RAMZAN NIZAMUL AWQAAT -( HINDI)

Haqq Ka Daayi:
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     *⌛ रमजान- निजामुल औकात ⌛*
*┱✿☞ पांचों नमाजो में तकबीरे औला का एहतमाम,*
✾_तकबीरे औला का एहतमाम कीजिए यानी नमाजो को सफे अव्वल में तकबीरे औला के साथ अदा किया जाए।
"➣_ हदीस पाक में है कि जिस शख्स ने 40 दिन तक तकबीरे औला के साथ नमाज अदा की तो उसके लिए दो बरा'अते लिखी जाती है :- अव्वल जहन्नम से खलासी (आजादी) और दूसरी निफाक़ से खलासी । *(तिर्मीजी शरीफ)*

*┱✿☞ रमजान में कम से कम दो कुरान ए पाक खत्म करने का एहतमाम ,*
✾_कम से कम दो कुरान ए पाक रमजान उल मुबारक में खत्म करने का अहतमाम करें।
➣ हदीस पाक में है कि कुराने पाक की तिलावत किया करो क्योंकि यह कयामत के दिन अपने पढ़ने वालों के लिए शाफी बन कर आएगा । *( मुस्लिम शरीफ)*

*┱✿☞कुराने पाक का कम से कम एक पारा हिफ्ज़ करना।*
★_ रोजाना 5 आयात हिफ्ज़ करें तो पूरे महीने में एक पारा हिफ्ज़ हो जाएगा ।
"_ हदीस पाक में आया है कि जिस दिल में कुराने पाक का कोई हिस्सा मौजूद ना हो वह वीराने घर की तरह है। *( बुखारी शरीफ)*

*┱✿☞ नमाजे तरावीह का एहतमाम करना ,*
★_नमाज ए तरावीह का अहतमाम पूरे रमजान किया जाए।
"_ हदीस पाक में हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद है कि जिसने रमजान मुबारक में ईमान के साथ सवाब की नियत से कि़याम किया ( यानी तरावीह पड़ी ) तो उसके अगले पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं । *(बुखारी शरीफ)*

*┱✿करीबी रिश्तेदारों के साथ सिलाह रहमी करना,*
★_ रोजाना रिश्तेदारों से मुलाकात करें। कम से कम हफ्ते में एक दिन इसके लिए खास करें।
"_ हदीस पाक में आया है कि रिश्तेदारी अरशे इलाही के साथ लटककर कहती है कि जिस ने मुझे जोड़ा अल्लाह उस को जोड़ें और जिसने मुझे काटा अल्लाह उसको काटे । *(मुस्लिम शरीफ)*

*┱✿ अल्लाह के रास्ते में सदक़ा देना ,*
★_कम से कम हफ्ते में एक बार अल्लाह के रास्ते में सदका देने का एहतमाम करें।
"_ हदीस पाक में है कि हुजूरे अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम सबसे ज्यादा सखी थे और रमजान मुबारक में आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की सखावत और ज्यादा होती थी। *(बुखारी शरीफ )*

*┱✿☞-रोजेदारों को अफतार कराना !*
★_ रोजेदारों को अफतार कराने का अहतमाम करें ,रोज कराएं तो बहुत अच्छा है ।
★_हुजूर अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का इरशाद है कि जिसने रोजेदारों को अफतार कराया उसको रोजेदारों के बराबर सवाब मिलेगा और रोज़दारों के सवाब में कुछ भी कमी नहीं किया जाएगा । *( तिर्मिजी शरीफ)*

*┱✿☞- जनाजे की नमाज में शिरकत ,*
★_ अगर किसी का इंतकाल हो जाए तो जनाजेध की नमाज में शिरकत करें या फिर जनाजे के साथ चलें ।
★_हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद है कि जिसने जनाजे में जनाजे की नमाज पढ़ी और तदफीन में शरीक़ नहीं हुआ तो उसको एक किरात सवाब मिलेगा और तदफीन में शरीक़ हुआ ,उसको दो किरात सवाब मिलेगा । किरात कि कम से कम मिक़दार उहद पहाड़ के बराबर है ! *( मुस्लिम शरीफ )*

*┱✿ एक मर्तबा उमराह करना _,*
★_ हो सके तो पूरे महीने में एक मर्तबा उमराह करें - हदीस में आया है कि रमजान मुबारक में उमराह करना हज के बराबर है। *( बुखारी शरीफ)*

