JAHANNAM KE AHWAAL- HINDI

 

*⚵╭ 🌴﷽🌴 ╮⚵*                                             
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           *🔥_ जहन्नम के अहवाल _🔥*
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        *☞ _ जहन्नम के हालात _,"*

*✪_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"__ जहन्नम को लाया जाएगा उस दिन उसकी सत्तर हज़ार लगामें होंगी, और हर लगाम के साथ सत्तर हज़ार फरिश्ते होंगे जो उसे खींच रहे होंगे _,"*

 *®_ तिर्मिज़ी _2/ 81 _,*
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 *⊙:➻ जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी_,*

*"_ हज़रत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि,*
*"_ क़यामत के दिन दोज़ख से आग की एक गर्दन निकलेगी जिसकी दो आंखें होंगी जो देख रही होंगी, दो कान होंगे जो सुन रहे होंगे, और एक ज़ुबान होगी जो बोल रही होगी,*

*"_ वो कहेगी - मुझे तीन (क़िस्म के) शख्सों पर मुक़र्रर किया गया है - हर सरकश ज़िद्दी पर, हर उस शख़्स पर जो अल्लाह के साथ किसी और को मा'बूद पुकारे और तस्वीर बनाने वालो पर _,"*

 *®_ तिर्मिज़ी - 2/81_,*
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 *⊙:➻ जहन्नम की गहराई _,*

*✪_ हजरत हसन बसरी रह. फरमाते हैं कि _हजरत उतबा बिन गज़वान रजियल्लाहु अन्हु हमारे इस मिंबर पर यानि बसरा की जामा मस्जिद के मिंबर पर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ये इरशाद सुनाया कि: _*
*"_ एक बड़ी चट्टान जहन्नम की मुंडेर से डाली जाए और वो जहन्नम में सत्तर बरस गिरती रहे तब भी उसकी गहराई तक नहीं पहुंचेगी _"*

*✪_और हज़रत हसन बसरी रह. फरमाते हैं कि हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाया करते थे कि - दोज़ख का ज़िक्र बा क़सरत किया करो, क्यूंकी उसकी गर्मी बहुत शदीद है, उसकी गहराई बहुत ज़्यादा है और उसके हथोड़े लोहे के हैं _,"*

 *®_ तिर्मिज़ी _ 2/81 _,*
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 *⊙:➻ जहन्नम मे आग का पहाड़ _,*

*"_ _ हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत करते हैं कि (क़ुरआन करीम मे जो है - अंक़रीब हम चढेंगे उस काफ़िर को चड़ाई पर, लफ़्ज़ "सऊद" की तफसीर करते हुए ) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-*

*"__ सऊद आग का पहाड़ है, जिस पर सत्तार बरस तक काफिर चढ़ता रहेगा, फिर गिर जाएगा, (फिर सत्तर साल तक चढ़ता रहेगा, फिर गिर जाएगा) इसी तरह हमेश होता रहेगा _,"*

 *🗂️_  तिर्मिज़ी - 2/81 _,*
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 *⊙:➻ दोजाख में दोजखियों की जिस्मात- _,*

*✪_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*

*"_ अल्लाह के नाफरमान की दाढ़ क़यामत के दिन उहद पहाड़ जैसी होगी, और उसके रान बैजा़ पहाड़ के बराबर होगी, और उसके बैठने की जगह (इतनी वसी होगी कि) तीन दिन की मुसाफत के बराबर होगी जितनी तैय्यबा से रबाज़ाह की मुसाफत है _,"*

*🗂️_ (मफ़हूम हदीस) तिर्मिज़ी - 2/81 _,*

*"_हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि -*

*"__ अल्लाह का नाफरमान अपनी जुबान को घसीटता हुआ चलेगा जो तीन -तीन और छः- छः कोस तक फैली हुई होगी, लोग उसको पांव तले रौंदते होंगे _,"*

 *🗂️_ मफ़हूम हदीस तिर्मिज़ी - 2/81-82_,*

*✪_ तशरीह _,ये गालिबन मैदाने हश्र में होगा कि नाफरमान दुनिया में हक़ ताआला शानहू की आयत और अंबिया अलैहिस्सलाम के बारे में ज़ुबान दराजी़ करते थे, इसलिये उनको ये सज़ा मिली कि कुत्ते की तरह जुबान बाहर निकल आई और ज़ुबान दराज़ी के बा-क़दर तीन तीन और छः छः कोस तक फैलेगी,*,*

*"_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*

 *"_ अल्लाह के नाफरमान की खाल की जसामत बियांलीस (42) गज़ होगी और उसकी दाढ़ उहद पहाड़ के बराबर होगी और जहन्नम में इसके बैठने की जगह इतनी होगी जितना फासला मक्का व मदीना के दरमियान है_,"*

