TOHFA E DULHAN (HINDI )

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I *ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ* l  
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    *✿ ❈ तोहफा- ए -दुलहन ❈ ✿*
                *क़िस्त नं:- 01*          
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     *✿●•·वालिद की पहली वसीयत,*
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*✿• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंड़क।!*

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*✿• शोहर के घर जाकर क़ना'त वाली ज़िंदगी गुज़ारने का अहतमाम करना।*

*✿• जो दाल रोटी मिले उस पर राज़ी रहना,*

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*✿• जो रूखी सूखी शोहर की खुशी के साथ मिल जाए वो उस मुर्ग पुलाव से बेहतर है जो तुम्हारे इसरार करने पर नाराज़गी से दिया हो,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 2 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 02*          
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    *✿●•·-वालिद की दूसरी वसीयत,*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक !!*

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*✿●• इस बात का ख्याल रखना कि अपने शोहर की बात को हमेशा तवज्जो से सुनना, और उसको अहमियत देना,*
*✿●• हर हाल में उनकी बात पर अमल करने की कोशिश करना,*

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*• इस तरह तुम उनके दिल में जगह बना लोगी, क्योंकि असल आदमी नहीं आदमी का काम प्यारा होता हे,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 3, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 03*          
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*✿●•·3- वालिद की तीसरी वासीयत,*
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*★• मेरी प्यारी बेटी !! मेरी आंखों की थंडक।!*

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*❁• अपनी जीनत व जमाल का ऐसा ख्याल रखना कि जब वो (शोहर) निगाह भर कर देखे तो अपने इंतिखाब पर खुश हो,*

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*❁• और सादगी के साथ जितनी मुकद्दर हो जाए खुशबू का अहतमाम ज़रूर करना,*

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*❁• और याद रखना तेरे जिस्म व लिबास की कोई बू या कोई बुरी हैयत उसे नफ़रत व कराहत ना दिला दे,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 4 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 04*          
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     *✿●•·_वालिद की चौथी वसियत :-*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक।!*

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*❁ • अपने शोहर की निगाह में भली मालूम होने के लिए अपनी आंखों को सुरमे और काजल से हुस्न देना,*

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*❁• क्युंकी पुर कशिश आंखे पूरे वजूद को देखने वाले की निगाहों में जचा देती है,*

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*❁• गुस्ल और वज़ू का अहतमाम करना कि यह सबसे अच्छी खुशबू है और नजा़फत का बहतरीन ज़रिया है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 5 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 05*          
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     *✿●•· वालिद की पांचवी वसियत _,*
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 *★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक ।!*

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*❁ • उनका (शोहर का) खाना वक़्त से पहले अहतमाम से तैयार करके रखना। क्योंकि देर तक बर्दाश्त की जाने वाली भूख भड़कते हुए शोले की मानिंद हो जाती है,*

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*❁ •_ और उनके आराम करने और नींद पूरी करने के अवक़ात में सुकून का माहौल बनाना,*

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*❁• क्यूंकी नींद अधूरी रह जाए तो तबियत में गुस्सा और चिड़ चिड़ापन पैदा हो जाता हे,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 6 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 06*          
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     *✿●•·वालिद की छठी वसियत:-*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक।!*

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 *• उनके (शोहर के) घर और उनके माल की निगरानी यानि उनके बगैर इज्ज़त कोई घर में ना आए,*

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 *• और उनका माल लगवियात (फिजूल) नुमाइश और फैशन में बर्बाद ना करना,*

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*❁• क्योंकी माल की बेहतर निगाहदाश्त हुस्ने इंतज़ाम से होती है, और अहलो अयाल की बेहतर हिफाज़त हुस्ने तदबीर है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 7 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 07*          
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   *✿●•·•वालिद की सातवी वसीयत:-*
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*❁ • मेरी प्यारी बेटी !! मेरी आँखो की थंडक!*

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*❁ • उनकी राज़दार रहना और उनकी ना-फ़रमानी ना करना, क्युंकी उन जेसे बा रोब शख्स की ना-फ़रमानी जलती पर तेल का काम करेगी,*

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*❁• और तुम अगर उसका राज औरों से छिपा कर न रख सकी तो उनका ऐतमाद तुम पर से हट जाएगा,*

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*❁ •• और फिर तुम भी उसके दो-रुखे- पन से महफूज़ नहीं रह सकोगी,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 8 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 08*          
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  *✿●•·8- वालिद की आठवी वसीयत,*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक।!*
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*❁ • जब वो (शोहर) किसी बात पर गमगीन हो तो अपनी किसी खुशी का इज़हार उनके सामने न करना, यानि उनके गम में बराबर की शरीक़ रहना,*

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*❁ • शोहर की खुशी के वक्त अपने छुपे हुए गम के असरात चेहरे पर ना लाना और ना ही शोहर से उनके किसी रवैये (व्यवहार) की शिकायत करना,*

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*❁• उनकी खुशी में खुश रहना (उनकी खुशी को क़ायम रखना) वरना तुम उनके क़ल्ब (दिल) को गमगीन करने वाली शुमार होगी,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–9 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 09*          
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     *✿●•· वालिद की नोवी वसियत:-*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंड़क।!*

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 *❁• _ अगर तुम उनकी (शोहर की) निगाहों में का़बिलतर बनना चाहती हो तो उनकी इज़्ज़त और अहतराम का खूब ख्याल रखना,*

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*❁•_ और उनकी मरज़ियात के मुताबिक चलना,*

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*❁• तो तुम उनको भी हमेशा हमेशा अपनी ज़िंदगी के हर मरहले में अपना बेहतरीन रफीक़ (दोस्त) पाओगी,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–10 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 10*          
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    *✿●•· वालिद की दसवीं वसीयत _,"*
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*★• मेरी प्यारी बेटी। !! मेरी आंखों की थंडक।!*

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*✿● • मेरी इन नसीहतों को पल्लू से बांध लो और इस पर गिरह लगा लो कि जब तक तुम उनकी (शोहर) की खुशी और मर्ज़ी की खतीर कई बार अपना दिल नहीं मारोगी,*

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*✿● • और उनकी बात ऊपर रखने के लिए, चाहे तुम्हें पसंद हो या ना पसंद हो, ज़िंदगी के कई मरहलो में अपने दिल में उठने वाली ख्वाहिशों को दफन नहीं करोगी उस वक़्त तक तुम्हारी जिंदगी में भी खुशियों के फूल नहीं खिलेंगे,*

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*✿●• ऐ मेरी प्यारी लाडली बेटी ! इन (तमाम) नसीहतों के साथ मै तुम्हे अल्लाह के हवाले करता हूं,*

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*✿● अल्लाह ताला ज़िंदगी के तमाम मरहलो में तुम्हारे लिए खैर मुकद्दर फरमाये और हर बुराई से तुमको बचाए, आमीन !*

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*╟❥ अगली क़िस्त–11 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 23,*
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                *क़िस्त नं:- 11*          
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*✿●•·बीवी की पैदाइश का मकसद -1*
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*"─❥_ हज़रत सैय्यदना आदम अलैहिस्सलाम जन्नत में तशरीफ़ लाते हैं, बाग ए जन्नत का चप्पा चप्पा अनवारे इलाही से मामूर, अल्ताफ़े किब्रियाई का क़दम क़दम पर ज़हूर, हर तरफ़ नियामतो की बारिश, हर तरफ अनवार की ताबिश, इसके बावजूद भी अपने दिल का एक कोना खाली पाते हैं, किस चीज की कमी महसूस करते हैं?*

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*"─❥_ बिल आखिर नवाजिशों और बख्शिशों की तकमील जब ही जाकर पूरी हुई, आदम अलैहिस्सलाम के हक़ में जन्नत जब ही हकी़की़ मा'ने में जन्नत साबित हुई जब मर्द के लिए औरत की तखलीक़ हुई और शोहर के लिए बीवी की हस्ती सामने आई _,"*

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*╟❥ अगली क़िस्त–12, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 28,*
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                *क़िस्त नं:- 12*          
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*✿●•·बीवी के पैदाइश का मक़सद -2,*
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*─❥ एक खूबसूरत महकने वाले फूल को देख कर तबियत में तरावट और ताज़गी पैदा होती है, कलियों के तबस्सुम और चमेली की महक, हंसमुख मोतिया और रात की रानी के गुंचो की अतर् आमेज़ खुशबु से तबीयत झूम उठती है,*

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*─❥● गुलाब को खुशबू और खुश नुमाई, लाला की रंगीनी, शबनम की खंकी, शफक़ की सुर्खी, कोयल की कूक, परिन्दो के नगमें, मैना का चहचहाना, तितली का अलबेलापन, गर्ज़ ये कि सारे क़ुदरत के मंज़र दिलो को लुभाते और मुर्दा दिलो में ज़िंदगी की उमंगे पैदा कर देते हैं,*

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*─❥"_ मगर फितरत की ये सारी रंगीनियां और चमनजा़रो का ये सारा हुस्न व निखार एक वजूद के बगैर नाकिस व ना मुकममल हे, वो वजूद या वो कुदरत का शाहकार कौन है?*
*"_वो औरत को हस्‍ती हे, जिस्मे फितरत की सारी रानाइयां पूरी तरह समो दी गई है,*

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*─❥● औरत के वजूद के बैगर फितरत की ये सारी गुलकारियां और उसके सारे नगमें सूने सूने हैं, औरत के बैगर ज़िंदगी वीरान और बे मज़ा है, दुनिया की सारी रंगीनी और दिलचस्पी औरत ही के दम से है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 13 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 28,*
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                *क़िस्त नं:-13*          
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*✿●•·•·बीवी के पैदाइश का मकसद -3,*
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*─❥"_ औरत ज़िंदगी में क़िस्म क़िस्म के रंग भरने वाली और ज़िंदगी को रंगीन व मसर्रत बख्श बनाने वाली है, औरत कायनात का असली हुस्न व मर्द के लिए माया तस्कीन और राहत और आराम का सरमाया है, बज़्म ए कायनात कि शमा औरत ही के दम से रोशन है,*

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*─❥"_ अगर औरत ना हो तो पूरा चमन उजड़ जाए, औरत बागे इंसानियत की ज़ीनत है, इसके बैगर मर्द की ज़िंदगी बिल्कुल सूनी सूनी और बेमज़ा सी है,*
*"_ औरत ही के दम से ज़िंदगी की गाड़ी रवां रवां है, औरत ही के दम से ज़िंदगी की बहार है, औरत ही के वजूद से ज़िंदगी के खूबसूरत नगमे फूटते हैं, और मर्द लोगो में ज़िंदगी के नए वलवले बेदार होते हैं,*

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*─❥"_औरत ही की बदौलत मर्द हर आन और हर लम्हा मसरूफ रहता है, जिसकी वजह से तहजीब व तमद्दुन के नए नए मैदान खुलते हैं और नई नई मंजिलें सामने आती हैं, औरत ही मर्द की ज़िन्दगी निखारने वाली और उसकी ज़िन्दगी में गहमा गहमी पैदा करने वाली है,*

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*─❥"_ अल्लाह तआला ने औरत को हुस्न व जमाल और सोज़ व गुदाज़ से नवाज़ है जो मर्द के लिए तस्कीन ए दिल का सामान और उसकी तन्हाइयों को दूर करके रूहानी सुकून का ज़रिया है, यही उसका दिल लुभा कर उसे सुकून व ताज़गी बख्शती है ताकि वो मुसलसल कोशिश में बराबर लगा रहे वर्ना ज़िन्दगी की गाड़ी चलते रहने के बजाय बिलकुल बंद हो कर रह जाएगी,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 14 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 29,*
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                *क़िस्त नं:- 14*          
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   *✿●•· बीवी के पैदाइश का मक़सद -4,*
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*─❥"ऐ अच्छी औरत ! तू चमकता दमकता सितारा है, चौंधवी का चाँद है, तू बहती हुई नदी है, तू रंग बिरंग फूलो का महकता हुआ बाग है, तू कायनात का हुस्न है, तू कु़दरते इलाही की कारीगरी का बेमिसाल नमूना है, तू हसीन रंग है, तू मुहब्बत है, तू क़ुर्बानी को निशानी है, तू शायर का शेर व नज़्म है_,*

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*─❥"_ऐ नेक बानो! जहां जहां तेरे क़दम पड़ते हैं वहां वहां तू रोशनी फैलाती है, तू खुद सुख से रहती है और दूसरो को भी सुख व चैन अता करती है, तू हर चीज़ को दिलकश, हर काम को दिलचस्प और हर मुकाम को गुले गुलज़ार बना देती है, तू गरीब से गरीबतर घराने को भी जन्नत नुमा बना देती है, तूने ही इस दुनिया को जन्नत नुमा बना दिया है,*

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*─❥"_ऐ औरत जा़त ! तू मर्दो की रहबरी करने वाली है, मर्द का सुख तेरे क़दमो में है, तू ही उसे गुनाहों की तरफ माईल करके तबाही में डुबोती है और तू ही उसकी कश्ती किनारे लगा सकती है, तेरे बगेर मर्द की जिंदगी का फूल बेखुश्बू है ,जब दुख और तकलीफ से उसका दिल डूबा जाता है तो तू ही रहमत का फरिश्ता बन कर उसकी मदद को आन पहुंचती है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–15 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन- 30,*
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                *क़िस्त नं:- 15*          
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*✿●•·•·बीवी के पैदाइश का मक़सद -5,*
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*─❥"_ ऐ शोहर को सख्तियों पर सब्र करने वाली औरत ! तू दोज़ख जैसे घर को जन्नत में बदल सकती है, तू चाहे तो फ़कीर को एक दौलतमंद और अमीर को एक मुफलिस बना दे, मगरूर लोगों की गर्दनों को झुका देने की तुझमे ताक़त है, तू मर्द का निस्फ जुज़्व है, उसके सुख दुख की शरीक़ है, तू उसकी इज़्ज़त व वका़र है,*

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*─❥"_ऐ औरत ! तमाम मज़हबी इंसान, औलिया, हुकमा, सलातीन, यहां तक कि अल्लाह ताअला के पैगंबर अलैहिस्सलाम तुझे मां कहते हैं और तेरी ही गोद में पलते हैं, तूने ही उनको लाड़ दिया प्यार दिया, इसलिए तो अल्लाह तआला के बुज़ुर्ग और बरतर नबी अलैहिस्सलाम ने तुझे ये तमगा इनायत किया है कि "माँ के क़दमो तले जन्नत है,"*

╟──────❥

*─❥"_ दुनिया की इंतेहा अपना घर और घर की इंतेहा औरत,.. जिस घर में नेक बीवी हो तो उस घर में चार चांद लग जाते हैं, नेक बीवी वाला घर खुशी और मुस्कुराहटों से हमेशा लब्रेज रहता है, जिस तरह इंसानों के बगेर दुनिया बेकार है, इसी तरह नेक औरत के बगेर घर बेकार और मुसीबत खाना है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–16 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 31,*
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                *क़िस्त नं:- 16*          
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   *✿●•· बीवी के पैदाइश का मक़सद -6,*
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*─❥"_ ऐ नेक बेटी ! तू घर की रानी होकर जा, तू अपने हुकुमती तख्त पर महारानी होकर जलवा अफ़रोज़ हो और मर्द को हुक्म दे, वो दीन को रिआयत रखते हुए तेरी हर बात मानेगा_,"*

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*─❥"_लेकिन अभी रुक जा ! इस इक़्तदार की बागडोर अपने हाथ में लेने से पहले तुझे कुछ कुर्बानियां देनी होंगी, ताज़ बहुत हसीन गुलाब की तरह है, लेकिन गुलाब को हासिल करने के लिए तुझे कांटो का मज़ा भी चखना होगा, पहले अपने अंदर इसकी सलाहियत और इस्तेदाद पैदा करनी पड़ेगी _,"*

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*─❥"_ ऐ नेक बीवी ! तू इंसानियत के लिए उम्मीद की एक किरन है, तू अपने आपको दीनदार, बा पर्दा, पांच वक्त की नमाज़ का अहतमाम करने वाली बना, अपने मोहल्ले की औरतों को दीन पर अमल करने और उसको पूरी दुनिया मे फैलाने वाली बना_,"* 

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*─❥"_अल्लाह तुझे नेक बनाये और शोहर के लिए दुनिया व आखिरत में आंखों की ठंड़क बनायें, आमीन _,"*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 17 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 31,*
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                *क़िस्त नं:- 17*          
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      *✿●•· कुरान करीम की गवाही:-*
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*─❥"_ कुरान करीम ने एक मुख्तसर जुमले में शोहर के लिए बीवी की पैदाइश का मक़सद बयान फरमा दिया, अगर शादी के बाद औरत इस मक़सद पर पूरी उतरती है तो शोहर दुनिया का सबसे ज़्यादा खुश क़िस्मत इंसान हे,*

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 *─❥"_(सूरह अर-रूम, आयत 21: तर्जुमा):- "_और अल्लाह की निशानियों में से ये बात कि उसने तुम्हारे लिए तुम्हीं में से बीवियां बनाई ताकी तुम उनसे सुकून हासिल कर सको और उसने तुम्हारे दरमियान आपस में मुहब्बत और मेहरबानी भी रख दी ( ताकी तुम अपनी ज़िंदगी खुशगवार बना सको)*

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*─❥"_ मालूम हुआ कि बीवी राहत व सुखों का वो गहवारा है जहां उसके शोहर को मुहब्बत की पाकीज़ा छांव में उसकी ख्वाहिशात की तस्कीन मिलती है, दिल हरामकारी से बचता है, एक एक उज्व को ज़िल्लत और गंदगी से निजात मिलती है और इस तरह पूरा बदन तबाही और हलाकत से बच जाता है,*

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*─❥"_ नेक बीवी अल्लाह तआला की बहुत ही बड़ी नियामत है, मर्द के लिए बीवी कुदरत का सबसे ज्यादा क़ीमती अतिया है, जो उन्स व मुहब्बत और गमख्वारी के लिए भेजा गया है, दिन भर खून पसीना एक करके एक थका हुआ शख्स जब शाम को घर लोटता है तो एक वफा शआर, समझदार, खुश मिजाज़ और शीरी ज़ुबान बीवी अपनी मुस्कुराहटों से उसका इस्तक़बाल करके उसकी सारी थकावट दूर कर देती है, वो तबियत में फरहत व निशात महसूस करता है, नेक बीवी एक रूहानी सुकून और ताज़गी बख्शती है, नेक बीवी के मुंह से निकले हुए फूले कोसर व तस्नीम से धुले हुए दो बोल उसके लिए ग्लूकोज, विटामिन डी से ज़्यादा क़ुव्वत व ताक़त बख़्श साबित होते हैं,*

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*─❥"_अल्लाह तआला हर दुल्हन को अपने शोहर के लिए सच्ची राहत, हक़ीक़ी मुहब्बत और दिली सुकून का ज़रिया बनाए, आमीन!*

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*╟❥ अगली क़िस्त–18 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 31*
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                *क़िस्त नं:- 18*          
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  *✿●•· रहमान के बंदो की दुआ:-*
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*─❥"_अल्लाह तआला ने अपने नेक बंदो की सिफ़ात में एक सिफ्त ये बयान फरमाई है कि वो हमेशा अपने लिए अल्लाह तआला से नेक सीरत बीवियां और नेक औलाद तलब करते हैं, (सूरह अल-फुरका़न, आयत 74):-*
*"_ وَالَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا _,"*

*( तर्जुमा) _और (रहमान के बंदे वो है) जो कहते हैं, ए हमारे रब ! हमें हमारी बीवियों और औलाद की तरफ से आंखों को ठण्ड़क अता फरमा और हमें परहेज़गार लोगों का इमाम बना _,"*

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*─❥"_ गोया मुसलमान को अल्लाह को तरफ से एक तलक़ीन है वो हमेशा अपनी शरीके़ हयात के इंतखाब में इस पहलू को ज़रूर सामने रखना चाहिए, ज़ाहिर है नेक सीरत ही की बिना पर मियां बीवी खुश व खुर्रम रह सकते हैं, जब तक नेक नहीं होंगे उस वक़्त तक एक कैसे हो सकते हैं?*

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*─❥"_ यही है सच्ची और हकी़की़ खुशी जो आंखों की ठड़क बन सकती है, अगर औरतें अपने अंदर वो सिफात पैदा कर ले जो इस्लाम ने उनको तलीम दी है तो शोहर का दिल जीत सकती है, और अपनी मुहब्बत का सिक्का उसके दिल पर जमा सकती है,*

╟──────❥

*─❥"_ और शोहर भी ऐसी सिफात वाली बीवी के लिए जिससे उसको सुकून ए दिल मयस्सर हो, बाहमी उल्फत हासिल हो, हर क़िस्म की क़ुर्बानी देने के लिए और उसकी हर जायज़ फ़रमाइश को पूरा करने के लिए तैयार हो जाता है,*

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*─❥"_नोट - हर मुसलमान औरत को चाहिए कि वो उम्र की किसी भी मंजिल में भी हो, ये दुआ हर फर्ज़ नमाज़ के बाद अल्लाह तआला से ख़ूब आज़ीज़ी के साथ गिड़गिड़ा कर मांगे, ख़ुसुसन वाल्देन को चाहिये कि बालिग हो जाने के बाद इस दुआ के मांगने का अहतमाम करवाए,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–19, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 33,*
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                *क़िस्त नं:- 19*          
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        *✿●•· नेक बीवी __________'*
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 *─❥"दुनिया की बेहतरीन दौलत नेक बीवी है,"(मुस्लिम शरीफ, 1469)*

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*─❥"_ हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जब पहली मर्तबा वही नाज़िल हुई तो क़ल्बे मुबारक पर उस वक़्त क़ुदरती बेचैनी थी, चुंकी पहली वही का पहला तजुर्बा और फरिश्ते से पहली बार सामना हुआ था, अल्फाज़ के साथ पेशानी मुबारक से घबराहट का पसीना पोंछने वाली और रिसालत पर सबसे पहले ईमान लाने वाली आपको याद है वो कौनसी हस्ती थी ?*

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*─❥"_वो रफ़ीका ए ज़िंदगी, शरीक़े ख़ुशी व गम हज़रत ख़दीजतुल कुबरा रज़ियल्लाहु अन्हुमा की हस्ती थी,*

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*─❥"_ इसी तरह जिस वक़्त रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुनिया से तशरीफ ले जा रहे हैं, उम्मत पर इससे बढ़ कर क़यामत खेज़ घड़ी, क़यामत तक और कौनसी आ सकती है ? सहाबा किराम रजियल्लाहु अन्हुम एक से बढ़ कर एक आशिके रसूल सैंकड़ों की तादाद में मोजूद है, लेकिन तारीख व सीरत की ज़बान से शहादत लिजिये कि ऐन उस वक़्त किस खुश नसीब के लिए मुकद्दर था कि उस मुकद्दस हस्ती के लिए सहारे और तकिये का काम दे ?*

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*─❥"_ अज़ीज़ो और रफ़ीको़ में से किसी मर्द के नहीं बल्की शरीक़े हयात हज़रत आएशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु अन्हुमा के ये चमकते नसीब थे,*

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*─❥"_ ये है बीवी की मंज़िलत व मर्तबा से मुताल्लिक दुनिया के सबसे बड़े मुअल्लिम और सबसे बड़ी हस्ती की ज़िंदगी से मिलने वाला सबक़, यह है इस्लाम में बीवी का मुक़ाम, औरत की क़दर इस्लाम में आपने देखी ? बीवी का मर्तबा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नज़दीक आपने पहचाना ? है कोई इस मुक़ाबिल की चीज़, औरत के लफ़्ज़ी हमदर्दो के दफ़्तरे अमल में ? नई तहज़ीब के दावेदारों के फलसफों में, शाना बा शाना व मुसावात के दावेदारों की अमली जिंदगी में?*

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*╟❥ अगली क़िस्त–20 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 34,*
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                *क़िस्त नं:- 20*          
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*✿●•·उम्माहतुल मोमिनीन की ज़िन्दगी:-*
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*─❥"_ अल्लाह तआला का शुक्र है जिसने उम्मुल मोमिनीन सैयदना खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा की घरेलु ज़िन्दगी को दुनिया की तमाम औरतों के लिए नमूना बना दिया, अगरचे औरतो को नबूवत नहीं मिलती लेकिन अगर औरत यह चाहे कि मै औरत होते हुए किस तरह ज़िन्दगी गुज़ारूं और मेरे लिए औरत ही किस तरह नमूना हो तो अल्लाह तआला ने इसका भी इंतेज़ाम फरमा दिया,*

