुंघाना और दोज़ख की बदबू से बचाना,*
*❉_फिर तीन मर्तबा चेहरा धोइए, इस तरह कि पेशानी के बालों से ठोड़ी के नीचे तक और एक कान की लो से दूसरे कान की लो तक,सब जगह पानी बह जाए कि कोई जगह सूखी न रहे, और चेहरा धोते वक़्त ये दुआ पढ़िए :-*
*❉_ अल्लाहुम्मा बय्यिध वजही यौमा तबययध्धु वुजूहुव वा तसवद्दु वुजूहुन,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह! जिस दिन बहुत से चेहरे रोशन और बहुत से सियाह होंगे, उस दिन मेरा चेहरा रोशन फरमाना,*
*❉_ फिर तीन बार दाहिना हाथ कोहनी समेत धोये, फिर बायां हाथ कोहनी समेत तीन बार धोये, इस तरह कि उंगलियों से धोते हुए कोहनियों तक ले जाएं और एक हाथ की उंगलियों को दूसरे हाथ की उंगलियों में दाखिल कर के हरकत दे, अंगूठी पहने हुए हो या औरतों ने छल्ले पहन रखे हो तो उनको हिलाये कि कहीं कोई जगह सूखी न रह जाए, और दाहिना हाथ धोते वक़्त ये दुआ पढ़िए:-*
*❉_ अल्लाहुम्मा आ’तिनि किताबी बि यमीनी व हासिबनी हिसाबैंय यसीरा,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह! मेरा आमाल नामा मेरे दाहिने हाथ मे देना और मेरा हिसाब आसान लेना,*
*❉_और बाया हाथ धोते वक़्त ये दुआ पढ़िए :-*
*❉_ अल्लाहुम्मा ला तु’अतिनि किताबी बि शिमालि वला मिंव वरा’इ ज़हरी,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह !मेरा नामा ए आमाल मेरे बाये हाथ मे ना देना और ना मेरी पीठ के पीछे से,_*
*⚀ __फिर एक मर्तबा तमाम सर का मसह करें और मसह करते वक़्त ये दुआ पढ़िए:-*
*"_ अल्लाहुम्मा अज़िल्लनी तहता ज़िल्ली अर्शिका यौवमा ला ज़िल्ला इल्ला ज़िल्लु अर्शिका _,*
*❉ (तर्जुमा)- ऐ अल्लाह! जिस रोज़ आपके अर्श के साये के अलावा और कोई साया न होगा उस रोज़ मुझे अपने अर्श का साया इनायत फरमाना,*
*❉_फिर कान का मसह करें और कानों के अंदर का मसह शहादत की उंगली से और कानों के ऊपर का मसह अंगूठों से करे, फिर उंगलियों की पुश्त से गर्दन का मसह करें लेकिन गले का मसह न करे कि ये बुरा और मना है और कानों के मसह के लिए नया पानी लेने की ज़रूरत नही,सर के मसह से जो पानी बचा हुआ हाथ पर लगा हुआ है वही काफी है, कानो के मसह करते वक़्त ये दुआ पढ़िए:-*
*"_ अल्लाहम्मज अलनी मिनल लज़ीना यस्तमीऊनल क़व्ला फ़ा यत्तबिऊना अह़सनहु _,*
*❉ (तर्जुमा)- ऐ अल्लाह! मुझे उन लोगों में से बना जो बातें सुनकर नेक बातों पर अमल करते हैं,*
*❉_और गर्दन का मसह करते वक़्त ये दुआ पढ़िए:-*
*"_ अल्लाहुम्मा आ’तिक़ रक़ाबति मिनन नारी _,*
*❉ (तर्जुमा)- ऐ अल्लाह मेरी गर्दन को दोज़ख से आज़ाद फ़रमा।*
*❉_ फिर दाहिना पांव टखनों समेत तीन बार धोइए, फिर बाया पांव टखनों समेत तीन बार धोइए, और बाये हाथ की छोटी उंगली से पैर की उँगलीयों का इस तरह ख़िलाल करे कि दाहिने पैर की छोटी उंगली से शुरू करे और बाये पैर की छोटी उंगली पर खत्म करे, और पैरों को धोते वक़्त दाहिने हाथ से पानी डाले और बाये हाथ से मले, दाया पांव धोते हुए ये दुआ पढिये:-*
*"_ अल्लाहुम्मा सब्बित क़दमय्या अलस सिराती यौवमा तज़िल्लुल अक़दामु _,*
*❉ (तर्जुमा) ऐ अल्लाह! जिस रोज़ पुल सिरात पर बहुत से क़दम फिसलेंगे मेरे पांव साबित क़दम रखना और बाया पांव धोते वक़्त ये दुआ पढिये:-*
*"_ अल्लाहुम्मअज अल ज़म्बी मगफूरव व सा’यी मशकूरव वा तिजारती लन तबूरा _,*
*❉ (तर्जुमा)- ऐ अल्लाह! मेरे गुनाह माफ फ़रमा और मेरी कोशिश को क़ुबूल फ़रमा और मेरी तिजारत को तरक़्क़ी अता फ़रमा,*
*⚀ _फिर वज़ू खत्म होने पर आसमान की तरफ मूंह कर के कलमा शहादत पढिये:-*
*⚀_ अशहदु अल लाइलाहा इल्लल्लाहू वाहदहु ला शरीक़ा लहू व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु _,*
*❉_(तर्जुमा)- मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही, वो अकेला है उसका कोई शरीक़ नही और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं ।*
*⚀_फिर ये दुआ पढिये:-*
*⚀_अल्लाहुम्मज अलनी मिनत तव्वाबीना वज अलनी मिनल मुतहहिरीना,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह! मुझे बहुत तौबा करने वालों और पाक रहने वालों में शामिल फ़रमा,*
*❉_और ये दुआ भी पढिये :-*