 *🗂️ तिर्मिज़ी - 2/82 _,*
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 *⊙:➻दोज़खियों के पीने का बयान -1*

*✪_ हज़रत अबू सईद खुदरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुराने करीम के इरशाद "कालमुहली" की तफ़सीर मे फरमाया कि :-*

*"__इससे मुराद जेतून की तलछट की सी चीज़ है, वो इस क़दर गरम होगी कि जब दोज़खी उसे अपने मुंह के क़रीब लाएगा तो उसके चेहरे की खाल पिघल कर उसमे गिर जाएगी _,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी _2/ 82 _,*

*✪ _ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*

*➻_ जहन्नम मे खोलता हुआ पानी दोज़खियों के सरों पर डाला जाएगा, पस वो सरों से नफूज़ कर जाएगा, यहां तक ​​कि जब पेट तक पहुंचेगा तो पेट के अंदर की तमाम अंतड़ियों को बहा ले जाएगा, यहां तक कि वो दोज़खी के क़दमो से निकल जाएगी, और यही "सहर" है, जिसको क़ुरआन करीम की आयत (सूरह अल-हज 20) मे बयान फ़रमाया है ।*

*✪_ तर्जुमा (सूरह अल-हज 20) :- इससे उनके पेट की चीज़ (अंतड़ियां) और (उनकी) खालें सब गल जाएंगी _," ( तर्जुमा हजरत थानवी रह.)*

*✪_ फिर दोबारा सहबारा उसके साथ यही मामला किया जाएगा _,"*

 *🗂️ मफ़हूम हदीस -तिर्मिज़ी _ 2/82 _,*

*✪_ हज़रत अबू उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आयाते करीमा ( सूरह इब्राहिम, आयत 16-17, तर्जुमा:-) "_और उसको दोज़ख मे ऐसा पानी पीने को दिया जाएगा जो कि पीप लहू (के) मुशाबे होगा जिसको घूंट घूंट कर के पियोगे _,"*

*✪_(आयात) की तफ़सीर में फरमाया कि: ये पानी दोज़खी के मुंह के क़रीब किया जाएगा, वो उससे घिन करेगा, फिर जब उसके मुंह से लगाया जाएगा तो उसके चेहरे को भून देगा और उसके सर का चमड़ा गिर जाएगा, फिर जब वो उसे पिएगा तो उसकी अंतड़ियों को काट डालेगा हत्ताकी पिछले रास्ते से निकल जाएंगी _,*

*✪_हक़ ताला शानहू फरमाते हैं :-(सूरह मुहम्मद, आयत 15, तर्जुमा)_ "...और खोलता हुआ पानी उनको पीने को दिया जाएगा, तो उनकी अंतड़ियों के टुकड़े टुकड़े कर देगा _,"*

*✪_हक़ ताला शानहू फरमाते हैं :-(सूरह अल-कहफ, आयत 29, तर्जुमा):- "_ और अगर (प्यास से) फरयाद करेंगे तो पानी से उनकी फरयाद रसी की जाएगी जो तेल की तलछट की तरह होगा, मुंहों को भून डालेगा, क्या ही बुरा पानी होगा और दोज़ख भी क्या ही बुरी जगह होगी _"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _ 2/82_,*

*" _ हज़रत अबू सईद खुदरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरआन करीम के लफ़्ज़ "کا الْمَهْلِ " की तफ़सीर में फरमाया कि, वो रोगने जैतून की तलछत की तरह होगा, पस जब उसके (यानी दोज़ख के) क़रीब लाया जाएगा तो उसके चेहरे की खाल उसमे गिर जाएगी _,"*

*" _नीज़ दोज़ख के पर्दों के बारे मे फरमाया कि, ये चार दीवारें होंगी, हर दीवार की मोटीई चालीस साल की मुसाफत के बराबर होगी _,"*

*" _नीज़ फरमाया कि, गसाक़ का एक डोल अगर दुनिया मे उड़ेल दिया जाए तो तमाम अहले दुनिया बडदबुदार हो जाए _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _ 2/82_,*

*✪"_ हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये आयते करीमा तिलावत फरमाई (सूरह आल-ए-इमरान, आयत 102, तर्जुमा) _,"_ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला से डरा करो जैसा डरने का हक़ है, और बजुज़ इस्लाम के और किसी हालत पर जान मत देना _,"*

*✪_और इरशाद फरमाया :- अगर ज़कूम का एक क़तरा दुनिया में टपका दिया जाए तो अहले दुनिया पर उनकी ज़िंदगी अजिरन कर डाले, फिर उस शख्स का क्या हाल होगा जिसका ये खाना होगा ?_,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _ 2/82_,*
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 *⊙:➻दोज़खियों के खाने का बयान -_,*