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*─❥"_नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के घर में रहने वालियों अज़वाज मुतहारात, उम्माहातुल मोमिनीन रजियल्लाहु अन्हुम की ज़िन्दगी को रहती दुनिया तक की औरतों के लिए नमूना बना दिया कि मुसलमान औरतें इन पाक व मुबारक औरतों की ज़िन्दगियों से सबक सीखें और अपनी जिन्दगी को उनकी जिन्दगी की तरह बनाने की कोशिश करे,*

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*─❥"_24 घंटे को ज़िन्दगी के हर काम में ये सोचें कि इस काम को उन्होंने किस तरह किया,? उनके मकानात कैसे थे ? उनका खाना पीना कैसा था ? उनका शोहर के साथ बरताव कैसा था ? वगेरा वगेरा ,,,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–21 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 41,*
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                *क़िस्त नं:- 21*          
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    *✿●•·नेक सिफ़ात, _________1,,*
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*─❥"_ ज़रा (हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा के इन ) अल्फ़ाज़ पर गौर किजिये, "अल्लाह तआला हरगिज़ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का साथ ना छोडेगा, आप रिश्तेदारों से मिलाप रखते हैं, बेकस व बेसहारा लोगों की मदद करते है, फकी़रो और गरीबों के खैर ख्वाह हैं, मेहमान नवाजी करते हैं, मुसीबतज़दा लोगों की मदद करते हैं, ये सिफ़ात अल्लाह को पसंद हैं, ऐसी सिफ़ात वालों को अल्लाह ताअला बेयारो मददगर कैसे छोड़ सकते हैं ?*

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*─❥"_ दूसरे लिहाज़ से आप गौर करें तो एक औरत भी अपने शोहर में ये सिफ़ात आसानी से पैदा करवा सकती है, अगर औरत अपने रिश्तेदारों के ऐब शोहर को ना बताये, खुशुसन शौहर के रिश्तेदारों के ऐब, मसलन मेरी ननद, सास, देवरानी जेठानी ने मेरे साथ ये किया वो किया, मेरे बच्चों के साथ उनके बच्चों ने ये किया __”*

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*─❥"_ और उनकी खुशी गमी के मोके़ पर शोहर को तरगीब दें कि, "तुम जाओ उनका साथ दो, अगर कोई तकलीफ़दह बात उनकी तरफ से पहुंचती है तो माफ कर दो, अगर तुम्हारे ज़रीये उनको तकलीफ पहुंचती है तो उनसे माफ़ करवा आओ_,"*

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*─❥"_ इस तरह रिश्तेदारों से मिलाप पैदा करने पर आप अपने शोहर से अमल करवा सकती है, किसी तरह समझा बुझाकर आपस के इख्तलाफात दूर करवा सकती है, दिलो का मेल और आपस का कीना व रंजिश दूर करने का साबुन अल्लाह ने आपको दिया है, इस साबुन के ज़रीये आप दिलो के मेल धो सकती है और आपस के इख़्तिलाफ़ात मिटाने पर अल्लाह तआला आपको दुनिया व आखिरत में बेशुमार इनामात से ज़रूर बा ज़रूर नवाज़ेगा,*

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*╟❥ अगली क़िस्त– 22 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 42,*
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                *क़िस्त नं:- 22*          
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            *✿●•·नेक सिफ़ात -2,*
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*─❥"_ इसी तरह आप अपने शोहर के ज़रिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दूसरी सुन्नत भी ज़िन्दा करवा सकती हैं, वो इस तरह कि अपने घर का खर्चा कम से कम करके अव्वलन जो गरीब रिश्तेदार हैं उनकी मदद करवा सकती हैं,फिर जो भी गरीब, मोहताज, बेवा, यतीम और मिसकीन हों उनकी मदद करवा सकती हैं,*

╟──────❥

*─❥"_ इसी तरह मेहमान नवाजी़ भी करवा सकती हैं, खुसूसन आपके घर में जो भी मेहमान औरत आए, उसे खाली हाथ ना भेजें, कम से कम पानी का सादा गिलास ही पिला दीजिये, मुस्कुराहट वाले चेहरे से उसका इस्तक़बाल ही कर लीजिए, उसे कोई दीन की बात सिखा दिजिये, उसे दीन पर चलने और उसको फैलाने पर आमादा ही कर लिजिये,*

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*─❥"_ और अगर शोहर के मेहमान आएं तो उनकी मेहमान नवाजी़ अपनी हस्बे इस्तेता'त बहुत कुशादा दिली, फराखी और ईसार से करें, अगर मेहमान कोई अल्लाह के नेक बंदों में से हो तो उसकी मेहमानी को मोजिबे खैर व बरकत समझना चाहिए और यूं तो किसी मेहमान से भी दिल तंग ना होना चाहिए, हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तो गैरों को भी मेहमान बनाया है,*

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*─❥"_ लिहाज़ा मेहमान को मुसीबत ना समझें, अगरचे छोटे बच्चों को संभालना, घर की सफाई सुथराई करना और फिर मेहमानों के लिए खाना पकाना, उनकी ख़ातिर तवाज़ो करना ये काम मुश्किल तो है लेकिन खालिस अल्लाह को राज़ी करने के लिए उनकी खिदमत की जाए तो इसका बहुत बड़ा अजरो सवाब है और माल में बरकत भी होती है, दुआएं भी मिलती है,*

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*─❥"_ बल्कि अगर शोहर की आदत नहीं तो उनको आमादा करें कि वक़तन फा वक़तन अपनी हस्बे इस्तेता'त नेक लोगों को घर बुला कर खाना खिलाएं, खुद आपको और घर वालों को बिला वजह मशक्कत में ना पड़े बल्की जो भी आसानी से उस वक़्त मुहय्या हो सके वो खिला दें _,"*

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*╟❥ अगली क़िस्त–23 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 42,*
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                *क़िस्त नं:- 23*          
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*✿●•· मेहमानों का इकराम करने वाली नेक बीवी :-*
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*─❥"_ हज़रत अबू रबीअ रह. फरमाते हैं कि मै एक गांव में गया तो मुझे वहां के लोगों ने बताया कि यहां एक नेक खातून "फिज़ा" नामी है, उसके यहां एक बकरी है, जिसके थनो से दूध और शहद दोनों निकलते हैं, मुझे ये सुन कर ताज्जुब हुआ, मैंने एक नया प्याला खरीदा और उसके घर जा कर मैंने उससे कहा - तुम्हारी बकरी के मुताल्लिक मैंने ये शोहरत सुनी है कि वह दूध और शहद देती है, मैं भी उसकी बरकत देखना चाहता हूं _,"*

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*─❥"_ उसने बकरी मेरे हवाले कर दी, मैंने उसका दूध निकाला तो वाक़ई उसमे से दूध और शहद निकला, मैंने उसे पिया, उसके बाद मैंने पुछा - ये बकरी तुम्हारे पास कहां से आई?*

╟──────❥

*─❥_ कहने लगी: - इसका क़िस्सा ये है कि हम गरीब लोग थे, एक बकरी के सिवा हमारे पास कुछ ना था, उसी बकरी पर हमारा गुज़ारा था, अल्लाह ताला के हुक्म से बकरा ईद आ गई, मेरे खाविंद ने कहा - हमारे पास कुछ और तो है नहीं, ये बकरी हमारे पास है, लाओ इसकी कुर्बानी कर लें, मैंने कहा - हमारे पास गुज़ारे के लिए इसके सिवा तो कोई चीज़ है नहीं, इसी हालत में कुर्बानी का हुक्म नहीं है, फिर क्या ज़रूरत है कि हम कुर्बानी करें? खाविंद ने ये बात मान ली और कुर्बानी मुलतवी कर दी _,"*

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*─❥"_इसके बाद अल्लाह तआला के हुक्म से उस दिन हमारे यहां एक मेहमान आ गया, तो मैंने खाविंद से कहा - मेहमान के इकराम का तो हुक्म है और घर में कोई चीज़ है नहीं, बकरी ही को ज़िबह कर है लो, चुनांचे वो बकरी को ज़िबह करने लगे, मुझे ये ख्याल हुआ कि मेरे छोटे छोटे बच्चे उस बकरी को ज़िबह होते देख कर रोने लगेंगे, इसलिये मैंने कहा - बाहर ले जा कर दीवार की आड़ में ज़िबह कर लो ताकि बच्चे ना देखें _,"*

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*─❥_ वो बाहर ले गए और जब उस पर छुरी चलाई तो ये बकरी हमारी दीवार पर खड़ी थी और वहां से खुद उतर कर मकान के सहन में आ गई, मुझे ये ख्याल हुआ कि शायद वो बकरी खाविंद के हाथ से छूट गई है, मै उसको देखने बाहर गई, तो खाविंद उस बकरी की खाल खींच रहे थे, मैंने उनसे कहा - बड़े ताज्जुब की बात है कि ऐसी ही बकरी घर में भी आ गई, उसका किस्सा मैंने सुनाया, खाविंद कहने लगे- क्या ब'ईद है कि हक़ ता'आला शान्हू ने उसका बदल हमें अता फरमाया हो, ये वो बकरी है जो दूध और शहद देती है, ये सब कुछ एक मेहमान के इकराम की वजह से है _,"*

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*─❥_ फिर वो औरत अपने बच्चों से कहने लगी- ऐ मेरे बच्चों ! ये बकरी दिलों में चरती है, अगर तुम्हारे दिल नेक रहेंगे तो दूध भी अच्छा रहेगा, और अगर तुम्हारे दिलों में खोट आ गया तो उसका दूध भी खराब हो जाएगा, अपने दिलों को अच्छा रखो, फिर हर चीज़ तुम्हारे लिए अच्छी बन जाएगी_,"*

 *®_ फ़ज़ाइल ए सदक़ात - 764,*
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*╟❥ अगली क़िस्त– 24, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन,44,*
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                *क़िस्त नं:- 24*          
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*✿●•· शोहर पर अपना माल क़ुर्बान करना,*
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*─❥"_आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक सिफ्त हजरत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा की ये बयान फरमाई कि, "उन्होंने उस वक़्त मेरी माल के साथ खैर खवाही की जब लोगो ने मुझे मेहरूम रखा था," (यानी मेरी उस वक़्त मदद की जब लोगो में मेरा कोई मददगार नहीं था),*

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*─❥"_ इन्सान को सबसे ज़्यादा मोहब्बत माल से होती है और माल जिस पर ख़र्च किया जाता है वो माल से भी ज़्यादा मेहबूब होता है,*

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*─❥"_ अगर आपके शोहर को आपके माल की दीन के किसी तकाज़े के लिए ज़रुरत पढ़े या किसी दुनियावी जाइज़ हाज़त के लिए ज़रुरत पढ़े तो आप उस माल को शोहर पर खर्च करने की सआदत को फख्र समझें, इसमें बिल्कुल कंजूसी ना करें,*

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*─❥"_ जो आपने अपने खालिक़ और मालिक को राज़ी करने के लिए शोहर पर माल खर्च किया तो इसका पूरा पूरा अजर् क़यामत के दिन आपको मिलेगा,*

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*─❥"_ अगर वो माल दीन के फैलाने के लिए, अल्लाह के हुकमो और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीकों को पूरी दुनिया में रिवाज़ देने के लिए, गरीबों और मिस्कीनों की मदद करने के लिए लग गया तो आपको यह सआदत मिली कि आप भी इसी निस्बत में हज़रत खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा के साथ शामिल हो गईं और कल क़यामत के दिन जब अल्लाह तआला उन तमाम अंबिया अलैहिस्सलाम की बिवियों को अजर् देंगे तो आपको भी उन खुश नसीब औरतों के झंडे तले कहीं ना कहीं जगह मिल ही जाएगी,*

╟──────❥

*─❥"_ आप शोहर पर फिदा होना तो सीखें, आप उनको इता'त और मुहब्बत तो दीजिए, आप अपने दिल में उनकी कद्र तो पैदा कीजिये, उनकी मंशा व मिज़ाज को समझने की कोशिश तो कीजिये, हर वक़्त उनसे चीज़ों की फरमाइश के बजाय उनकी मुहब्बत भरी निगाहों की तमन्ना भी तो कीजिये,*

╟──────❥

*─❥"_ फिर केसा ही बद मिज़ाज शोहर क्यों न हो, आपके किसी काम में क़दर न करता हो, लेकिन आपके इखलास व मुहब्बत और दुआओं से वो ज़रूर बा जरूर आपकी तरफ मुतवज्जह होगा, आपके एहसास की क़दर करेगा बल्कि अपनी पिछली कोताहियों पर शर्मिंदा होगा, और ना सिर्फ ज़िन्दगी में बल्की आपकी मौत के बाद भी आपकी इन खूबियों की यादें हमेशा उसको रूलाएंगी,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–25 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 48,*
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                *क़िस्त नं:- 25*          
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*✿●•·•·शोहर को सही मशवरा देना:-*
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*─❥"_ ये भी एक मुसलमान औरत को ज़िम्मेदारी है कि घर वालों का मिज़ाज ऐसा बनाए कि हर काम मशवरे से हो, चाहे दीन का काम हो या दुनिया ही का कोई जायज़ काम,*
*"_ हज़रत खदीजा़ रज़ियल्लाहु अन्हुमा आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सही मशवरे दिया करती थीं, हर मुश्किल मौक़े पर आपकी दिलजोई हो जाती,*

╟──────❥

*─❥"_ मुसलमान औरतें भी ये सवाब हासिल कर सकती हैं कि अपने शोहर को हर मौक़े पर सही मशवरा दें, जब वो किसी काम में परेशान हो या आपसे मशवरा मांगे तो खूब सोच समझ कर अल्लाह तआला से दुआ मांग कर मशवरा दें,*
*"_ लेकिन अगर मामला अहम और बड़ा हो जहां अपनी सोच ना पहुंच सके तो इत्मीनान से अपने खानदान ही के नेक समझदार या कोई भी दीनदार और समझदार हो उनकी तरफ शोहर की रेहनुमाई करें,*

╟──────❥

*─❥"_ जेसे हज़रत खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा अखीर में अपने चाचा के लड़के (वरका़ बिन नोफिल जो पिछली शरीयतों के जानने वाले थे) के पास ले गईं कि उनसे मशवरा के ज़रिए मदद हासिल करें, जितना खुद मशवरा दे सकती थी दे दिया बाक़ी के लिए अपने से ज़्यादा समझदार और बड़े के पास ले गई,*

╟──────❥

*─❥"_ इसी तरह सुलेह हुदेबिया के मोके़ पर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जब सर मुंडवाने का हुक्म दिया तो सहाबा किराम गम की वजह से इसके लिए तैयार ना हुए, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हा से मशवरा किया तो उन्होंने फरमाया आप खुद हलाक़ (बाल काटने वाले) को बुला कर अपने बाल मुंडवाने शूरू कर दिजिये तो सहाबा किराम भी इसी तरह करने लग जाएंगे।"*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा आज को मुसलमान औरत को भी चाहिए जिस तरह पहले गुज़री हुई दीनदार औरतों ने अपने शोहरों को दीन के फैलाने के लिए वक्त वक्त पर मशवरे दिये है वैसे ही आप भी अपने शोहरों को दीन के दुनिया में रिवाज़ पाने के लिए खूब सोच समझ कर सही मशवरा दें इसके साथ साथ दुनियावी उमूर में भी मशवरे से हर काम करने की आदत बनाएं,*

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*─❥"_ अल्बत्ता ये ज़रूरी नहीं कि बीवी के मशवरे पर शोहर अमल भी करे अगर शोहर ने अमल ना किया तो बीवी को चाहिए कि इस बात पर बुरा ना माने और शोहर पर नाराज़गी का इज़हार ना करे,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–26 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन,50,*
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                *क़िस्त नं:- 26*          
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*✿●•·शोहर के साथ मशक्क़त बर्दाश्त करना,*
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*─❥"_ जब कुरेश ने इस्लाम को ख़त्म करने की ये तदबीर सोची कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके ख़ानदान को एक घांटी में क़ैद किया जाए, चुनांचे मजबुरन अबू तालिब ने तमाम ख़ानदान के साथ शोएब अबी तालिब में पनाह ली तो हज़रत खदीजा़ रज़ियल्लाहु अन्हा भी साथ आईं,*

╟──────❥

*─❥"_ ये ज़माना ऐसा सख्त था कि बबूल के पत्ते खा कर गुज़ारा किया, बच्चे भूख से बिल बिलाते थे, बच्चों के रोने की आवाजें दूर तक जाती थी, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस हाल में भी अपनी क़ौम में दावत तबलीग़ का फरीज़ा अंजाम देते,*

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*─❥"_ और बनू हाशिम और खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा सब्र और अजर् को उम्मीद के साथ इन तमाम तकलीफों को बर्दाश्त करती, कभी ज़बान से उफ़ ना कहा और ना ये कहा की आपकी तब्लीग की वजह से ये मुसीबत आई है, हम कैसे सब्र करें, कैसे बर्दाश्त करें?*

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*─❥"_ एक दो माह नहीं बल्की शोहर के साथ तकरीबन तीन साल का अरसा इसी तरह गुज़रा, अल्लाह ताला हम सबकी तरह से सैय्यदना खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा को अजरो अज़ीम अता फरमाये कि उन्होने दीन को फ़ैलाने और हम तक इस्लाम पहुंचाने की खातिर अपने शोहर आप हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ उन तकलीफ़ो को बर्दाश्त किया और सब्र फरमाया, आमीन,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा अगर किसी वजह से घर में कोई तकलीफ या परेशानी आ जाए तो बीवी को चाहिए कि शोहर के साथ खुद भी सब्र करते हुए उस परशानी व गम को बर्दशत करे, ये ना हो कि सुख में उनका साथ दे और दुख परेशानी में साथ छोड़ दें,*

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*─❥"_ एक मुसलमान औरत के लिए जो इस पर यक़ीन रखती है कि जो कुछ होता है वह अल्लाह ताला ही के हुक्म से होता है, मुसीबत भी राहत भी उसी के हुक्म से आती है, नफा नुकसान उसी अल्लाह के हुक्म से होता है, तो बीवी को चाहिये कि हर्फे शिकायत ज़ुबान पर ना लाए, किसी गैर से भी शिकायत ना करे, बल्की हर हाल में सब्र करती रहे, खुद भी दुआएं मांगे और बच्चों से भी दुआएं मंगवाकर मुसीबत दूर करवाए,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–27, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 53,*
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                *क़िस्त नं:- 27*          
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          *✿●••·शोहर की खिदमत _,"*
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*─❥"_ हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा क़ुरेश की बहुत मुअज़िज़ खातून होने के साथ साथ माल और दौलत के लिहाज़ से भी मशहूर थीं, लेकिन इसके बावजूद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत खुद अपने हाथ से अंजाम देती थीं _,"*

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*─❥"_मौलाना सैय्यद सलमान नदवी रह. सीरते आयशा रजियल्लाहु अन्हुमा में फरमाते हैं, "घर में अगरचे खादीमा मोजूद थी, लेकिन हज़रत आयशा रजिया्ल्लाहु अन्हुमा आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का काम खुद अपने हाथ से अंजाम देती थीं, जौ खुद पीसती थीं, आटा खुद गूंदती थीं, खाना खुद पकाती थीं, बिस्तर अपने हाथ से बिछाती थीं, वज़ू का पानी खुद ला कर देती थीं,*

╟──────❥

*─❥"_ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सर मे अपने हाथ से कंघी करती थी, जिस्म मुबारक पर अत्र मल देती थी, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कपड़े अपने हाथ से धोती थीं, सोते वक़्त मिस्वाक और पानी सिरहाने रखती थीं, मिस्वाक को सफाई की गर्ज़ से धोया करती थीं, घर में कोई मेहमान आता तो मेहमान की खिदमत अंजाम देती थी,*

╟──────❥

*─❥"_ ये है मिसाली बीवी की ज़िम्मेदारी कि घर के काम खुद करे और शोहर की खिदमत को अपनी स'आदत समझे और उसमे ये नियत करे कि शोहर की खिदमत से शोहर का हक़ अदा होगा और अल्लाह तआला इससे राज़ी हो जाएंगे तो ये भी दीन और इबादत बन जाएगा,*

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*─❥"_ लेकिन इसका मतब ये भी नहीं कि शोहर और बच्चों की खिदमत में इस तरह लगें कि ना नवाफिल, न तस्बीहात, बल्की कई मर्तबा नमाज़ में भी गफलत हो जाती है और काफी ताखीर से ये औरतें फर्ज़ नमाज़ पढ़ती है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–28, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 61,*
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                *क़िस्त नं:- 28*          
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   *✿●•· शोहर की मुकम्मल मुवाफ्क़त,*
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*─❥"_ हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इस क़दर इत्तेबा करने वाली थीं कि जब नमाज़ पंजगाना फ़र्ज़ ना थी, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नवाफिल पढ़ा करते थे तो हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा भी आपके साथ नवाफिल मे शिरकत करती थीं,*

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*─❥"_ ये है शोहर की सच्ची इत्तेबा कि जेसे शोहर की मनशा हो वेसी रहे, शरई ज़ाबतों के तहत शोहर बीवी को जैसा देखना चाहता है वेसी ही बन कर रहे, यही नसीहत है सब लड़कियों को पहली मुसलमान खातून की _,"*

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*─❥"_ ऐ मेरी प्यारी बहन ! अगर आप भी अपनी सीरत हजरत खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा के तर्ज़ पर ढाल लोगी और शोहर की मुकममल इता'त ( जिसकी शरियत ने इजाज़त दी है) करोगी तो फिर देखना अल्लाह ता'ला आपसे राज़ी हो जाएंगे तो सारी बिगडियां बन जाएंगी, सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी, इंशा अल्लाह,*

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*─❥"_ हज़रत कारी मुहम्मद तैयब साहब रह. ने फरमाया,:- औरत के ज़िम्मे इता'त वाजिब है, औरत का काम ये है कि कामिल इता'त का बरताव करे और अपने खिलाफ भी हो तो सुनने की आदत डालें, ये ना हो कि शोहर ने मिज़ाज के खिलाफ बात कही और इसकी नाक चड़ी, एक क्या चार जवाब देने को तैयार, इससे बे मेहरी (बद मज़गी) पैदा हो जाती है,*

╟──────❥

*─❥"_ अगर बीवी ये चाहती हैं कि मेरा शोहर बिल्कुल मेरे कहने में रहे, मेरा गुलाम बन जाए तो याद रखो ! गुलाम बनाना गुलाम बनने से होता हे, पहले खुद अमलन बांदी बन कर दिखाओ, वो खुद बा खुद गुलाम बन जाएगा,*

╟──────❥

*─❥"_ औरत का फ़र्ज़ है वो 24 घंटे इस फ़िक्र में रहे कि मेरा शोहर किन चीज़ों से नाख़ुश होता है, किन बातो से, किस लिबास से, किस काम से उसे तकलीफ़ पहंचती है,? वो बिलकुल ना करे, ना शोहर के सामने, ना उसकी गैर मोजूदगी में,*

╟──────❥

*─❥"_ जिन चीज़ों से शोहर खुश होता है उसे अख्त्यार करें, जिस लिबास से शोहर खुश होता वह पहनें, जिस बोल से खुश होता है उस बोल को बोलें, जिस क़िस्म के खाने से खुश होता है वेसा पकाएं, जिस जगह जाने से नाखुश होता है वहां ना जाए ताकी उसका दिल खुश हो जाए और उसकी आंखों की ठंडक बन जाए,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–29, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 62,*
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                *क़िस्त नं:- 29*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·शोहर के जज्बात व ख्यालात की मुवाफक़त_,*
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*─❥"_ शोहर बाज़ चीज़ो को पसंद करता है और बाज़ को ना-पसंद, नेक बीवी की शान ये होनी चाहिए कि उसके जज़्बात व ख्यालात के मुवाफिक़ होने की पूरी पूरी कोशिश करे, सिवाय उन चीज़ो के जिनको अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मना फरमाया है,*

╟──────❥

*─❥"_ बल्की कोशिश करें कि उसे ज़बान से निकलने से पहले उन कामों को कर लें जिसको वो चाहता है, खुद अपने उठने बैठने, रहने से मे इस तरह रहे जेसे वो पसंद करता है, क्यूंकी शोहर के दिल में अपने लिए हमेशा की मुहब्बत पैदा करने के लिए यह सबसे बड़ी और अहम सिफत है,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये कि हुस्नो जमाल चंद दिनो का मेहमान होता है, कितनी ही हसीन औरत हो, लेकिन चंद दिनो बाद शोहर का दिल उसके हुस्न से भर जाता है, लेकिन वो औरत मौत के बाद भी तारीफ़ की मुस्तहिक़ है जो मर्द के मिज़ाज के मुवाफिक़ बन जाए,*