*⚀_सुब्हानाकल्ला हुम्मा व बिहमदिका अशहदु अल लाइलाहा इल्ला अंता अस्तग़फ़िरुका व अतूबु इलैका _,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह !आप पाक हैं और मैं आपकी तारीफ करता हूँ मैं गवाही देता हूँ कि सिर्फ आप ही माबूद हैं मैं आपसे मग़फिरत चाहता हूं और आपके सामने तौबा करता हूँ ।*
*❉_वज़ू के दरमियान में किसी जगह ये दुआ पढिये:-*
*⚀_अल्लाहुम्मगफिरली ज़म्बी व वस्सीली फि दारी वा बारिकलि फि रिज़की _,*
*❉_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह! मेरे गुनाह माफ फ़रमा और मेरे लिए मेरे घर में वुसअत फ़रमा और मेरे रिज़्क़ में बरकत अता फ़रमा ।*
*❉_इसके बाद बर्तन में अगर वज़ू का पानी बचा हुआ हो तो उसको पियें चाहे थोड़ा सा हो, अगर मक़रूह वक़्त न हो तो दो रका’त तहिय्यतुल वज़ू पढ़े, अहादीस में इसका बड़ा सवाब है ।*
*❉_ पहले एक एक कर के मज़कूरा (वज़ू की दुआएं) याद करे, किसी को सब दुआएं याद न हो सके तो वज़ू के शूरु में “बिस्मिल्लाह” दरमियान में वज़ू की दुआ और आखिर में कलमा शहादत और अल्लाहुम्मज अलनी ,,,, याद कर ले, सिर्फ इनका पढ़ लेना भी मुफीद है,*
*❉_ पूरे एहतमाम से बताए गए तरीक़े के मुताबिक वज़ू करे, चंद बार करने से सहूलत और फिर इंशा अल्लाह आदत हो जाएगी,*
*❥═┄ हवाला_*
*📚 मा’खूज़ शामी व आलमगीरी _*
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*✿ ☞__ वज़ू कब फ़र्ज़ है, _*
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*⚀ _वज़ू हर नमाज़ के लिए फ़र्ज़ है,चाहे वो नमाज़ निफ्ली हो या सुन्नत, वाजिब हो या फ़र्ज़, जनाज़े की नमाज़ हो या सजदा ए तिलावत,*
*⚀_वज़ू दो सूरतों में वाजिब है:-*
*1-खाना ए काबा का तवाफ़ करने के लिए,*
*2-क़ुरआने करीम छूने के लिए,*
*📚 दुर्रे मुख्तार -१/६०,*
*☞_ वज़ू कब मस्नून है ?*
*⚀_वज़ू दो सूरतों में मस्नून है, 1-सोते वक़्त, 2-ग़ुस्ल के लिए,*
*📚_ इल्मुल फिक़हा-१/७०,*
*☞_ वज़ू कब मुस्तहब है ?*
*⚀_वज़ू 18 सूरतों में मुस्तहब है:-*
*1-अज़ान व तकबीर के वक़्त,*
*2-खुतबा पढ़ते वक्त (खुतबा चाहे जुमा का हो या निकाह का उन किसी और चीज़ का)*
*3-इल्मे दीन पढ़ते वक़्त,*
*4-दीन कि किताब छूते वक़्त,*
*5-सलाम करते वक़्त ,या सलाम का जवाब देते वक़्त,*
*6-अल्लाह ताला का ज़िक्र करते वक़्त,*
*7-सो कर उठने के बाद,*
*8-ऊंट का गोश्त खाने के बाद*
*9-मय्यत को ग़ुस्ल देने के बाद,*
*10-जनाज़ा उठाने के बाद,*
*11-हर वक़्त बावजू रहना,*
*12-नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत के लिए,*
*13-अराफात में ठहरने के लिए,*
*14-सफा मरवा की सई करने के लिए,*
*15-जुंबि (नापाक)को ग़ुस्ल से पहले खाना खाने से पहले,*
*16-अपनी बीवी से ख्वाइश पूरा करने के लिए,*
*17-वो हालाते जिनमे हमारे नज़दीक वज़ू नही जाता और दूसरे आइम्मा के नज़दीक वज़ू जाता रहता है,*
*18-हैज़ या निफ़ास वाली औरत को हर नमाज़ के वक़्त वज़ू करना मुस्तहब है, _*
*❥═┄ हवाला,*
*📚 दुर्रे मुख्तार-१/६१_*
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*✿ ☞_ वज़ू तोड़़ने वाली चीजें_,*
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*⚀ _पेशाब, पाखाना, मनी, मज़ी, और हवा जो पीछे के रास्ते से निकले उससे वज़ू टूट जाता है, अलबत्ता अगर आगे की राह से हवा निकले जैसा कि बाज़ मर्तबा बीमारी में ऐसा होता है, उससे वज़ू नही टूटता,*
*❉ _और अगर आगे या पीछे से कोई चीज़ कीड़ा़ जैसे केंचुआ, कंकरी वगैरह निकले तो भी वज़ू टूट जाता है,*
*❉ मसला :- पेशाब का क़तरा जब तक पेशाब की नली से न निकले वज़ू नही टूटता,और जब सुराख से बाहर आ जाए तो वज़ू टूट जाता है,_,*
*❥═┄ हवाला,*
*📚_ हिंदिया,*
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*✿ ☞_ खून निकलने से वज़ू टूटना_,,*
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*⚀ _मसला-१- अगर किसी को नकसीर फूटी ,चोट लगी और खून निकल आया या फोड़े फुंसी से या बदन में और कहीं से खून निकला या पीप निकली तो वज़ू टूट गया, अलबत्ता अगर खून या पीप ज़ख्म के मुंह पर रहे,ज़ख्म के मुंह से आगे न बढ़े तो वज़ू नही टूटा,*