*✪_" _हजरत अबू दरदा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि- दोज़खियों पर भूख मुसल्लत कर दी जाएगी जिसकी अज़ियात उस अज़ाब के बराबर होगी जिसमे वो पहले से मुब्तिला होंगे, चुनांचे वो भूख से बेताब होकर खाने की फरयाद करेंगे, और उनकी फरयाद रसी "ज़री" के खाने से की जाएगी जो न फरबा करे, न भूख को दफा करे,*

*✪_" _ पस वो दोबारा फरयाद करेंगे, अब उनकी फरयाद रसी ऐसे खाने से की जाएगी जो गले मे अटक जाएंगे, उस वक्त उनको याद आएगा कि दुनिया मे जब उनके गले मे कोई चीज़ फंस जाती थी वो पीने की किसी चीज़ के जरिए उसे हलक़ से उतारा करते थे, चुनांचे पानी की इल्तिजा करेंगे, तब उन को खोलता हुआ पानी ज़ंबूरो के ज़रीये पकड़ाया जाएगा, पस जब गरम पानी के वो बर्तन उनके मुंह के क़रीब पहुंचेंगे तो उनके चेहरे के गोश्त को भून डालेंगे,*

*✪_" _और जब वो पानी उनके पेट मे दाखिल होगा तो उनके पेट के अंदर की चीज़ों (अंतडियों वगेरा) को टुकड़े टुकड़े कर डालेगा, पस वो बेताब हो कर कहेंगे कि - दोज़ख पर मुक़र्रर फरिश्तो को पुकारो, जब फरिश्तों को पुकारेंगे तो फरिश्ते जवाब देंगे कि - क्या तुम्हारे पास तुम्हारे रसूल वाज़े दलील ले कर नहीं आए थे? (और उन्होंने तुम्हें गुनाह छोड़ने और अल्लाह ताला की इता'त करने की तलक़ीन नहीं की थी?) वो कहेंगे- जी! रसूल तो हमारे पास आए थे (मगर हमने उनको झूठा समझा और उनकी बात न मानी),*
*"_फरिश्ते कहेंगे - फिर तुम पड़े पुकारते रहो (अब तुम्हारी चीख व पुकार बेकार है क्योंकि तुमने अंबिया के मुक़ाबले मे कुफ्र किया) और अल्लाह के नाफरमानों की पुकार महज़ रायगा है,*

*✪_अब वो आप में कहेंगे कि - दरोगा ए जहन्नम, मालिक को पुकारो! चुनांचे वो मालिक (दरोगा ए जहन्नम) को पुकारेंगे कि - ऐ मालिक! आपके रब से कहो कि वो हमारा फैसला कर दे (यानी हमें मौत दे दे) मालिक उनको जवाब देगा कि - (नहीं! बल्की) तुम हमेशा इसी हालत मे रहोगे (मौत को मौत आ चुकी है इसलिए अब किसी दोज़खी को मौत नहीं आएगी)*

*✪_इमाम आमश रह. फरमाते हैं कि: - मुझे बताया गया कि दोज़खियों के मालिक को पुकारने और मालिक के (मज़कूरा) जवाब देने के दरमियान हजार साल का वक़फा होगा (यानी हजार साल तक वो मालिक को पुकारते रहेंगे और हज़ार साल के बाद जवाब मिलेगा तो ये कि - बक बक मत करो ! तुम पर मौत नहीं आएगी, बल्की तुम्हें हमेशा इसी हालत मे रहना है)*

*✪_मालिक दरोगा ए जहानम का मायूसकुन जवाब सुन कर आपस में कहेंगे कि - अब अपने रब ही को बिला वास्ता पुकारो, क्योंकि तुम्हारे रब से बेहतर तो कोई नहीं है, चुनांचे वो इल्तिजा करेंगे: - ऐ हमारे परवरदिगार! हमारी बदबख्ती हम पर गालिब आ गई और कोई शक नहीं कि हम गुमराह रहे, ए हमारे परवरदिगार! हमें दोज़ख से निकाल दे, अगर दोबारा हमने वही किया जो पहले करते थे तो हम बड़े ज़ालिम होंगे,*

*✪_ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :- अब वो हर तरफ से मायूस हो कर गधे की तरह आवाज़ निकालने और हसरतो वील पुकारने लगेंगे _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी -2/82 ,*

*✪_ हज़रत अबू सईद खुदरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आयाते करीमा "_वा हम फ़ीहा कालीहूना _," (और उस {जहन्नम} मे उनके मुंह बिगड़े होंगे) की तफ़सीर मे फरमाया कि:-*