╟──────❥

*─❥"_याद रखिये! निकाह के 2 बोल बोलेने के बाद अब ना अपने लिए खाना, ना सोना, ना अपने लिए पहनना, बल्कि सब कुछ अपने सर के ताज के लिए, अपने मेहबूब के लिए हो तो फिर जेसे हज़रत खदीजा रजियल्लाहु अन्हा को सातों आसमान के ऊपर से अल्लाह की तरफ से सलाम आया तो आपके घर में भी इंशा अल्लाह ज़रूर बा ज़रूर रब्बुल आलमीन की तरफ से सलामती, बरकते, और रहमते नाजिल होंगी, घर जन्नत का नमूना बन जाएगा,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–30 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 65,*
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                *क़िस्त नं:- 30*          
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*✿●•·नेक बीवी की नेकी भुलाई नहीं जा सकती:-*
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*─❥"_ मिस्ल मशहूर है कि "नेकी और भलाई करने वाला भलाई करके भूल सकता है, लेकिन जिसके साथ नेकी की जाती है, वो नहीं भूला करता," और ये कि "जिस पर एहसान कर लो वो तुम्हारा गुलाम बन जाएगा,"*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा नेक बीवी अपने आपको नेकी, भलाई पर यूं उभारे कि जिस दिन दुनिया से चली गई मेरी नेकी, भलाई शोहर को याद आएगी, और शोहर मेरे लिए दुआ करेंगे, मेरी खिदमत उनको रात के अंधेरों और दिन उजालों में मेरे लिए दुवाओं पर मजबूर करेंगी और शायद यही मेरी मग्फिरत का और अल्लाह ताला के राज़ी होने का सबब बन जाए,*

╟──────❥

*─❥"_हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाती है, “जितना रश्क मुझे हज़रत ख़दीजा रज़िया्ल्लाहु अन्हुमा पर हुआ उतना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की किसी बीवी पर नहीं हुआ, हालांकी मैने उन्हे देखा भी नहीं था, इसकी वजह यह है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम अक्सर उनका जिक्र फरमाया करते थे और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दस्तूर था कि जब आप कोई बकरी ज़िबह फरमाते तो तलाश कर करके हजरत खदीजा रजियल्लाहु अन्हुमा की सहेलियों को उसका गोश्त हदिया भेजा करते थे, ( बुखारी, 3818)*

╟──────❥

*─❥"_ आखिर क्या वजह थी कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा के साथ वफ़ादारी को इस क़दर ख़ूबसूरत तरीक़े से आख़िर तक निभाये रखा जो मियां बीवी दोनो के लिए एक मिसाल रखती है, क्या मुबारक ज़िंदगी थी, काश ! आज भी मियां बीवी ऐसी साफ सुथरी ज़िंदगी अपनाएं और एक दूसरे के वफ़ादार हों, ख़ुसुसन बीवी हर क़िस्म की नाफ़रमानी, अहसान फ़रामोशी और बद अहदी से बचने की भरपुर कोशिश करे, तो इंशा अल्लाह देर सवेर इसका बदला दुनिया व आखिरत दोनों में पाएगी,*

╟──────❥

*─❥"_ हर मुसलमान बीवी के लिए इबरत का सामान, हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हुमा की सीरत मसलन शोहर को इता'त, मुहब्बत व ख़िदमत, इज्ज़त, नर्म गुफ्तगु, इसरार, अपनापन, सब्र और शुक्र के मुबारक और क़ीमती मोती हैं _,"*

╟──────❥

*─❥"_हम हर मुसलमान बीवी से दरख्वास्त करते हैं कि वो इन मोतियों का हार अपने गले में डाल कर अपने शोहर के पास जाए और इन मोतियों को अपनी अंगुठी का नगीना, अपने सर का ताज बनाए कि उसका दुनिया में आने का मक़सद ही इन मोतियों को अपने दामन में समेट कर अपने मौला के पास जा कर जन्नत की नियामतों का मुस्तहिक़ होना है, अल्लाह ताला सबकी मदद फरमाये, आमीन !*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–31, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓तोहफा ए दुल्हन, 130,*
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                *क़िस्त नं:- 31*          
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*✿●•·शोहर को दीनदार बनाने में मुसलमान बीवी का नमूना*
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*─❥"_ काश! आज भी मुसलमान बीवियां अपने शोहर को जो (अलहम्दुलिल्लाह अगर मुसलमान हैं ) इस्लाम के किसी हुक्म से गाफिल हैं या कोई ऐसा अमल कर रहे हैं जिसकी वजह से अल्लाह त'आला नाराज़ होंगे और आखिरत में उसकी सज़ा भुगतनी पड़े तो उनके लिए यही असबाब अख्त्यार करें,*

╟──────❥

*─❥"_ पहले उनसे ख़ूब मोहब्बत करें और मुहब्बत का रास्ता इता'त और उनकी बात को मानना है, लिहाज़ा किसी भी तरह उनको नाराज़ ना करें, फ़िर ख़ूब उनके लिए अल्लाह से दुआएं मांगे की- "ऐ अल्लाह ! मेरे शोहर को नमाज़ी, दीनदार, गुनाहो से बचने वाला, नेकियों से मुहब्बत करने वाला, दीन को दुनिया में फैलाने वाला बना दीजिये, उनके दिल से दुनिया में हमेशा रहने का ख्याल निकाल दीजिए, अपनी और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की मुहब्बत से उनके दिल व दिमाग को सर सब्ज़ कर दीजिये, आमीन।*

╟──────❥

*─❥"_ फ़िर मुहब्बत व शफ़क़त भरे लहजे में अदब से मुनासिब मौका़ देख कर समझाइए, अगर वो खुदा ना ख़स्ता हराम कमाई में मुलव्विस है, मसलन सूद का काम करते हैं या झूठ बोल कर सौदा बेचते हैं, या हराम चीज़ों की तिजारत करते हैं वह या रिश्वत की आदत है, या लोगो का क़र्ज़ वक़्त पर अदा नहीं करते तो उनकी इस्लाह की कोशिश करें, बार बार उनको समझाएं, अच्छे माहौल में उनको भेजे, तहज्जुद में रो रो कर उनके लिए अल्लाह से हिदायत और नेक तोफीक़ को मांगे,*

╟──────❥

*─❥"_ ज़रा सोचिये ! ये आमाल (नमाज पढ़ कर रो रो कर दुआएं मांगना फिर मुहब्बत भरे अंदाज़ में समझाना फिर दुआ करना) अगर अबू जहल के बेटे का दिल मोम कर सकते हैं तो क्या आपके शोहर या भाई, बेटे का दिल नरम नहीं कर सकते ? करके तो देखिये, अल्लाह तआला आपकी मुराद ज़रूर पूरी फरमा देंगे,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–32, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 41,*
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                *क़िस्त नं:- 32*          
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*✿●•·इस्लाम का भी हक़ अदा कीजिये,*
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*─❥"_ हज़राते सहाबियात रजियल्लाहु अन्हुमा ने शोहर का हक़ अदा करते हुए इस्लाम को फैलाने की ख़ातिर इस्लाम का भी भरपूर हक़ अदा किया और अपने बाद आने वाली मुसलमान बहनों को ये सबक़ दे गईं, कि मुसलमान बीवी को ज़िम्मेदारी सिर्फ अपने शोहर और बच्चों तक ही मेहदूद नहीं बल्की जिस तरह मर्दो की ज़िम्मेदारी है कि दीन को दुनिया में फैलाये उसी तरह औरतें भी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत में से हैं और खत्मे नबूवूत की बरकत से औरतों पर भी लाज़िम है कि इसकी फ़िक्र करें कि दुनिया के तमाम मर्द और औरतों की ज़िंदगी मे दीन आ जाये,*

╟──────❥

*─❥"_ इसके लिए अगर शोहर के साथ अपने घर, बस्ती, मुल्क से बाहर भी हिजरत करके जाना पडे तो उसके लिए भी तैयार रहें, जिस तरह हजरत उम्मे हकीम रज़ियल्लाहु अन्हा मक्का मुकर्रमा से शाम गई, हज़रत रुकैया रज़ियल्लाहु अन्हा मक्का मुकर्रमा से हब्शा गईं, हज़रत ख़नसा रज़ियल्लाहु अन्हा अपने बेटों के साथ इराक़ गई और हज़रत उम्मे हराम रज़ियल्लाहु अन्हा जज़ीरा क़बरिस (साइप्रस) गई और वहीं इंतकाल हुआ, वही दफ़न हुई,*

╟──────❥

*─❥"_ इसी तरह बहुत सी सहाबियात रजियल्लाहु अन्हुमा दीन फैलाने के लिए अपने शोहर और अपने मेहरम के साथ दुनिया भर में गईं और उनकी क़ब्रें भी अल्लाह के रास्ते में दीन फैलाते हुए बनी,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा आने वाली मुसलमान बहनों के लिए क़यामत तक उनकी क़ब्रें भी गवाह है कि हम घर और वतन छोड़ कर अल्लाह के रास्ते में गई, सफर की मशक्कते, तकलीफें झेलीं, सर्दियां गार्मियां बर्दास्त की और आखरी सांस तक अल्लाह के नाम को बुलंद करने की मेहनत की और जब उस रास्ते के अंदर ही अल्लाह का बुलावा आ गया तो सफर ही में लब्बेक कहा और वही दफन हो गई,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–33 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 142,*
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                *क़िस्त नं:- 33*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·अल्लाह के जा़त पर मुकम़्मल भरोसा,*
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*─❥"_ एक मर्तबा हज़त उमर रज़ियल्लाहु अन्हु सवारी पर जा रहे थे, आस पास लोग थे, रास्ते में हज़रत खौला रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने उनको रोका और उनसे कुछ कहना चाहती थी, तो आप रुक गए इस पर आपसे एक शख्स ने कहा, "आप एक बुढ़िया की वजह से रास्ते में रुक गए," तो फरमाया :- क्या तुम जानते हो ये औरत कौन है? अल्लाह तआला ने सात असमानो पर इनकी बात को सुना ये खौला बिन्ते साल्बा है, (मैं कौन था जो उनकी बात को टालता),*

╟──────❥

*─❥"_ ये था इस्लामी माशरे में मुसलमान बीवी का ईमानी मैयार और अल्लाह की जात़ पर मुकम्मल भरोसा, उसको अगर तकलीफ पहुंचती तो अल्लाह से फरयाद करती, (कि जिसने ये मुश्किल दी है वही इसका हल भेजेगा), वो हर मुश्किल के बाद आसानी पैदा करता है, मुश्किल हालात और उसका हल उसी के ताबे है, वही हंसाता है, वही रूलाता है, वही ज़िंदगी देता है, वही मारता है,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा केसी ही परेशानी वाले हालात हों मायूस ना हों, बल्की अल्लाह तआला से मांगे, वज़ू किजिये, ध्यान के साथ दो रकात निफ़्ल पढ़िए और अल्लाह ही से अपनी शिकायत को कहिए, इसलिये कि, "अल्लाह फरमाते है' ऐ ईमान वालो अल्लाह ही से मदद तलब करो साथ सब्र के और नमाज़ के, बेशक अल्लाह साबिरीन के साथ है,*

╟──────❥

*─❥"_ अगर कोई ऐसा गम और परेशानी वाला हाल हो जो बहुत सताये तो हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है कि उसको दिल में छुपाया ना जाए बल्की कोई घर में समझदार हो तो उन्हें बता दिया जाए, उनसे मशवरा लिया जाए, मसाइल और परेशानी का हल करने वाला तो अल्लाह ही है लेकिन उसका हुक्म है कि ऐसे मोके़ पर मशवरा कर लिया जाए,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–34, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 157,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 34*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·अगर मर्द की गलती पर गुस्सा आए तो औरत क्या करे ?*
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*─❥"_ हज़रत थानवी रह. फरमाते हैं, "बीवियों ! तुमको मर्द के गुस्से की वजह से गुस्सा आना ये बतलाता है कि अपने आपको मर्द से बड़ा या बराबर दर्जा का समझती हो और ये ख्याल ही सरासर गलत है, अगर तुम अपने को मर्द से छोटा और महकूम समझो तो चाहे वो कितना गुस्सा करता हो तुमको हरगिज़ गुस्सा ना आता_,"*

╟──────❥

*─❥"_ पस तुम इस ख्याले फासिद को दिल से निकाल दो और जैसा अल्लाह ताला ने तुमको बनाया है वेसा ही अपने को मर्द से छोटा समझो और मर्द का वाक़ई गलती और बेजा गुस्सा के वक्त भी ज़बान दराज़ी कभी न करो बल्की उस वक्त खामोश रहो और जब उसका गुस्सा उतर जाए तो उस वक्त कहो कि मै उस वक्त तो बोली नहीं, अब बताती हूं कि आपकी फलां बात गलत थी या बेजा़ थी, इस तरह करने से बात भी नहीं बढ़ेगी और मर्द के दिल में आपकी क़दर भी होगी,*

╟──────❥

*─❥"_ बाज़ अवक़ात बीवी चुप नहीं होती, बोलती ही रहती है, मुंह ज़ोरी और ज़बान दराज़ी करके अपनी गलतियों और कोताहियों की सफाई पेश करती रहती है, अपनी गल्ती किसी हाल में मानने को तैयार नहीं होती तो शोहर मारपीट करने और हाथ उठाने पर तैयार हो जाता है, बाज़ अवक़ात झगड़ा इतना लंबा हो जाता है कि तलाक़ के अल्फाज़ निकल जाते हैं जो सिर्फ एक घर में नहीं बल्की कई खानदानों में आग लगा देते हैं,*

╟──────❥

*─❥"_ औरतों में ये भी आम मर्ज़ है कि मिजाज़ सनासी बहुत कम होती है, जवाब देती चली जाती है, बात को दबाती नहीं, ऐसे मोके़ पर बीवी या शोहर चुप हो जाए तो झगड़ा फोरन खत्म हो जाएगा,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–35, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 158,*
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                *क़िस्त नं:- 35*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
     *✿●•·गुस्सा कम करने की तदबीरें ,*
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*─❥"_ 1- शोहर और बच्चों को घर में दाखिल होने की दुआएं सिखाएं और उस पर अमल करवाएं कि जब घर में दाखिल हो तो "आउजू़ बिल्लाहि,,,, बिस्मिल्लाह,,,,, सूरह इखलास, दरूद शरीफ और दुआ पढ़ कर सलाम करके दाखिल हो,*

╟──────❥

*─❥"_ दुआ यह है: -‌"अल्लाहुम्मा इन्नी अस'अलुका ख़ैरल मवलजि वा ख़ैरल मखरजि बिस्मिल्लाहि वलजना वा बिस्मिल्लाहि खरजना वा अलल्लाहि रब्बिना तवक्कलना,"(अबू दाउद, 2/339)*

╟──────❥

*─❥"_ 2:- जब गुस्सा आये तो "आउज़ु बिल्लाहि मिनश शैयतानिर्रजीम" पढ़े,(बुखारी, 6048)*

╟──────❥

*─❥"_ 3:- जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, "तुममें से जब किसी को गुस्सा आये, अगर खड़ा है तो बैठ जाए और अगर उससे गुस्सा ना जाए तो लेट जाए _," (अबू दाउद, 4782)*

╟──────❥

*─❥"_ 4:- गुसे को ज़ब्त करने के फ़ज़ाइल को सोचें, अगर शोहर को गुस्सा आए तो उसे फ़ज़ाइल याद दिलाये और शोहर से भी कहे कि मुझे गुस्सा आए तो आप ये फ़ज़ाइल याद दिलाइएगा,*
*❥"_ एक हदीस में है कि, "आदमी गुस्से का घूंट पी ले, इससे ज़्यादा कोई घूंट अल्लाह के नज़दीक पसंद नहीं है,"(इब्ने माजा )*

╟──────❥

*─❥"_5:-जब तुममें से किसी शख्स को गुस्सा आ जाए तो चाहिए खामोश हो जाए,(मुसनद अहमद, 1/339)*

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*─❥"_ हज़रत अबू दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपनी बीवी से कितनी प्यारी बात कही थी, फरमाया:- "तुम जब मुझे नाराज़ देखो तो तुम मुझे मना लेना और अगर मैं तुम्हें नाराज़ देखूंगा तो मैं तुम्हें मनाने की कोशिश करुंगा, वरना हमारी गाड़ी एक साथ नहीं चल सकती _," (मखुजाज़ इस्लाम और शादी)*

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*╟❥ अगली क़िस्त–36 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 162,*
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                *क़िस्त नं:- 36*          
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*✿●•·शोहर की तरह से नई दुल्हन को तोहफा, "चार हिकमत की चूड़ियां,"*
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*─❥"_ 1- अगर कभी मुझसे गलती हो जाए तो माफ़ी और चश्म पोशी से काम लेना, ताकी तेरी मुहब्बत मेरे दिल में बरक़रार रहे और जब मैं गुस्से में हुं तो उस वक्त मेरे सामने जवाब बिलकुल मत देना,*

╟──────❥

*─❥"_ 2- आगर तुम गुस्से के वक़्त चुप ना रही तो हो सकता है मेरे मुंह से ऐसी बात मेरी बेअहतयाति की वजह से निकल जाए जिससे उम्र भर तुम्हें भी परेशानी उठानी पड़े और मुझे भी, अल्लाह ता'आला हर मुसलमान मर्द औरत की हिफाज़त फरमाये,*

╟──────❥

*─❥"_ 3- और शिकवे शिकायतों की कसरत भी ना करना (याद रखना कि ये इतनी बुरी चीज़ हे कि) इससे (मियां बीवी के दर्मियान) मुहब्बत खत्म हो जाती है, ( अल्लाह आपकी हिफाज़त फरमाये अगर आप भी इसमें मुब्तिला हैं) तो मेरा दिल आप से नफ़रत करने लगेगा और दिलों के बदलने में दैर नहीं लगा करती,*

╟──────❥

*─❥"_ 4 - मेने तो ये देखा है कि शोहर की तराफ से मुहब्बत और बीवी की तरफ से नाफरमानी तकलीफ (या शिकवा शिकायत की कसरत या शोहर के गुस्से के वक्त खुद भी गुस्से में आ जाना ) दोनो बातें अगर जमा हो जाए तो शोहर की मुहब्बत ऐसी बीवी से खत्म हो जाती है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–37, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 170,*
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                *क़िस्त नं:-37*          
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*✿●•·शौहर की बेतुकी बातें और समझदार बीवी का जवाब:-*
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*─❥"_ एक दिन खालिद बिन यज़ीद ने एक रिश्तेदार के सामने बीवी के भाई के मुताल्लिक सख्त अल्फाज़ कहे, उनकी बीवी रमला बिन्त ज़ुबेर सर झूका कर खामोश बेठी रही,*

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*─❥"_ खालिद ने जब सब कुछ कह डाला, फिर भी उसके गुस्से की आग न बुझी तो उसने अपनी बीवी से खिताब करते हुए कहा, "क्यू! तुमने कुछ कहा नहीं, क्या मेरी बात का तुम्हें भी ऐतराफ है कि तुम्हारा भाई वाक़ई ऐसा ही है, इसलिये चुप बेठी हो या मेरी बात तुम्हे नागवार गुज़री और जवाब ना देना पड़े, इसलिए तुम खामोश हो?*

╟──────❥

*─❥"_रमला ने कहा:- मेरे पेशे नज़र ना ये रुख है ना वो, बात ये है कि हम औरतों का काम मर्दो के दरमियान दखल देना नहीं है, ना हम इसलिए पैदा की गई है, हमारी हैसियत तो खुशबुदार पोधों और फूलों की सी है जो सूंघने और नज़रों को भाने के लिए समेटे जाते हैं, इसलिए तुम मर्दो के मामलात में दखल अंदाजी़ से हमें क्या वास्ता_,"*

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*─❥"_ खालिद को अपनी बीवी का ये जवाब इतना पसंद आया कि वो अपनी जगह से उठा और आकर बीवी की पेशानी को चूमा और बहुत ही खुश हुआ और जो दिल में अपने साले के मुताल्लिक नागवारी थी वो भी खत्म हो गई,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये हज़रत सुलेमान बिन दाऊद अलैहिस्सलाम अपने फैसलो मे फ़रमाते :-"समझदार औरत उजड़े हुए घर को आबाद करती है और नासमझ औरत बने बनाए आबाद घर को वीरान कर देती है"*

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*╟❥ अगली क़िस्त–38, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 175,*
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                *क़िस्त नं:-38*          
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*✿●•·•·ना मेहरबान शोहर को मेहरबान बनाने का तरीक़ा,*
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*"─❥"_ अगर गुस्से में शोहर तुमको बुरा भला कहे तो तुम बर्दाश्त करो और बिलकुल जवाब न दो, चाहे वो कुछ भी कहे, तुम चुप बेठी रहो, गुस्सा उतरने के बाद देखना खुद शर्मिंदा होगा और फिर कभी तुम पर इंशा अल्लाह ता'ला गुस्सा ना होगा और अगर तुम बोल उठी तो बात बढ़ जाएगी फिर ना मालूम नोबत कहा तक पहुंचे,*

╟──────❥

*"─❥_ औरत की शकल सूरत और तबियत व फितरत ही अल्लाह तआला ने ऐसी बनाई है कि उससे कितनी ही बड़ी ग़लती हो जाए और ये नरमी से माफ़ी तलब कर ले तो मर्द माफ़ करने पर मजबूर हो जाता है,*

╟──────❥

*"─❥_ औरत की सबसे बड़ी ख़ूबी ये है कि वो शीरी (मीठी) ज़बान हो, शीरी ज़बानी एक ऐसी उम्दा और एक दिलकाश ख़ूबी है कि अच्छे से अच्छे और बड़े से बड़े लोग भी ताबे हो जाते हैं, कहावत है "ज़बान शीरी तो मुल्क गीरी,"*

╟──────❥

*"─❥_ मीठी और शीरी ज़बान एक ऐसा जादू है जो हमेशा अपने सामने वाले पर असर अंदाज होता है, शीरी ज़बान औरत के ऐबों को भी लोग भूल जाते हैं,*

╟──────❥

*"─❥_ एक औरत में दुनिया भर की ख़ूबियां हो लेकिन अगर वो बद-ज़बान हो तो उसकी सारी ख़ूबियों पर पानी फ़िर जाता है, अगर औरत चाहे तो शीरी ज़बान के जादू से ना-मेहरबान शोहर को भी मेहरबान बना सकती है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–39, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 180,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 39*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·मियां बीवी के झगड़ो के खात्मे के लिए दो उसूल:-*
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*"─❥_ अगर औरत इन दो बातों को अपना लें तो हम यक़ीन के साथ कह सकते हैं कि मियां बीवी के बहुत से झगड़े खत्म हो जाएंगे, बहुत सी ना इत्तेफाकियां, नाचाकियां, ज़ुल्म व ज्यादतियां, नाराज़ हो कर मायके चले जाना, मासूम बच्चो पर गुस्सा निकालना, खुला लेना, तलाक़ का मुतालबा करना, यह सब खराबियां इन दो उसूलों पर अमल करने से इज्ज़त व शफ़क़त, इसरार व बर्दाश्त, इकराम व अहतराम, नर्मी में बदल जाएंगी और मुहब्बत पैदा हो जाएगी _,"*

╟──────❥

*"─❥_ 1- बीवी "जी हां" लफ्ज़ बोलना सीख ले, हर वक्त "जी हां" कहे, मसलन शोहर दिन को रात कहे तो भी "जी हां"*

╟──────❥

*"─❥_ 2- दूसरा उसूल माफ़ी माँगना और यू कहना कि आइंदा ऐसा नहीं होगा, "गलती हो गई माफ़ करना, आइंदा ऐसा नहीं होगा,"*

╟──────❥

*"─❥_ अब इसके बाद शैतान के लिए उस घर में झगड़ा पैदा करने का कोई हाथियार बाक़ी नहीं रहेगा,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–40, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 182,*
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                *क़िस्त नं:- 40*          
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              *✿●•·•· शुक्र गुज़ारी,*
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*─❥"_औरतें शुरू से ही अपने आपको शुक्र का आदी बना लें, हर वक्त जिस हाल में भी अल्लाह ने शोहर के घर में रखा उसका शुक्र करें, शोहर के घर की दाल रोटी को कोरमा और बिरयानी समझें और इस पर भी अल्लाह ता'ला का शुक्र करें,*