*“_चुनांचे अगर किसी के सूई या कांटा चुभ गया और खून निकल आया लेकिन बहा नही तो वज़ू नही टूटा, और जो ज़रा भी बह निकला तो वज़ू टूट गया।*
*⚀_मसला-२-अगर किसी ने नाक सुनकी और उसमें जमे हुए खून की फटकियाँ निकली तो वज़ू नही टूटा,वज़ू उस वक़्त टूटता है जब पतला खून निकले और बह पड़े,*
*“_लिहाज़ा अगर किसी ने अपनी नाक में उंगली डाली और जब उसको निकाला तो उंगली में खून का धब्बा मालूम हुआ, लेकिन वो खून बस इतना ही है कि उंगली में तो ज़रा सा लग जाता है लेकिन बहता नही है तो इससे वज़ू नही टूटता।*
*⚀_मसला -४- किसी के आंख के अंदर दाना था वो टूट गया या खुद उसने तोड़ दिया और उसका पानी बह कर आंख में फैल गया, लेकिन आंख के बाहर नही निकला तो वज़ू नही टूटा, और अगर आंख के बाहर पानी निकल पड़ा तो वज़ू टूट गया,*
*“_इसी तरह अगर कान के अंदर दाना हो और टूट जाए तो जब तक खून,पीप सुराख के अंदर उस जगह तक रहे जहां पानी पहुंचना ग़ुस्ल करते वक़्त फ़र्ज़ नही है तब तक वज़ू नही टूट ता और जब ऐसी जगह पर आ जाये जहां पानी पहुंचना फ़र्ज़ है तो वज़ू टूट जाएगा,*
*📚 _दुर्रे मुख्तार-१/९१,*
*⚀_मसला-४ - अगर किसी के कोई ज़ख्म हुआ और उसमें से कीड़ा निकला या कान से निकला या ज़ख्म में से कुछ गोश्त कट कर गिर पड़े और खून न निकले तो इससे वज़ू नही टूट ता,*
*📚_ क़बीरी -१२३,*
*⚀_मसला -५- किसी ने अपने फोड़े या छाले का छिलका नोच डाला और उसके नीचे खून या पीप दिखाई देने लगे लेकिन वो खून या पीप अपनी जगह पर ठहरा हुआ है,किसी तरफ निकल कर बहा नही तो वज़ू नही टूटा और अगर बह पड़ा तो वज़ू टूट गया,*
*📚 क़बीरी -१३० _,*
*⚀_मसला-६- दाद के खुजलाने से जो पानी निकलता है वो नापाक है और उसके निकलने से वज़ू टूट जाता है,*
*❉_मसला-७- किसी के फोड़े में बड़ा गहराव हो गया तो जब तक खून या पीप उस गहराव के सुराख के अंदर ही अंदर है बाहर निकल कर बदन पर न आए उस वक़्त तक वज़ू नही टूट ता,*
*📚 आलमगीरी-१/७,*
*⚀_मसला-८- अगर खून या पीप ज़ख्म के अंदर से निकल कर फैल जाए या फाया जज़्ब हो जाए या पट्टी बंधी हो उसी पर ज़ाहिर हो जाए तो वज़ू टूट जाता है,*
*📚 इमदादुल फतावा _१/११,*
*⚀_मसला-९-अगर फोड़े फुंसी का खून आपसे नही निकला बल्कि उसने दबा कर निकाला तब भी वज़ू टूट जाएगा जबकि खून बह जाए,*
*📚 दुर्रे मुख्तार-१/९२_,*
*⚀_मसला-१०- किसी के जख्म से ज़रा सा खून निकलने लगा उसने उनपर मिट्टी डाल दी या कपड़े से पोंछ लिया,फिर ज़रा सा ख़ून निकला फिर उसने पोछ डाला, इस तरह कई दफा किया कि खून बहने न पाया तो दिल मे सोचे अगर ऐसा मालूम हुआ कि अगर पोछा न जाता तो बह पड़ता,तो वज़ू टूट जाएगा और अगर ऐसा हो की पोछा न जाता तब भी न बहता तो वज़ू न टूटेगा,_,*
*📚 कबीरी-१२९_ ○*
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*✿ ☞ _ मसूड़ों से खून बहना:-*
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*⚀_मसला-1- किसी के थूक में खून मालूम हुआ तो अगर थूक में खून बहुत कम है और थूक का रंग सफेदी या ज़र्दी मिला हुआ है तो वज़ू नही टूटा,और अगर खून ज़्यादा या बराबर है और रंग सुर्ख है तो वज़ू टूट गया,*
*📚_ आलमगीरी -१/८,*
*❉_मसला-2- अगर दांत से कोई चीज़ काटी उस चीज़ पर खून का धब्बा मालूम हुआ या दांत में ख़िलाल किया और ख़िलाल में खून की सुर्खी दिखाई दी लेकिन थूक में बिल्कुल खून का रंग मालूम नही होता तो वज़ू नहीं टूटा,*
*📚_ कबीरी -१३०,*
*❉_तशरीह :- किसी के दांतों से खून निकला फिर वो उसको निगल गया और कम या ज़्यादा का पता न चले तो अहतेयातन वज़ू लौटा लेना चाहिए,_,*
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*✿ ☞ _आंख और कान से पानी बहना:-*
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*⚀ __किसी के कान में दर्द होता है और पानी निकलता है तो ये पानी जो कान से बहता है नापाक है, अगरचे कोई फोड़ा या फुंसी मालूम न हो, लिहाज़ा इसके निकलने से वज़ू टूट जाएगा जबकि कान के सुराख से निकल कर उस जगह तक आ जाए जिसका धोना ग़ुस्ल करते वक़्त फ़र्ज़ है,*