*"_ आग नाफरमान को झुलसा देगी, उसका ऊपर का होंट सिकुड कर सर के दर्मियान तक ​​पहुंच जाएगा और नीचे का होंठ लटक कर उसकी नाफ से जा लगेगा _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी - 2/82 _,*
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 *⊙:➻दोज़ख की जंजीरों की लंबाई _,*

*✪" _हजरत अब्दुल्लाह बिन अमरू बिन आस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खोपड़ी की तरफ इशारा करते हुए फरमाया कि -*

*➻"_ आगर इस खोपड़ी की मिस्ल सीसे का गोला आसमान से ज़मीन पर फैंका जाए तो रात से पहले ज़मीन पर आ रहेगा, हालांकी ये पांच सो साल की मुसाफत है और अगर यही सीसे का गोला ज़ंजीर के सिर से फैंका जाए और चालीस साल तक दिन रात चलता रहे तब भी उसकी इंतेहा को (या फरमाया कि उसकी तह तक) नहीं पहूँचेगा _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _ 2/ 82-83 _,*

*✪_ क़ुरान ए करीम में दोज़ख की उन जंजीरों का ज़िक्र है जिनमे जहन्नमियों को जकड़ा जाएगा :- (सूरह अल-हाक्का़, आयत 32 तर्जुमा) "_….फिर एक ऐसी ज़ंजीर मे जिनकी पैमाइश सत्तर गज़ है उसको जकड़ दो _,"*

*✪_ कुरान ए करीम में इन ज़ंजीरों की पैमाइश सत्तर गज़ ज़िक्र फरमाई गई, अल्लाह त'आला ही बेहतर जानते है कि खुद उस गज़ की लंबाई कितनी होगी? आखिरत के उमूर का क़यास और अंदाजा दुनिया के किसी पैमाने से नहीं किया जा सकता, अलगरज़ ! इस हदीस में फरमाया गया है कि जो चीज़ पांच सो साल की मुसाफत सिर्फ एक दिन में रात से पहले तय कर सकती है, वही चीज़ दोज़खी ज़ंजीर की मुसाफत को चालीस साल मे भी तय नहीं कर सकती, इससे इसके तोल का कुछ अंदाज़ा हो सकता है,*

*✪ _आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सीसे के गोले का ज़िक्र बतोरे खास इसलिये फरमाया कि सीसा निहायत वज़नी धातु है और चीज़ जितनी ज़्यादा वज़नी हो उस क़दर तेज़ी से नीचे को गिरती है, और खुशुसन जबकि गोले की शक्ल में हो तो उसकी रफ़्तार और भी तेज़ हो जाती है _," (वल्लाहु आलम)*
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 *⊙:➻ दुनिया की आग जहन्नम की आग का सत्तरवां हिस्सा है _,*

*✪_"_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद नक़ल करते हैं कि तुम्हारी ये आग जिसे तुम रोशन करते हो, जहन्नम की आग का सत्तरवां हिस्सा है,*
*"_सहाब रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया:- या रसूलल्लाह! वल्लाह! जलाने को तो आग ही काफ़ी थी,*

*"_ आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :- वो दोज़ख की आग इस दुनिया की आग से उनसठ गुना बढ़ायी गई है कि उन सत्तर गुनो में से हर हिस्सा उसकी तपिश के बराबर है _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी - 2/83 _,*

*"✪__ तशरीह _, मतलब ये कि जलाने को दुनिया की आग भी काफ़ी थी, मगर दुनिया की आग का दोज़ख की आग से कोई मुक़ाबला ही नहीं, गोया दुनिया की आग दोज़ख की आग से उनसठ दर्जा ठंडी है,*

*✪_इमाम ग़ज़ाली रह. फरमाते हैं कि अगर दोज़खियों के सामने दुनिया की ये आग जाहिर हो जाए तो राहत हासिल करने के लिए दौड़ कर उसमे घुस जाएं_,"*
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 *⊙:➻ जहन्नम की आग हज़ारों साल तक दहकाई गई _,*

*✪_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया -*

*"_ जहन्नम की आग को एक हज़ार साल तक दहकाया गया, यहां तक ​​कि वो सुर्ख हो गई, फिर एक हज़ार साल तक दहकाया गया, यहां तक ​​कि सफेद हो गई, फिर एक हज़ार साल तक दहकाया गया यहां तक कि सियाह हो गई, पस अब वो काली सियाह तारीक है _,"*

 *🗂_ तिर्मिज़ी - 2/83 ,*

*✪_ तशरीह_, _दोज़ख का सियाह और तारीक होना ज़्यादा वहशत व अज़ाब का मोजिब है, इस हदीस से मालूम हुआ कि जन्नत और दोज़ख पैदा हो चुकी है, क़यामत के दिन नहीं की जाएगी, अहले हक़ का यही अक़ीदा है,*
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 *⊙:➻जहन्नम की आग के दो सांस लेने का बयान_,*