╟──────❥

*─❥"_ शोहर घर में चाहे कैसी भी चीज़ लाए बा तकल्लुफ ही उनका शुक्रिया अदा कीजिये, हर चीज़ को शुक्र के चश्मे लगा कर देखिए तो बुराइयां छुप जाएगी और अच्छाइयां आपके सामने आएंगी,*

╟──────❥

*─❥"_अल्लाह तआला का वादा है कि जब अल्लाह का शुक्र अदा किया जाएगा तो अल्लाह तआला नियामतों को बढ़ाएंगे,*

╟──────❥

*─❥"_ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने औरतों से ख़िताब फरमाते हुए फरमाया, मैंने दोज़ख में सबसे ज़्यादा औरतों को देखा, वजह पूछी गई तो फरमाया, "शोहर की ना- शुक्री की वजह से,"*
*"_देखिए शोहर की ना-शुक्री करना इतना बड़ा गुनाह है कि जहन्नम में जाने के असबाब में से एक सबब है,,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये अपने तमाम मोहसिनों का खुशुसन शोहर का शुक्र अदा करना, इसका आसान तरीक़ा है कि हर वक्त कहिए, "जजा़कल्लाहु खैरा" ( अल्लाह इसका आपको बेहतरीन बदला अता करे) और छोटे बच्चों को भी आप इसका आदी बनाइए, अगर बच्चों को पानी का गिलास दें, या कोई खाने पीने की चीज़ दें तो ये कहलवाओ, बेटा कहो, "जजा़कल्लाहु खैरा" अगर बच्चों से कोई काम लिया तो आप भी कहिए, "जजा़कल्लाहु खैरा,"*

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*╟❥ अगली क़िस्त–41 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 189,*
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                *क़िस्त नं:- 41*          
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                *✿●•·सब्र____"*
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*─❥"_ सब्र कहते हैं कोई तकलीफ दह बात पेश आए तो ज़ुबान से कोई खिलाफ़े शरआ बात ना निकले, ना जिस्म के दूसरे आज़ा से कोई खिलाफ़े शरआ कोई काम करे, ना परवरदिगार से शिकवा करें ना आमाल से नाफरमानी हो, अगर गम, बीमारी, परेशानी के वक़्त भी ये कैफियत है तो यह आदमी सब्र करने वाला है,*

╟──────❥

*─❥"_ सब्र करने वाले का हर आने वाला दिन उसके गुज़रे हुए दिन से बेहतर हुआ करता है और बेसब्री करने वाले का हर आने वाला दिन उसके गुजरे हुए दिन से बदतर हुआ करता है,*

╟──────❥

*─❥"_ ये पक्की बात अपने दिलों पर लिख लीजिये, अल्लाह ताला को सब्र करने वालों से मुहब्बत है, क़ुरान पाक में अल्लाह तआला का इरशाद है:- "बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है _,"*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये गमों पर परेशान ना हुआ करें, ये जिंदगी का हिस्सा है, अगर खुशियां हमेशा नहीं रहती तो फिर गम भी हमेशा नहीं रहा करते, अल्लाह तआला फरमाते हैं, "हर तंगी के बाद आसनी है,"*

╟──────❥

*─❥"_ अल्लाह ताला का हुकम है- "ए ईमान वालो (तबियतो में गम हलका करने के बारे में) सब्र और नमाज़ से सहारा (और मदद) हासिल करो, बिला शुबहा हक़ ताआला (हर तरह से) सब्र करने वालों के साथ रहते हैं,*

╟──────❥

*─❥"_ और नमाज पढ़ने वालो के साथ तो बदरजा औला साथ रहते हैं, वजह ये है कि नमाज़ सबसे बड़ी इबादत है, जब सब्र में ये वादा है तो नमाज़ जो इससे बढ़कर है उसमे तो बदरजा औला ये बशारत होगी,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–42 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 192,*
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                *क़िस्त नं:- 42*          
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*✿●•·नेक बीवी का अल्लाह तआला की तक़सीम पर राज़ी हो जाना:-*
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*─❥"_ ये भी एक नेक बीवी की सिफत है कि जो कुछ अल्लाह तआला ने दिया उस पर राज़ी हो जाना, और इस पर शुक्र अदा करें,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा हर मुसलमान औरत को चाहिये कि किसी से भी किसी क़िस्म की कोई उम्मीद ना रखे, ख़ुसुसन मुसलमान नेक बीवी की यही शान होना चाहिए कि अपने शोहर, वालिद, भाई, सास और भाभी किसी से कुछ भी मिलने की उम्मीद ना रखें,*

╟──────❥

*─❥"_ और ये यक़ीन रखें कि कोई बंदा किसी को अल्लाह के हुक्म के बगेर कुछ भी नहीं दे सकता, सबको देने वाला वही है, सबको पालने वाला वही है, लिहाज़ा उसी से उम्मीद रखी जाए, जिसके पास जो कुछ है वो उसी अल्लाह का दिया हुआ है और उसके इम्तिहान के लिए आज उसके हाथ में अमानत है,*

╟──────❥

*─❥"_ अक्सर बार बार मांगने वाली बीवी शोहर की निगाह से गिर जाती है और जो बीवी शोहर से किसी चीज़ का मुतलबा नहीं करती है बल्की सिर्फ शोहर से ये कहती है कि "आपकी दुआ चाहती हूं, जब आप मुझे देख कर मुस्कुरा देते हैं ये मेरे लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज़ हे,"*

╟──────❥

*─❥"_ शोहर जो कुछ भी ले आए उस पर शुक्रिया अदा करना और उसकी चीज़ की तारीफ करना ही चाहिए, लेकिन खुद कोशिश करे कि अपनी ज़बान से न मांगे, हां अल्लाह तआला से खूब ख़ूब और बार बार मांगे, फिर ज़रूरत समझे तो इस अंदाज से शोहर को कह दें कि, "मेरा ख्याल है कि ये चीज़ घर के लिए ज़रूरत की है बाक़ी जैसा आप मुनासिब समझें," या "मैं ये चाहती हूं कि कपड़ा फला की शादी के लिए खरीद लूं, आपका क्या ख्याल है ?"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–43 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 204,*
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                *क़िस्त नं:- 43*          
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*✿●•·शोहर से बात करने के अदाब ,-1:-*
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*─❥"_ नेक बीवी को चाहिए कि शोहर से बात करने में इन बातों का खास ख्याल रखें:-*
*"_(1)- उसकी बात को पूरी तवज्जो से सुने, बीच में ना बोलें, जब बात पूरी हो जाए और फिर कोई बात समझ ना आई हो तो पूंछ लें क्युंकी बीच में बोलने से अक्सर बात का रुख कहीं से कहीं निकल जाता है और मक़सद भी फौत हो जाता है,*

╟──────❥

*─❥"_(2)- कभी "तू" का लफ़्ज़ इस्तेमाल ना करें, बल्की हमेशा "आप" का लफ़्ज़ इस्तेमाल करे, हमारे यहाँ बाज़ खानदानो में तो तू कह देना गाली की तरह शुमार होता है,*

╟──────❥

*─❥"_(3)- हमेशा अपना लहजा नरम रखें, कभी भी तेज़ लहजे में बात ना करें, बल्की गुस्से की आमजिश से दूर हो कर नरमी व शगुफ्तगी से बात करें,*

╟──────❥

*─❥"_(4)- क्यूं, क्या, कैसे, कब, कहाँ, इन अल्फाज़ को कभी इस्तेमाल ना करें, मसलन -आप क्यूं देर से आए?*

╟──────❥

*─❥"_ 5- शोहर को हुक्म के लहजे में कोई बात ना कहें, इंसान की तबियत है कि कोई बात उसे हुक्म से कही जाए या ज़बर्दस्ती उससे तलब की जाए तो वो इन्कार कर देगा या बेदिली से काम करेगा,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–44 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 208,*
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                *क़िस्त नं:- 44*          
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*✿●•·शोहर से बात करने के आदाब ,-2,*
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*─❥"_( 6)- मोके़ पर गुफ्तगु, "मोके़ पर कही बात सोने की डलियों की तरह होती है," नेक बिवियां फोरन बे तरकीब जवाब नहीं देती, बल्की बात को सुन कर खामोश रहती है, सोचती है फिर सोच समझ कर बात करती है, अंजाम को सामने रख कर बात करती है, मोके़ पर बात करती है,*

╟──────❥

*─❥"_(7)- जवाब साफ दीजिये, अगर शोहर कोई बात पूछे तो उसके सवाल पर गोर करें और सवाल का मक़सद समझने की कोशिश करे कि इस सवाल करने का मक़सद क्या है, जवाब देने में सवाल से हट कर कोई फ़िज़ूल बात ना की जाये,*

╟──────❥

*─❥"_( 8)- अधूरी बात भी ना कीजिये, और ज़रुरत की बात में फ़िज़ूल बात ना मिलाई जाए,*

╟──────❥

*─❥"_ याद रखिये! किसी अक़लमंद का कौल है कि दुनिया में हर इन्सान से गलतियां सादिर होती है, लेकिन अक़लमंद शख्स वो है जो अपनी गलतियां छुपाने में कामयाब हो सके और बेवकूफ वो है जो अपने ऐब खुद ही खोल दे _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–45, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 221,*
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                *क़िस्त नं:- 45*          
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*✿●•·मुस्कुराहत ज़िंदा दिली का नाम है:-*
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*─❥"_ कहते हैं मुस्कुराहट रूह का दरवाज़ा खोल देती हैं, रूह का रिश्ता ज़हन से, ज़हन का दिमाग से और दिमाग का दिल से होता है, बीवी खूबसूरत वही समझी जाती है जो शोहर के दिल में खुशियां बिखेरने और दिल्लगी का बाइस बनने की सलाहियत रखती हो,*

╟──────❥

*─❥"_ दिल सबसे ज़्यादा उस वक्त खुश होता है जब कोई हंसता मस्कुराता शख्स तुम्हारे क़रीब बेठा हो, दिल की शादमानी और खुशी उम्दा दवा की तरह नफा पहुंचाती है,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये आप ज़रा अहतयात कीजिये और हमेशा मस्कुरा कर जिंदा दिली का सबूत दीजिये, शोहर के आते ही अपने और बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट का पाउडर मल लीजिये, और शोहर और बच्चों को भी चाहिए कि वो घर में दाखिल हों तो मुस्कुराते हुए आएं,*

╟──────❥

*─❥"_ मिया बीवी हमेशा ये उसूल याद रखे, "जो तुम मुस्कुराओ तो सब मुस्कुराएं," मियां बीवी में मुहब्बत और इत्तेफ़ाक़ पैदा करने का मुजर्रब नुसखा ये है कि दोनों मुस्कुराहत को अपनाएं, मुस्कुराहत के खिलाफ बातों का जिक्र ही ना करें,हर वक्त मुस्काता हुआ चेहरा अपनाएं _,"*

╟──────❥

*─❥"_ अल्लाह तआला की नियमतों में से एक नियामत ये भी है कि अल्लाह ताला किसी बंदे या बंदी को मुस्कुराता हुआ चेहरा अता फरमा दें _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–46 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 230,*
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                *क़िस्त नं:- 46*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
        *✿●•·मनफी सोच से बचिए _,"*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_याद रखिये ! आपको नफ्स कभी ये धोखा ना दे कि मेरे मां बाप मालदार है, मैं उनके पास चली जाऊंगी, नहीं कभी नहीं ! शोहर के कहने पर भी आप इसे कुबूल ना किजिये बल्की ऐसा मोका़ ही ना दिजिये कि वो कह दे कि तुम अपने मायके चली जाओ,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये कि अभी आपका लड़ झगड़ कर शोहर के घर से निकलना बहुत आसान है और ये आपके हाथ में है और ये भी मुमकिन है कि वालदा को फोन कर के गाड़ी मंगवा ली और मायके चली गई या छोटे भाई और वालिद को बुला लिया और चली गई, लेकिन फिर दोबारा लौटना बड़ा मुश्किल होगा,*

╟──────❥

*─❥"_ अब लौटना आपके हाथ में नहीं रहेगा ये किसी और के हाथ में चला जाएगा कि वो जब आपको बुलाना चाहेगा बुलाएगा, और जो चीज़ दूसरे के हाथ में चली जाए उसमे फिर अपनी नहीं चलती,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिए कभी इस ख्याल को भी दिलो दिमाग में मत आने दीजिये, अभी तो वालिद भी, छोटे बड़े भाई भी आपका साथ देंगे, लेकिन जेसे जेसे वक्त गुज़रेगा आपको वालदेन के घर का एक दिन एक माह के बराबर लगेगा,*

╟──────❥

*─❥"_ जब छोटे भाईयों को शादी होगी और अल्लाह ना करे भाभियों ने ये कह दिया, "हमारे साथ क्या निभाएगी जब अपनी सास, शोहर के साथ तो निभाया नहीं," उस वक़्त का एक ताना पत्थर जेसे जिगर में भी सुराख कर सकता है,*

╟──────❥

*─❥"_ शोहर के घर का मामूली खाना, दूसरे की मुर्गी बिरयानी से बदरजाह बेहतर होता है, इसलिये दिल में कभी इस ख्याल को जगह मत दीजिये कि "मायके चली जाउंगी," इसलिए बड़ी बुढ़ियां कहती थी, डोली में आई थी अब जनाज़े की सूरत में ही वापस जाउंगी_,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–47, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 241,*
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                *क़िस्त नं:- 47*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·औरतों की आपस की लड़ाइयां:-*
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*─❥"_ बाज़ औरतों को एक बुरी आदत ये होती है कि एक ज़रा सा लड़ाई का बहाना मिल जाए उसको मुद्दतो तक ना भूलेंगी, बाल की खाल उतारती जाएंगी, उनकी लड़ाइयां सख्त तो नहीं होती है मगर लंबी होती हैं, इनका कीना किसी तरह निकलता ही नहीं, कोई घर ऐसा नहीं जिसमे औरतें इसमें मुब्तिला ना हों, मां बेटी, सास बहू, देवरानी जेठानी, ननद भोजाई आपस में लड़ती हैं,*

╟──────❥

*─❥"_ इन सबकी बुनियाद अहम परस्ती है, और इसका इलाज ये है कि सुनी सुनाई बातों पर ऐतबार ना करें,*

╟──────❥

*─❥"_ मसनून तरीक़ा भी यही है कि अगर किसी से कुछ शिकायत दिल में हो तो फौरन उस शख्स से जाहिर कर दें, अगर जाहिर नहीं करेगी तो दिल में कीना, दुश्मनी और गुस्से के जज़्बात का पोधा उग जाएगा और जैसे जैसे वक्त गुजरेगा यह पौधा दरख्त बनेगा इनकी जड़ें गेहरी होंगी कि निकालना मुश्किल होगा,*

╟──────❥

*─❥"_ और अगर शिकायत सही हो तो फोरन शिकायत दूर करके एक दूसरे से माफ़ी तलाफी कर लें और अगर गलत हो तो हमेशा के लिए इसका लड़ाई का दरवाज़ा बंद हो जाएगा,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा दो बातो को याद रखें, पुरानी बातें तो बिलकुल भुला दें और किसी से गीबत, चुगली सुने ही नहीं, अगर सुन ली तो उस पर यक़ीन ना करें,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–48 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 271,*
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    *✿ ❈ तोहफा- ए -दुलहन ❈ ✿*
                *क़िस्त नं:- 48*          
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      *✿●•· ख़ूबसूरत औरत कौनसी है:-*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙ 
*─❥"_याद रखिये ! ख़ूबसूरत नज़र आने का बड़ा सबब इता'अत है, शोहर की फरबरदारी और इता'अत तो बीवी की फ़ितरत में शामिल होना चाहिए, क्यूंकी शोहर ही तो है जो उसके लिए दिन रात एक करता है और मुसलसल अपने आपको थकाता है, उसका हक़ तो इससे कहीं बड़ा हुआ है, लिहाज़ा खैर और भलाई के कामो में उसकी इता'अत और ताबेदारी फ़र्ज़ (जरूरी) है,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिए हज़रत आयशा रजियल्लाहु अन्हुमा औरतों को अपने शोहरो के बारे में नसीहत करती थीं और सख्त लेहजे में फरमाती थीं:-*
*"_ ऐ औरतों की जमात ! अगर तुम जान लेती कि तुम पर तुम्हारे शोहरों के क्या हुक़ूक़ है तो तुम उनके क़दमों के गुबार को अपने रुखसार से साफ करती_"*

╟──────❥

*─❥"_ बीवी की ख़ूबसूरती का राज़ शोहर की इता'अत में पोशीदा है, जितनी वो शोहर की फरबरदारी करेगी उतनी ही ज़्यादा ख़ूबसूरत लगेगी,*

╟──────❥

*─❥"_ इसलिये कि औरत इश्क व नाज़ के तीरों से लेस होने के बावजूद भी मर्द की क़ददावर शख्सियत के सामने बेबस है, और उसकी कमज़ोरी ज़ाहिर है और बिलाखिर जल्द ही मजबूर हो कर उसे मर्द की ताबेदारी और इता'अत के लिए सर झुकाना होगा, आदाब व अख़लाक़ से आरास्ता होकर आइंदा हर क़िस्म की नाफ़रमानी से परहेज़ करना होगा,*

╟──────❥

*─❥"_ लिहाज़ा मुसलमान बीवी इस बात को अच्छी तरह समझ ले कि शोहर की निगाह में हक़ीक़ी ख़ूबसूरती उसकी इता'त है, इसलिए शोहर की ख़ूब इता'अत करें, अगर नेक बीवी ने अपने अंदर एक यही सिफत पैदा कर ली तो वो पाउडर लगाये बगे़र किसी ब्यूटी पार्लर में जाए बग़ेर और किसी मेकअप के बगे़र सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत बीवी शुमार होगी _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–49 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 311,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 49*          
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        *✿●•·•· सलीके़ की बातें,-1 __,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━╟

*─❥"_ शोहर की चीज़ो को ख़ूब सलीके़ और तहज़ीब से रखें, रहने का कमरा साफ हो गंदा ना हो, बिस्तर मेला कुचेला ना हो, तकिया मेला हो तो गिलाफ बदल दें,*

╟──────❥

*─❥"_ जब उसके कहने पर आपने किया तो इसमे बात क्या रही, मज़ा तो इसी में है बगैर कहे हुए सब चीज़े ठीक कर दें, जिन चीज़ों को वो जिस तरह सलीके़ से रखना चाहता हो वेसे रखें,*

╟──────❥

*─❥"_ जो चीज़ आपके पास रखी हो उनको हिफाज़त से रखें, कपड़े हो तो तेह करके रखें, यूंही इधर उधर ना डालें, बिखरे पड़े ना हो, सलीक़े से रखें,*

╟──────❥

*─❥"_ अगर शोहर के मां बाप ज़िंदा हों और शोहर रुपया पैसा सब उन्ही को दे और आपको ना दे तो बुरा ना माने, बल्की अगर आपको दे तो तब भी समझदारी की बात ये है कि आप अपने हाथ में ना लें बल्की ये कहें कि उन्हीं को दे दिजिये ताकि सास ससुर का दिल आपकी तरफ से मेला ना हो,*

╟──────❥

*─❥"_ और जब तक सास ससुर ज़िंदा है उनकी खिदमत और ताबेदारी को अपना फ़र्ज़ समझें और इसी में अपनी इज़्ज़त समझें, और सास नन्दो से अलग हो कर रहने की हरगिज़ फ़िक्र ना करे क्यूंकी सास नन्दो से बिगाड़ की जड़ यही है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–50 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 329,*
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                *क़िस्त नं:- 50*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
           *✿●•·सलीके़ की बातें ,-2:-*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ जो काम सास और ननदें करती है आप उसके करने से शर्म और आर मेहसूस ना करे, आप खुद भी उनसे कह कर काम लें और करें, इससे ससुराल वालों के दिल में आपकी मुहब्बत पैदा हो जाएगी,*

╟──────❥

*─❥"_ जब दो औरतें आपस में चुपके चुपके बातें कर रही हों तो उनसे अलग हो जाएं और इस बात की फिक्र न करें कि आपस में क्या बातें कर रही थी और ना ही बेकार ही ये ख्याल करें कि हमारी ही बातें कर रही होंगी,*

╟──────❥

*─❥"_ हर मामले में अपनी वालदा की तरह सास का अदब करो और हर हाल में उनकी रजामंदी को मुकद्दम समझो, चाहे तुमको तकलीफ़ हो या राहत, मगर उनकी मर्जी के खिलाफ एक क़दम भी ना उठाओ,*

╟──────❥

*─❥"_ ज़बान से ईएसए कोई लफ्ज़ ना निकालो जिससे उनको तकलीफ़ हो, उनसे जब बात करो तो ऐसे अल्फाज़ इस्तेमाल ना करो जेसे अपनी बराबर वालियों से करती हों, बल्की उन अल्फाज़ से बात करो जो बुजुर्गो के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, अगर सास किसी मामले में तमबीह करे, डांटे तो उनके कहने को खामोशी के साथ सुन लो और याद रखो अपने शोहर की सास (मां) से ज्यादा अपनी सास का ख्याल रखो,*

╟──────❥

*─❥"_ अगर कभी नागवार और तल्ख़ बात कह दें (कि जिसकी उम्मीद तो नहीं है) तब भी उसको मीठे शरबत की तरह ​​पी जाओ और हरगिज़ सख्ती से जवाब न दो, अगर किसी काम को दूसरों को कहे तो तुम उसको भी अपनी तरफ से अंजाम दो,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–51, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 330,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 51*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
          *✿●•· सलीक़े की बातें -3,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥ अगर कोई औरत तुमसे मर्तबा और उम्र में बड़ी है, जैसे शौहर के बड़े भाई की बीवी, उसके साथ गुफ्तगू और उठने बैठने में उसके मर्तबा का लिहाज़ रखो और उसके साथ इस तरह मिल जुल कर रहो जैसे सगी बहने हों, तुम अगर ऐसा बर्ताव रखोगी तो ज़रूर दूसरी तरफ से भी ऐसा ही बर्ताव होगा,*

╟──────❥

*─❥•· और अगर उम्र व मर्तबा में तुमसे छोटी हो तो उसके साथ मोहब्बत और प्यार वाला बर्ताव रखो और उसको निहायत नरमी से अच्छी बातों की तालीम देती रहो और वह कोई काम करें तो तुम उसकी मदद कर दो, इसी तरह शौहर की बहनों के साथ उनके मर्तबा के मुताबिक़ सुलूक करो ,*

╟──────❥

*─❥· अपने घर या किसी दूसरे के घर किसी तक़रीब (प्रोग्राम) में औरतों के साथ मिल बैठो तो पीठ पीछे किसी के बारे में ऐसी बातें मत कहो कि अगर वह सुने तो बुरा माने, इसी को गीबत कहते हैं, गीबत करना सख्त गुनाह है,*

╟──────❥

*─❥•· घर में जो बच्चे हैं चाहे देवरानी जेठानी की औलाद हों या ऐसे क़रीबी रिश्तेदारों के जो उस घर में रहते हैं, उनके साथ निहायत नरमी से पेश आओ, हदीस शरीफ में आया है, "जो शख्स बड़ों का अदब ना करें और छोटो पर रहम ना करें, वह हमें से नहीं (यानी उसका हम से ताल्लुक नहीं )_,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–52, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 330,*
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                *क़िस्त नं:- 52*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
         *✿●•·नमाज की अहमियत -1,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•·"_हजरत अनस रजि अल्लाहु अन्हू से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम इरशाद फरमाया :- "_अगर औरत पांच वक्त की नमाज़ पढ़े, रमजान के रोज़े रखे, अपनी इज़्ज़त आबरु को बचाए रखें (यानी पाक दामन रहे) और अपने शौहर की (नेक कामों में) इता'त करें तो (उसको अख्त्यार है कि) जिस दरवाजे से चाहे जन्नत में दाखिल हो जाए _," (मिशकात शरीफ )*

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*─❥●•·"_औरतें अगर नमाज़ का अहतमाम कर लें और अज़ान सुनते ही सब कामों को छोड़ दें, जो औरतें यह सोचती है कि अभी तो अज़ान हुई है यह काम खत्म हो जाए फिर नमाज़ पढ़ लेंगी, तो काम तो खत्म होते नहीं और नमाज़ देर से पढ़ने का गुनाह अलग से होता है और वक्त में बरकत खत्म हो जाती है,*