*⚀_इसी तरह अगर नाफ़ से पानी निकले और दर्द भी होता हो तो इससे भी वज़ू टूट जाएगा, ऐसे ही अगर आंखे दुखती और खटकती हो तो पानी बहने और आंसू निकलने से वज़ू टूट जाता है और अगर आंख न दुखती हो न उसमे कोई खटक हो तो आंसू निकलने से वज़ू नही टूटता,*
*⚀_तशरीह :- आंख से पानी निकलने से वज़ू टूटने और ना टूटने में तहक़ीक़ ये है कि अगर आंख से पानी किसी ज़ख्म की वजह से निकले चाहे वो ज़ख्म ज़ाहिर में मालूम होता है या किसी मुसलमान दीनदार तबीब (डॉक्टर) की जांच करने से मालूम हो तो उस पानी के निकलने से वज़ू टूट जाएगा वरना नही,*
*⚀_ लिहाज़ा आंख में ज़ख्म ना हो तो महज़ दुखने, खटकने या रोने से अगर आंसू निकल आए तो उनसे वज़ू नही टूटता,*
*📚 हाशिया – बहिस्ती ज़ेवर-१/६७_,*
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*✿ ☞__ वज़ू में कै होना:-*
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*⚀ _ मसला-1- अगर कै हुई और उसमें खाना या पानी या पित निकला, तो अगर कै मूंह भर कर हुई तो वज़ू टूट गया और अगर मूंह भर कर नही हुई तो वज़ू नही टूटा,*
*❉ _और मुंह भर कर होने का मतलब ये है कि मुश्किल से मुंह मे रुके, और अगर कै में सिर्फ बलगम ही बलगम निकले तो वज़ू नही टूटा, चाहे कम हो या ज़्यादा, मूंह भर कर हो या न हो और अगर वो जमा हुआ टुकड़े टुकड़े निकले और मुंह भर कर हो तो वज़ू टूट जाएगा और अगर कम हो मूंह भर कर न हो तो वज़ू नही टूटेगा,*
*⚀ _ मसला-2- अगर थोड़ी थोड़ी कई दफा कै हुई लेकिन सब मिला कर इतनी है कि एक दफा में कै होती तो मूंह भर कर हो जाती, तो अगर इस कई दफ़ा कै होने में एक ही मतली बरक़रार रही और थोड़ी थोड़ी कै होती रही तो वज़ू टूट गया,*
*❉_ और अगर इस कई दफा कै होने में एक मतली बरकरार नही थी बल्की पहली दफा की मतली जा चुकी थी और तबियत साफ हो गई थी और जी अच्छा हो गया था फिर दोबारा मतली हुई और थोड़ी सी कै हो गई फिर मतली शुरू हो कर कै हुई तो वज़ू नही टूटा,*
*📚 कबीरी-१२८_,*
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*✿ ☞ नशे में वज़ू का हुक्म , _*
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*⚀ _अगर किसी शख्स ने कोई नशे की चीज़ खा ली और इतना नशा हो गया कि अच्छी तरह चला नही जाता और क़दम इधर उधर बहकते और डगमगाते हैं तो वज़ू टूट गया,*
*☞_ बेहोश होना:-*
*⚀_अगर कोई शख्स बेहोश हो गया या जुनून की वजह से अक़ल जाती रही तो वज़ू टूट गया चाहे बेहोशी और जुनून थोड़ी देर ही रहा हो,*
*☞_हंसी से वज़ू टूटना:-*
*⚀_ मसला-1 -अगर नमाज़ में इतनी जोर से हंसी आई कि नमाज़ी ने खुद भी अपनी आवाज़ सुन ली और उसके पास वालों ने भी सब ने सुन ली, जिस तरह खिलखिला कर हंसने में पास वाले सुन लेते हैं तो इससे वज़ू टूट गया और नमाज़ भी टूट गई,*
*⚀_और अगर हंसी इतनी आवाज़ से हो कि अपने आपको आवाज़ सुनाई दे मगर सब पास वाले आवाज़ न सुन सके ,अगरचे बहुत पास वाला सुन ले तो इससे नमाज़ नही टूटेगी और वज़ू भी नही टूटेगा,*
*⚀_और अगर हंसी में फ़क़त दांत खुल गए और आवाज़ बिल्कुल नही निकली तो न वज़ू टूटा और न नमाज़ गई, इसी तरह तबस्सुम का हुक्महै की इससे भी वज़ू नही टूटा और न नमाज़,*
*⚀_मसला-2- अगर छोटा बच्चा जो अभी जवान नही हुआ नमाज़ में ज़ोर ज़ोर से हंस पड़े या बालिग मर्द या बालिग औरत सजदा तिलावत मे हंस पड़े या जनाज़ा की नमाज़ में कोई ज़ोर से हंस पड़े तो वज़ू नही टूटता, अलबत्ता बच्चे की वो नमाज़ और सज़दा तिलावत और जनाज़े की नमाज़ टूट जाएगी जिसमें उसको ज़ोर से हंसी आई है,*
*📚 कबीरी-140_,*
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*✿ ☞_ इंजेक्शन लेते वक्त खून निकलना:-*
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*⚀ _रग में जो इंजेक्शन लगता है जिसमे इंजेक्शन के ज़रिए थोड़ा बदन से खून निकालते हैं, उसके बाद दवा चढ़ाते हैं उसमें वज़ू टूटने न टूटने में ये तफसील है कि अगर इंजेक्शन से इतना खून निकला कि अगर जिस्म से खुद निकलता तो वो बह पड़ता, तो वज़ू टूट जाएगा,*
*⚀_और अगर इंजेक्शन में इतना खून कम निकला कि अगर इतना खून बदन से खुद निकलता तो हरगिज़ न बहता तो नही टूटेगा,*