*" _हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि आप हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*
*"_ दोज़ख ने अपने रब से शिकायत की कि मेरे एक हिस्से ने दूसरे हिस्से को खा लिया है, पस अल्लाह तआला ने उसे दो सांस लेने की इजाज़त दी, एक सांस सर्दी के मौसम मे और एक सांस गर्मी के मौसम मे, पस सर्दी में उसका सांस लेना ज़महरीर है और गर्मी के मौसम में उसका सांस लेना लू है _,"*

*🗂 तिर्मिज़ी _ 2/83 ,*

*✪_तशरीह_, मेरे एक हिस्से ने दूसरे हिस्से को खा लिया है, इससे दोज़ख की गर्मी और तपिश की शिद्दत मुराद है, हदीस से मालूम होता है की सर्दी और गर्मी का निज़ाम दोज़ख के सांस लेने से वाबस्ता है, जबकि इसका ज़ाहीरी सबब सूरज का क़रीब और दूर होना है, दरअसल कायनात मे जो सिलसिला ए असबाब कार फ़रमा हैं उसकी बाज़ कड़ियां तो आम लोगों के लिए भी ज़ाहिर हैं और बाज़ ऐसी मख़फ़ी हैं कि जो इंसानी अक़ल से भी दूर है, इसलिये ये कहना सही होगा की गर्मी और सर्दी का सिलसिला ए असबाब सिर्फ सूरज तक महदूद नहीं है बल्की ये सिलसिला आगे बढ़ कर दोज़ख के सांस लेने तक पहुंचता है,*
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 *⊙:➻ अहले ईमान को दोज़ख से निकालने का हुक्म _,*

*" _ हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*

*"_ (हक़ ता'ला शानहू की जानिब से इरशाद होगा :-) उस शख़्स को दोज़ख से निकल लो जिसने "ला इलाहा इल्लल्लाह" का इकरार किया और उसके दिल मे जौ के बराबर (भी) खैर थी, (यानी ईमान था, चुनांचे ऐसे तमाम लोगों को निकाल लिया जाएगा, फिर हुक्म होगा कि :-) हर उस शख्स को निकाल लो जो "ला इलाहा इल्लल्लाह" का क़ाइल था और उसके दिल मे गंदुम के दाने के बराबर (भी) खैर थी, (फिर हुक्म होगा कि उस शख्स को दोज़ख से निकाल लो जो "ला इलाहा इल्लल्लाह” का क़ाइल था और उसके दिल मे ज्वार के दाने के बराबर खैर थी _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _2/ 83 ,*

*✪_ तशरीह_, हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु की ये तवील हदीस शफ़ा'अत का एक हिस्सा है, जब दोज़खी दोज़ख मे और जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और कुछ अहले तोहीद गुनाहगार भी दोज़ख मे होंगे, अब अल्लाह ता'ला अपनी रहमत से उन गुनहगारों को दोज़ख से निकालने का इरादा फरमायेंगे, तो उनके हक़ में शफा'अत की इजाज़त देंगे,*

*"_ आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, अंबिया अलैहिस्सलाम, मलायका अज़ाम, सिद्दीक़ीन, शोहदा, और अहले ईमान अपने अपने मर्तबे के मुताबिक़ शफ़ा'त फरमायेंगे और हक ता'अला शान्हू की जानिब से हदे मुकर्रर कर दी जाएंगी, मसलन जिस शख्स के दिल में दीनार के वज़न का ईमान हो उसको निकला लो! जिसके दिल मे निस्फ दीनार के बराबर ईमान हो उसको निकाल लो,*

*"_ इसी तरह तरतीबवार अहकामात सादिर होंगे, यहां तक ​​कि आखिरी मे फरमाया जाएगा कि: जिस शख्स के दिल मे राई के दाने से अदना मर्तबे का भी ईमान हो उसे निकाल लो! ये हुक्म फरिश्तों को होगा, आख़िर मे फरिश्ते अर्ज़ करेंगे कि _ए परवरदिगार ! हमने दोज़ख मे किसी साहिबे खैर यानी साहिबे ईमान को नहीं छोड़ा, तब हक़ ता'ला शान्हू फरमाएंगे: फरिश्तो ने भी शफा'त कर ली, नबियों ने भी शफा'त कर ली, अहले ईमान भी शफा'त कर चुके ,अब सिर्फ अरहमर राहिमीन बाक़ी है,*