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*─❥●•·"_ इसलिए आप घर के अंदर मुसल्ले की जगह बनाएं और उसी को अपने लिए मस्जिद समझें, बड़ा घर है तो एक कमरे को भी मस्जिद बना लें, वहां पर तस्बीह भी हो, गुठलियां भी हों ( जिक्र के लिए) और कुरान मजीद भी क़रीब हो और पर्दा भी ताकि आसानी के साथ नमाज़ पढ़ सको और उस जगह बैठने की आदत डालें,*

╟──────❥

*─❥●•·"_अमूमन औरतें अपनी मुश्किलात और मुसीबतों की वजह से कितनी परेशान रहती हैं हालांकि अल्लाह ताला ने हमें नमाज़ जैसी अज़ीम इबादत अता फरमाई है, लिहाज़ा फ़र्ज़ नमाज़ अच्छी तरह अदा करके अल्लाह ताला से मांगे, फिर हमें ताबीज और दम किए हुए पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा बल्कि हर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़कर दुआ मांग कर खुद पानी पर दम कर सकती हैं,*

╟──────❥

*─❥●•·"_ दुल्हन शादी वाले दिन नमाज़ पढ़ने में शर्म महसूस करती है हालांकि उस दिन ज़्यादा नमाज़ का अहतमाम करना चाहिए कि आज नई जिंदगी के सफर में पहला दिन है,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–53 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 333,*
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                *क़िस्त नं:- 53*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
        *✿●•· नमाज़ की अहमियत-2,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•· बाज़ मर्तबा अय्याम (हेज़) से पाक हो जाने के बाद जल्दी नमाज़ शुरु नहीं करती, 1-2 वक्त टाल देते हैं, इसका शर'ई हुक्म तो यह है कि पाकी नज़र आने के बाद एक वक्त भी नमाज़ क़ज़ा करना जायज़ नहीं और यही हुक्म रोज़े का है,*

╟──────❥

*─❥●•·बाज़ औरतें बच्चे की पैदाइश के बाद चाहे 30 दिन बाद ही पाक हो गई हों फिर भी 40 दिन तक नमाज़ नहीं पड़ती हालांकि औरत जब भी पाक हो जाए (चाहे 40 रोज़ से कम दिनों में ही पाक हुई तो गुस्ल करके नमाज़ पढ़ना ज़रूरी और अगर ना पढ़ सकी और सुस्ती कोताही की तो उसकी कज़ा वाजिब है )*

╟──────❥

*─❥●•·बाज़ औरतें यह कोताही करती है कि उन नमाज़ों की कज़ा अदा नहीं करतीं जो हर महीने अय्याम से पाक होने के बाद गुस्ल देर से करने की वजह से छूट जाती हैं,*

╟──────❥

*─❥●•·बाज़ औरतें खुद तो नमाज़ की पाबंदी करती हैं लेकिन 7 साल या इससे बड़ी उम्र के बच्चों को ना तो नमाज़ सिखाती है ना ही पढ़ाती है, और इसी तरह शौहर या बड़े बच्चों को मस्जिद में भेजने की कोशिश नहीं करती, इसके लिए रोजाना घर में "फज़ाइले आमाल" और "रियाज़ुल सालेहीन" की तालीम करें, जिससे घर के तमाम लोग बैठकर सुनें, इस अमल से अल्लाह ताला की खुसूसी रहमतें और बरकते नाज़िल होंगी, घर का हर फर्द नमाज़ी बन जाएगा और तिलावत व जिक्र की फिज़ा घरों में क़ायम होगी ,*

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*╟❥ अगली क़िस्त–54, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 334,*
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      *✍ Haqq Ka Daayi ,*
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[11/2, 8:23 AM] Enamul Uloom: ◐
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I *ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ* l  
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    *✿ ❈ तोहफा- ए -दुलहन ❈ ✿*
                *क़िस्त नं:- 54*          
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                 *✿●•· पर्दा -1,*
        ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥✿●•· मेरी बहन हजरत फातिमा ज़ोहरा रज़ियल्लाहु अन्हा के इस क़ौल पर गौर करो कि औरत के लिए खैर यह है कि ना वो मर्दों को देखें और ना मर्द उसे देखें, औरत के लिए खैर तो सिर्फ इसी में है कि मर्दों के हुजूम और मैदान से दूर रहें और मर्द औरतों के मैदान से दूर रहें,*

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*─❥✿●•·अल्लाह ताला के नज़दीक औरत का दर्जा उस वक्त तक बढ़ता रहता है जब तक वह अपने घर में रहती है और हदीस शरीफ में आया है की औरत छिपाने की चीज़ है ,*

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*─❥✿●•·हजरत अली रज़ियल्लाहु अन्हु कहां करते थे :- ऐ लोगो ! क्या तुम्हें शर्म नहीं आई, क्या तुममे गैरत खत्म हो गई है कि तुम अपनी बीवी को छूट दे देते हो कि वो मर्दों के बीच में से गुज़रती चली जाए, कि वो गैर मर्दों को देखें और गैर मर्द उसको देखें _,"*

╟──────❥

*─❥✿●•· एक दिन का ज़िक्र है कि उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा और हजरत हफसा रज़ियल्लाहु अन्हुमा नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के पास बैठी हुई थी कि हजरत अब्दुल्लाह बिन उम्मे मक़तूम आपके पास आए, यह नाबीना सहाबी थे, तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने दोनों से फरमाया, इनसे पर्दा करो _,"*
*"_ दोनों उम्मुल मोमिनीन ने कहा, "_ऐ अल्लाह के रसूल ! क्या ये नाबीना नहीं है, ना हमें देख सकते हैं और ना पहचान सकते हैं ?*
*"_ यह सुनकर नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया:- क्या तुम दोनों भी नाबीना हो और क्या तुम उसे नहीं देख रही हो _," (अबू दाऊद शरीफ)*

╟──────❥

*─❥✿●•·इस हदीस शरीफ से पर्दे की अहमियत वाज़े हो गई और यह भी मालूम हो गया कि पर्दा दोनों तरफ से होना चाहिए ना कि एक ही तरफ से और जिससे पर्दा का हुक्म हुआ है इससे आंखों वाला पर्दा मुराद है ना कि दिल वाला _,*

╟──────❥

*─❥✿●•·बाज़ जाहिल क़िस्म की औरतों में मशहूर है वह कहती हैं कि असल पर्दा तो दिल का होता है, जब दिल में पर्दा होता है तो जाहिरी नुमाइशी पर्दे की क्या ज़रूरत है, ऐसा ख्याल भी जहालत है,*

╟──────❥

*─❥✿●•· लिहाजा इस बात का ख्याल रखें कि् कोई नामहरम मर्द आपके जिस्म के किसी हिस्से को ना देख सके, चाहे वह देवर हो या नोकर हो, खालाज़ाद या मामूज़ाद हो, या कोई भी ऐसा मर्द हो जिससे अल्लाह ताला ने पर्दे का हुक्म दिया है, उससे अपने जिस्म को छुपाए रखें,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–55, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 352,*
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                *क़िस्त नं:- 55*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
                 *✿●•·पर्दा -2 _,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•· और बिला ज़रूरत बाहर ना निकलें, अगर मजबूरी में जाना पड़े तो बुर्का पहन कर निकलें, अगर आपने अपना चेहरा खुला रखा और आपको 10 आदमियों ने देखा तो गोया 20 आंखें अल्लाह ताला के गज़ब का शिकार हुईं,*

╟──────❥

*─❥●•·लिहाजा कभी भी बन ठन कर ना निकलें, अपना हुस्न गैरों को ना दिखाएं, खुसूसन जब दुल्हन बनी हो और ससुराल में जाएं तो पूरे बुर्के में जाएं ,*

╟──────❥

*─❥●•·बाज़ जगह अल्लाह ताला को नाराज़ करने वाला एक रिवाज यह भी है कि अक्सर दुल्हन अपने देवर जेठ या दूल्हा के चाचा जा़द मामू जाद या दीगर ना मेहरमों से मुसाफा करती हैं, याद रखिए ! आप बगैर डर के बिल्कुल मना कर दें कि मैं यह नाजायज़ काम हरगिज़ नहीं करूंगी, कोई भी ऐसा काम जो अल्लाह ताला और उसके रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के हुक्म के खिलाफ है उस पर मुझे मजबूर ना किया जाए _,"*

╟──────❥

*─❥●•·मेरी बहन! जब आपका शौहर मुसाफे को कहें या पर्दे से रोके तो ऐसे वक्त में आपको ज़ालिम फिरौन की बीवी हजरत आसिया की मुस्तकिल मिज़ाजी को सामने रखना चाहिए, जान दे दी मगर अल्लाह की नाफरमानी पर राज़ी ना हुई ,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–56 , जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 354,*
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                *क़िस्त नं:- 56*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
      *✿●•· बेपर्दगी के नुक़सानात -1,*
        ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
 *─❥●•· जो औरतें अपने घरों से बेपर्दा सज धज कर दुल्हन बनकर निकलती हैं गोया वह जुबान ए हाल से हर नौजवान और बूढ़े को आम दावत नज़ारा देती है और कहती फिरती है कि क्या तुम इस हुस्न व जमाल को नहीं देख रहे हो ? यह सब देख कर भी क्या तुम कु़रबत और वस्ल की ख्वाइश नहीं रखते हो ?*

╟──────❥

 *─❥●•·इस तरह यह औरते बाजारों और शाहराहो पर अपनी खूबसूरती की नुमाइश करती है जैसे फेरीवाला चल फिर कर अपना माल जगह-जगह दिखाता फिरता है, जिस तरह मिठाईवाला सजा कर रखता है ताकि आने जाने वाले की नज़र उस पर पड़े,*

╟──────❥

 *─❥●•· दोज़खियों की एक किस्म के बारे में आता है, "ऐसी औरतें जो कपड़े पहने हुए भी नंगी होंगी और (गैर मर्द को अपनी तरफ) माइल करने वाली और (खुद उनकी तरफ) माइल होने वाली होंगी, (नाज़ से शानों को घुमाकर लचकदार चाल से चलेंगी) उनके सर बड़े-बड़े बख्ती ऊंट के कोहानों की तरह फूले हुए होंगे, ऐसी औरतें जन्नत में दाखिल ना होंगी और ना जन्नत की खुशबू सूंघेंगी हालांकि जन्नत की खुशबू इतनी इतनी दूर के फासले से आएगी _," ( मुस्लिम शरीफ )*

╟──────❥

 *─❥●•· लिहाजा किसी भी मुसलमान औरत के लिए जायज़ नहीं कि वह ऐसे कपड़े पहने जिनमें जिस्म की रंगत या बाल और आज़ा (बदन के हिस्सा) की नुमाइश हो या ऐसे चुस्त लिबास हों जो आज़ा की बनावट ज़ाहिर करें जिससे मर्द गुनाहों में मुब्तिला हो, हां ! अपने शौहर के सामने हर ऐसे काम की इजाज़त है जिसकी वजह से शौहर की तवज्जो सिर्फ अपनी बीवी पर ही रहे ,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–57, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 359,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 57*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
     *✿●•· मंगेतर के साथ घूमना फिरना,*
        ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•· हम हर मुसलमान बहनों को नसीहत करते हैं कि निकाह से पहले आपका होने वाला शौहर आपके लिए अजनबी शख्स है उसका आपको देखना हराम है और उसके साथ घूमना फिरना दुनिया व आखिरत दोनों को तबाह करने का ज़रिया है,*

╟──────❥

*─❥●•·आप ज़रा सोचिए एक नौजवान लड़के के साथ बन ठन कर नौजवान लड़की का जाना जो उसको चौराहों, पार्को और होटलों में ले जाकर फिराए, इस खुली छूट के नतीजे में हिर्स हवस का यह पतला सांप बन कर जब अपने शिकार का रस चूस ले, अपना दिल इस खिलौने से अच्छी तरह बहला लें, उसकी इज़्ज़त को सरे बाज़ार रूसवा कर दे और इस खुले मेलजोल के नतीजे में लड़की को शादी से पहले ही .......,*

╟──────❥

*─❥●•·इस खुल्लम-खुल्ला बे हयाई के नतीजे में बहुत से शरीफ खानदानों की इज्ज़त मलियामेट हो गई, उम्र भर के लिए बच्ची की जिंदगी खराब हो गई, इस गुनाह की नहूसत बाज़ खानदानों में इस तरह फैली की शादी से पहले लड़का और लड़की एक दूसरे से बहुत ही ज्यादा मोहब्बत करते थे घंटों टेलीफोन पर बातें हुआ करती, घंटों बाहर घूमा करते थे लेकिन शादी के बाद शौहर का दिल बीवी से हट गया और देखने वाले भी हैरान हो गए कि इन दोनों में यह नफरत की आग कैसे हो लगी ?*

╟──────❥

*─❥_हकी़कत यह है जो बंदे अल्लाह ताला को नाराज़ करते हैं वह कभी सुकून व राहत के साथ नहीं रह सकते, इस गुनाह की नहूसत बाज़ मर्तबा यह भी सुनी गई कि रिश्ता बहुत जल्दी टूट जाता है ,*

╟──────❥

*─❥_ इसी तरह शादी से पहले होने वाले शौहर से फोन पर भी बिल्कुल बात ना कीजिए, बुराई की तमाम राहें इसी से खुलती है, आप इन बातों से बचने का इरादा तो दीजिए अल्लाह ताला आपकी जरूर मदद फरमाएंगे इंशा अल्लाह ताला ।*
╟──────❥

*─❥●•·इसलिए कि जो औरत अपने पैदा करने वाले मालिक के हुकमों को मानने वाली और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम के अखलाक की पैरवी करने वाली बन गई तो वह इंसानियत के शर्फ से मालामाल हो गई, वह उन्स व उल्फत का मुजस्समां और मोहब्बत व इखवत का पुतला बन गई ,*

╟──────❥

*─❥"_नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- ए बीवियों ! याद रखो तुम में से जो औरतें नेक हैं वह नेक मर्दों से पहले जन्नत में जाएंगी और जब शोहर जन्नत में आएंगे तो यह औरतें गुस्ल करके खुशबू लगाकर शौहरों के हवाले कर दी जाएंगी, सुर्ख और ज़र्द रंग की सवारियों पर सवार होंगी और उनके साथ ऐसे बच्चे होंगे जैसे बिखरे हुए मोती_," ( कंजुल उम्माल- 16/ 171)*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–58, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 365,*
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                *क़िस्त नं:- 58*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
  *✿●•· शौहर का मिजा़ज पहचानना _,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•· बीवी को चाहिए कि जब भी शौहर से बात करनी हो तो मिज़ाज देख कर बात करे, अगर देखें कि उस वक्त हंसी और दिल्लगी में हैं तो हंसी और दिल्लगी करें और नहीं तो हंसी दिल्लगी ना करें, जैसा मिज़ाज हो वैसी बात करें,*

╟──────❥

*─❥●•· खूब समझ ले कि मियां बीवी का ताल्लुक सिर्फ मोहब्बत का नहीं होता बल्कि मोहब्बत के साथ मियां का अदब करना भी ज़रूरी है, मियां को दर्जे में अपने बराबर समझना बड़ी गलती है, शौहर से हरगिज़ कोई काम ना लें,* 

╟──────❥

*─❥●•· शौहर जब खुश हो तो कोशिश करें कि खुशी में आप इज़ाफ़ा करने का सबब बन सकें और गमगीन, बेचैन हो तो आप उसके ग़म को हल्का करने की कोशिश करें और खुद भी उसके गम में साथ दे,*

╟──────❥

*─❥●•· लुत्फ तो इसी में है कि शौहर दिन भर का थका मांदा घर आए तो घर वालों की बातों से दिल खुश करे, वह (बीवी) उसको राहत दे, उनकी राहत का ख्याल रखे, जिन लोगों की माशरत घरवालों के साथ अच्छी होती है वाक़ई उनको दुनिया ही में जन्नत का मज़ा आता है _,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–59, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 371,*
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                *क़िस्त नं:- 59*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•· शोहर के घरवालों की तारीफ और उनसे मोहब्बत,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•· शौहर और उसके रिश्तेदारों से दिली मोहब्बत रखें और जबान से उनकी तारीफ करें क्योंकि जब बहू घर में आती है तो खानदान की नादान औरतें बर्तन बजने की आवाज़ का शिद्दत से इंतजार करती हैं,*
*"_ इसलिए जबरदस्ती पूछा जाता है कि क्या हाल है ? बहु से उगलवाया जाता है कि उस घर को कैसा पाया ?*

╟──────❥

*─❥●•· अगर किसी औरत को अपने शौहर से ( या उसके रिश्तेदारों से) तबई मोहब्बत ना हो तो भी उस औरत को चाहिए कि यह बात अपने शौहर के सामने ज़ाहिर ना करें बल्कि तकल्लुफ मोहब्बत का इज़हार करें, इससे मोहब्बत नहीं होगी तब भी हो जाएगी,*

╟──────❥

*─❥●•· इस्लाम ने मियां बीवी के ताल्लुकात के सिलसिले में जो ज़रूरी आदाब और फराइज़ आइद किए हैं उनको निभाने और बजा लाने की कोशिश करें ,*

╟──────❥

*─❥●•·बस इसी तरीके से जिंदगी की खुशगवारी नसीब हो सकती है क्योंकि बार-बार मोहब्बत का इजहार करने और पुरानी बातें भुलाकर नया अज्म और पुख्ता इरादा करके चलने से एक दिन वह आता है कि ये दोनों मियां बीवी एक जान दो दिल, एक बातिन दो ज़ाहिर, एक मिज़ाज दो रूहें, एक परेशानी दो दुआ मांगने वाले, एक दर्द तो बर्दाश्त करने वाले और एक फिक्र दो सोचने वाले बन जाते हैं,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–60, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 373,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 60*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
     *✿●•·सच्ची मोहब्बत की अलामत,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*─❥●•·शोहर की सच्ची मोहब्बत हासिल करने और शौहर को अपने ऊपर मेहरबान करने के लिए यह भी निहायत जरूरी है कि अगर मियां बीवी किसी बात पर नाराज़गी गर्मा गर्मी हो जाए तो नेक बीवी को चाहिए कि फौरन माफी मांग ले, नेक मुसलमान बीवी की शान का तकाज़ा है कि जब जब तक शौहर को राज़ी ना कर ले खुश ना कर ले तब तक चैन से ना बैठें,*

╟──────❥

*─❥●•·इसलिए कि दो दिलों का मेल कुचैल अल्लाह ताला की रहमत को दूर करता है, मुसीबतें और बलाओं को लाता है और इंसान पर ऐसी ऐसी परेशानियां आती है कि उसका वहमों गुमान भी नहीं होता,*

╟──────❥

*─❥●•·लिहाज़ा मियां बीवी के दिल हमेशा आईने की तरह साफ सुथरे होने चाहिए कि दोनों में से हर एक अपने लिए मोहब्बत, दूसरे की खिलती हुई पेशानी पर अंधेरी रातों और उजाले दिनों में, जवानी और बुढ़ापे में, सेहत और बीमारी में, अलगर्ज़ उम्र की हर मंजिल में यह मोहब्बत देखना चाहे तो देख ले*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 61, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 379,*
╒═══════════════╛ 
              *क़िस्त नं:- 61*
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
    *✿●•· अच्छा खाना पकाना _,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· शोहर के दिल में घर करने के लिए बीवी और दुल्हन के लिए यह भी ज़रूरी है कि खाना पकाने, दस्तरखान बिछाने और उस पर सलीक़े से चीज़ें रखने का ढंग सीखें,*

╟──────❥

*✿●•· क्योंकि खाना तो पेट में पहुंचता है लेकिन इसका असर दिलो-दिमाग और जिस्म के हर हिस्से और किनारे तक पहुंचता है, लिहाज़ा खाना जितना उम्दगी, खुश असलूबी और सलीके़ से पकाया जाएगा उतना ही शौहर के दिलो-दिमाग में बीवी की अक़लमंदी, समझदारी का सिक्का बैठ जाएगा और उसकी ना मिटने वाली मोहब्बत की मुहर उसके दिलो-दिमाग में लग जाएगी ,*

╟──────❥

*✿●•·लिहाजा़ बीवी को कोशिश करके वालदेन के यहां ही इन चीज़ों में मुकम्मल महारत हासिल कर लेना चाहिए क्योंकि यह शौहर के दिल तक पहुंचने का बहुत ही आसान और अच्छा तरीक़ा है,*

╟──────❥

*✿●•· जब आप अच्छा खाना अल्लाह ताला को राज़ी करने के लिए पकाएंगी तो आपको 3 तरीक़े से सवाब मिलेगा :- 1-अल्लाह ताला को राज़ी करने का सवाब, 2- शौहर को खुश करने का सवाब, 3- शौहर की दुआ का सवाब _,* 

╟──────❥

*✿●•·यानी जब शौहर, सास ससुर और बच्चे यह नियामतें खाएंगे और उसको लज़ीज़ और मज़ेदार पाएंगे तो दिल से अल्लाह ताला का शुक्र अदा करेंगे और चुंकी इस शुक्र अदा करने का ज़रिया आप बनी हो तो आपको भी पूरा पूरा सवाब मिलेगा _,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 62, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 389,*
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                *क़िस्त नं:- 62*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·घर के काम काज पर अजरो सवाब,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•·बाज़ मर्तबा लोगों के ज़ेहन में यह होता है की मियां बीवी के ताल्लुका़त एक दुनियावी किस्म का मामला है और यह सिर्फ नफ्सानी ख्वाहिशात की तकमील का मामला है हालांकि ऐसा हरगिज़ नहीं है बल्कि यह दीनी मामला भी है,*

╟──────❥

*✿●•·इसलिए कि अगर औरत यह नियत कर ले कि अल्लाह ताला ने मेरे ज़िम्मे यह फ़र्ज़ किया है और इसका मकसद शौहर को खुश करना है और शौहर को खुश करने के वास्ते से अल्लाह ताला को खुश करना तो फिर सारा अमल बाइसे सवाब बन जाता है,*

╟──────❥

*✿●•·घर के जो काम ख़्वातीन करती हैं अगर इसमें शौहर को खुश करने की नियत हो तो सुबह से लेकर शाम तक वह जितने काम कर रही है वह सब अल्लाह ताला के यहां इबादत में लिखे जाते हैं, चाहे वह खाना पका रही हो या घर की देखभाल, बच्चों की तरबीयत हो या शौहर का ख्याल या खुश दिली की बातें हों, इन सब पर अजरो सवाब लिखा जाता है, बशर्ते कि नियत दुरुस्त हो,*

╟──────❥

*✿●•·औरत अमीर हो या गरीब उसको अपने घर के काम अपने हाथ से करने में एक किस्म की खुशी महसूस होती है और काम भी नौकरों की बनिस्बत अच्छा होता है, इसके सिवा जिस्म की एक किस्म की वर्जिश भी हो जाती है, जो तंदुरुस्ती के लिए बेहद जरूरी है ,*

╟──────❥

*✿●•·आराम की आदत बना लेने से इंसान बिल्कुल काहिल और सुस्त हो जाता है, इस आदत का असर सेहत पर भी पड़ता है, अपने हाथ से सब काम करने वाली औरतों की सेहत ऐसी औरतों से बहुत ही अच्छी होती है, जो औरतें नोकरानियों से काम लेने की आदी होती हैं,*

╟──────❥

*✿●•·खुद सहाबियात रज़ियल्लाहु अन्हुमा अपने घर के काम-काज अपने हाथों से करती थीं, यहां तक कि रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी अपने काम अपने हाथ से करते थे,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 63, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 388,*
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                *क़िस्त नं:- 63*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
         *✿●•·हाथ का हुनर ___,"*
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*─❥"_ सलीका़ मंद लड़कियां अपना क़ीमती वक़्त ख़ैल कूद और सैर सपाटे में नहीं गुज़ारती, बल्कि उनको जो वक़्त मिलता है उसमे सीना पिरोना, पकाना, बुनना, कातना और दूसरे हाथ के हुनर ​​सीखती है, बचपन में अगर कोई हुनर सीख लिया जाए तो वो ज़िंदगी भर काम आता है और हुनर ​​जानने वाला कभी किसी का मोहताज भी नहीं होता,*

╟──────❥

*─❥"_हुनर ही तो इंसान के आड़े वक्त का साथी है, गुरबत और तंगदस्ती के वक्त इंसान को अपने हुनर ​​से बहुत मदद मिलती है,*