*⚀_इसी तरह अगर किसी ने दूसरे को अपना इतना खून दिया कि अगर वो बदन से खुद निकलता तो हरगिज़ न बहता तो वज़ू न टूटेगा और इसी तरह किसी ने दूसरे को अपना इतना खून दिया कि वो बदन से खूद निकलता तो बह पड़ता तो भी वज़ू टूट जाएगा,*
*📚 हिन्दिया -,*
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*✿ ☞_ अपना या किसी का सतर देखना_,*
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*⚀ _ वज़ू के बाद किसी का सतर देख लिया या अपना सतर खुल गया या नंगा हो कर नहाया और नंगे नंगे ही वज़ू किया तो उसका वज़ू दुरुस्त है, फिर से वज़ू दोहराने की ज़रूरत नही, अलबत्ता बिला ज़रूरत शरई किसी ना महरम का सतर देखना या अपना दिखाना शरअन गुनाह है,*
*📚 मिश्कात-1/228 व इल्मुल फिक़हा-1/87,*
*⚀ _ मशहूर है कि किसी को नंगा देख लेने से वज़ू टूट जाता है,ये गलत बात है,*
*📚 अग़लतुल अवाम-30,*
*⚀ _ अपनी या गैर की शर्मगाह देखने से वज़ू नही टूटता,_*
*📚_दुर्रे मुख्तार-1/99 _,*
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*✿ ☞ _ बा-हालते वज़ू सोना_* ╥────────────────────❥
*⚀ _मसला-1- लेटे लेटे आंख लग गई, चाहे चित लेटे या दांयी करवट पर या बांयी करवट पर लेटे, तो वजू टूट गया, और अगर नमाज़ में बेठे या खड़े खड़े सो जाये तो वज़ू नहीं टूटता,*
*"_और सजदे में ये तफसील है कि औरत अगर इस तरह सज्दा करे जिस तरह कि वो किया करती है और फिर सज्दे में सो जाए तो वजू टूट जाएगा, और अगर मर्द सज्दे में सो जाए और उसने सज्दा इस तरह किया है जिस तरह सज्दा करने का मर्दो को हुक्म है तो वज़ू नहीं टूटेगा,*
*📚 _हिन्दिया,*
*⚀ मसला_2-अगर नमाज़ से बाहर (यानि नमाज़ नहीं पढ़ रहा हो) बैठे बैठे सोये और अपने कुल्हे ऐडी से दबाये रखे तो वज़ू नहीं टूटेगा,*
*📚 कबीरी-127,*
*❉ मसला_3- बैठे हुए नींद का ऐसा झोंका आया कि गिर पड़ा तो अगर गिर कर फौरन ही आंख खुल गई तो वज़ू नहीं टूटा और अगर गिरने के ज़रा बाद आंख खुली तो वजू टूट गया,*
*📚तहतावी,50,*
*⚀ मसला_4- कोई शख्स ज़मीन या तख्त पर या गाड़ी या ट्रेन या हवाई जहाज़ की सीट पर बैठ कर सो गया और उसको इस क़दर गहरी नींद आ गई कि अगर पीछे वाली टेक हटाई जाए तो गिर पड़े लेकिन अभी उसकी हवा ख़ारिज होने की जगह पूरी तरह दबी हुई है तो उसका वज़ू नहीं टूटा और अगर उसके हवा ख़ारिज होने की जगह दबी हुई नहीं है तो बिला शुबहा वज़ू टूट गया,*
*📚हिन्दिया_,*
*⚀ मसला-5- कोई शख़्स बैठ कर सो गया और नींद में कभी दांई और कभी बांई तरफ झुकता है तो इसका वज़ू नहीं टूटता,*
*📚हिन्दिया_,*
*⚀ मसला _6-कोई शख़्स चौकड़ी मार कर बैठा या दांई तरफ या बांई तरफ दोनों क़दम निकाले और दोनों कुल्हे ज़मीन पर जमे हुए हैं इसी हालत में नींद आ गई और वो इसी तरह बैठा रहे तो वज़ू नहीं टूटेगा,*
*📚हिन्दिया,*
*⚀ मसला-7- बीमार आदमी लेट कर नमाज़ अदा करता है, अगर वज़ू करने के बाद लेटे लेटे आंख लग जाएगी तो उसका वज़ू टूट जाएगा,*
*📚 _हिन्दिया ,*
*☞ _बा-हालते वज़ु ऊँघना:-*
*⚀ मसला-1- बैठे बैठे ऊँघने और झूमने से वज़ू नहीं टूटता जबकी वो गिरने ना पाये,*
*📚ताहतावी_,*
*⚀_मसला-2- लेट कर ऊंघने में अगर ऊंघ हल्की और मामूली है कि क़रीब बैठ कर बातें करने वालों की बातें उसको सुनाई देती है तो उसका वज़ू नहीं टूटेगा और अगर ऊंघ गहरी है कि क़रीब बैठ कर बातें करने वालों की उसको कुछ खबर नहीं तो वज़ू टूट जायेगा,*
*📚हिन्दिया_,*
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*✿ ☞ _आजा़ ए वज़ू पर किसी चीज़ का जमा रहना _*
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*⚀ _ मसला-1-बाज़ औवका़त सड़क में इस्तेमाल होने वाला डामर, तारकोल पांव में लग जाता है, वज़ू में उसको अच्छी तरह छुड़ाना ज़रूरी है, अगर बगैर छुड़ाए ऊपर ही से पानी बहा दिया तो वज़ू नही होगा,*
*❉ मसला-2- सीमेंट या पेंट (रोगनी रंग) की किस्म से कोई चीज़ कारीगरों या किसी और के हाथों या पैरों में लग जाए और खुश्क हो जाए और पानी चमड़ी तक न पहुंच सके तो वज़ू में इनको छुड़ाना भी ज़रूरी है वरना वज़ू नही होगा,*