*"_ ये फरमा कर अल्लाह तआला दोज़ख से एक मुट्ठी भरेंगे (और बाज़ अहादीस मे तीन मुट्ठी का ज़िक्र आता है) पस उस मुट्ठी के ज़रिए ऐसे लोगों को दोज़ख से निकालेंगे जिन्होंने कभी ख़ैर का कोई काम नहीं किया, गालिबन दरजाते ईमान के लिए कुछ अलामत होंगी, जिनके ज़रीए फरिश्ते अहले ईमान के दरजात को पहचानेंगे और जिन लोगो में फरिश्तों को ईमान की कोई अलामत नज़र नहीं आएगी उनको हक़ ता'ला शान्हू बा ज़ाते खुद निकालेंगे, (वल्लाहू आ'लम')*
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 *⊙:➻ सबसे आखिर मे दोज़ख से निकलने वाले का किस्सा _,*

*✪_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि:-*
*"_ मैं उस शख्स को पहचानता हूं जो सबसे आखिर में दोज़ख से निकलेगा, ये ऐसा शख्स होगा जो रेंगते हुए दोज़ख से निकलेगा, पस वो कहेगा कि- ए परवरदिगार ! सब लोग अपनी अपनी मंजिलें हासिल कर चुके हैं, उससे कहा जाएगा कि - जन्नत की तरफ जाओ और जन्नत में दाखिल हो जाओ !*

*"_ वो जन्नत मे दाखिल होने के लिए जाएगा तो लोगों को पाएगा कि वो अपनी मंज़िले हासिल कर चुके हैं, वापस आ कर कहेगा कि - ए परवरदिगार ! लोग तो सारी जगह ले चुके हैं (और अब वहां गुंजाइश ही नहीं) उससे कहा जाएगा कि - तुझे वो ज़माना याद है जिसमे तू रहा करता था ? अर्ज़ करेगा - जी हा ! कहा जाएगा - तमन्ना कर (और मांग क्या मांगता है ? ) वो (अपने हौसले के मुताबिक) तमन्ना करेगा,*

*"_ पस उससे कहा जाएगा:- तूने जितनी तमन्नाएं की है वो तुझे दी जाती है और उसके साथ दुनिया से दस (10) गुना बड़ी जन्नत दी जाती है, वो सुन कर कहेगा कि :- आप मालिकुल मुल्क हो कर मुझसे मजा़क करते है ?*

*"_ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (उसका फ़िक़रा बयान फ़रमा कर) हंसे, यहाँ तक कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कुचलियां ज़ाहिर हो गई _,"*

 *🗂 तिर्मिज़ी _ 2/83 ,*

*✪_ तशरीह_, उस शख्स का किस्सा मुख्तसर यहां नक़ल हुआ है, सही बुखारी व मुस्लिम की हदीस में बहुत मुफस्सल है, उस शख्स का ये कहना कि - मालिकुल मुल्क हो कर मुझसे मजा़क करते है ? रहमते इलाही पर नाज़ और फ़र्ते मसर्रत की वजह से होगा, वो बेचारा ये समझेगा कि जन्नत तो सारी भर चुकी है वहां इतनी गुंजाइश कहा कि इतना बड़ा हिस्सा उसे दे दिया जाए, फ़िर शायद ये वजह भी हो कि वो इतनी बड़ी जन्नत को अपनी हैसियत से बहुत ज़्यादा समझे, बहरहाल ये अदना जन्नती के साथ हक़ ता'आला शान्हू की रहमत व इनायत होगी, हजरत अंबिया किराम अलैहिस्सलाम और दीगर अकाबिर पर हक़ ता'आला शान्हू की इनायतों और रहमतों का कौन तसव्वुर कर सकता है?*
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 *⊙:➻रहमते खुदावंदी सय्यात को हसनात में बदल देगी _,*

 *"_ हज़रत अबूज़र रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि - रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि - मैं उस शख़्स को पहचानता हूँ जो सबसे आख़िर मे दोज़ख से निकलेगा और सबसे आखिर मे जन्नत मे दाखिल होगा, एक आदमी को लाया जाएगा, हक़ ता'अला शान्हू फरिश्तों से फरमाएंगे कि-*
*"_ इसके सगीरा गुनाह के बारे मे सवाल करो और उसके कबीरा गुनाह छुपाए रखो, चुनांचे उससे कहा जाएगा कि तुमने फलां फलां दिन फलां फलां गुनाह किये थे और फलां फलां दिन फलां फलां गुनाह किये थे? (ये तमाम गुनाह जताने के बाद) उससे कहा जाएगा कि तुझे हर बुराई की जगह नेकी दी जाती है,*
*"_ वो (रहमत इलाही की फरावानी को देख कर) बोल उठेगा कि - या अल्लाह! मैंने और बहुत से गुनाह किए थे जो यहां नज़र नहीं आ रहे हैं !*