╟──────❥

*─❥"_ अफसोस आजकल अक्सर जवान लड़की मोबाइल और दूसरे फ़िज़ूल कामों में अपना वक्त ज़ाया करती है, मोबाइल ज़रूरत के मुताबिक़ इस्तेमाल किया जा सकता है मगर वक्त गुजा़रने के लिए हरगिज़ इस्तेमाल ना करें,*

╟──────❥

*─❥"_ कुरान करीम व दीनी किताबों को पढ़ने में वक्त गुजारें, घर के काम काज सीखने में वक्त गुजारें, सीना पिरोना, खाना पकाना, कड़ाई बुनाई, हाथ के दीगर हुनर ​​सीखने में वक्त गुजारें, घर के काम काज में अपनी मां बहनो का हाथ बटायें,*

╟──────❥

*─❥"_ सहाबियात रजियल्लाहु अन्हुमा हुनर ​​और दस्तकारी से वक़िफ़ थीं, हज़रत सौदा रज़ियल्लाहु अन्हा ताइफ़ से आने वाले चमड़ों का पकाना और रंगना बहुत अच्छी तरह जानती थीं, इसलिये दूसरी बिबियों की बनिस्बत उनकी माली हालत बहुत अच्छी थी,*

╟──────❥

*─❥"_ हज़रत फ़ातिमा बिन्ते शैबा रज़ियल्लाहु अन्हा बहुत अच्छा सीना पिरोना और बुनना जानती थीं, हज़रत सफ़िया रज़िया्ल्लाहु अन्हा खाना पकाने में माहिर थीं,*

╟──────❥

*─❥"_ कई औरतें कपडे बुनती थीं, इसी तरह और दूसरी कई ख्वातीन चरखा बहुत अच्छा जानती थी, चुनांचे जंगे खैबर में कई ख्वातीन ने चरखा कात कर मुसलमानों की मदद की थी,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–64, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 390,*
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                *क़िस्त नं:- 64*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
           *✿●•· सुनहरी उसूल -१,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· हकीकत मे निकाह किसी की गुलामी नहीं बल्कि आपस में एक दूसरे के साथ ता'वुन का नाम है, शरीयत के मुक़र्रा तरीक़े के मुताबिक मर्द औरत को एक दूसरे की खैरख्वाही, आपस के प्यार, खुलूस की जरूरत पड़ती है और जिंदगी की इस गाड़ी को दोनों को मिलकर खींचना पड़ता है और दोनों मिलकर जिंदगी को अपनी ताक़त और हैसियत के मुताबिक खुशगवार बनाते हैं और इसको कामयाब बनाने के लिए कुर्बानियां देते हैं,*
╟──────❥
*✿●•·ससुराल जाते ही तू हर एक ही तवज्जो का मरकज़ बनेगी, सभी औरतों की निगाह तुझ पर लगी होगी, सब तेरे देखने की शौकीन होंगी, तेरी हर हर हरकत पर तेरे हर हर क़दम पर ना मालूम कैसी कैसी रायजनी होगी, उस वक्त तुम्हें बहुत एहतियात और होशियारी से काम लेना होगा इसलिए कि तेरी छोटी सी गलती भी घर की औरतों के लिए नुक्ताचीनी का बाइस बनेगी ,*
╟──────❥
*✿●•· अल्लाह ताला ने मर्द और औरत दोनों को एक दूसरे के लिबास से ताबीर किया है यानी मर्द अपनी औरत के लिए लिबास है और औरत अपने शौहर के लिए लिबास है, इसका मतलब यह हुआ कि मर्द अगर जिस्म है तो औरत उसकी रूह है या फिर औरत अगर जिस्म है तो मर्द उसका लिबास है ,*
╟──────❥
*✿●•· हजरत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया :- "जो औरत इस हालत में मर जाए कि उसका शौहर उससे खुश था तो बेशक ऐसी औरत जन्नत में दाखिल होगी _," (तिरमिज़ी 1161)*
╟──────❥
*✿●•· इसी तरह एक और हदीस में हुजूर सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया :- "ऐ औरत ! देख तेरी जन्नत और दोजख तेरा खाविंद है_," (कंजुल उम्माल- 16/159)*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 65, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 404,*
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                *क़िस्त नं:- 65*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
          *✿●•· सुनहरी उसूल -2,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· जिस औरत ने अपनी खिदमत और फरमाबरदारी की वजह से शौहर के दिल में मका़म बना लिया है, ऐसी खिदमत गुज़ार बीवी की एक मिनट की जुदाई से भी शौहर तकलीफ महसूस करता है और उसके बगैर घर में बदनज़मी पैदा हो जाती है ,*

╟──────❥

*✿●•·जो औरत यह चाहती है कि शादी के बाद की जिंदगी तबाही की तरफ न जाने पाए तो वह किसी भी मामले में अपने शौहर की मुखालफत कभी ना करें और जो जो तकलीफें पेश आएं मौक़ा बा मौक़ा मुख्तलिफ अंदाज से शौहर के सामने पेश करके उसका फैसला करने की कोशिश करें क्योंकि उसी वक्त मुखालफत करने से कभी कामयाबी हासिल नहीं होती बल्कि यह तो जल्दी पर तेल डालने के मानिंद होता है,*

╟──────❥

*✿●•· अगर कोई लड़की अपने शौहर को किसी मामले में खुलूस और मोहब्बत से मशवरा देगी और फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद और रातों को उठ कर शौहर के लिए दुआएं करेगी, तो उसका शौहर ज़रूर उसकी बात मान लेगा और अगर ना भी माने तो भी औरत को उलझने की जरूरत नहीं क्योंकि एक बात अगर उस वक्त उसकी समझ में नहीं आई तो किसी दूसरे मौके पर वही बात उसके दिमाग में आ जाए ,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 66, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 407,*
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                *क़िस्त नं:- 66*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·खाविंद का दिल जीतने की तदबीर -1, हुक़ूक़ की रिआयत,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•·मियां बीवी में जोड़ हो तो आज तो इज्दवाज़ी ( शादीशुदा) सुख और इत्मीनान मुकम्मल तौर पर हासिल हो सकता है, इसके बगैर जिंदगी गैर मुकम्मल और दुखी शुमार होती है, इसलिए औरतों को खाविंद का दिल जीतने की तदबीरें सीखनी चाहिए, औरत चाहे कितनी ही पढ़ी-लिखी खूबसूरत और मालदार क्यों ना हो लेकिन इन तदबीरों को जाने बगैर खाविंद के दिल की मलिका नहीं बन सकती,* 
╟──────❥
*✿●•·जो औरतें खाविंद की खिदमत और उनसे मोहब्बत को ईमान का अहम जुज़्व तसव्वुर करती है और खाविंद के क़दमों में अपनी जिंदगी गुज़ार देने को अपनी कामयाबी तसव्वुर करती है उन औरतों को अपनी जिंदगी पुर सुकून बनाने के लिए इन बातों पर अमल ज़रूर करना चाहिए,*
╟──────❥
*✿●•·1- हुक़ूक़ की रिआयत :- आपका खाविंद गरीब हो तो भी उसको तवंगर और मालदार ही समझो, उसका इकराम करो, हर काम में उससे मशवरा लो, जो कहे उससे फौरन करो, उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कभी कोई काम ना करो ,*
╟──────❥
*✿●•·हर बात में उसकी खुशी का ख्याल रखो, अपनी खुशी पर उसकी खुशी को तरजीह दो, हर वक्त उसके आराम का ख्याल रखो, ऐसी कोई बात ना करो जिससे उसके दिल को रंज पहुंचे, जो कुछ वह अपनी खुशी से दे उसे ले लो, जो काम करने को कहें इस तरह खुशी से करो कि वह बेफिक्र हो जाए और थोड़ी आमदनी के बावजूद किसी किस्म की उलझन ना हो,*
╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 67, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 412,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 67*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·खाविंद का दिल जीतने की तदबीर - 2- खंदा पेशानी से पेश आना,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•·जिंदादिल बन कर रहो, इस तरह खंदा पेशानी से पेश आओ कि तुम को देखते ही उसका दिल बाग-बाग हो जाए और सब परेशानी भूल जाए, अपनी ज़रूरत से पहले उसकी ज़रूरत पूरी करो _,"*
╟──────❥
*✿●•·जहां तक हो सके उसको अच्छा खिलाओ, उसके सब काम अपने हाथ से करती रहो, चाय पानी नाश्ता पहले ही से तैयार रखो, ऐसा कोई काम और कोई बात ना करो जिससे उसको परेशानी हो, उसकी गुंजाइश से ज़्यादा फरमाइश ना करो क्योंकि अगर वो ना ला सका तो उसको अफसोस होगा,*
╟──────❥
*✿●•·जहां तक हो सके अपनी ज़रूरत खुद पूरी करो उसको तकलीफ ना दो, जब वह घर आए तो उसके सामने अपना रोना मत रो, मालूम नहीं कि वह किस हालत में घर आया होगा और बाहर उस पर क्या गुज़री होगी ?* 
╟──────❥
*✿●•·खाते वक्त ऐसी दिलचस्प बातें करो कि वह इत्मिनान से खा सके क्योंकि बेफिक्री में दाल भी कोरमा जैसी लगती है और परेशानी में बिरयानी भी बे जा़यक़ा लगती है,*
╟──────❥
*✿●•·यह बात तजुर्बे से साबित है कि बहुत सी नासमझ औरतें शोहर के आते ही अपनी दास्तान सुनाने बैठ जाती हैं और उसका खाना पीना उठना बैठना सब दुश्वार कर देती है और फिर वह बेचारा बगैर कुछ खाए पिए उठ जाता है, इससे अल्लाह ताला भी नाराज़ होता है और खाविंद भी ना खुश होता है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 68, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 412,*
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                *क़िस्त नं:- 68*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·खाविंद का दिल जीतने की तदबीर -3- खिदमत,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●• अगर अल्लाह ताला ने तुमको कुछ सलाहियत दे रखी है तो शौहर के काम में हाथ बटाओ, उसका बोझ हल्का करो, अपनी मीठी जुबान से उसका गम गलत करो, उसके साथ सुख दुख में शरीक़ रहो,"*
╟──────❥
*✿●•अगर कुछ परेशानी मालूम हो तो उसकी परेशानी दूर करो, अगर वह क़र्ज़दार हो जाए तो तुम अपने हाथ के हुनर से उसके क़र्ज़ के बोझ को हल्का कर दो, फिर तुम्हारे पास कोई नक़दी, ज़ेवर हो तो उसकी खिदमत में पेश कर दो और कहो कि आप के मुक़ाबले में यह चीज़ें कोई हक़ीक़त नहीं रखतीं, आप हो तो सब कुछ है,* 
╟──────❥
*✿●• और इन चीजों को देकर एहसान ना जतलाओ और ऐसी कोई बात भी मेहसूस ना होने दो वरना सब कुछ बेकार हो जाएगा, हर वक्त उसकी खिदमत में लगी रहो और उसके आराम व राहत की तरफ से कभी लापरवाही ना बरतो, उसकी खिदमत से गफलत ना बरतो, घर के सब काम काज अपने हाथ से ही करो, अल्लाह ताला सुख के दिन भी दिखाएगा,*
╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 69, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 414,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 69*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·खाविंद का दिल जीतने की तदबीर 4- किफायत सा'री*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*✿●• - खर्च कम करो, किफायत सा'री से काम लो, जो कुछ मिले उसी में से कुछ जमा भी करती रहो, कपड़े खुद सियो, खाना खुद बनाओ, बच्चों की देखभाल खुद करो, इस तरह काफी रक़म बच जाएगी,*
╟──────❥
*✿●•कुछ बात पूछे तो नरमी से जवाब दो, अगर वह किसी वक्त गुस्सा हो जाए तो तुम नरम बन जाओ, उसकी मर्जी पर राज़ी रहो, वह चाहे तुम्हारे कामों से राज़ी ना हो फिर भी तुम उसके हुकूक अदा करती रहो ताकि अल्लाह तुमसे राज़ी रहे ,*
╟──────❥
*✿●•वह जो कुछ कमा कर दे उसको दयानतदारी से खर्च करो, तुम खुद तकलीफ बर्दाश्त करके भी उसकी ज़रूरत पूरी करो, ऐसा साफ सुथरा मामला करो कि हर आदमी देख कर या सुनकर खुश हो जाए, देखो तमीज़, सलाहियत और हुस्ने इंतज़ाम भी दुनिया में एक अजीब ही चीज़ है,*
╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–70, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 415,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 70*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•· खाविंद का दिल जीतने की तदबीर -5- हुस्ने इंतजाम,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●• सलीका़ मंद बीवियां हमेशा घर को जन्नत बनाए रखती हैं, खुद भी सुकून और चैन से जिंदगी गुजारती हैं और घर वाले भी आराम से रहते हैं,*
╟──────❥
*✿●•_ हुस्ने इंतजाम एक ऐसी खूबसूरत और रोशन चीज़ है कि इसकी रोशनी दूर दूर तक पहुंचती और फैलती है, अक्सर मर्द सूरत परस्त की बनिस्बत सीरत परस्त होते हैं, वह जा़हिरी खूबियों की बजाय बातिनी खूबियों के चाहने वाले होते हैं,* 
╟──────❥
*✿●• _याद रखिए! जो औरतें मोहब्बत, प्यार, दुनिया की शर्म, अल्लाह ताला के खौफ और उसको राज़ी करने का जज्बे से खाविंद की खिदमत करती हैं, वही आगे चलकर अपने शौहर की महबूब बनकर रहती है और मर्द उस पर अपनी जान तक निछावर करता है,*
╟──────❥
*✿●• _ उसके आराम, उसकी रजामंदी का ख्याल रखता है और उसकी नाज़ बरदारी करता है, उसकी हर दिली ख्वाइश पूरी करता है, उसके दुख को अपना दुख समझता है, जो कुछ कमा कर लाता है सब उसके हाथ पर रख देता है, कभी किसी बात का हिसाब नहीं लेता,* 
╟──────❥
*✿●•_ ऐसे मियां बीवी की जिंदगी सुकून व आराम से गुज़रती है और यह नियामत अकलमंद बीवियों को हुस्ने इंतजाम से नसीब होती है और बेवकूफ औरतें इससे मेहरूम रहती है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 71, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 415,*
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    *✿ ❈ तोहफा- ए -दुलहन ❈ ✿*
                *क़िस्त नं:- 71*          
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         *✿●•·_मर्दों को क्या पसंद है?-1*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ कौनसी ख़ूबियों से शोहर के दिल को जीता जाए, इसका जवाब तो मुश्किल है, क्योंकि हर शख्स का मिज़ाज अलग अलग होता है,*
╟──────❥
*─❥"_ किसी को बनाव सिंघार पसंद होता है किसी को सादगी भाती है, किसी को फैशन पसंद होता है, किसी को सीधी सादी और शर्मीली औरत से प्यार होता है, तो किसी को बातूनी पसंद होती है, किसी को मासूम और भोली भाली सूरत से मुहब्बत होती है, कोई नाज़ नखरो को गले से लगता है, कोई मुस्कुराहट बिखेरने वाली औरत को पसंद करता है तो कोई अपनी ताबेदारी करने वाली औरत को पसंद करता है,*
╟──────❥
*─❥"_मतलब ये कि हर एक का अलग अलग ख्याल और अलग अलग पसंद होती है, इसीलिये हर औरत को ऐसी ख़ूबियाँ और ऐसी तरकीबें तलाश करना चाहिए कि जिससे उसका शोहर उसकी तरफ रागिब हो जाए और उसका शैदाई बन जाए,*
╟──────❥
*─❥"_ ताहम शोहर की चंद पसंदीदा खूबियां हम यहां जिक्र करते हैं, सबसे पहली खूबी जिसमे कशिश होती है वो हुस्न और खूबसूरती है, औरत बहुत खूबसूरत हो ये कोई जरूरी नहीं, अलबत्ता उसका बनाव सिंघार और उसके लिबास पहनने की तरकीब वगेरा में ऐसी सफाई होनी चाहिए कि जिससे उसका जिस्म खूबसूरत और पुरकशिश नजर आए,*
╟──────❥
*─❥"_ दूसरी ख़ूबी दिल की मासूमियत और क़दरदानी का जज़्बा है, कीना परवर, झूठी, मेले दिल की औरत को मर्द हमेशा नापसंद करता है,*
╟──────❥
*─❥"_ इसलिए औरत को क़दर दानी का जज़्बा और दिल की मासूमियत और अपनाइयत का नमूना पेश करने की सख्त ज़रूरत है, इससे उसमें खूबसूरती और हया ये दोनो पैदा होती हैं,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 72, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 422,*
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                *क़िस्त नं:- 72*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
   *✿●•·._मर्दों को क्या पसंद है?-2,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
 *─❥"_ अपना ही फ़ायदा चाहने वाली और जिसकी जुबान कैची की तरह चलती हो, इसी तरह वो औरत जो हमेशा उदास और मायूस बन कर खामोश रहने वाली हो, उसको कोई मर्द पसंद नहीं करता,*

╟──────❥

*"─❥_ हर शोहर ये चाहता है कि मेरी बीवी मुझसे समझ और अक़ल में कम होनी चाहिए, चालाकी और होशियारी में भी औरत शोहर पर फोक़ियत रखती हो ये बात मर्द पसंद नहीं करता, मामूली पढ़ा लिखा शख़्स एक ग्रेजुएट औरत के साथ शादी करके सही तोर पर इत्मिनान हासिल नहीं कर सकता, क्योंकि इसमें उसे अपनी कमज़ोरी और तोहीन मेहसूस होती है,*

╟──────❥

*─❥_ इसलिये औरत को कभी शोहर के आगे अपनी होशियारी और अक़लमंदी नहीं दिखानी चाहिए और कभी भी शोहर की समझ और अक़ल व होशियारी की कमज़ोरी को ज़ाहिर ना करनी चाहिए, क्योंकि औरत की चालबाज़ी से मर्द डर तो सकता है लेकिन मुहब्बत नहीं कर सकता,*

╟──────❥

*"─❥_ मर्द के दिल को अपनी तरफ माईल करने के लिए सबसे बड़कर खूबी खिदमत और आजिज़ी है, लिहाज़ा औरत को अपने शोहर की खिदमत करनी चाहिए और उसके साथ आजीजी़ से पेश आना चाहिए, इससे शोहर के दिल में मुहब्बत बढ़ती है और औरत को भी इतमिनान नसीब होता है, फरमा बरदार औरत ही शोहर के दिल को जीत सकती है,*

╟──────❥

*"─❥_ मर्द ऐसी औरत को दिल से चाहता है जो उसकी गलतियों को नज़र अंदाज़ कर दिया करे, उसके ऐबों को जानते हुए भी उससे मुहब्बत करे, मर्द ऐसी औरत को पसंद करता है जिसमें रहम दिली हो, दूसरे की तकलीफ़ देख कर उसके दिल में हमदर्दी का जज़्बा पैदा हो और जिसका दिल इंसानियत और मुहब्बत के जज़्बात से पुर हो,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 73, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 422,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 73*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
   *✿●•·._मर्दों को क्या पसंद है?-3,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*"─❥_ मर्द के लिए औरत का जाज़िब नज़र मुस्कुराता हुआ चेहरा बाईसे ख़ुशदिली है, क्यूँकी जो औरत ख़ुश रहती है वो दूसरों को भी ख़ुश कर सकती है, औरत की ये खूबी मर्द के फ़िक्र व गम और थकान व परेशनी वगेरा को दूर करके उसको इत्मिनान, सुकून, हिम्मत और ताज़गी बख्शती है,*

╟──────❥

*"─❥_ लिहाज़ा थके मांदे शोहर को खुशी और ताजगी के साथ आराम देने की औरत को फिक्र होनी चाहिए, उसको जिन बातों से मसर्रत होती है, ऐसी बात करनी चाहिए, हंसता और मुस्कुराता हुआ चेहरा हज़ारों दुख दूर करता है,*

╟──────❥

*"─❥_ औरत की सबसे बड़ी खूबी उसकी पाक दामनी है, पाक दामनी के नूर से औरत की खूबसूरती चमक उठती है,*

╟──────❥

*"─❥_ जो औरत पाक दामन होगी वोही अपने शोहर के लिए पूरे तौर पर वफ़ादार होगी, जिस औरत में ये रोशनी नहीं होती फिर चाहे कितना ही हुस्न उसके जिस्म में हो, फिर भी उसे कोई पसंद नहीं करता,*

╟──────❥

*"─❥_ पाक दामनी के नूर से औरत जो भी काम चाहे करा सकती है, पाक दामनी के नूर से ही औरत अपने छोटे से घर को भी तवंगर बना कर उसमें जन्नत जैसे आराम व सुख हासिल होने का नमूना पेश कर सकती है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 74, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 423,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 74*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_रुखसती के वक्त मां की 10 नसीहतें:-*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
 *─❥_ मां ने कहा - बेटी ! तेरा वो महोल छूट गया है जिससे निकल का जा रही है, तेरा वो नशेमन भी पीछे चला गया जहां जाहिल को भी एक मुका़म हासिल था और अक़लमंद को सहारा था, अब तेरा रुख ऐसे घर की तरफ है जिससे तू वाक़िफ नहीं, वहां तेरा साथी वो है जो तेरा जाना पहचान नहीं, अब तेरी गर्दन और तेरा पूरा बदन उसके ताबे है_,"*

╟──────❥

 *─❥_ लिहाज़ा तू उसकी बांदी बन कर रहना, तो वो तेरा ताबेदार बन कर रहेगा, इसके लिए दस आदतें अपने अंदर पैदा कर ये तेरे लिए ज़िंदगी में शोहर की दुवाओं का और मौत के बाद नेक नामी का सबब होंगी (आगे चल कर ये तेरे काम आएंगी) _,"*

╟──────❥

*─❥"_ पहली और दूसरी सिफत ये है कि क़ना'अत के साथ साथ उसके लिए आजिजी़ बरतना, उसकी एक एक बात सुनना और उस पर अमल करना_,"*

╟──────❥

*─❥"_ तीसरी और चौथी सिफत ये है कि शोहर की निगाह और उसकी नाक का ख्याल रखना, यानी जब उसकी निगाह तुझ पर पड़े तो गन्देपन की वजह से उसकी तबीयत मेली ना होने पाए, तेरे जिस्म से ऐसी कोई महक न आए जो उसे नापसंद हो _,"*