*┱✿ इस्लामिक किताबें पढ़ना और बयानात सुनना_,*
★_ रोजाना कम से कम 15-20 मिनट इस्लामी किताबों का मुताला या एक घंटा इस्लामिक बयानात सुनने का अहतमाम करें ।
*┱✿ एक मरीज की अयादत करना ,*
★_रोजाना या हफ्ते में कम से कम एक मरीज़ की अयादत का अहतमाम करें (अगर मरीज हो तो) ।
"_जो शख्स शाम के वक्त किसी मरीज की अयादत करें तो उसके हमराह 70000 फरिश्ते चलते हैं जो सुबह तक उसके लिए इस्तगफार करते हैं । और जो शख्स सुबह के वक्त किसी मरीज की अयादत को जाए उसके हमराह 70000 फरिश्ते चलते हैं जो शाम तक उसके लिए इस्तगफार करते हैं । *(अबू दाऊद-2/442)*

*┱✿ दावत ए इलल्लाह देना _,*
★_ रोजाना कम से कम एक आदमी को अल्लाह के दीन की तरह बुलाया करें ।
★_हदीस में आता है कि अगर अल्लाह ताला तेरी वजह से एक आदमी को भी हिदायत दे दे तो तेरे लिए सुर्ख ऊंटों से ज्यादा बेहतर है। *( मुस्लिम शरीफ)*

*┱✿ हर जुमेरात शब गुजारी या जुम्मा को ऐतकाफ करना,*
★ जुमेरात को अपनी मस्जिद में शब गुजारी करें और हो सके तो कम से कम फजर की नमाज से लेकर इशराक तक रोजाना ऐतकाफ कर लिया करें।
★_ हदीस पाक में हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद की जिस शख्स ने फजर की नमाज बा जमात पड़ी और फिर जि़क्रें इलाही में मशगूल हो गया यहां तक कि सूरज तुलू हो गया फिर उसने 2 रकात पढ़ी तो उसको एक मुकम्मल हज और उमरे का सवाब मिलेगा । *(तिर्मीजी शरीफ)*

*┱✿ चाश्त की नमाज की पाबंदी करना,*
★_ चाश्त की नमाज की रोजाना पाबंदी करें । हदीस शरीफ में हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मुझे मेरे खलील हजरत नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने तीन चीजों की वसियत फरमाई-
१- हर महा 3 रोजे रखने की
२- चाश्त की नमाज पढ़ने की
३- और सोने से पहले वित्र की नमाज़ अदा करने की ।
*(तिर्मीजी शरीफ)*

*┱✿ वित्र की नमाज़ का अहतमाम करना,*
★_ वित्र की नमाज़ का रोजाना सोने से पहले है एहतमाम करें ।

*┱✿हर नमाज के बाद जिक्र करना ,*
★_रोजाना हर नमाज के बाद जिक्र की पाबंदी करें ,खासकर तस्बीह फातिमा जरूर पढ़िए ।
★_ अल्ल्लाह ताअला का इरशाद है कि अल्लाह ताअला का कसरत से जिक्र करने वाले मर्द और औरतों के लिए मगफिरत और अजरे अजी़म का वादा है।
*( अल कुर'आन )*  

*┱✿ दुआओं का अहतमाम करना_,*
★_ हर रोज खास तौर पर 30 मिनट दुआ मांगने का एहतमाम करें ।
"_अल्लाह ताला का इरशाद है:- कि जो मुझ से दुआ मांगता है मैं उसकी दुआएं कुबूल करता हूं। *(अल कुरान )*

*┱✿ माहे रमजान में जकात अदा करना_,*
★_ अगर माल निसाब को पहुंचे तो माल की जकात अदा करने का अहतमाम करें ।
"_अल्लाह ताला का इरशाद है कि नमाज कायम करो और जकात अदा करो और रुकूं करने वालों के साथ रुकू करो यानी जमात के साथ नमाज अदा किया करो। *(सूरह अल बकरा-43 )*    

*┱✿ तहज्जुद की नमाज़ अदा करना_,*
★_ रोजाना तहज्जुद की नमाज़ का एहतमाम करना।
"_ अल्लाह ताला का इरशाद है कि उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते हैं और खौफ और उम्मीद के साथ अपने रब को पुकारते हैं और जो हमने उनको दे रखा है उसको राहे खुदा में खर्च करते हैं। *(अल कुरान )*

*┱✿ आखरी अशरे का एतकाफ करना ,*
★_ रमजान मुबारक में आखिरी अशरे का एतिकाफ करने का अहतमाम करें ।
"_ हदीस शरीफ में आता है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम रमजान के आखिरी अशरे का एतकाफ फरमाया करते थे । *(बुखारी शरीफ)*