*"_ हज़रत अबुज़र रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं - मैंने देखा कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (इसको बयान फरमा कर) हंस रहे हैं यहां तक कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कुचलियां ज़ाहिर हो गई_,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी _2/83 _,*

*"_ हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि - अहले तोहीद मैं से कुछ लोगों को दोज़ख मे अजा़ब दिया जाएगा, यहां तक कि वो जल कर कोयला होगा जाएगा, फिर रहमत उनकी दस्तगीरी फरमाएगी, पस उनको निकाला जाएगा और जन्नत के दरवाजों पर डाला जाएगा, अहले जन्नत उन पर पानी डालेंगे, पस वो ऐसे उगेंगे जेसे सैलाब के कूड़े मे दाने उगते हैं, फिर वो जन्नत मे दाखिल किए जाएंगे _,"*

 *🗂️ _तिर्मिज़ी _2/ 83 ,*

*✪_तशरीह _, जन्नत के दरवाज़े पर आबे हयात की नहर होगी, जिसमें जहन्नम से कोयला बन कर निकलने वालों को गुस्ल दिया जाएगा, इससे दोज़ख की आग के असरात धुल जाएंगे और उन पर झट पट तरोताज़गी के आसार नमूदार हो जाएंगे ,ये हज़रात पाक साफ हो कर जन्नत में दाखिल होंगे _,"*
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 *⊙:➻ अहले ईमान की दोज़ख से रिहाई- _,*

*" _ हज़रत अबू सईद खुदरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि - जिस शख्स के दिल मे ज़र्रा बराबर भी ईमान हो उसे दोज़ख से निकाल लिया जाएगा,*

*"_ हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि - जिस शख्स को इस बात मे शक हो वो अल्लाह ताअला का ये इरशाद पढ़ ले कि, "_ बेशक अल्लाह तआला किसी का एक ज़र्रा हक़ भी नहीं मारता_,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी _2/ 83 ,*

*✪_तशरीह _, मतलाब ये है कि अगर किसी मे ज़र्रा बराबर भी ईमान हो तो हक़ ताला उसे भी जा़या नहीं फरमायेगा उसकी बरकत से उस शख्स को दोज़ख से निजात अता फरमायेगा _,"*

*" _ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद नक़ल करते हैं कि: दो आदमी जो दोज़ख मे दाखिल होंगे उनकी चीख व पुकार सख़्त हो जाएगी, रब्बे तबारक वा ता'अला फ़रिश्तो को हुक्म फरमायेंगे कि इन दोनो को निकाल लो ! जब उनको निकाला जाएगा तो हक ता'अला शान्हू उनसे फरमायेंगे कि - तुम किस वजह से इस क़दर चीख रहे थे ? वो अर्ज़ करेंगे कि हमने ऐसा इसलिए किया ताकी आप हम पर रहम फरमायें,*

*"_ हक ता'अला शान्हू फरमायेंगे कि - मेरी रहमत तुम्हारे लिए यही है कि तुम वापस जा कर अपने आपको दोज़ख मे वहीं डाल दो जहां तुम पहले थे ! चुनांचे दोनो चले जाएंगे, उनमे से एक तो अपने को दोज़ख मे डाल देगा, अल्लाह ता'अला दोज़ख को उसके हक़ में ठडी और सलामती वाली बना देंगे, और दूसरा शख्स खड़ा रहेगा, अपने आपको दोज़ख मे नही डालेगा। हक़ ता'अला शान्हू उससे फरमायेंगे कि - तू अपने आपको दोज़ख मे क्यों नहीं डालता कि जिस तरह तेरे रफीक़ ने किया ? वो अर्ज़ करेगा कि - इलाही! मैं (तेरी रहमत से) ये उम्मीद रखता हूं कि जब आपने एक बार मुझे दोज़ख से निकाल लिया तो दोबारा उसमे नहीं डालेंगे,*

*"_ हक तआला शान्हू फरमायेंगे - जा ! तुझसे तेरी उम्मीद के मुवाफिक़ मामला किया जाता है, चुनांचे अल्लाह तआला की रहमत से दोनो को बेक वक्त जन्नत मे दाखिल कर दिया जाएगा _"*

 *🗂️_  तिर्मिज़ी _ 2/84 ,*
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 *⊙:➻ जहन्नम मे औरतों की अक्सरियत होगी _,*

*" _ हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया - मैंने जन्नत मैं झाँक कर देखा तो वहाँ के लोगो में अक्सरियत फुक़रा की नज़र आई और मैंने दोज़ख में झांक कर देखा तो वहां अक्सरियत औरतों की नज़र आई _,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी _2/84 ,*