╟──────❥

*─❥"_ और याद रखना! शोहर की आंख में भली मालूम होने के लिए सुरमा का इस्तेमाल करना कि ये आसान चीज़ है जो हर एक को मयस्सर हो सकती है (और शोहर की नाक में बदबू ना जाए इसके लिए) पानी का इस्तेमाल खूब करना, यानी गुस्ल और वज़ू का अहतमाम करना कि ये सबसे अच्छी खुशबू है,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 75, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 424,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 75*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•· रुखसती के वक्त़ बेटी को मां की दस नसीहतें -2,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_पांचवी और छठी सिफत ये है कि उसके सोने और खाने के वक्त़ का ख्याल रखना, क्योंकि ज्यादा देर भूख बर्दाश्त करने से आग भड़क उठती है और नींद में कमी आने से गुस्सा तेज़ हो जाता है,*
╟──────❥
*─❥"_ सातवीं और आठवीं सिफत ये है कि उसके माल और अहल व अयाल की हिफाज़त करना और माल की बेहतर हिफाज़त हुस्ने इंतज़ाम से होती है और अहल व अयाल की हिफाज़त हुस्ने तदबीर से_"*
╟──────❥
*─❥"_नवीं और दसवीं सिफत ये है कि कभी उसकी मुखालफत ना करना, ना ही उसके किसी राज़ को ज़ाहिर करना, क्योंकि उसकी अगर उसकी नाफरमानी की तो उसका सीना गुस्से से भड़क उठेगा और अगर उसके राज़ खोल दिए तो वो कभी तुम पर ऐतमाद ना कर पाएगा, कभी तुम्हें अपना न समझेगा _,"*
╟──────❥
*─❥"_ जब वो रंजीदा हो तो उसके सामने हरगिज़ खुशी का इज़हार ना करना, बल्की उसके गम में पूरी शरीक़ हो कर उसे तसल्ली देना और अगर खुश हो तो कभी रंज व गम ज़ाहिर ना करना_,"*
╟──────❥
*─❥"_ और खूब ध्यान से सुन मेरी प्यारी बेटी ! तू शोहर का दिल उस वक्त तक नहीं जीत सकती जब तक कि अपनी पसंद को उसकी पसंद में फना ना कर दे, अपनी मर्ज़ी को उसकी मर्ज़ी के सामने खत्म न कर दे, जिसको वो पसंद करें उसको तू पसंद करे और जिसको वो नापसंद करे, उसे तू भी नापसंद करे,*
╟──────❥
*─❥"_अल्लाह ताला सारी मुसलमान बहनों को इन नसीहतों पर अमल करने की तोफीक़ अता फरमाये, आमीन या रब्बुल आलमीन_,"*
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*╟❥ अगली क़िस्त– 76, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 425,*
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                *क़िस्त नं:- 76*          
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*✿●•·_मुख्तलिफ औरतों की दुआएं अपने शोहर की रवानगी के वक्त :-1*
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*─❥"_ कुछ अरसे पहले एक अरबी अखबार वालों ने बाज़ औरतों से पूछा था कि हर सुबह तुम्हारे शोहर की रवानगी के वक़्त तुम्हारा क्या अमल होता है, क्या दुआ होती है और क्या तमन्ना व हाजत होती है? इस पर मुख्तलिफ औरतों ने मुख्तलिफ जवाबात दिए, उनमें से चंद अहम जवाबात हम आपके लिए नक़ल करते हैं:-*
╟──────❥
*─❥"_ पहली ने कहा- जब मेरे शोहर सुबह काम पर रवाना होते हैं तो मैं आसमान की तरफ देख कर कहती हूं:-ऐ मेरे रब ! इनको मेरे पास जल्दी और सलामती के साथ लौटाना, हर मुसिबत व बीमारी से महफूज़ रखते हुए जल्द इनको मेरे पास वापस भेज देना _,"*
╟──────❥
*─❥"_दूसरी ने कहा - मैं अपने शोहर को इंतेहाई मुहब्बत के साथ रवाना करती हूं और दुआ देती हुई कहती हूं:- ऐ मेरे रब! इनकी हिफाज़त फरमा कि बेशक ये मेरे लिए मिसाली शोहर है और मेरे बच्चों के लिए एक शफीक़ बाप है जिसका बदल कोई नहीं हो सकता _,"*
╟──────❥
*─❥"_ तीसरी ने कहा - मैं हमेशा अपने दिल में कहती हूं- ऐ मेरे रब ! कब तक मेरे शोहर मशक़्क़त बर्दाश्त करते रहेंगे? कब आप हमको इतना मालदार बनाएंगे कि मेरे बुढ़े शोहर को रोज़ाना 8-8 घंटे तक काम न करना पड़े _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 77, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 426,*
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                *क़िस्त नं:- 77*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·मुख्तलिफ औरतों की दुआएं अपने शोहर की रवानगी के वक्त़-2*
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*─❥"_चौथी ने कहा - मैं शोहर के जाने के बाद अपने घर की सफाई और शोहर और बच्चों के लिए खाना पकाने की तैयारी में लग जाती हूं, इसलिये कि मर्द ये पसंद नहीं करते? गंदे घर की तरफ शाम को वापस लौटे, जहां चीज़ें बेतरतीब रखी हुई हों, बावर्ची खाना गंदा सा हुआ हो, बर्तन धुले हुए ना हो, बच्चे साफ सुथरे ना हो, न मर्द ऐसा खाना पसंद करते हैं जो जल्दी जल्दी में कच्चा रह गया हो या मसाला ना भुना हुआ हो या अच्छी तरह साफ करके ना पकाया गया हो, जो पेट में जा कर मैदा को खराब करे और हज़म ना हो _,"*
╟──────❥
*─❥"_ पांचवी ने कहा- जब वो घर से चले जाते हैं तो जी चाहता है - काश एक और उनका बोसा ले लेती ताकि उसकी लज्ज़त मेरे होंठों पर उनके आने तक बाक़ी रहती_"*
╟──────❥
*─❥"_ छठी ने कहा- पहले उनको सलाम कहते हुए रवाना करती हूं और जब वो ये दुआ पढ़ कर बाहर निकलते हैं, दुआ पढ़ते हैं तो मैं उनको कहती हूं - हमारे बारे में अल्लाह से डरना और हमें सिर्फ हलाल (लुक़मा) ही खिलाना _,"*
╟──────❥
*─❥"_ यानी करोबार में, मुलाज़मत में कोई ऐसा काम न करना जिससे रोज़ी मकरूह या हराम हो जाए, मसलन- सूदी कारोबार, रिशवत लेना, झूठ बोलकर, ग्राहक को धोखा देकर सौदा बेचना और मुलाज़मत का जो मुक़र्रर वक़्त है उसमें कोताही करना वगेरा वगेरा, इनसे बचना, अजा़न होते ही दुकान बंद करके खुद भी नमाज़ के लिए जाना और मुलाज़िमों और दोस्तों को भी नमाज़ की तरगीब देना_,"*
╟──────❥
*─❥"_ और कभी कभी मैं उसे समझाती हूं कि मुसलमान सिर्फ कमाने के लिए दुनिया में नहीं आया, लिहाज़ा हमें दीन का काम भी ज़रूर करना चाहिए, इसलिए घर आने से पहले कुछ वक्त मस्जिद में ज़रूर लगाना और उसमें अपने दोस्तों को जमा कर के इस बात की फिक्र करना कि सब लोग कैसे पूरे पूरे दीन पर अमल करने और उसे फैलाने वाले बन जाएं, कहीं ऐसा न हो कि आपका पूरा दिन दुनियां के तक़ाज़ों को पूरा करने में लग जाए_,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–78, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 425,*
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                *क़िस्त नं:- 78*          
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*✿●•·_बीवी शोहर को ऐसी बात पर मजबूर ना करे:-1*
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*─❥"_ _बीवी शोहर को ऐसी बात पर मजबूर ना करे जिनमे शोहर बा ज़ाहिर बेबस है और वो कर नहीं सकता, तो उन बातों पर नेक बीवी को चाहिए कि शोहर को मजबूर ना करे, मसलन- शोहर घर में बहुत ज़्यादा खर्चा नहीं दे सकता, बहुत की़मती कपड़े नहीं दिलवा सकता तो उसे मजबूर ना करें*
╟──────❥
*─❥"_ और यूं ना कहें कि देखो आपके भाई ने भाभी को कैसा अच्छा कपड़ा दिलवा दिया, आप कभी ऐसा मेरे लिए लाए? उनका घर देखो, हमारे घर में कोई ढ़ंग की चीज़ है या आपके फलां भाई बच्चों के लिए कैसी कैसी चीज़ लाते हैं आप कभी लाए ऐसी चीजें ? वगेरा वगेरा,*
╟──────❥
*─❥"_ ऐसी औरत जो शोहर की इस्तेतात से ज़्यादा का मुतालबा करे या शोहर का माल गरीबों और फकी़रो पर खर्च करने के बजाए अपनी बेजा ख्वाहिशात पर खर्च करें उसे हज़रत मा'ज़ बिन जबल रजियल्लाहु अन्हु (जो फुक़हा ए सहाबा में से हैं ) ने ऐसी औरत को फितनो में शुमार फरमाया है,*
╟──────❥
*─❥_ अल्लाह तआला हर मुसलमान औरत की ऐसी आदतों से हिफाज़त फरमाये कि जिनमे मुब्तिला हो कर वो अल्लाह तआला के प्यारे बंदे की मुबारक ज़ुबान से फितना कहलाने की मुस्तहिक़ बने,*
╟──────❥
*─❥"_चुनांचे हज़रत रजा बिन हैरा से रिवायत है कि हज़रत मा'ज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं - तुम आज़माये गए सख्ती के फ़ित्ने से तो तुमने सब्र किया, अब मैं डरता हूँ तुम पर ख़ुशी के फ़ित्ने से और वो औरतों का फित्ना है, ऐसी औरतें जो सोने के ज़ेवरात, शाम की चादर और यमन के ताज पहनेंगे, मालदार को (खर्च करा कर) थका देंगी और तंगदस्त पर इतना बोझ डाल देंगे जिसको वो बर्दाश्त ना कर सके _ ,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 79, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 441,*
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                *क़िस्त नं:- 79*          
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*✿●•·_बीवी शोहर को ऐसी बातों पर मजबूर ना करें:-2*
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*─❥"_ इसी तरह हसद से खूब बचना कि हसद ऐसी बीमारी है कि जिस पर हसद करोगी उसका तो कोई नुक़सान ना होगा लेकिन खुद ही हसद की आग में जलती रहोगी, अक्सर शैतान ये धोखा देता है कि देखो जेठानी की सास की नज़र में कितनी इज्ज़त है और मुझे कोई पूछता ही नहीं _,"*
╟──────❥
*─❥"_ फलां के शोहर उसको गाड़ी में घुमाते हैं और हर महीने नए कपड़े ला कर देते हैं और हर साल फर्नीचर तबदील करवाते हैं और मेरे शोहर तो...?*
╟──────❥
*─❥_ इसके बजाये ये सोचना चाहिए कि जो कुछ जिसको मिल रहा है अल्लाह की तरफ से मिल रहा है, आपको भी किसी चीज़ की ज़रूरत है तो अल्लाह से मांगे, अलबत्ता इन बातों पर रश्क करना चाहिए कि फलां औरत तहज्जुद की कितनी पाबंद है और रोज़ाना कितना क़ुरान पढ़ती है और अपने मेहरम शोहर और बेटों के साथ मस्तुरात की जमात में जाती है, अपने बच्चों को हाफिज़ और आलिम बना रही है और मेरा दीन के एतबार से क्या हाल है? अल्लाह तआला हम सबकी हसद से हिफाज़त फरमाये, आमीन!*
╟──────❥
*─❥_ इसी तरह अगर सास का रवय्या दुरुस्त ना हो तो शोहर से शिकायत करना:- अब शोहर वालिदा को बदल तो सकता नहीं कि दूसरी वालिदा ले आए, लिहाज़ा नेक बीवी को चाहिए कि सास के रवय्ये पर सब्र कर ले और ये सोचे कि - ये एक ऐसा मेहमान है जो अंक़रीब हमारे यहां से चला जाएगा _,"*
╟──────❥
*─❥"_इसलिए कि अगर मैं थोड़ा सा सब्र कर लुंगी और उनकी खिदमत करके जो दुआ मिलेगी वो मेरे लिए दुनिया व आखिरत में इनाम दिलाने वाली होगी, अपनी वालिदा का तसव्वुर कर के ये सोचे कि अगर मैं अपने शोहर की वालिदा का ख्याल नहीं रखूंगी तो मेरी भाभियां भी मेरी वालिदा के साथ ऐसा ही करेंगी, इसलिए कि उसूल है :- जैसी करनी वेसी भरनी _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 80, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 442,*
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                *क़िस्त नं:- 80*          
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*✿●•·_बीवी शोहर को ऐसी बात पर मजबूर ना करे:-3,*
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*─❥"_ तीसरी बात ये सोचे कि मै भी एक दिन बूढ़ी होने वाली हूं, अगर आज मैंने सास के साथ अच्छा सुलूक नहीं किया तो कल मेरी बहू भी मेरे साथ ऐसा ही करेगी _,"*
╟──────❥
*─❥"_ चौथी बात ये सोचें कि जों जों इंसान बूढ़ा होता जाता है तो वो बच्चे की तरह हो जाता है, तो जिस तरह हम बच्चों की ज़िद को खातिर में नहीं लाते उसी तरह बुढ़ों की भी नागवार बातों पर सब्र कर लेना चाहिए,*
╟──────❥
*─❥"_ लिहाज़ा अगर शोहर आपकी सास के अकेले बेटे हैं या दूसरे भाईयों ने वालिदा को साथ नहीं रखा तो आप इस सवाब से भी मेहरूम न रहिए और अपने शोहर को कभी मजबूर ना किजिए कि वो वालिदा को अलग रखे_, "*
╟──────❥
*─❥"_ हां बिल्कुल ही ना बनती हो और दोनो की दीन व दुनिया खराब व बरबाद हो रही हो और इस नई नस्ल (औलाद) की भी जिंदगी बरबाद हो रही हो तो उलमा किराम और समझदार लोगों से मशवारा कर के इसका हल निकाल लें _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 81, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 445,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 81*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_सास को खुश रखने के लिए इन बातों का ज़रूर ख्याल रखें -1:-*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_शोहर को समझाएं कि वालिदा के सामने मेरी तरफ ज़्यादा तवज्जो न दीजिये, बल्की वालिदा की तरफ ज़्यादा तवज्जो दीजिए, कहीं वालिदा को हल्का सा खयाल भी ना गुज़र जाए कि ये मुझे छोड़ कर बीवी की तरफ ज़्यादा तवज्जो करता है_, "*
╟──────❥
*─❥"_ अगर गाड़ी में कहीं जाएं और वालिदा भी साथ हों तो शोहर से कहिए कि वालिदा को आगे बिठाएं उनका दिल खुश हो जाएगा, शोहर से कहें कि आप कभी कोई कपड़े वगेरा लाएं तो पहले वालिदा को दीजिए, जो उन्हें ज़्यादा अच्छा लगे वो उन्हें दे दें फिर जो मुझे अपनी खुशी से दे देंगी मै ले लुंगी_,"*
╟──────❥
*─❥"_ कभी शोहर के साथ बाहर जाएं तो सास को अकेले घर में ना छोड़ कर जाएं (हां अगर सास इसी में खुश हैं कि अकेले घर में रहे तो कोई हर्ज नहीं ) अगर रिश्तेदारों से मिलने के लिए या तफ़रीह के लिए मियां बीवी गए और वालिदा यानि सास को अकेले छोड़ कर गए, ख़ुसुसन जबकी सुसर का भी इंतेक़ाल हो गया हो तो इस सूरत में वालिदा के दिल में बहू की तरफ से मेल आने का खतरा है _,"*
╟──────❥
*─❥"_ किसी रिश्तेदार औरत की तरफ से फोन आए तो सास के होते हुए सास को दे दें खुद ही सारी बात ना कर लें, फोन की घंटी बजते ही बाज़ सासों को बेचैनी शुरू हो जाती है, किस का फोन होगा, बहू ने क्या क्या बात की होगी, उसे क्या कहा होगा ? इन सब तोहमतों से बचने के लिए सास को बुला लें कि आप बात कर लीजिए फलां का फोन है,* 
╟──────❥
*─❥"_ याद रखिए! ससुराल वालों की ज़्यादतियों को सहना नेक औरतों का शेहवा है, इसलिये कि आग आग से नहीं, बल्की पानी से बुझती है और जब किसी मामले में नर्मी की जाए तो उसके अंदर हुस्न और खूबसूरती पैदा हो जाती है _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 82, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 446,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 82*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_सास को खुश रखने के लिए बातों का जरूर ख्याल रखें-2,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ इसी तरह हमेशा शोहर को उसके वाल्देन (यानी अपनी सास और ससुर) के साथ अहसान करने और हदिया देने की तरगीब देती रहें, शोहर आपके लिए जो चीज़ लाए पहले वालिदा (सास) के पास भिजवाएं_,"*
╟──────❥
*─❥"_ वाल्देन ने आपके शोहर की जिस तरह तरबियत की है और उसकी तालीम व तरबियत पर जितना खर्च किया है, इसका बदला तो शोहर कभी अदा नहीं कर सकता,*
╟──────❥
*─❥"_ जो बीवी अपने शोहर को सास ससुर के खिलाफ उकसाएगी, वो दर हक़ीक़त अपने और अपने शोहर दोनों की राह में काँटे बो रही है, अपनी जीती जागती और हंसती खेलती दुनिया को वीरान कर रही है,*
╟──────❥
*─❥"_ मसलन - शोहर काम पर गए हैं, सास किसी बात पर नाराज़ हुई, बात खत्म हो गई, बीवी ने इसको खूब दिल में रखा और उसके साथ चार बाते और मिलाई, शोहर जब रात को आए तो बगेर कुछ बताए बीवी खूब रोने लगी..,*
╟──────❥
*─❥"_ अब अल्लाह ना करे, अल्लाह ना करे, अगर नासमझ शोहर बीवी के आंसुओं से मुतास्सिर हो गया और उसने वालिदा को सख्त लेहजे में कुछ कह दिया तो उस घर का तो अल्लाह ही निगाहबान है, बीवी को याद रखना चाहिए कि मां का बहुत बड़ा दर्जा होता है,*
╟──────❥
*─❥"_ स'आदतमंद और समझदार वही औरत है जो अपने शोहर को मां बाप और बहन भाईयों से हुस्ने सुलूक पर उभारती रहे_,"*
╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–83, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 447,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 83*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_सास को खुश रखने के लिए इन बातों का ज़रूर ख्याल रखें-3,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_सोचिये! मेरे सर के ताज की मां, जिसने एक मुद्दत मेरे शोहर को पेट में उठाया, अपनी गिज़ा से परवान चढ़ाया, फिर जब उसने दुनिया में क़दम रखा तो उसकी परवरिश की, रातों को उसके लिए जागती रही, अपनी ज़िंदगी की डोर को उसके साथ बांधे रखा, तरह तरह की मुश्किलें आईं, हर तरह का गम बर्दाश्त किया और खुशी खुशी सब सहती रही, क्या मैं इन सब कुर्बानियों को भूल कर ज़रा सी बात पर मां बेटे में झगड़ा करा दूं?*
╟──────❥
*─❥"_ अगर आप सास से अलग रहती हैं तो उन्हें कुछ न कुछ भेजती रहा करें, फोन पर वक्तन फा वक्तन खैरियत मालूम करें, बच्चों की दादी अम्मा से फोन पर बात कराएं, दादी पोते पोतियों से बात करने में खुशी महसूस करती है*
╟──────❥
*─❥"_ अक्सर जगहों पर मियां बीवी में झगड़े अपने ही रिश्तेदारों की वजह से होते हैं, कभी शोहर के रिश्तेदारों से शैतान ये काम लेता है तो कभी बीवी के रिश्तेदारों से शैतान अपने हरबे में कामयाब हो जाता है_,"*
╟──────❥
*─❥"_ बहरहाल इस नसीहत को खूब याद रखें कि घर की कोई बात अपनी सगी वालिदा और बहनों को भी ना बताएं कि इससे आप ही का नुक़सान है _,"*
╟──────❥
*─❥"_ हुज़ूर अक़दस ﷺ का इरशाद है कि मुसलमानों को ईजा़ ना दो और ना उनको आर दिलाओ और ना उनकी पोशिदा बातों के पीछे पड़ो, क्योंकि जो शख्स किसी मुसलमान की परदादारी करता है अल्लाह जल शानहू उसकी परदादारी फरमाता है हत्ताकी घर बैठे उसको रुसवा कर देता है _," (तिर्मिज़ी)*
╟──────❥
*─❥"_ लिहाज़ा इन सब बातों से मुसलमान औरत को बचना चाहिए, वरना सालहा साल की इबादत बेकार हो जाएगी और उन लोगों की जिनकी गीबत की या जिन पर गलत इल्ज़ाम लगाये हैं, उनके गुनाह उस औरत पर डाले जाएंगे_, "*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 84, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 451,*
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                *क़िस्त नं:- 84*          
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    *✿●•·_मुस्तक़िल मिज़ाज बने_,"*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ बहुत सी दुल्हनें अपनी फिक्र व सोच से कोई काम नहीं करतीं, बल्की छोटी सी बच्ची की तरह हर बात में अपनी वालिदा या बहनों और सहेलियों की तरफ रूजू करती है _,"*
╟──────❥
*─❥"_ यहां तक ​​कि अपने शोहर के दरमियान के बहुत से मामले में भी अपना अख्त्यार नहीं रखती बल्की वालिदा से पूछ पूछ कर अमल करती है,*
╟──────❥
*─❥"_ तजुर्बा कार व दीनदार वालिदा से पूछ कर चलना बड़ी अच्छी बात है लेकिन चुंकी अक्सर वालिदा मोहतरमा के सामने घर की और शोहर के मिज़ाज की पूरी सूरते हाल नहीं होती जिससे ऐसा मशवारा दे दिया करती हैं जो दोनों के लिए नुकसानदह होता है,*
╟──────❥
*─❥"_ और ये कि शोहर की ये चाहत होती है कि बीवी मेरी शरीक़े हयात है, हम दोनों एक दूसरे के लिए जिंदगी की चक्की के दो पाट हैं, अब इसमें हमारा कोई शरीक़ ना हो, बसा औक़ात शोहर बीवी के अज़ीज़ तरीन रिश्तेदारों को भी अपना हिस्सेदार बनाना गवारा नहीं करता*
╟──────❥
*─❥"_ लिहाज़ा समझदार बीवी को चाहिए कि अल्लाह से दुआ मांग कर हर मोके़ पर ऐसा क़दम उठाये और ऐसा फ़ैसला करे जो दोनों की दुनिया व आख़िरत बनाए और अपनी सोच व फ़िक्र में मुस्तक़िल मिज़ाज बनने की कोशिश करे,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 85, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 442,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 85*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·बीवी शोहर के सामने अपने घर वालों के राज़ ना खोले :-1,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ इसमें कोई शक नहीं कि राज़ की बातें उस वक्त़ तक राज़ में रहती है जब तक उनको राज़ में रखा जाए, हर घर में कुछ बातें ऐसी हो जाती है जो मां बाप ना भी बताएं तब भी औलाद को खबर हो जाती है _,"*
╟──────❥
*─❥"_ औलाद को चाहिए कि शादी हो जाने के बाद वो शोहर हो तो बीवी को, बीवी हो तो शोहर को, अपने वाल्देन की, भाई बहनो की और खानदान वालों की बातें ना बताएं,*
╟──────❥
*─❥"_ एक तो इसमें अपने वाल्देन के साथ बहुत ही बड़ी खयानत है कि जिन्होंने इतने एहसान किए, हमें सालो तक पाला पोसा परवान चढ़ाया, अब चंद दिन हुए जिस शोहर के पास गई उसे वाल्देन के घर की सारी पुरानी बातें बता दें, इस तरह खयानत करने से अल्लाह ताला नाराज़ हो जाते हैं और इस सिलसिले में अहादीस में भी बहुत सी वईदें वारिद हुई हैं,*
╟──────❥
*─❥"_दूसरी खराबी इसमे ये है कि खयालात बदले में देर नहीं लगती, इंसान का हर साँस उसके अंदर नए ख्याल को लाता है, क़ल्ब को इसीलिये क़ल्ब कहते हैं कि वो बदलता रहता है,*
╟──────❥
*─❥"_ अगर खुदा न ख्वास्ता शोहर किसी भी वजह से उस औरत से बदल गया और आपस में निबाह ना हो सका तो जो राज़ बीवी ने बता दिये हैं उनका वो नासमझ शोहर और उसके खानदान वाले दुनिया भर में ढिंढोरा पीटेंगे, जिससे उसकी और उसके वाल्देन की बदनामी होगी, उसके भाई बहन माशरे में बेइज्ज़त होंगे _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 86, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 453,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 86*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·बीवी शोहर के सामने अपने घर वालों के राज़ ना खोले -2,*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ तीसरी ये है कि उसने अपने वाल्देन का राज़ फाश किया फिर कभी उससे कोई गलती हो गई तो शोहर उसको भी इसी तरह ताना देगा, याद रखिए! जो राज़ उसके 32 दांतों में छुप ना सका वो अब शौहर के पास पहुंच कर कैसे महफूज रहेगा,*

╟──────❥

*─❥"_ फिर शोहर की तबीयत भी अगर औरतों की तरह है तो वो अपनी वलिदा और बहनों को बताएगा, फिर शोहर की वालिदा किसी और को बताएगी और यूं कहेगी देखो! सिर्फ तुम्हें बता रही हूं, किसी और को मत बताना, फिर वो दूसरी को इसी तरह कहेगी कि देखो! सिर्फ तुम्हें बता रही हूं किसी और को बिल्कुल मत बताना,*