*❉ मसला-3- आजा़ ए वज़ू में से किसी उज़्व पर कोई दिलदार चीज़ लगी हुई हो मसलन नाखून पर नाखून पोलिश हो,दाढ़ी के बालों पर खिजाब की तह जम गई हो और ये दोनो खुश्क हो तो नाखून पोलिश और बालों से खिजाब की जमी हुई तह को दूर करना ज़रूरी है,बगैर छुड़ाए महज़ ऊपर से पानी बहा लेने से वज़ू नही होगा,*
*📚 आलमगीरी_,*
*❉ मसला-4- रोटी पकाने वालों और वालियों के हाथों और नाखून में आटा लगा रह जाए और खुश्क हो जाए तो उसको छुड़ाना भी ज़रूरी है,अगर बगैर छुड़ाए वज़ू कर लिया और उसके नीचे पानी नही पहुंचा तो वज़ू नही होगा,*
*❉_ अलबत्ता मज़कूरा सूरतों में जब आटा या रंग व रोगन वगैरा ऐसा चिमट जाए कि कोशिश के बावजूद न छूटे और छुड़ाना दुश्वार हो तो बगैर छुड़ाए भी वज़ू दुरुस्त हो जाएगा,_,*
*📚 हिंदिया_ ○*
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*✿ ☞___ किसी हिस्से का खुश्क रहना:-*
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*⚀ _मसला-1- बाज़ लोग मूंह धोते वक़्त सिर्फ चेहरे को धोना काफी समझते हैं, हालांकि वज़ू के लिए चेहरे की तारीफ में पेशानी से ले कर ठोड़ी के नीचे तक और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक के दरमियान का सारा हिस्से का धोना फ़र्ज़ है बशर्ते कि घनी दाढ़ी न हो,*
*📚 दुर्रे मुख्तार_,*
*⚀_मसला-2- बाज़ लोग बाज़ुओं को धोते वक़्त कोहनियों को अच्छी तरह नही धोते और कोहनी की पुष्त खुश्क रह जाती है जिसकी बिना पर वज़ू मुकम्मल नही होता, लिहाज़ा कोहनियों की पुष्त पर पानी एहतेमाम से पहुंचाना चाहिए,*
*⚀_मसला-3- बाज़ लोग बाज़ुओं को कोहनियो की तरफ से धोया करते हैं,ये ख़िलाफ़े सुन्नत है, सही तरीका ये है कि हर बाज़ू को उंगलियों की तरफ से इस तरह धोया जाए कि एक हाथ कि चुल्लू में पानी ले कर हाथ को ऊपर किया जाए और दूसरे हाथ की मदद से कोहनी तक उस पानी को बहा लिया जाए और अच्छी तरह मला जाए, इसी तरह हर बाज़ू को तीन बार धोया जाए,*
*📚 ताहतावी__,*
*⚀_मसला-4-बाज़ लोग सर का मसह करने में खास तौर पर पगड़ी बांधने वाले और मसाइल से नावाकिफ लोग इस क़दर कोताही करते है कि पगड़ी और टोपी के सामने वाले हिस्से को ज़रा सा ऊँचा कर के पेशानी के क़रीब तरीन बालों को छू देना काफी समझते हैं हालांकि कम से कम सर के चौथाई हिस्से का मसह करना फ़र्ज़ है,अगर इससे कम मिक़दार में मसह किया तो वज़ू नही होगा,अगर चौथाई सर के बराबर मसह कर लिया तो भी सुन्नत छोड़ने का गुनाह होगा इसीलिए एहतेमाम से पूरे सर मसह करना चाहिए,*
*⚀_मसला-5-पांव धोते वक़्त बाज़ लोग सिर्फ ऊपर से पानी बहा लेते हैं ,इस तरह कई मर्तबा पांव के नीचे का हिस्सा और टखने का हिस्सा और उंगलियों के दरमियान की जगह खुश्क रह जाती है, क़ामिल वज़ू के लिए ज़रूरी है कि पांव को ऊपर नीचे और टखनों के पीछे बाये हाथ से खूब मला जाए और उंगलियों के दरमियान बायें हाथ की छोटी उंगली से ख़िलाल कर के अच्छी तरह पानी पहुंचाया जाए,*
*📚 आलमगीरी_ ○*
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*✿ ☞___ दाढ़ी का हुक्म _*
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*⚀ _ठोड़ी का धोना फ़र्ज़ है,बशर्ते कि दाढ़ी के बाल उस पर न हो या हो मगर इस क़दर कम हो कि खाल नज़र आए, “और अगर दाढ़ी इस क़दर घनी हो कि खाल नज़र न आए और अंदर की सतह पर पानी पहुंचाना मुश्किल हो तो उस छुपी हुई खाल को धोना और बालों की जड़ों तक पानी पहुंचाना फ़र्ज़ नही,बल्कि वो बाल ही खाल के क़ाइम मुकाम हैं,उन पर पानी बहा देना काफी है,*
*📚 शरह तनवीर_,*
*☞ ज़ख्मी आज़ा का हुक्म,*
*❉_अगर हाथ पांव वगैरह में कोई ज़ख्म या फोड़ा ,फुंसी हो और उस पर पानी डालना नुकसान करता हो तो पानी न डाले,वज़ू करते वक़्त सिर्फ भीगा हुआ हाथ फेर ले,और अगर ये भी नुक़सान करता हो तो हाथ भी न फेरे इतनी जगह छोड़ दे,*
*📚 कबीरी _,*
*❉_अगर हाथ पांव वगेरा में ज़ख्म है या वो फट गए हैं या उनमे दर्द है,या कोई और बीमारी है,मगर इस हालत में उनको धोना मुश्किल न हो और धोने से तकलीफ भी न होती हो तो धोना फ़र्ज़ है,*
*📚 इलमुल फिक़हा_,*
*❉_अगर आजा़ए वज़ू पर कोई ज़ख्म या फोड़ा फुंसी हो और उस पर खुरंद जम जाए और वज़ू करने वाला वज़ू के बाद उसको उतार डाले और खून वगैरह कुछ न निकले ,तो इससे वज़ू नही टूटता,*