*┱✿ शबे कद्र की तलाश करना_,*
★_ खुसूसन रमजान के आखरी अशरे की ताक रातों (21 23 25 27 29 ) में शबे कदर की तलाश में रहे ।
"_हदीस पाक में आया है कि शब ए कदर को रमजान के आखिरी अशरे की ताक रातों में तलाश करो । *(बुखारी मुस्लिम शरीफ)*

*┱✿ सदक़ा ए फितर अदा करना ,*
★_ रमजान में ही सदक़ा ए फितर अदा करने का अहतमाम करें ।
”_ हदीस पाक में हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने सदका ए फितर् को वाजिब करार दिया है । *(बुखारी मुस्लिम )*

*┱✿ सुबह से शाम तक के आमाल -1-फजर से ज़ोहर तक के आमाल,*
★_१-सुबह तहज्जुद का अहतमाम करना चाहिए चाहे 2 रकात ही क्यों ना हो।
★_२- सुबह सवेरे कम से कम एक पारा कुरान ए पाक की तिलावत ।
★_३- मस्जिद में जल्दी जाकर पहली सफ में बेठने का अहतमाम और 2 रकात सुन्नत ।
★_४- खुशू खुज़ू के साथ 2 रकात फर्ज का अहतमाम ।
★_५-नमाज के बाद तसबिहात, फिर दुआ का अहतमाम ।
★_६- नमाज के बाद सुबह के मसनून अज़कार का अहतमाम।
★_७- सूरज तुलू होने तक ना सोनिए बल्कि तुलु के 20 मिनट बाद नमाजे इशराक पढ़ें फिर चाहे थोड़ी देर सो जाइए ।
★_८-ज़वाल से पहले नमाजे चास्त का एहतमाम।

*┱✿ सुबह से शाम तक के अमल _ 2- जोहर से असर तक के आमाल_,*
★_१-मस्जिद में जल्दी आ कर तहियतुल मस्जिद व वुजू़ की 2 रकात ,फिर कुराने पाक की तिलावत और पहली सफ का अहतमाम ।
★_२- जोहर से पहले की 4 रकात सुन्नत ए मौकदा का अहतमाम।
★_३- खुशु खुज़ु के साथ नमाजे जोहर की 4 रकात फर्ज अदा करें।
*( मोबाइल घर छोड़ कर आइए)*
★_४- नमाज के बाद दुआ और तसबिहात और नमाज के बाद के अज़कार का अहतमाम ।
★_५-नमाज के बाद 2 रकात सुन्नत मौकदा और 2 रकात सुन्नत गैर मौकदा अदा करें।
★_६- फिर कोई काम हो तो कुछ देर उससे फारिग होकर कुराने पाक की तिलावत करें।

*┱✿ असर् से मगरिब तक के आमाल_,*
★_१- अज़ान से पहले या कम से कम अज़ान होते ही मस्जिद की तरफ चल दें ।
★_२- असर् से पहले की 4 रकात सुन्नत गैर मौक़दा अदा करें।
★_३- अगर सुन्नतों की अदायगी के बाद वक्त हो तो तिलावते कुरान में मसरूफ हो जाइए ।
★_४- सफे अव्वल में नमाज पढ़ने का अहतमाम।
★_५- नमाज के बाद अज़कार और तसबिहात का एहतमाम।
★_६- तफसीर ,तालीम वगैरह हो रही हो तो उसमें जरूर बैठें।
★_७- अफ्तार से 15-20 मिनट पहले दुआ में पूरे इत्मीनान के साथ लग जाइए और खूब रो-रोकर अपने लिए और पूरी उम्मत के लिए दुआएं करें ।
★_८-खजूर से अफतार करें ,हो सके तो मस्जिद में अफतार करें।
★_९-अफतारी खाने में इतनी देर न लगाएं की रकात या नमाजे मगरिब ही छूट जाए।

*┱✿ मगरिब से इशा तक के आमाल_,*
★_१- मगरिब की नमाज के बाद दुआ ,तस्बीहाते फातिमा और नमाज के बाद के अज़कार ना छोड़ें ।
★_२- दो रकात सुन्नत मौक़दा और 2 रकात सुन्नत गैर मौक़दा अदा करें ।
★_३-नमाजे अव्वाबीन जितनी हो सके अदा करें । 6-12......
★_४- कुछ वक्त अपने घरवालों के साथ गुजारें।
★_५- इशा की अजान से पहले या अज़ान होते ही मस्जिद में हाजि़र हो जाएं।