*"_ जन्नत मे फुक़रा की अक्सरियत होना तो ज़ाहिर है कि फुक़रा मे जन्नत वाले आमाल की ज़्यादा रगबत और मालदार अक्सर जन्नत वाले आमाल मे कोताही और गफलत का शिकार होते हैं और जहन्नम में औरतों की अक्सरियत की वजह आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मनकू़ल है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने औरतों से फरमाया कि तुम सदका़ किया करो, क्यूंकि मुझे दोज़ख मे तुम्हारी अक्सरियत दिखाई गई, उन्होंने इसका सबब दरयाफ़्त किया तो फरमाया:- तुम लानत ज़्यादा करती हो और अपने शौहर की नाशुक्री करती हो _,"*
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 *⊙:➻ दोज़ख मे जिस शख्स को सबसे कम अजा़ब होगा वो कौन है ?*

*" _ हज़रत नौमान बिन बशीर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि - बेशक दोज़खियों में सबसे हल्का अज़ाब उस शख़्स को होगा जिसके पांव के तलवों के उस हिस्से में जो ज़मीन से नहीं लगता, आग के शोले होंगे, जिनकी वजह से उसका दिमाग इस तरह उबलता होगा जिस तरह हांड़िया उबलती है _,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी _2/84 _,*

*" _ जेसे कि सही बुखारी और हदीस की दूसरी किताबों में आया है, ये अबू तालिब होंगे, जिनको तमाम अहले दोज़ख मे सबसे हल्का अजा़ब होगा कि उनको आग के जूते पहनाए जाएंगे, जिसकी गर्मी से दिमाग हांडिय़ा की तरह उबलता होगा, इस हदीस से दोज़ख के अज़ाब की शिद्दत का कुछ अंदाज़ा हो सकता है, अल्लाह तआला अपनी पनाह में रखे, (आमीन)*

*" _ए अल्लाह हम तेरी पनाह चाहते हैं दोज़ख के अजा़ब से और हम तेरी पनाह चाहते हैं क़ब्र के अज़ाब से और हम तेरी पनाह चाहते हैं मसीह दज्जाल के फितने से और हम तेरी पनाह चाहते हैं ज़िन्दगी और मौत के फ़ितनों से, ऐ अल्लाह ! हम तेरी पनाह चाहते हैं गुनाह से और तावान से _,"*
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 *⊙:➻ जन्नती कौन है और दोज़खी कौन है ?*

*" _ हज़रत हारिसा बिन वहब खुज़ई रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते हुए सुना है कि -"_ क्या तुम्हें ना बताऊं कि अहले जन्नत कौन है ? हर कमज़ोर जिसको कमज़ोर समझा जाता है, अगर वो क़सम खाले अल्लाह पर तो अल्लाह तआला उसकी क़सम को सच्चा कर देता है,"*
*“_ क्या तुम्हें न बताऊं कि दोज़खी कौन है ? हर बद-मिजा़ज सख्त तबियत, जमा कर के रोकने वाला, मुतकब्बिर _,"*

 *🗂️_ तिर्मिज़ी_ 2/84 _,*

*" _ यानी जन्नतियों के औसाफ ये है और दोज़खियों के ये हैं और ये औसाफ आन हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बतौर अक्सरियत के बयान फरमाये हैं,*

*" अहले जन्नत के औसाफ _हर कमज़ोर जिसको लोग कमज़ोर समझते हों और उसे हिकारत की नज़र से देखते हों या वो खुद अपने आपको किसी क़तार व शुमार मे शुमार न करता हो और ईमान की वजह से उसकी तबियत मे लचक और नर्मी पाई जाती हो, हालांकि अल्लाह ताला के नज़दीक उसका ऐसा मर्तबा है कि अगर वो क़सम खा कर ये कह दे कि अल्लाह तआला ऐसा करेंगे तो अल्लाह तआला उसकी क़सम को पूरा कर देता है, अल्लाह तआला हमें उन लोगो मे शामिल फरमाये (आमीन)*

 *"_ दोज़खियों के औसाफ:- दोजाखियों के बारे में फरमाया कि अकड़ मिज़ाज, सख्त तबियत, माल को जमा करने वाला और किसी को ना देने वाला, मुतकब्बिर, खुलासा ये है कि उसकी तबियत मे आजिज़ी और नरमी नहीं होती, अल्लाह ताला दोज़ख से और दोज़खियों के अहवाल से हमें महफूज़ रखे (आमीन)*

 ☞ *अल्लाहुम्मा आजिरनी मिनन्नार, ऐ अल्लाह हमें जहन्नम की आग से बचा -(आमीन)*,

*🗂️_ जब आंख खुलेगी _"*
*( हजरत युसुफ लुधियानवी शहीद रह.)*
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