*❉_ ऐसे ही चेहरे पर कील और मुहांसे निकल आते हैं,उनको नोचने में बाज़ दफा सिर्फ जमा हुआ खुश्क मादह निकलता है,इसके निकलने से वज़ू नही टूटता, “अलबत्ता अगर इन दोनों सूरतों में खून ,पीप या पानी निकल कर बह जाए तो वज़ू टूट जाएगा,*
*📚 कबीरी _,*
*☞_ कटे हुए आज़ा का हुक्म:-*
*❉_ अगर किसी का एक हाथ कोहनी के ऊपर से कट गया या पैर टखने के ऊपर से कट गया तो कटे हुए हाथ पैर के धोने का फर्ज भी साकित हो गया,और अगर कोहनी या टखने के नीचे से कटा गया है तो जितना हिस्सा बाक़ी है उसको धोना वाजिब है,दोनो हाथ या दोनो पैर कटने का हुक्म भी यही है,*
*📚 दुर्रे मुख्तार ○═,*
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*✿ ☞__ वज़ू में शक के अहकाम _,*
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*⚀ _वज़ू कर रहा था कि शक हो गया कि सर का मसह किया है या नही या किसी उज़्व के धोने न धोने में शक हुआ,तो अगर ये शक पहली मर्तबा हुआ है और उसको ऐसा शक पड़ने की आदत नही है तो मसह कर ले या वो उज़्व धो ले जिसके बारे में शक हुआ है,*
*“_और अगर शक पड़ने की आदत ही हो गई है तो फिर इस शक की बिल्कुल परवाह न करे और अगर वज़ू से फारिग होने के बाद शक हुआ तो भी इसकी परवाह न करे (जब तक पक्का गुमान न हो जाए)*
*📚 आलमगीरी _,*
*❉_अगर वज़ू के दरमियान या वज़ू करने के बाद किसी ना मालूम उज़्व कि निस्बत न धोने का शुभा हो गया तो गुमान गालिब में जो उज़्व आए उसको धो डालें वरना फिर से वज़ू करे,*
*❉_अगर वज़ू करना तो याद है और उसके बाद वज़ू टूटना अच्छी तरह याद नही कि टूटा है या नही,तो उसका वज़ू बाकी समझा जाएगा, इसी पे नमाज़ दुरुस्त है,लेकिन वज़ू फिर से कर लेना बेहतर है,*
*📚 दुर्रे मुख्तार _ ○*
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*✿ ☞_ वजू में पानी ज़ाया करना_,*
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*⚀ _ वजू में पानी ज्यादा खर्च करने में बहुत अहतयात रखना चाहिए ।आज कल आम तौर पर वजू खानों में टोंटियां लगी होती है और अक्सर देखने में आता है कि लोग टोंटी खोल कर बैठ जाते हैं पानी तेजी के साथ बहता रहता है और हमारे बाज़ भाई इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देते ।*
*“याद रखिए पानी अल्लाह की बहुत बड़ी कीमती नियामत है लिहाज़ा इसको बिल्कुल बेकार नाली में बहा देना जायज़ नहीं है सिर्फ ख्याल रखने की जरूरत है।*
*📚 दुर्रे मुख्तार_,,*
*⚀_ हमारा तजुर्बा है कि अक्सर टोटियां इस किस्म की होती हैं कि मसलन अगर मुंह धोने के लिए दोनों हाथों को प्याला बनाकर पानी भर लिया है तो सिर्फ अनूठे से टोंटी बंद की जा सकती है, और वज़ू के दौरान एक हाथ से वज़ू करना भी आसानी से हो सकता है । अहतमाम करके देखिए ।*
*“मुंह पर पानी का छपका मारते वक़्त खयाल रखें कि पानी के छींटे ना उड़ें और अपने ऊपर और दूसरों पर ना गिरे।*
*📚_ आलमगीरी ,*
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*✿ ☞ _माज़ूर के मसाइल, तारीफ और उसका हुक्म _,,*
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*⚀ _ जिसको ऐसी नक्सीर फूटी हो कि किसी तरह बंद नहीं होती या कोई ऐसा जख्म है कि बराबर बहता रहता है या पेशाब की बीमारी है कि हर वक्त कतरा आता रहता है , इतना वक्त नहीं मिलता कि तहारत से नमाज़ पढ़ सकें तो ऐसे शख्स को माज़ूर कहते हैं। इसका हुक्म यह है कि हर नमाज़ के वक्त वज़ू कर लिया करें जब तक उस नमाज़ का वक्त बाक़ी रहेगा उस वक्त तक वज़ू बाकी रहेगा ।*
*⚀_अलबत्ता जिस बीमारी में मुब्तिला है उसके सिवा अगर कोई ऐसी बात पाई जाए जिससे वजू टूट जाता है तो वो वज़ू जाता रहेगा और फिर से वजू करना पड़ेगा । “इसकी मिसाल यह है कि किसी को ऐसी नक्सीर फूटी कि किसी तरह बंद नहीं होती तो यह माज़ूर हो गया इसका वही हुक्म है कि हर वक्त नया वज़ू कर लिया करें फिर जब दूसरा वक्त आए तो उसमें हर वक्त खून बहना शर्त नहीं है बल्कि वक्त भर में अगर एक दफा भी खून आ जाया करें और सारा वक्त बंद रहे तो भी माज़ूर होना बाकी रहेगा। हां अगर इसके बाद एक पूरा वक्त गुजर जाए जिसमें खून बिल्कुल ना आए तो अब माज़ूर नहीं रहेगा अब इसका हुक्म यह है कि जितनी दफा खून निकलेगा वजू टूट जाएगा ।*