*┱✿ इशा और रात के मामुलात _,*
★_१- इशा की नमाज मुकम्मल जमात के साथ अदा करें ।सफे अव्वल की कोशिश करें।
★_२- ईशा के बाद दुआ और अज़कार का अहतमाम करें।
★_३- दो रकात सुन्नत मौक़दा और 2 रकात गैर मौक़दा अदा करें ।
★_४-तरावीह मुकम्मल २० रकात तकबीरे अवला के साथ सलाम तक अदा करें ।
★_५-वित्र भी जमात के साथ अदा करें।
★_६- तरावीह के बाद बकि़या इशा की दो सुन्नत गैर मौक़दा अदा करें ।
★_७-मस्जिद से सीधे घर जाएं, खाना वगैरा खा कर जल्द से जल्द सो जाइए ।
★_८-सोने से पहले सोने से पहले के अज़कार और दुआएं ना भूले।
★_९- वजू करके सोइए ।
★_१०-सुबह जल्दी उठने का अहतमाम करके सोइए।

*┱✿ सोने से पहले नफ्स का मुहासबा कीजिए।*
★_अपने नफ्स से पूछिए :- १- ऐ नफ्स! क्या तूने आज महज़ अल्लाह के लिए सदका खैरात किया ।
★_२-ऐ नफ्स! क्या तूने आज किसी इंसान को नफा पहुंचाया।
★_३-ऐ नफ्स! क्या तूने आज सिलाह रहमी की ।
★_४- ऐ नफ्स! क्या तूने आज कोई दीन की बात सीखी ।
★_५-ऐ नफ्स! क्या तूने आज भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना किया ।
★_६- ऐ नफ्स! क्या तूने अपने आप को गीबत , झूठ और दिगर गुनाहों से बचाया ।
★_७-ऐ नफ्स! क्या तू बदनजरी से बचा रहा ।
★_८-ऐ नफ्स! क्या तूने तमाम नमाजे और मामूलात पूरे कर लिए ।
"_जब नफ्स कहे हां तो "अलहमदुलिल्लाह" पढ़ते हुए सो जाइए और अगर नफ्स इंकार करें तो" इसतगफार" करते हुए आइंदा करने की नियत करके सो जाइए।

*★_ खुलासा :-* खुलासा यह है कि रमजान की कोई घड़ी बेसूद ना गुजरने दें और बार बार अल्लाह की इबादत और मखलूक की खिदमत में अपने आप को लगाए रखें । अगर हम इस तरह रमजान गुजारेंगे तो फिर देखिए कि क्या इंकलाब बरपा होता है।

*┱✿रमजान के बाद जिंदगी कैसे गुजारे _,*
★_जब रमजान निजा़म उल औकात की नेकियों की पाबंदी के साथ गुजरेगा तो इंशा अल्लाह ताला पूरा साल अल्लाह की मदद नुसरत और तौफीक के साथ गुजरेगा।
★_ रमजान में आप हर एतबार से तक्वा़ अख्तियार करो ,यानी हर बुराई से चाहे जाहिरी हो या बातिनी हो बच जाओ ।अल्लाह पूरे साल तक़वा से गुजारने की तौफीक देगा।
★_ तौबा इस्तगफार कसरत से करो। इइसराफ से बचो ।आम तौर पर देखा जाता है कि रमजान में इसराफे तआम और इफराते नौम में लोग ज्यादा मुब्तिला होते हैं ।यानी ज्यादा खाना और ज्यादा सोना । अब जाहिर सी बात है जब ज्यादा खा कर और सो का रमजान गुजरेगा तो पूरा साल बे बरकती वाला ही होगा।

*★__ रमजान के बाद पाबंदी करें:-*
"_फर्ज़ नमाजों की पाबंदी बा जमात करें । नमाजे वितर् का अहतमाम करें । कुराने पाक की तिलावत की पाबंदी करें । सुनन मौक़दा का अहतमाम करें। कुरान पाक की तिलावत की पाबंदी करें। हलाल रिज़्क़ पर गुज़ारा करें। दीन खुद भी सीखे अपने मातहतों को ,बच्चों को भी दीनी तालीम और तरबियत देने का एहतमाम करें ।अल्लाह के दीन की मेहनत करें ।अपने जान-माल और वक्त की तरतीब बनाएं ।
*___अलहमदुलिल्लाह मुकम्मल हुए।*
*Ramzan Kis Tarah Guzare-*         
                 
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        ║ *Talibe Dua_*
        ║ _ *Haqq Ka Daayi_*
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*ʀєαd, ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd ,*
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