╟──────❥

*─❥"_ मुसलमान बहनो! ऐसी बातें कभी किसी को ना बताना चाहिए चाहे दसियों साल आपके रिश्ते को हो जाएं बल्की इन राजो़ को अपने साथ क़ब्र में ही ले जाना, अल्लाह ता'ला आपकी और हर मुसलमान लड़की की बुरे वक़्त से हिफ़ाज़त फरमाये, आमीन या रब्बुल आलमीन*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 87, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 454,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 87*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_मियां बीवी आपस की बातें भी किसी को ना बताएं _,"*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ मियां बीवी आपस की बातें किसी को ना बताएं क्यूंकि हुजूर अकरम ﷺ ने सख्ती से इससे मना फरमाया है, बहुत ही ज़्यादा बेहयाई की बात है कि दुल्हा पहली रात की बातें अपने दोस्तों को बताए या दुल्हन अपनी सहेलियों को बताएं, इससे बिल्कुल बचना चाहिए,*
╟──────❥
*─❥"_ हुजूर अकरम ﷺ को जब बताया गया कि लोग ऐसा करते हैं तो फरमाया - "ऐसा मत करो ये तो उस शैतान की तरह हुआ जो रास्ते में किसी मादा शैतान से मिला, फिर उससे लिपट जाते हैं और लोग उनको देखते रहते हैं _," (मजमा अज़ज़वाइद)*
╟──────❥
*─❥"_ हुजूर अकरम ﷺ ने ऐसे मर्द और ऐसी औरत को लोगो में सबसे ज़्यादा बुरा बतलाया है, चुनांचे फरमाया - "अल्लाह के नज़दीक क़यामत के दिन लोगो में सबसे ज़्यादा बुरा शख़्स वो होगा जो अपनी बीवी से और (इसी तरह वो) बीवी जो शोहर से अपनी ज़रुरत पूरी करें, फिर वो अपनी खिलवत की बातें फेलाता फिरे_"(मुस्लिम)*
╟──────❥
*─❥"_ इसी तरह बाज़ नासमझ औरते रिश्तेदार औरतों का हुस्न भी मर्दो के सामने बयान करती हैं, ना मेहरम औरतों से मुताल्लिक ऐसी बातें अपने शोहर या दीगर मर्दो भाई वगेरा को बिला किसी वाक़ई ज़रुरत के बताना बिलकुल जाइज़ नहीं, बल्की सख़्त गुनाह है _,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 88, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 457,*
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                *क़िस्त नं:- 88*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
     *✿●•·माहे अस्ल ( हनीमून ) ,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
 *✿●•·अगर दूल्हा दुल्हन शादी के बाद कुछ वक्त अलहिदा गुजारना चाहे तो इसमें कुछ हर्ज नहीं, खुसूसन जिन इलाकों़ में शादी के बाद शौहर अपने खानदान के साथ ही रहता है, ऐसे खानदान के नए शादीशुदा जोड़ों के लिए मुनासिब है कि कुछ वक्त अलग माहौल में गुजारें ताकि एक दूसरे के मिज़ाज से अच्छी तरह वाकिफ हो सके,*
╟──────❥
 *✿●•·लिहाजा अगर हो सके तो हनीमून का अकसर हिस्सा अल्लाह के रास्ते में दीन सीखने और इसको फैलाने में (मस्तूरात की जमात के साथ) लगाएं ताकि नई जिंदगी की इब्तिद ही नेक आमाल की पाबंदी से हो और फिक्र ए रसूल सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम पर नई जिंदगी की बुनियाद पड़े ।*
╟──────❥
 *✿●•·इसके बाद कुछ वक्त बचे तो किसी जगह की कुदरती चीजों को देखने में गुजारना चाहें तो खुशी से गुजारे।* 
╟──────❥
 *✿●•·क्या ही अच्छा हो कि गुंजाइश हो तो मियां बीवी उमरा करने के लिए चले जाएं ताकि उन मुक़द्दस मका़मात में अपने लिए और आने वाली नस्ल के लिए, पूरी उम्मत के लिए खूब दुआएं मांगी जा सके।*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 89, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 461,*
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                *क़िस्त नं:- 89*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_हिफाज़त के लिए चंद अहतयाती बातें -1,*
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*─❥"_ (1)_ मदीना मुनव्वरा की अजवा खजूर के सात दाने सुबह नहार मुंह खा लें, अगर मदीना मुनव्वरा की अजवा खजूर ना मिले तो किसी भी शहर की अजवा खजूर इस्तेमाल कर सकते हैं, हदीस नबवी में आता है:- जो शख्स अजवा खजूर के सात दाने सुबह के वक्त़ खा लेता है उसे ज़हर और जादु की वजह से कोई नुक़सान नहीं पहुंचेगा_," (बुखारी - 2/809)*

╟──────❥

*─❥"_ (2)_ बा वज़ू रहना :- क्योंकि बा वज़ू मुसलमान पर जादू असर अंदाज़ नहीं हो सकता और वो फरिश्तों की हिफाज़त में रात गुजारता है, एक फरिश्ता उसके साथ रहता है और वो जब भी करवट बदलता है फरिश्ता उसके हक़ में दुआ करते हुए कहते हैं:- ऐ अल्लाह! अपने इस बंदे को माफ कर दे क्योंकि इसने तहारत की हालत में रात गुजारी है _," ( मजमाउज़ ज़वाइद-1/312)*

╟──────❥

*─❥"_ (3)_ मर्दों के लिए बा जमात नमाज़ की पाबंदी :- जमात के साथ नमाज़ पढ़ने की पाबंदी की वजह से इंसान शैतान से महफूज़ हो जाता है और इस सिलसिले में सुस्ती बरतने की वजह से शैतान उस पर गालिब आ जाता है और जब वो गालिब आ जाता है तो उसमें दाखिल भी हो सकता है और उस पर जादू भी कर सकता है _,"*

╟──────❥

*─❥"_ रसूल अकरम ﷺ का फरमान है :- किसी बस्ती में जब तीन आदमी मोजूद हों और वो बा जमात नमाज़ अदा ना करें तो शैतान उन पर गालिब आ जाता है, सो तुम जमात के साथ रहा करो, क्योंकी भेडिया उसी बकरी का शिकार करता है जो रेवड़ से अलग हो जाती है _," (अबू दाउद)*

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*╟❥ अगली क़िस्त–90, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 472,*
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                *क़िस्त नं:- 90*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_हिफाज़त के लिए चंद अहतयाती बातें -2,*
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*─❥"_ (4)_ क़यामुल लैल (यानी तहज्जुद, रात को अल्लाह की इबादत करना) का अहतमाम ज़रूर करना चाहिए, क्योंकि इसमें कोताही करके इंसान खुद बा खुद अपने ऊपर शैतान को मुसल्लत कर लेता है_,"*
╟──────❥
*─❥"_ हज़रत इब्ने मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूले अकरम ﷺ के पास एक ऐसे शख्स का ज़िक्र किया गया जो सुबह होने तक सोया रहता है और क़यामुल लैल के लिए बेदार नहीं होता, तो आप ﷺ ने फरमाया _" उसके कानों में शैतान पेशाब कर जाता है _, (बुखारी)*
╟──────❥
*─❥"_हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं,_ जो शख्स वित्र पढ़े बगैर सुबह करता है उसके सर पर सत्तर हाथ लंबी रस्सी का बोझ पड़ जाता है_," (फताहुल बारी)*
╟──────❥
*─❥"_(5)_ बैतुल खला में जाते हुए उसकी दुआ पढ़ना- नापाक जगह पर शैतान का घर और ठिकाना होता है, इसमें किसी मुसलमान की मोजूदगी को शैतान गनीमत तसव्वुर करते हैं, एक बुजुर्ग फरमाते हैं कि मुझे खुद एक शैतान जिन्न ने बताया था कि वो एक शख्स में दाखिल हो जाने में कामयाब हो गया था जब उसने बैतुल खाला में जाते हुए इसकी दुआ नहीं पड़ी थी_,"*
╟──────❥
*─❥"_ रसूल अकरम ﷺ से साबित है कि आप ﷺ बैतुल खला में जाते हुए ये दुआ पढा करते हैं :- "अल्लाहुम्मा इन्नी आऊजु़बिका मिनल खुबुसी वल खबाइस_,"*
 *"_(तर्जुमा) ऐ अल्लाह! बुराइयों और बुरी चीजों से मैं तेरी पनाह मांगता हूं_,"*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 91, जल्द इंशा अल्लाह ,*
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      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 477,*
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                *क़िस्त नं:- 91*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·_हिफाज़त के लिए चंद अहतयाती बातें-3:-*
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*─❥"_ (6)_ सोने से पहले वज़ू कर लें, फ़िर आयतुल कुर्सी पढ़ लें और अल्लाह को याद करते करते सो जाएं, हदीस में आता है कि शैतान ने हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से कहा था, "जो शख्स सोने से पहले आयतुल कुर्सी पढ़ लेता है, सुबह होने तक एक फरिश्ता उसकी हिफाज़त करता रहता है और शैतान उसके क़रीब नहीं आ सकता_,"*
*"_ ये बात जब हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने रसूलुल्लाह ﷺ को बतायी तो आप ﷺ ने फरमाया - उसने सच कहा है, हालांकी वो झूठा है_," (बुखारी)*
╟──────❥
*─❥"_(7)_ नमाज़े फजर के बाद और नमाज़े असर के बाद की मसनून दुवाओं का अहतमाम ज़रूर करें,*
*"_ हम आपको हजरत मौलाना मुहम्मद यूनुस पालनपुरी दा. ब. की किताब "मोमिन का हथियार" पीडीएफ का लिंक दे रहे हैं, आप इसे डाउनलोड ज़रूर करें और सुबह शाम की दुवाओं को पढ़ने की आदत बना लें _👇🏻,"*
 https://drive.google.com/file/d/0B2E60cf5hyGARF9BX1BjUHlCa00/view?u

╟──────❥
*─❥"_ खूब समझ लो ! सबसे बड़ा तावीज़ अल्लाह तआला की रज़ा है और तावीज़ बनाने वाले लोगों के पास जाने से बचें, ऐसे लोगों के पास जाने से अमूमन दिल की बेचैनी बढ़ती है और घरों में फ़साद होते हैं और कई औरतों को उनके शोहरों ने इस वजह से छोड़ दिया कि वो छुप छुप कर तावीज़ गंडे कराती थी,*
*"_ हां अगर किसी वाक़ई ज़रुरत में इलाज के तौर पर शरीयत के पाबंद किसी अहले हक़ आलिम व बुज़ुर्ग से तावीज़ वगेरा लेना ही हो तो शोहर की इज़ाज़त ज़रूर लेना चाहिए, फिर भी तावीज़ से ज़्यादा दुआ माँगने का अहतमाम करना चाहिए,*
╟──────❥
*─❥"_(8)_ और हिफाजत के लिए सबसे बेहतरीन नुस्खा "मंजिल" का पढ़ना है, मंजिल छोटी सी दुआ की किताब है, इसको खुद भी याद करें और अपने भाई बहनों और बच्चों बच्चियों को भी याद कराएं और सुबह शाम इसके पढ़ने का मामूल बना लें, अल्लाह तआला हर बला व मुसीबत से हम सबकी हिफाज़त फरमाये, आमीन_,"*

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*╟❥ अगली क़िस्त–92, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 479,*
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                *क़िस्त नं:- 92*          
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           *✿●•· पडौसी का हक़ _,* ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· जिन हुक़ूक़ का ख्याल रखना चाहिए उनमें पड़ोसी का हक़ भी है, लेकिन पड़ोसी कौन है ? हर वह शख्स जो आपके दाएं बाएं ऊपर नीचे 40 घर तक पडोस में रहता है, और जन्नत में वह शख्स दाखिल नहीं होगा जिसका पड़ोसी उसके शर से डरता रहता है,*
╟──────❥
*✿●•· इस्लाम की नज़र में पड़ोसी के चार बुनियादी उसूल है :-१- अपने पड़ोसी को तकलीफ ना पहुंच जाए, २- उसको उस शख्स से बचाए जो उसे तकलीफ पहुंचाना चाहता हो, ३- पड़ोसी के साथ अच्छा बर्ताव करो, ४- उसकी बद मिजा़जी और अक्खडपन का बुर्दबारी व दरगुज़र से बदला दे,* 
╟──────❥
*✿●•·पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक के बारे में आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- "_ जिस शख्स ने अपने अहलो आयाल और माल की हिफाज़त के लिए अपने पड़ोसी पर अपने घर के दरवाज़े बंद कर दिए तो मोमिन कामिल नही और वह शख्स भी मोमिन नहीं जिसका पड़ोसी उसके शर से मेहफूज ना हो, क्या तुम जानते हो पड़ोसी का क्या हक़ है ? ( नहीं जानते तो सुन लो )*
╟──────❥
*१_ जब वह तुमसे मदद तलब करे तो तुम उसकी मदद करो,*
*२_ जब क़र्ज़ मांगे तो उसे क़र्ज़ दो,*
*३_ जब वह किसी चीज़ का मोहताज हो तो उसकी हाजत पूरी करो,*
*३_ जब बीमार हो तो उसकी अयादत करो,*
*४_ जब उसे कोई भलाई पहुंचे तो उसे मुबारकबाद दो,*
*५_ जब उसे कोई मुसीबत पहुंचे तो उसकी ताज़िययत करो,*
*६_ जब उसका इंतकाल हो जाए तो उसके जनाज़े में शरीक़ हों,*
*७_ अपना मकान उसके मकान से ऊंचा ना बनाओ ताकि उस (के घर) की हवा ना रुक जाए, मगर यह कि वो इजाजत दे दे ( तो कोई हर्ज नहीं)*
*९_ तुम मुझसे हांडी की भाप से तकलीफ़ ना पहुंचाओ ( यानी तुम्हारे घर में पकने वाले लज़ीज़ खानों की महक उस तक ना जाए ताकि उसे तकलीफ ना हो) मगर यह कि तुम उसमें से उसे भी दे दो,*
*१०_अगर कोई फल खरीदो तो उसको भी उसमें से हदिया कर दिया करो और अगर ऐसा ना कर सको तो चुपके से छुपा कर ले जाओ, ऐसा ना हो कि तुम्हारा बेटा फल बाहर ले जाए और उसे देखकर पड़ोसी के लड़के को तकलीफ़ हो,*
╟──────❥
*✿●•·याद रखिए, जो शख्स अल्लाह ताला और क़यामत पर ईमान रखता है उसे चाहिए कि वह अपने पड़ोसी का इकराम करे,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–93, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 478,*
╒═══════════════╛
                *क़िस्त नं:- 93*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•· पड़ोसियों के दरमियान पर्दे का ख्याल रखें,*    
    ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· पड़ोसियों के साथ ताल्लुक रखने में दो बातों का ख्याल रखें :-*
*1- उनके मर्दों से अपना और अपनी लड़कियों का बहुत सख्त पर्दा होना चाहिए, उनके यहां का 12 साल का बच्चा भी बगैर इजाज़त अंदर ना आए और उनके बच्चों का अपनी बच्चियों से मेलजोल ना होने दें चाहे छोटे ही हों ,*
╟──────❥
*✿●•·"_इसी तरह अपने मर्दों और बेटियों को उनकी औरतों से पर्दे का खूब अहतमाम करवाएं, ऐसा ना हो कि आपस में बेतकल्लुफी से शैतान को आने का मौका मिल जाए, जबकि पर्दे के अहतमाम से शैतान से मुकम्मल हिफाज़त होती है _,*
╟──────❥
*✿●•·2- इस बात का भी खूब ख्याल रखें कि आपके बच्चे पड़ौसियों के घरों में जाकर टीवी ना देखने पाए, बच्चों को खूब समझा- बुझाकर वहां से दूर रखें कि टीवी का ज़हर बच्चों और बड़ों सब के अखलाक़ तबाह व बर्बाद कर देता है और माशरे में जुर्म और बुराइयां फैला देता है, खुद अपने घर में भी टीवी ना रखें और बच्चों को पड़ोसियों के घर में भी (टीवी देखने ) ना जाने दें ,*
╟──────❥
*✿●•·नेक पड़ोसी का अंदाज़ा आप इस वाक़िए से लगा सकते हैं कि हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह का पड़ोसी एक यहूदी था, जब उसने अपना मकान बेचने का इरादा किया तो उसकी कीमत 2000 दीनार मांगी, लोगों ने कहा कि तुम्हारे मकान की कीमत तो एक हजार दीनार ही है, वह यहूदी कहने लगा सही है, 1000 मकान की क़ीमत और 1000 अब्दुल्लाह के पड़ोसी होने की क़ीमत है ,*
*"_ इससे मालूम हुआ कि नेक पड़ोसी का मिल जाना भी अल्लाह ताला की एक बहुत बड़ी नियामत है ,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 94, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 480,*
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                *क़िस्त नं:- 94*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•·औरतें और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की चंद सुन्नते,*
        ┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
*✿●•· हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम रहमतुल आलमीन थे, मर्दों के लिए भी और औरतों के लिए भी रहमत थे, लिहाज़ा औरतें भी अगर आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम की प्यारी और मुबारक सुन्नतें अपनाएंगी तो घरों में रहमतें और बरकतें नाज़िल होंगी और मोहब्बत की फिज़ा क़ायम होगी, आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम और अल्लाह ताला की मोहब्बत दिल में बढ़ेगी,*
╟──────❥
*✿●•·१_ मिसवाक का अहतमाम करें, खुसूसन हर नमाज़ के लिए वज़ु करते वक्त, खाने के बाद, तिलावत करते वक्त, सोते वक्त और सो कर उठने के बाद मिसवाक का एहतमाम जरूर करें,*
╟──────❥
*✿●•·२_सुबह शाम की मसनून दुआएं और हर हर मौके़ की दुआएं पढ़ने का एहतमाम करें,*
╟──────❥
*✿●•·३_ नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की आदतें मुबारक थी कि आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम को जब भी कोई सख्त अम्र पेश आता था यानी कोई परेशानी पेश आती या कोई तकलीफ़ आती तो आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम नमाज़ की तरफ मुतवज्जह हो जाते थे ,*
╟──────❥
*✿●•·४_ बच्चों को (खुद भी) कज़ा ए हाजत (पेशाब पाखाना वगैरा) के लिए बैठाने में ख्याल रखें कि क़िब्ला की तरफ ना बिठाएं, कज़ा ए हाजत के वक्त क़िब्ला की तरफ पीठ या मुंह करना बहुत ही बड़ा गुनाह है ,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–95, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 481,*
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                *क़िस्त नं:- 95*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
*✿●•· औरतें और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतें -2,*
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*✿●•·५_ हर चीज का लेनदेन सीधे हाथ से करें, किसी से कोई चीज़ लें तो सीधे हाथ से लें और दें तो सीधे हाथ से दें और बच्चों को भी इसका आदी बनाएं ,*
╟──────❥
*✿●•·६_ घर में आते जाते या अज़ीज़ रिश्तेदारों के घर में जाते वक्त औरतें आपस में एक दूसरे को सलाम कहें, "अस्सलामु अलैकुम" आपस में बात शुरू करने से पहले भी सलाम करें,*
╟──────❥
*✿●•·७_ हर काम में अल्लाह ताला की तरफ निस्बत कीजिए कि अल्लाह के हुक्म से यह हुआ, बच्चा अल्लाह के हुक्म से बीमार हुआ, यह ना कहें कि सर्दी लग गई इसलिए बीमार हुआ, फलां डॉक्टर से फायदा हुआ बल्कि यूं कहें कि अल्लाह के हुक्म से सर्दी लगने की वजह से बीमार हो गया फलां डॉक्टर से दवा ली अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह ताला के हुक्म से फायदा हुआ, नफा नुक़सान की निसबत अल्लाह की तरफ करें, इत्तेफाक का लफ्ज़ इस्तेमाल ना करें ,*
*"_इत्तेफाक कोई चीज़ नहीं होती, कायनात का एक एक क़तरा एक एक पत्ता गिरने में, बहने में, हिलने में और इस्तेमाल होने में अल्लाह ताला के हुक्म का मोहताज है ,*
╟──────❥
*✿●•·८_ औरतों को चाहिए कि आज़ान का जवाब दें, हदीस शरीफ में है कि जो शख्स मूअज्जि़न का जवाब दिल यक़ीन के साथ दे तो उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती है, ( नसाई )*
╟──────❥
*✿●•·लिहाजा़ औरतों को चाहिए कि आज़ान के वक्त बातें ना करें बल्कि उसका जवाब दें, मुअज्जिन जो कहे उसी तरह कहे, मगर "हय्या अलस्सलाह" और "हय्या अलल फलाह" के जवाब में "लाहौला वला कु़व्वता इल्ला बिल्लाहि" कहे, अज़ान का जवाब ज़बान से देना मुस्तहब व मसनून है, फिर अगर शर'ई उज़्र ना हो तो फौरन नमाज़ की तैयारी में लग जाना चाहिए,*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 96, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 482,*
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                *क़िस्त नं:- 96*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
     *✿●•·_नेक बीवी का इम्तिहान:-1,*
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*─❥"_ आप इन सवालो को गौर से पढ़िए, कम से कम हर सवाल को तीन मर्तबा पढिए, फिर इसका जवाब दीजिए, अगर जवाब हां की सूरत में है तो 10 नंबर लगा दीजिए, फिर अपना रिजल्ट खुद देख लीजिए कि आप "नेक बीवी" के इम्तिहान में पास हुई या अल्लाह ना करे...?*
╟──────❥
*─❥"_ (1)_ क्या आप सुबह अपने शोहर से पहले उठ कर फजर की नमाज़ पढ़ कर अपने शोहर और बालिग बच्चों को मस्जिद में भेजने के लिए अच्छे तरीक़े से कोशिश करती है कि वो सब मस्जिद में जा कर फजर की नमाज जमात से अदा करें, ताकी अल्लाह ताला की नाराज़गी से पूरा घर बच जाए?*
╟──────❥
*─❥"_(2)_ क्या आप रात ही को सुबह शोहर के इस्तेमाल के लिए कपड़े इस्तरी करके तैयार रखती हैं, ताकी उनको काम पर जाने से पहले तैयार मिल जाएं और सुबह ऐन ज़रुरत के वक्त ज़रुरत की चीज़ों की तलाश या तैयारी में वक्त़ ना लगे, इसी तरह शोहर जब सफर में जाते हैं तो आप उनका बैग वगेरा तैयार करती हैं?*
╟──────❥
*─❥"_(3)_ क्या आप अपने बच्चों के मदरसे और स्कूल का होम वर्क खुद करवा देती हैं, ताकि बच्चों को ट्यूशन की जरूरत ना पड़े और मां की शफक़त भी हासिल होती रही और बच्चों की पढ़ाई और मदरसे में हाज़री के अहतमाम के बारे में भी पता चलता रहे या सिर्फ घर के काम काज में लग कर बच्चों के ज़रूरी मामुलात की जांच भी शोहर के जिम्मे डिल देती हैं ?*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त– 97, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 493,*
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                *क़िस्त नं:- 97*          
      ◐┄┅════❖════┅┄◐
      *✿●•·_नेक बीवी का इम्तिहान - 2:-*
┍━━━━━━━━━━━━━━━┙
*─❥"_ (4)_ क्या आप खाने की ऐसी चीजें भी तैयार करती हैं जो शोहर को बहुत पसंद है और आपको बिलकुल पसंद नहीं, या शोहर और बच्चों को पसंद है मगर चुंकी आपको वो चीज़ें तैयार करने में देर लगती है इसलिए आप टाल जाती है, या शोहर के पास उनके दोस्त अहबाब बार बार आते रहते हैं तो आप मेहमान नवाज़ी में उनका पूरा साथ देती हैं?*
╟──────❥
*─❥"_(5)_ क्या आप अपनी सफाई सुथराई वगेरा का अहतमाम करती हैं, ख़ुसुसन जब शोहर घर में हों, इसी तरह जब शोहर थक कर घर आएं तो क्या आप इस बात का अहतमाम करती हैं कि घर में आते ही उनको सादा ठंडा पानी पेश कर दें, तो इससे उनके काम की परेशानियां खत्म हो जाएं?*
╟──────❥
*─❥"_(6)_ अगर शोहर आपको खबर दे कि आज मेरी वाल्दा और बहनें घर आएंगी और मैं उन्हें फलां फलां नया डिजाइन वाले कपडे हदिया दे रहा हूं तो आप फौरन खुश दिली का इज़हार करती हैं या नहीं?*
╟──────❥
*─❥"_(7)_ क्या जून जुलाई की स्कूल की छुटियो में या हफ़्ते की छुटियो में आप इस बात का अहतमाम करती हैं कि खुद जल्दी उठ जाएं, ताकी शोहर की नींद में बच्चे खलल न डाले, या कोई ज़रूरी काम कर रहे हैं तो काम सुकून से अंजाम दे सके?*

╟──────❥
*╟❥ अगली क़िस्त–98, जल्द इंशा अल्लाह ,*
┕━━━━━━━━━━━━━━━┑
      *📓 तोहफा ए दुल्हन, 494,*
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      *✍ Haqq Ka Daayi ,*
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