*⚀_ अगर फजर के वक्त वजू किया तो सूरज निकलने के बाद उस वजह से नमाज नहीं पढ़ सकता दूसरा वज़ू करना चाहिए और जब सूरज निकलने के बाद वज़ू किया तो उस वज़ू से जोहर की नमाज पढ़ना दुरुस्त है ज़ोहर के वक्त नया वजू करने की जरूरत नहीं है ।जब असर का वक्त आएगा तब नया वज़ू करना पड़ेगा । हां अगर किसी और वजह से वज़ू टूट जाए तो अलग बात है।*
*⚀_ज़ुहर का कुछ वक्त हो गया था तब जख्म वगैरा का खून बहना शुरू हुआ तो अखीर वक्त तक इंतजार करें अगर बंद हो जाए तो खैर, नहीं तो वजू करके नमाज पढ़ ले फिर अगर असर के पूरे वक्त में उसी तरह बहा कि नमाज़ पढ़ने की नौबत नहीं मिली तो अब असर का वक्त गुज़रने के बाद माज़ूर होने का हुक्म लगाएंगे और अगर असर के वक्त के अंदर ही बंद हो गया तो वह माज़ूर नहीं, जो नमाज़ इतने वक्त पड़ी हैं दुरुस्त नहीं हुई फिर से पढ़े।*
*⚀_किसी का ऐसा ज़ख्म था कि हरदम बहा करता था। उसने वज़ू किया फिर दूसरा ज़ख्म पैदा हो गया और बहने लगा तो वज़ू टूट गया फिर से वजू करें।*
*⚀_ माज़ूर ने पैशाब पाखाने की वजह से वजू़ किया और जिस वक्त वजू किया था उस वक्त खून बंद था जब वजू कर चुका तब खून आया तो उस खून निकलने से वजू टूट जाएगा । अलबत्ता जो वजू नकसीर वगैरा की वजह से किया है वह वज़ू खास नकसीर की वजह से नहीं टूटता।*
*⚀__ अगर माज़ूर का खून वगैरा कपड़े में लग जाए तो देखो अगर ऐसा हो कि नमाज़ खत्म होने से पहले ही फिर लग जाएगा तो उसका धोना वाजिब नहीं है और अगर यह मालूम हो कि इतनी जल्दी ना भरेगा बल्कि नमाज़ तहारत से अदा हो जाएगी तो धो डालना वाजिब है । अगर यह खून का धब्बा या दाग चांदी के रुपए से बढ़ जाए तो बगैर धोए नमाज़ नहीं होगी ।*
*📚 दुर्रे मुख्तार-1/202-204,*
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*✿ ☞_ मुतफर्रिक़ मसाइल , _*
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*⚀ _ वजू गुस्लु तयम्मुम करते हुए दरमियान में अगर कोई वज़ू तोड़ने वाली चीज पेश आ जाए मसलन हवा खारिज हो जाए तो फिर नए सिरे से वज़ू करें। कम से कम फ़र्ज़ आजा़ फिर से धोएं , ( मुनयतुल मुसलली )*
*⚀__ डकार आने से वज़ू नहीं टूटता चाहे बदबूदार हो।( इल्मुल फिक़हा-87)*
*⚀_ वज़ू की हालत में मज़ी निकल आए तो वजू टूट जाता है। ( दुर्रे मुख्तार-1/91)*
*⚀_ खवातीन को बाज़ मर्तबा बीमारी की वजह से लेसदार पानी आगे की तरफ से आता है तो एहतियात इसमें है कि वो पानी नजिस है और उसके निकलने से वज़ू टूट जाता है ।( मराक़िल फलाह -55)*
*⚀_पेशाब या मजी़ का क़तरा सुराख से बाहर निकल आया लेकिन अभी उसके खाल के अंदर है जो ऊपर होती है तब भी वजू टूट गया । वज़ू टूटने के लिए खाल से बाहर निकलना जरूरी नहीं। ( शामी-1/91)*
*⚀_ मर्द के पेशाब के मुका़म से जब औरत के पेशाब का मुक़ाम मिल जाए और कुछ कपड़ा वगैरह दरमियान में हाइल ना हो तो वज़ू टूट जाता है। ऐसे ही अगर दो औरतें अपनी-अपनी पेशाबगाह मिलाएं तब भी वज़ू टूट जाता है । लेकिन खुद यह निहायत बुरा और गुनाह का काम है । दोनों सूरतों में चाहे कुछ निकले या ना निकले एक ही हुक्म है ।( दुर्रे मुख्तार-1/ 199)*
*⚀_ वजू के बाद नाखून कटाया या जख्म के ऊपर की खाल नोच डाली तो वज़ू में कोई नुकसान नहीं आया, ना वज़ू को दोहराने की ज़रूरत है और ना इतनी जगह फिर तर करने की।(कबीरी -142)*
*⚀_अगर छाती से पानी निकलता है और दर्द भी होता है तो वह भी नजिस है इस से वजू टूट जाएगा और अगर दर्द नहीं है तो नजिस नहीं और वज़ू भी नहीं टूटेगा।( दुर्रे मुख्तार -1/100)*
*⚀_ किसी ने जौंक लगवाई और जौंक में इतना खून भर गया कि अगर बीच से काट दो तो खून बह पड़े तो वज़ू जाता रहा और जो इतना ना पिया हो बल्कि कम हो तो वज़ू नहीं टूटा और अगर मच्छर या मक्खी या खटमल ने खून पिया तो वज़ू नहीं टूटा ।( दुर्रे मुख्तार- 1/94)*
*⚀_बलगम निकलने से वज़ू नहीं टूटता ।*
*"_हुक्का पीने से वज़ू नहीं टूटता यही हुक्म सिगरेट और नसवार का है। ( फतावा दारुल उलूम देवबंद -1/112 )*
*“∆_अल्हम्दुलिल्लाह मुकम्मल हुए ,”*
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